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Saturday, December 29, 2012

Motivational Hindi Stories - उधार का धन, भाग्य और ज्ञान काम नहीं आता


उधार का धन, भाग्य और ज्ञान काम नहीं आता

एक प्रेरणाप्रद कथा जो अवश्य हम सबका मार्ग दर्शन करेगी

उधार का धन, भाग्य और ज्ञान काम नहीं आता. वह अपने साथ मुसीबतें भी लाता है. अपने आप अर्जित किया हुआ ही फलदायी होता है".

स्कूल के प्रिंसीपल माइक के पास पहुँचे. उन्होने सामने बैठी और खड़ी
भीड़ को देखा और बोलना शुरु किया.

आज मैं अंतिम बार इस स्कूल के प्रिंसीपल के रुप में आप सबसे बात कर रहा हूँ. इसी जगह खड़े होकर मैंने बरसों भाषण दिये हैं.आज जब मेरी नौकरी का अंतिम दिन है
इस परिसर में इस मंच से अपने अंतिम सम्बोधन में एक कथा आप सबसे, विधार्थियों से खास तौर पर, कहना चाहूँगा.

बहुत साल पहले की बात है एक लड़का था. उम्र तकरीबन आठ-नौ साल रही होगी उस समय उसकी. एक शाम वह तेजी से लपका हुआ घर की ओर जा रहा था. दोनों हाथ उसने अपने सीने पर कस कर जकड़ रखे थे और हाथों में कोई चीज छिपा रखी थी. साँस उसकी तेज चल रही थी.घर पहुँच कर वह सीधा अपने दादा के पास पहुँचा.

बाबा, देखो आज मुझे क्या मिला ?

उसने दादा के हाथ में पर्स की शक्ल का एक छोटा सा बैग थमा दिया.

ये कहाँ मिला तुझे बेटा ?

खोल कर तो देखो बाबा, कितने सारे रुपये हैं इसमें।

इतने सारे रुपये? कहाँ से लाया है तू इसे?

बाबा सड़क किनारे मिला. मेरे पैर से ठोकर लगी तो मैंने उठाकर देखा. खोला तो रुपये मिले. कोई नहीं था वहाँ मैं इसे उठा लाया.

तूने देखा वहाँ ढ़ंग से कोई खोज नहीं रहा था इसे ?

नहीं बाबा वहाँ कोई भी नहीं था. आप और बाबूजी उस दिन पैसों की बात कर रहे थे अब तो हमारे बहुत सारे काम हो जायेंगे।

पर बेटा ये हमारा पैसा नहीं है.

पर बाबा मुझे तो ये सड़क पर मिला अब तो ये मेरा ही हुआ.

दादा के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आयीं.

नहीं बेटा, ये तुम्हारा पैसा नहीं है. उस आदमी के बारे में सोचो जिसका इतना सारा पैसा खो गया है. कौन जाने कितने जरुरी काम के लिये वह इस पैसे को लेकर कहीं जा रहा हो. पैसा खो जाने से उसके सामने कितनी बड़ी परेशानी आ जायेगी. उस दुखी आदमी की आह भी तो इस पैसे से जुड़ी हुयी है। हो सकता है इस पैसे से हमारे कुछ काम हो जायें और कुछ आर्थिक परेशानियाँ इस समय कम हो जायें पर यह पैसा हमारा कमाया हुआ नहीं है, इस पैसे के साथ किसी का दुख दर्द जुड़ा हो सकता है, इन सबसे पैदा होने वाली परेशानियों की बात तो हम जानते नहीं. जाने कैसी मुसीबतें इस पैसे के साथ आकर हमें घेर लें. उस आदमी का दुर्भाग्य था कि उसके हाथ से बैग गिर गया पर वह दुर्भाग्य तो इस पैसे से जुड़ा हुआ है ही. हमें तो इसे इसके असली मालिक के पास पहुँचाना ही होगा.

किस्सा तो लम्बा है. संक्षेप में इतना बता दूँ कि लड़के के पिता और दादा ने पैसा उसके मालिक तक पँहुचा दिया.

इस घटना के कुछ ही दिनों बाद की बात है. लड़का अपने दादा जी के साथ टहल रहा था. चलते हुये लड़के को रास्ते में दस पैसे मिले, उसने झुककर सिक्का उठा लिया.

उसने दादा की तरफ देखकर पूछा,"बाबा, इसका क्या करेंगे क्या इसे यहीं पड़ा रहने दें अब इसके मालिक को कैसे ढ़ूँढ़ेंगे ?”
दादा ने मुस्कुरा कर कहा, "हमारे देश की मुद्रा है बेटा नोट छापने, सिक्के बनाने में देश का पैसा खर्च होता है. इसका सम्मान करना हर देशवासी का कर्तव्य है. इसे रख लो. कहीं दान-पात्र में जमा कर देंगे.

बाबा, इसके साथ इसके मालिक की आह नहीं जुड़ी होगी ?

बेटा, इतने कम पैसे खोने वाले का दुख भी कम होगा. इससे उसका बहुत बड़ा काम सिद्ध नहीं होने वाला था. हाँ तुम्हारे लिये इसे भी रखना गलत है. इसे दान-पात्र में डाल दो, किसी अच्छे काम को करने में इसका उपयोग हो जायेगा.

लड़के को कुछ असमंजस में पाकर दादा ने कहा, "बेटा उधार का धन, भाग्य और ज्ञान काम नहीं आता. वह अपने साथ मुसीबतें भी लाता है. अपने आप अर्जित किया हुआ ही फलदायी होता है".

आज वह लड़का आपके सामने आपके प्रिंसीपल के रुप में खड़ा है.

हंस और हंसिनी और उल्लू


हंस और हंसिनी और  उल्लू 

MUST READ MUST READ, TRUE FACT 

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये ! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो जल है,
न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !

भटकते २ शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बितालो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर २ से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है।

हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।
पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा
था।

सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।
हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद !

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।
हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही
है !

उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी।

पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये ! बोले, भाई किस बात का विवाद है ?
लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है ! लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पञ्च लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।
हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है ! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है ! यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।
उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली ! रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई !

ऐ मित्र हंस, रुको ! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ? उल्लू ने कहा, नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी !

लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है !

मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है ।
यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पञ्च रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं !

शायद ६५ साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है ।

इस देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं।

हर पढने वाला ध्यान से मनन करे क़ि इस बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

जय श्री राधे कृष्णा जी...

Motivational Hindi Stories - कितनी ज़मीन?


कितनी ज़मीन?

Leo Tolstoy
यह लेव तॉल्स्तॉय की प्रसिद्ध कहानी है :


Very good story. memory of my childhood days

एक आदमी के घर एक संन्यासी मेहमान आया – एक परिव्राजक. रात को बातें हुईं. उस परिव्राजक ने कहा, “तुम यहाँ क्या छोटी-मोटी खेती में लगे हो. साइबेरिया में मैं यात्रा पर था तो वहाँ जमीन इतनी सस्ती है कि मुफ्त ही मिलती है. तुम यह जमीन वगैरह छोड़कर साइबेरिया चले जाओ. वहाँ हजारों एकड़ जमीन मिल जाएगी. बड़ी ज़मीन में मनचाही फसल उगाओ. और लोग वहाँ के इतने सीधे-सादे हैं कि करीब-करीब मुफ्त ही जमीन दे देते हैं.”

उस आदमी के मन में लालसा जगी. उसने तुरंत ही सब बेच-बाचकर साइबेरिया की राह पकड़ी. जब पहुँचा तो उसे बात सच्ची मालूम पड़ी. उसने वहां के ज़मींदारों से कहा, “मैं जमीन खरीदना चाहता हूँ.” वे बोले, “ठीक है. जमीन खरीदने का तुम जितना पैसा लाए हो उसे मुनीम के पास जमा करा दो. जमीन बेचने का हमारा तरीका यह है कि कल सुबह सूरज के निकलते ही तुम चल पड़ो और सूरज के डूबते तक जितनी जमीन घेर सकते हो घेर लो. वह सारी जमीन तुम्हारी होगी. बस चलते जाना, चाहो तो दौड़ भी लेना. भरपूर बड़ी जमीन घेर लेना और सूरज के डूबते-डूबते ठीक उसी जगह पर लौट आना जहाँ से चले थे. बस यही शर्त है. जितनी जमीन तुम घेर लोगे, उतनी जमीन तुम्हारी हो जाएगी.”

यह सुनकर रात-भर तो सो न सका वह आदमी. कोई और भी नहीं सो पाता. ऐसे क्षणों में कोई सोता है? रात भर वह ज्यादा से ज्यादा ज़मीन घेरने की तरकीबें लगाता रहा. सुबह सूरज निकलने के पहले ही भागा. उसका कारनामा देखने के लिए पूरा गाँव इकट्ठा हो गया था. सुबह का सूरज ऊगा, वह भागा. उसने साथ अपनी रोटी भी ले ली थी, पानी का भी इंतजाम कर लिया था. रास्ते में भूख लगे, प्यास लगे तो सोचा था चलते ही चलते खाना भी खा लूँगा, पानी भी पी लूँगा. रुकना नहीं है; चलना भी नहीं है, बस दौड़ते रहना है. सोचा उसने, चलने से तो आधी ही जमीन कर पाऊँगा, दौड़ने से दुगनी हो सकेगी – वह भागा… बहुत तेज भागा….

उसने सोचा था कि ठीक बारह बजे लौट पड़ूँगा, ताकि सूरज डूबते-डूबते पहुँच जाऊँ. बारह बज गए, मीलों चल चुका है, मगर वासना का कोई अंत है? उसने सोचा कि बारह तो बज गए, लौटना चाहिए; लेकिन सामने और उपजाऊ जमीन, और उपजाऊ जमीन… थोड़ी सी और घेर लूँ तो क्या हर्ज़ है! वापसी में ज्यादा तेज़ दौड़ लूँगा. इतनी ही बात है, फिर तो पूरी ज़िंदगी आराम ही करना है. एक ही दिन की तो बात है!

उसने पानी भी न पीया, क्योंकि उसके लिए रुकना पड़ेगा. सोचा, एक दिन की ही तो बात है, बाद में पी लेंगे पानी, फिर जीवन भर पीते रहेंगे. उस दिन उसने खाना भी न खाया. रास्ते में उसने खाना भी फेंक दिया, पानी भी फेंक दिया, क्योंकि उनका वजन भी ढोना पड़ा रहा है, इसलिए दौड़ ठीक से नहीं पा रहा है. उसने अपना कोट भी उतार दिया, अपनी टोपी भी उतार दी, जितना हल्का हो सकता था हो गया.

एक बज गया, लेकिन लौटने का मन नहीं होता, क्योंकि आगे और अच्छी ज़मीन नज़र आती है. लेकिन लौटना तो था ही, दोपहर के दो बज रहे थे. वह घबरा गया. अब शरीर जवाब दे रहा था. सारी ताकत लगाई; लेकिन ताकत तो चुकने के करीब आ गई थी. सुबह से दौड़ रहा था, हाँफ रहा था, घबरा रहा था कि पहुँच पाऊँगा सूरज डूबते तक कि नहीं. सारी ताकत लगा दी. पागल होकर दौड़ा. सब दाँव पर लगा दिया. और सूरज डूबने लगा… ज्यादा दूरी भी नहीं रह गई है, लोग दिखाई पड़ने लगे. गाँव के लोग खड़े हैं और आवाज दे रहे हैं कि आ जाओ, आ जाओ! उत्साह दे रहे हैं, भागे आओ! कैसे देहाती लोग हैं, – सोचने लगा मन में; इनको तो सोचना चाहिए कि मैं मर ही जाऊँ, तो इनको धन भी मिल जाए और जमीन भी न जाए. मगर वे बड़ा उत्साह दे रहे हैं कि भागे आओ!

उसने आखिरी दम लगा दी – भागा, भागा… सूरज डूबने लगा; इधर सूरज डूब रहा है, उधर भाग रहा है… सूरज डूबते-डूबते बस जाकर गिर पड़ा. कुछ पाँच-सात गज की दूरी रह गई है; घिसटने लगा.

अभी सूरज की आखिरी कोर क्षितिज पर रह गई – घिसटने लगा. और जब उसका हाथ उस जमीन के टुकड़े पर पहुँचा, जहाँ से भागा था, उस खूँटी पर, सूरज डूब गया. वहाँ सूरज डूबा, यहाँ यह आदमी भी मर गया. इतनी मेहनत कर ली! शायद दिल का दौरा पड़ गया. और सारे गाँव के लोग जिन्हें वह सीधा-सादा समझ रहा था, वे हँसने लगे और एक-दूसरे से बात करने लगे!

“ये पागल आदमी आते ही जाते हैं! इस तरह के पागल लोग आते ही रहते हैं!”

यह कोई नई घटना न थी, अक्सर लोग आ जाते थे खबरें सुनकर, और इसी तरह मरते थे. यह कोई अपवाद नहीं था, यही नियम था. अब तक ऐसा एक भी आदमी नहीं आया था, जो घेरकर जमीन का मालिक बन पाया हो. उस गाँव के लोगों के खाने-कमाने का जरिया थे ऐसे आदमी.

यह कहानी तुम्हारी कहानी है, तुम्हारी जिंदगी की कहानी है, सबकी जिंदगी की कहानी है. यही तो तुम कर रहे हो – दौड़ रहे हो कि कितनी जमीन घेर लें! बारह भी बज जाते हैं, दोपहर भी आ जाती है, लौटने का भी समय होने लगता है – मगर थोड़ा और दौड़ लें! न भूख की फिक्र है, न प्यास की फिक्र है.

जीने का समय कहाँ है? पहले जमीन घेर लें, पहले तिजोरी भर लें, पहले बैंक में रुपया इकट्ठा हो जाए; फिर जी लेंगे, फिर बाद में जी लेंगे, एक ही दिन का तो मामला है. और कभी कोई नहीं जी पाता. गरीब मर जाते हैं भूखे, अमीर मर जाते हैं भूखे, कभी कोई नहीं जी पाता. जीने के लिए थोड़ा सुकून चाहिए. जीने के लिए थोड़ी समझ चाहिए. जीवन मुफ्त नहीं मिलता. जीने के लिए बोध चाहिए.


Motivational Hindi Stories - जेब कट चुकी थी

 Motivational Hindi Stories - जेब कट चुकी थी


बस से उतरकर जेब में हाथ डाला। मैं चौंक पड़ा।
जेब कट चुकी थी। जेब में था भी क्या? कुल
नौ रुपए और एक खत,
जो मैंने
माँ को लिखा था कि—मेरी नौकरी छूट गई है;

अभी पैसे नहीं भेज पाऊँगा…।
तीन दिनों से वह पोस्टकार्डजेब में पड़ाथा।
पोस्ट करने को मन ही नहीं कर रहा था।
नौ रुपए जा चुके थे।यूँ नौ रुपए कोई बड़ी रकम

नहीं थी, लेकिन जिसकी नौकरी छूट चुकी हो,
उसके लिएनौ रुपए नौ सौ से कम नहीं होते।
कुछ दिन गुजरे। माँ का खत मिला। पढ़ने से पूर्वमैं
सहम गया।
जरूर पैसे भेजने को लिखाहोगा।….
लेकिन, खत पढ़कर मैं हैरान रह गया।
माँ ने लिखाथा—“बेटा, तेरा पचास रुपए
का भेजा हुआ मनीआर्डर मिल गया है।तू
कितना अच्छा है रे!…पैसे भेजने में
कभी लापरवाहीनहीं बरतता।”
मैं इसी उधेड़- बुन में लग गया कि आखिर
माँ को मनीआर्डर किसने भेजाहोगा?
कुछ दिन बाद, एक और पत्र मिला। चंद लाइनें
थीं—आड़ी-तिरछी। -­ ­
बड़ी मुश्किल से खत पढ़
पाया।
लिखा था—“भाई, नौ रुपए तुम्हारे और
इकतालीस रुपए अपनी ओर सेमिलाकर मैंने
तुम्हारी माँ को मनीआर्डर भेज दिया है। फिकर
न करना।….
माँ तो सबकी एक-जैसी होती है न।
वह क्यों भूखी रहे?…
तुम्हारा—जेबकतरां


Motivational Hindi Stories - सबसे बड़ा सबक


Motivational Hindi Stories - सबसे बड़ा सबक

चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में चीन से एक दूत आया. वह चाणक्य के साथ ‘राजनीति के दर्शन’ पर विचार-विमर्श करना चाहता था. चीनी राजदूत राजशाही ठाठबाठ वाला अक्खड़ किस्म का था. उसने चाणक्य से बातचीत के लिए समय मांगा. चाणक्य ने उसे अपने घर रात को आने का निमंत्रण दिया.

उचित समय पर चीनी राजदूत चाणक्य के घर पहुँचा. उसने देखा कि चाणक्य एक छोटे से दीपक के सामने बैठकर कुछ लिख रहे हैं. उसे आश्चर्य हुआ कि चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार का बड़ा ओहदेदार मंत्री इतने छोटे से दिए का प्रयोग कर रहा है.

चीनी राजदूत को आया देख चाणक्य खड़े हुए और आदर सत्कार के साथ उनका स्वागत किया. और इससे पहले कि बातचीत प्रारंभ हो, चाणक्य ने वह छोटा सा दीपक बुझा दिया और एक बड़ा दीपक जलाया. बातचीत समाप्त होने के बाद चाणक्य ने बड़े दीपक को बुझाया और फिर से छोटे दीपक को जला लिया.

चीनी राजदूत को चाणक्य का यह कार्य बिलकुल ही समझ में नहीं आया. चलते-चलते उसने पूछ ही लिया कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया.

चाणक्य ने कहा – जब आप मेरे घर पर आए तो उस वक्त मैं अपना स्वयं का निजी कार्य कर रहा था, तो उस वक्त मैं अपना स्वयं का दीपक प्रयोग में ले रहा था. जब हमने राजकाज की बातें प्रारंभ की तब मैं राजकीय कार्य कर रहा था तो मैंने राज्य का दीपक जलाया. जैसे ही हमारी राजकीय बातचीत समाप्त हुई, मैंने फिर से स्वयं का दीपक जला लिया.

चाणक्य ने आगे कहा - मैं कभी ‘राज्य का मंत्री’ होता हूँ, तो कभी राज्य का ‘आम आदमी’. मुझे दोनों के बीच अंतर मालूम है.

Motivational Hindi Stories - नदी का पानी बिकाऊ


नदी का पानी बिकाऊ

गुरू जी के प्रवचन में एक गूढ़ वाक्य शामिल था।

कटु मुस्कराहट के साथ वे बोले, "नदी के तट पर बैठकर नदी का पानी बेचना ही मेरा कार्य है"।

और मैं पानी खरीदने में इतना व्यस्त था कि मैं नदी को देख ही नहीं पाया।

"हम जीवन की समस्याओं और आपाधापी के कारण प्रायः सत्य को नहीं पहचान पाते।"


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Motivational Hindi Stories - रंग - रूप


रंग - रूप

कालिदास से एक बार राजा ने पूछा – कालिदास, ईश्वर ने आपको बुद्धि तो भरपूर दी है, मगर रूप-रंग देने में भी यदि ऐसी ही उदारता वे बरतते तो बात ही कुछ और होती. 

कालिदास ने राजा के व्यंग्यात्मक लहजे को पहचान लिया. कालिदास ने कुछ नहीं कहा, परंतु सेवक को पानी से भरे एक जैसे दो पात्र लाने को कहा – एक सोने का एक मिट्टी का. 

दोनों पात्र लाए गए. गर्मियों के दिन थे. कालिदास ने राजा से पूछा – राजन्! क्या आप बता सकते हैं कि इनमें से किस पात्र का पानी पीने के लिए उत्तम है? 

राजा ने छूटते ही उत्तर दिया – यह तो सीधी सी बात है, मिट्टी का. और फिर तुरंत उन्हें अहसास हुआ कि कालिदास क्या कहना चाहते हैं! 

"बाह्य रूपरंग सरसरी तौर पर लुभावना लग सकता है, मगर असली सुंदरता तो आंतरिक होती है. मिट्टी का घड़ा आपकी (वास्तविक) प्यास बुझा सकता है, सोने का घड़ा नहीं!"

Motivational Hindi Stories- मैं तुझे तो कल देख लूंगा


मैं तुझे तो कल देख लूंगा

सूफी संत जुनैद के बारे में एक कथा है.

एक बार संत को एक व्यक्ति ने खूब अपशब्द कहे और उनका अपमान किया. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं कल वापस आकर तुम्हें अपना जवाब दूंगा.

अगले दिन वापस जाकर उस व्यक्ति से कहा कि अब तो तुम्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं है.

उस व्यक्ति को बेहद आश्चर्य हुआ. उस व्यक्ति ने संत से कहा कि जिस तरीके से मैंने आपका अपमान किया और आपको अपशब्द कहे, तो घोर शांतिप्रिय व्यक्ति भी उत्तेजित हो जाता और जवाब देता. आप तो सचमुच विलक्षण, महान हैं.

संत ने कहा – मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि यदि आप त्वरित जवाब देते हैं तो वह आपके अवचेतन मस्तिष्क से निकली हुई बात होती है. इसलिए कुछ समय गुजर जाने दो. चिंतन मनन हो जाने दो. कड़वाहट खुद ही घुल जाएगी. तुम्हारे दिमाग की गरमी यूँ ही ठंडी हो जाएगी. आपके आँखों के सामने का अँधेरा जल्द ही छंट जाएगा. चौबीस घंटे गुजर जाने दो फिर जवाब दो
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Hindi Stories - भेड़िया ओर मेमना


भेड़िया ओर मेमना

नदी के किनारे एक भेड़िये को कुछ दूरी पर एक भटकता हुआ मेमना दिखायी देता है। वह उस पर हमला करके अपना शिकार बनाने का निश्चय करता है। निरीह मेमने के शिकार के लिए वह बहाना ढूंढने लगता है।

वह मेमने पर चिल्लाता है - "अरे दुष्ट! जिस नदी का मैं पानी पी रहा हूँ उसे गंदा करने की तेरी हिम्मत कैसे हुयी?"

मेमना नम्रतापूर्वक बोला - "माफ कीजिए श्रीमान! लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आया कि मैं किस तरह पानी गंदा कर रहा हूँ, जबकि पानी तो आपकी ओर से बहता हुआ मेरे पास आ रहा है।"

"हो सकता है! पर सिर्फ एक वर्ष पहले मैंने सुना था कि तुम मेरी पीठ पीछे बहुत बुराई कर रहे थे।" - भेड़िये ने बात बनाते हुये कहा।

"लेकिन श्रीमान, एक वर्ष पहले तो मैं पैदा ही नहीं हुआ था" - मेमने ने कहा। 

"हो सकता है कि तुम न हो। वो तुम्हारी माँ भी हो सकती है। पर इससे मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। अब तुम मेरे भोजन में और व्यवधान नहीं डालो।" - भेड़िये ने गुर्राते हुए कहा और बिना पल गवाये उस निरीह मेमने पर टूट पड़ा।

"एक तानाशाह अपनी तानाशीही के लिए हमेशा कोई न कोई बहाना तलाश लेता है।"

Motivational Hindi Stories - सूफी कथा


सूफी कथा 

यह एक सूफी कथा है. किसी गाँव में एक बहुत सरल स्वभाव का आदमी रहता था. वह लोगों को छोटी-मोटी चीज़ें बेचता था. उस गाँव के सभी निवासी यह समझते थे कि उसमें निर्णय करने, परखने और आंकने की क्षमता नहीं थी. इसीलिए बहुत से लोग उससे चीज़ें खरीदकर उसे खोटे सिक्के दे दिया करते थे. वह उन सिक्कों को ख़ुशी-ख़ुशी ले लेता था. किसी ने उसे कभी भी यह कहते नहीं सुना कि ‘यह सही है और यह गलत है’. कभी-कभी तो उससे सामान लेनेवाले लोग उसे कह देते थे कि उन्होंने दाम चुका दिया है, और वह उनसे पलटकर कभी नहीं कहता था कि ‘नहीं, तुमने पैसे नहीं दिए हैं’. वह सिर्फ इतना ही कहता ‘ठीक है’, और उन्हें धन्यवाद देता.

दूसरे गाँवों से भी लोग आते और बिना कुछ दाम चुकाए उससे सामान ले जाते या उसे खोटे पैसे दे देते. वह किसी से कोई शिकायत नहीं करता.

समय गुज़रते वह आदमी बूढ़ा हो गया और एक दिन उसकी मौत की घड़ी भी आ गयी. कहते हैं कि मरते हुए ये उसके अंतिम शब्द थे: – “मेरे खुदा, मैंने हमेशा ही सब तरह के सिक्के लिए, खोटे सिक्के भी लिए. मैं भी एक खोटा सिक्का ही हूँ, मुझे मत परखना. मैंने तुम्हारे लोगों का फैसला नहीं किया, तुम भी मेरा फैसला मत करना.”

ऐसे आदमी को खुदा कैसे परखता?

अच्छाई का बूमरैंग


अच्छाई का बूमरैंग
प्रेरक कहानियाँ -

हमारे विचारों में, कार्यों में, और व्यवहार में जो कुछ भी होता है वह देरसबेर हमारी और पलटकर वापस ज़रूर आता है. ऊपर जाते समय राह में मिलनेवालों से अच्छा बर्ताव करना चाहिए क्योंकि नीचे जाते समय वे रास्ते में फिर मिल सकते हैं.

कई साल पहले एक लड़का स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा था. उसके सामने आर्थिक समस्या थी और पढ़ाई जारी रखने के लिए धन जुटाने का कोई रास्ता न था. उसे एक उपाय सूझा. उसने सोचा कि वह महान पियानो वादक इग्नेसी पेडेरेस्की का एक पियानो वादन कार्यक्रम आयोजित करके उससे होनेवाली आय से अपने रहने-खाने और पढ़ाई का खर्चा निकाल लेगा.

पेडेरेस्की के मैनेजर ने फीस के रूप में 2,000 डॉलर की मांग रखी. उस जमाने में यह बहुत बड़ी रकम होती थी लेकिन लड़के ने इसके लिए हामी भर दी और कार्यक्रम की तैयारी में जुट गया. उसने बहुत हाथ-पैर मारे लेकिन केवल 1,600 डॉलर ही जुटा पाया. कार्यक्रम की समाप्ति पर उसने पेडेरेस्की को इतनी ही रकम जमा कर पाने की सूचना दी और 1,600 डॉलर के साथ 400 डॉलर का एक वचनपत्र दिया जिसमें यह लिखा था कि वह यथासंभव बाकी की धनराशि जमा करके पेडेरेस्की को भेज देगा. उसका आर्थिक संकट अब और विकराल हो गया था.

“नहीं” – पेडेरेस्की बोले – “मुझे यह नहीं चाहिए” – और वचनपत्र को फाड़ते हुए कहा – “इन 1,600 डॉलर में से अपने सारे खर्चे निकालकर जो बचे उसमें से 10% रख लो और बाकी धन मुझे दे दो”. लड़के को यह सुनकर बड़ी राहत मिली.

हर्बर्ट हूवर और इग्नेसी पेडेरेस्की
साल गुज़रते चले गए. प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा और चला गया. पेडेरेस्की अब पोलैंड के राष्ट्रपति थे और उनके देश में घोर अकाल पड़ने के कारण नागरिक अन्न को तरस रहे थे. पूरी दुनिया में एक ही आदमी उनकी मदद कर सकता था जिसका नाम हर्बर्ट हूवर था और वह यूएस खाद्य और सहायता ब्यूरो का प्रमुख था. हूवर ने पोलैंड पर आये संकट के बारे में सुनकर तुरंत हजारों टन अनाज जहाजों में लदवा कर पोलैंड भेज दिया और इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया. जब पोलैंड की खाद्य समस्या का कुछ निराकरण हो गया तब पेडेरेस्की पेरिस में हूवर से मिले और उन्हें सहायता के लिए धन्यवाद दिया.

हूवर ने उनसे कहा – “कोई बात नहीं, मिस्टर पेडेरेस्की… शायद आपको याद नहीं पर मुझे याद है कि आपने संकट के क्षणों में मेरी सहायता की थी जब मैं स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रहा था”.

आगे चलकर हर्बर्ट हूवर अमेरिका का इकतीसवां राष्ट्रपति बना और उसने पोलैंड की हर मामले में सहायता की.

अच्छाई बूमरैंग की तरह पलटकर वापस आती है. ऐसा अक्सर होता है.

(A motivational / inspiring anecdote – boomerang of goodness – Herbert Hoover and Ignacy Jan Pederewski – in Hindi)

Motivational Hindi Stories, अच्छाई,प्रेरक कहानियाँ 

Thursday, December 20, 2012

Jokes & Jokes

पत्नी- देखो जी, हमारी शांताबाई का पति उसको खुश रखने के लिए हर हफ्ते फिल्म दिखाने ले जाता है, आप क्यों नहीं ले जाते?
पति- अरे, मैंने भी शांताबाई को फिल्म के लिए बुलाया था, लेकिन उसने इनकार कर दिया तो इसमें मेरी क्या गलती?

सोनू: तूने स्कूल आना क्यों छोड़ दिया?
मोनू: दरअसल, मेरे पापा बोल रहे थे कि एक जगह बार-बार जाने से इज्जत कम हो जाती है।


एक अमीर आदमी कहता है। आज मेरे पास चौदह कार, 18 बाइक, चार बंगले, तीन फॉर्महाउस है। तुम्हारे पास क्या है।
गरीब आदमी बोलता है- मेरे पास बेटा है। जिसकी गर्लफ्रेंड तेरी बेटी है।

एक बार दांतों में दर्द होने पर मनमोहन सिंह जी डेंटिस्ट के पास गए,
काफी देर प्रयास करने के बाद असफल रहने पर डेंटिस्ट ने कहा,
मनमोहन जी कृपया यहां तो मुंह खोलिए...


दो मच्छर आपस में बातें कर रहे थे। पहला, ‘क्या जमाना आ गया है - चूहेदानी में चूहा, साबुनदानी में साबुन और मच्छरदानी में हमारी जगह आदमी सोया हुआ है।’

समुंदर तट पर घूमने के बाद एक बच्चा अपने मां-बाप के पास पहुंचा तो पिता ने कहा: इतनी देर से तुम कहां थे? तम्हें भूख लगी होगी, चलो किसी होटल में खाना खाते हैं।
बच्चे ने कहा: मुझे तो बिल्कुल भूख नहीं है,मैं चार पैकेट बिस्कुट और पांच कप आइसक्रीम खा चुका हूं।
पिता ने पूछा: वौ कैसे? तुम्हारे पास पैसे कहां से आए?
बच्चे ने कहा: पैसों की क्या जरूरत थी पापा, मैं तो बस यूं ही इधर-उधर रोता हुआ भटकता रहा,जैसे मां-बाप से बिछड़ गया हूं।


एक ग्रामीण पिता-पुत्र अपने नजदीकी शहर में शॉपिंग मॉल देखने गये। वे लिफ्ट देखकर विशेष रूप से प्रभावित हुये। उन्होंने ऐसी दीवार पहले कभी नहीं देखी थी ।
जिस समय वे पिता पुत्र आंखे फाड़ फाड़ कर उस दीवार को देख रहे थे उसी समय एक बूढ़ी औरत उस दीवारके पास पहुंची और वहाँ पर लगा एक बटन दबाया। बटन दबाते ही दीवार खुल गई और बूढ़ी औरत उसके अन्दर चली गई ।
दीवार फिर बन्द हो गई। थोड़ी देर बाद दीवार अपने आप खुली और उसमें एक पच्चीस साल की खूबसूरत लड़की बाहर निकली।
पिता यह सब देखकर लगभग चिल्लाते हुये पुत्र से बोला – ”बेटा, जल्दी घर जा और अपनी मां को लेकर आ। वो भी इसमें घुसकर जवान हो जायेगी"

पत्नी ने पति को प्रेम जताते हुए कहा आप हजारों में एक हैं।
पति ने सुनकर पत्नी को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया और गुस्से में बोला बाकी के 999 कौन हैं?


पत्नी अपने पति को सुधारने के लिए काले कपड़े पहनकर घर के बाहर खड़ी हो गयी।
पति- तुम कौन?
पत्नी- चुड़ैल
पति- हाथ मिला, मैं तेरी बहन का पति।

पति (पत्नी से )- मेरे मरने के बाद तुम मेरे दोस्त मुकेश से शादी कर लेना।
पत्नी (पति से)- तुम्हारे दोस्त से क्यों? क्या मेरा कोई दोस्त नही है।


एक आदमी अपनी बीबी से तलाक लेने के लिए वकील के पास गया
वकील - 5000 रु. लगेँगे ।
आदमी - पागल हो गये हो क्या ? शादी करवाने के पंडित ने 51 रु. लिये थे ।
वकील - तो देख लिया न सस्ते का नतीजा ।

गुरू और चेला दोनों अव्वल दर्जे के आलसी थे। एक रात गुरू ने चेले से कहा- जरा देख, बाहर बारिश हो रही है क्या।
चेला बोला- बारिश हो रही है।
गुरू- देखे बैगर कैसे कहता है।
चेला बोला- गुरू जी अभी-अभी जो बिल्ली अंदर आई है, वह भीगी हुई है, तो बारिश हो रही है।
पांच मिनट बाद गुरू ने फिर कहा- अच्छा जरा बत्ती बुझा दे।
चेला बोला- गुरूजी आंखे बंद कर लो, अपने आप अंघेरा हो जाएगा।
गुरूजी ने झल्लाते हुए कहा- चल जरा उठकर दरवाजा तो बंद कर दे।
चेला बोला- गुरूजी, अब दो काम मैंने कर दिए। तीसरा तो आप कर लीजिए।


सेल्समैन : सर कौकरेच के लिए पावडर लेगेँ क्या ?
संता : नही हम कौकरेच को इतना लाड प्यार नही करते आज पावडर देँगे तो कल
डियो माँगेगा

गीता सार


गीता सार



हे पार्थ !! (कर्मचारी)

इनक्रीमेंट/ अच्छा नहीं हुआ, बुरा हुआ….
इनसेंटिव नहीं मिला, ये भी बुरा हुआ…
वेतन में कटौती हो रही है बुरा हो रहा है, …..
तुम पिछले इनसेंटिव ना मिलने का पश्चाताप ना करो,
तुम अगले इनसेंटिव की चिंता भी मत करो,
बस अपने वेतन में संतुष्ट रहो….
तुम्हारी जेब से क्या गया,जो रोते हो?
जो आया था सब यहीं से आया था …
तुम जब नही थे, तब भी ये कंपनी चल रही थी,
तुम जब नहीं होगे, तब भी चलेगी,
तुम कुछ भी लेकर यहां नहीं आए थे..
जो अनुभव मिला यहीं मिला…
जो भी काम किया वो कंपनी के लिए किया,
डिग़्री लेकर आए थे, अनुभव लेकर जाओगे….
जो कंप्यूटर आज तुम्हारा है,
वह कल किसी और का था….
कल किसी और का होगा और परसों किसी और का होगा..
तुम इसे अपना समझ कर क्यों मगन हो ..क्यों खुश हो…
यही खुशी तुम्हारी समस्त परेशानियों का मूल कारण है…
क्यो तुम व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो,
कौन तुम्हें निकाल सकता है… ?
सतत “नियम-परिवर्तन” कंपनी का नियम है…
जिसे तुम “नियम-परिवर्तन” कहते हो, वही तो चाल है…
एक पल में तुम बैस्ट परफॉर्मर और हीरो नम्बर वन या सुपर स्टार हो,
दूसरे पल में तुम वर्स्ट परफॉर्मर बन जाते हो ओर टारगेट अचीव नहीं कर पाते हो..
ऎप्रेजल,इनसेंटिव ये सब अपने मन से हटा दो,
अपने विचार से मिटा दो,
फिर कंपनी तुम्हारी है और तुम कंपनी के…..
ना ये इन्क्रीमेंट वगैरह तुम्हारे लिए हैं
ना तुम इसके लिये हो,
परंतु तुम्हारा जॉब सुरक्षित है
फिर तुम परेशान क्यों होते हो……..?
तुम अपने आप को कंपनी को अर्पित कर दो,
मत करो इनक्रीमेंट की चिंता…बस मन लगाकर अपना कर्म किये जाओ…
यही सबसे बड़ा गोल्डन रूल है
जो इस गोल्डन रूल को जानता है..वो ही सुखी है…..
वोह इन रिव्यू, इनसेंटिव ,ऎप्रेजल,रिटायरमेंट आदि के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता है….
तो तुम भी मुक्त होने का प्रयास करो और खुश रहो….. 


तुम्हारा बॉस कृष्ण …

Wednesday, December 19, 2012

Jokes, Santa-Banta Jokes


आज हम एक अजीबो गरीब प्राणी के बारे में पढायेंगे . इस जंतु का नाम है "GirlFriend" . ये अक्सर "Boyfriend" के साथ पाई जाती है ! इनका पोस्टिक आहार "Boyfriend" का भेजा होता है ! इनको अक्सर नाराज होने का नाटक करते हुए देखा जा सकता है ! पर अगर पैसे खर्च किये जाये तो फीर नाटक ख़त्म हो जाता है... इस प्राणी का सबसे खतरनाक हथियार रोना और इमोशनली ब्लैक
मेल करना होता है ! गर्ल फ्रेंड से ब्रेक अप पर टेंशन नाम की बीमारी हो जाती है, जिसका कोई इलाज नहीं.. ये ही एक ऐसा प्राणी है जिसपे कोई विस्वास नहीं करता है... गर्ल फ्रेंड के लिए बॉय फ्रेंड कुछ भी कर सकता है, यहाँ तक की हस्ते हस्ते कुत्ता भी बनता है... इस प्राणी में बहुत सारे अवगुण फीर भी ये प्राणी इतनी आसानी से नहीं मिलता है, ये प्राणी भाव बहुत खाता है, पर इस प्राणी के पास होता कुछ भी नहीं है जो वास्तविक हो जिसपे भाव खाया जा सके...ये प्राणी नर प्राणी को बर्बाद करने में कोई भी कसर नहीं छोरता है.

Justin Bieber and George Bush were sitting inside a hospital....
George Bush started crying...
Justin asked him 'Why the hell are you crying?'
George replied 'They are going to cut my finger for the blood test'......
Hearing this Justin started laughing....(being safe feeling)
George asked 'Now why are you laughing?'
Justin replied 'I have come for urine test'........ :)
Sunny leon is acting in Jism 2,now the song will be-'awaraPORN, banjaraPORN'....
Santa receives a phone call- "Kya aap Anna hazare ke saath hain?"

Santa- "Nahi abhi to ghar pe hu...kyu kuch kaam hai kya?"
Arjuna: I can aim and shoot the tip of a rat's tail...

Rajinikanth: I can hit the rat's tail tip's cell's mitochondria protein's amino acid's base pair's hydrogen
bond in the ratio of 1.23:5.32!

Arjun : Aap toh serious ho gaye :D :D
‎1st Lady: tumhari beti itni smart kaise hai?

2nd Lady: wo dieting jo karti hai. aur aaj kal to uska gozara sirf vegetables pe he hai. bus kia bataon, agar tum uska bedroom dekho to wahan se be tumhain molian, gajarain and kheeray he milian ge
Ek Bar Santa Ne Naya Naya Mobile Liya Aur Socha Ki Ismein Mp3 Bharwa Ke Aata Hun.
Mobile Shop Par Pahunch Gaya Aur Bola
Santa: “ Mobile Mein Kuch Mp3 Load Karwane Hai? ”
Mobile Wala: “ Memory Card Hai? ”
Santa Sochte Hue: “ Ji MemoryCard To Nahi Hai, Rashan Card Chalega?
Santa went 2 girl home with a rose to propose her.

He pressed calling bell.
But her Dad opened da door

Santa: "Uncle Plz Support ANNA HAZARE" 
Banta: Yaar Teri Wife Ki Maut Ka
Bada Afsos Hua, Waise Hua Kya Tha?
Sant: Goli Lagi Thi Maathey Mein..
Banta: Bhagwan Ka Shukar Kar Ke
Aankh Bach Gayi.....:-D:-D
Santa: Maine Kal SANIA MIRZA
Se Phone Pe Baat Ki

Banta: That's Great Yaar..
Usne Kya Kahaa..??

Santa: Usne Kaha
.
.
.
.
WRONG NUMBER.
Teacher Told All Students In Class 2
Write N Essay On A Cricket Match
All Were Busy Writing Except Santa.

He Wrote:
.
.
.
.
"DUE TO RAIN, NO MATCH"
Santa Cricket Khel Kar Aya,
Dost: Kitnay Runs Banaye?
Sardar: Triple Century Honey Me
299 Run Baaki The,
Kanjar Ne Out Kar Dia!
Ek Din Santa Ne Bahut Sunder Ladki Dekhi Aur Socha...
Bahut Socha...
Kya Socha?..
Kaash !
Ye Meri Maa Hoti To Mai Bhi Itna Sundar Hota!!
Santa- Meri Vasiyat Likh Do, Mai Marne K Bad Apna
Sb Ku6, Yatim Khaaney Ko Daan Karna Chahta Hu
Waqil- Kya_Kya Hai, Tumhare Paas?
Santa- 1 BIWI, Aur 2 BACHCHEY....
Judge 2 Santa:
Faansi Se Pehle Teri Koi
Aakhri Khwaaish??
.
.
Santa: Mere Pair Upar Aur
Sar Niche Karke Faansi Dedo..!
Ek Raat 2 Baje Bahut Tez Baarish Ho Rahi Thi,
Santa Ne Ek Aadmi Ke Ghar Ki Bell Bajai Aur Pucha:
Dhakka Laga Doge Kya Plz....?
Aadmi Neend Me Tha Isliye Mana Kar Dia Aur Andar Aa
Gaya Par Fir Use Guilty Feel Hua....
Usne Socha Kabhi Vo Khud Baarish Me Fas Jaye Aur
Koi Uski Help Na Karey To.....?
Wo Utha Bahar Jaa Ke Bola: Kya Tumhe Abhi Bhi
Dhakka Chahiye....?
Awaaz Aayi: "Haan"
Aadmi: Thik Hai Par Tum Ho Kahan.?

Santa: "YAHAN GARDEN ME JHULEY PAR..:P

अक्ल बड़ी या भैस

एक आदमी ने जिन्दगी भर कंजूसी की, उसने काम किया, पैसा कमाया, पर ज्यादा से ज्यादा बचाने में जुटा रहा। इस चक्कर में उसने परिवार की बुनियादी जरूरतों में भी खूब काट -छांट की और पर्याप्त धन होते हुए भी उसके बीवी बच्चे अभावो में जीते रहे। 

जब उसका अंत समय आया, तो उसने अपनी बीवी को बुलाकर कहा - देखो तुम तो जानती हो कि किसी और चीज़ की तुलना में मुझे अपना पैसा सबसे ज्यादा प्यारा है। इसलिए मै चाहता हूँ कि मेरी मौत के बाद तुम सारा पैसा मेरी कब्र में रखवा देना। उसके बात सुनकर पत्नी को बहुत गुस्सा आया, लेकिन चूंकि वह मर रहा था और मरते आदमी की इच्छा जरूर पूरी की जाती है, इसलिए बीवी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह ऐसा ही करेगी।
कुछ समय बाद उस आदमी की मौत हो गई। उसकी बीवी ने बच्चो तथा अन्य सम्बन्धियो को उसकी अन्तिम इच्छा की जानकारी दी। 

जो लोग उसकी कंजूसी से वाकिफ थे वे दबी जुबान में उसकी इस इच्छा की आलोचना करने लगे। यहाँ तक कि बच्चे भी इस हक़ में नही थे कि सारा पैसा कब्र में रखवा दिया जाए। लेकिन बच्चो की माँ अपने पति की अन्तिम इच्छा पूरी करने पर अडी हुई थी। सबने उसे बहुत समझाया, पर वह नही मानी। इस बीच उसने सारा पैसा इकठ्ठा किया और उसे लेकर कहीं बाहर चली गई और कुछ समय में लौट भी आई।

अब तक अन्तिम संस्कार की सारी तैयारी हो चुकी थी। जब ताबूत को कब्र में उतारा जाने लगा, तो मृतक की पत्नी आगे बढ़ी सभी सोच रहे थे कि वह सारा का सारा पैसा कब्र में डाल देगी। बच्चो के चेहरों पर निराशा थी, तो औरो के चेहरों पर उसके लिए सहानभूति। 

महिला ने अपना पर्स खोला और उसमे से चेकबुक निकालकर कुछ रकम लिखी, फिर उस चेक को कब्र में डाल दिया और बोली - मैंने तुम्हारी जमापूंजी अपने खाते में जमा कराकर तुम्हारे नाम उस रकम का चेक बना दिया है। यह चेक मै कब्र में छोडे जा रही हूँ, जब भी जरुरत हो कैश करवा लेना। 

भैंस चालीसा (Bhains Chalisa)


भैंस चालीसा (Bhains Chalisa)

महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते|

Monday, December 10, 2012

Chanakya Quotes in Hindi


चाणक्य नीति  हिंदी में  

Chanakya Neeti In Hindi






Chanakya Quotes in Hindi
1) “दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी  आयु कम पड़ेगी.”
2)”किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा ) नहीं होना चाहिए —सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.”

Chanakya Quotes:3)”अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. ”
4)”हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होताहै –यह कडुआ सच है.”

Chanakya Niti in Hindi

5)”कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो —मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?”
6)”भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो .”

Chanakya Quotes in Hindi: 
7)”दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है.”
8)”काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो.”
9)”सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है.”
10)”ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.”
11) “व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं.”

Chanakya Quotes: Chanakya Quotes in Hindi
12) “ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं .”
13) “अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथमित्रवत व्यवहार
करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है.”
14) “अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
15) “शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर है.


Chanakya Neeti In Hindi : Part 3


चाणक्य नीति  हिंदी में  - तीसरा अध्याय 

 Chanakya Neeti In Hindi : Part 3


Chankya was a great scholar , who helped in setting up Chandragupta Maurya Empire from rags to riches.
चाणक्य भारत के महान विद्वानों में से एक माने जाते हैं. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्‍यात हुए. चाणक्य ने जो नीतियां और सिद्धांत बताएं हैं अगर उनपर अमल किया जाए तो इंसान का जीवन बेहतरीन बन सकता है


1. इस दुिनया मे ऐसा िकसका घर है िजस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है?
1. In this world, whose family is there without blemish? Who is free from sickness and grief? Who is forever happy?

२. मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है. 
2. A man's descent may be discerned by his conduct, his country by his pronunciation of language, his friendship by his warmth and glow, and his capacity to eat by his body. 

३. लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र  को अचछी शिक्षा देनी चाहिए,  शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.
3. Give your daughter in marriage to a good family, engage your son in learning, see that your enemy comes to grief, and engage your friends in dharma. (Krsna consciousness).

4. एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा .
4. Of a rascal and a serpent, the serpent is the better of the two, for he strikes only at the time he is destined to kill, while the former at every step.

५. राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और  ना ही  अंत मे साथ छोड़कर जाते है.
5. Therefore kings gather round themselves men of good families, for they never forsake them either at the beginning, the middle or the end.

६. जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते.
6. At the time of the pralaya (universal destruction) the oceans are to exceed their limits and seek to change, but a saintly man never changes.

७. मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं,जो अपने  धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता है .
7. Do not keep company with a fool for as we can see he is a two-legged beast. Like an unseen thorn he pierces the heart with his sharp words. 

८. रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.
8. Though men be endowed with beauty and youth and born in noble families, yet
without education they are like the palasa flower, which is void of sweet fragrance. 

९. कोयल की सुन्दरता उसके गायन मे है. एक स्त्री की सुन्दरता उसके अपने पिरवार के प्रति समर्पण मे है. एक बदसूरत आदमी की सुन्दरता उसके ज्ञान मे है तथा एक तपस्वी की सुन्दरता उसकी क्षमाशीलता मे है.
9. The beauty of a cuckoo is in its notes, that of a woman in her unalloyed devotion to her husband, that of an ugly person in his scholarship, and that of an ascetic in his forgiveness.

१०. कुल की रक्षा के लिए  एक सदस्य का बिलदान दें,गाव की रक्षा के लिए एक कुल  का बिलदान  दें, देश  की रक्षा के लिए एक गाव का बिलदान  दें, आतमा की रक्षा के लिए देश का बिलदान  दें.
10. Give up a member to save a family, a family to save a village, a village to save a country, and the country to save yourself.

११.जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते,
जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता.
जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते.
जो जागृत रहते है वो िनभरय होते है.
11. There is no poverty for the industrious. Sin does not attach itself to the person
practicing japa (chanting of the holy names of the Lord). Those who are absorbed in maunam (silent contemplation of the Lord) have no quarrel with others. They are fearless who remain always alert.

12. आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ,  अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए.
12.What is too heavy for the strong and what place is too distant for those who put forth effort? What country is foreign to a man of true learning? Who can be inimical to one who speaks pleasingly?

१3. शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कटीं है ? व्यापारिओं के लिए कौनसा जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई देश विदेश नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं
13.As a whole forest becomes fragrant by the existence of a single tree with sweetsmelling blossoms in it, so a family becomes famous by the birth of a virtuous son. 

१४. जिस तरह सारा वन केवल एक ही पुष्प अवं सुगंध भरे  वृक्ष से महक जाता है उसी तरह एक ही गुणवान पुत्र  पुरे कुल का नाम बढाता है.
14. As a single withered tree, if set aflame, causes a whole forest to burn, so does a rascal son destroy a whole family.

१५. जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है.
15. As night looks delightful when the moon shines, so is a family gladdened by even one learned and virtuous son.

१६. विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारन सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है.


१७. ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे. इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो समपूणर घर को सहारा और शांित पदान करे.
16. What is the use of having many sons if they cause grief and vexation? It is better to have only one son from whom the whole family can derive support and peacefulness.

१८. पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए. लेकिन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान वयवहार करे.
17. Fondle a son until he is five years of age, and use the stick for another ten years, but when he has attained his sixteenth year treat him as a friend.

१९. वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो नीचे दी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए.
१. भयावह आपदा.
२. विदेशी आक्रमण
३. भयंकर अकाल
४. दुष व्यक्ति का संग.
18. He who runs away from a fearful calamity, a foreign invasion, a terrible famine, and the companionship of wicked men is safe.

२०. जो व्यक्ति निम्नलिखित बाते अर्जित नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है.
१. धमर
२. अर्थ
३. काम
४. मोक्ष
20. He who has not acquired one of the following: religious merit (dharma), wealth
(artha), satisfaction of desires (kama), or liberation (moksa) is repeatedly born to die.
 
२१. धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ ...
१. मूखो का सम्मान नहीं होता.
२. अनाज का अचछे से भणडारण िकया जाता है.
३. पित, पत्नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.
21. Lakshmi, the Goddess of wealth, comes of Her own accord where fools are not
respected, grain is well stored up, and the husband and wife do not quarrel

बाज की उड़ान


बाज की उड़ान 

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-

” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”

तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”

बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.

 दोस्तों , हममें से बहुत से लोग  उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.

आप चूजों  की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर  दिखाइए  क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

Motivational Hindi Stories- एक गिलास दूध


Motivational Hindi Stories- एक गिलास दूध


एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस...ने पानी का एक गिलास पानी माँगा.लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक........बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया." कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा." पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव मेंकहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए."" तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ."जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकीथी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.

सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.


Motivational Hindi Stories- तितली-का-संघर्ष


तितली-का-संघर्ष 

एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.

इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.

वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी.

वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और  वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.

वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे

Motivational Hindi Stories- आप हाथी नहीं इंसान हैं !


आप हाथी नहीं इंसान हैं !

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!
इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.




Fabulous Motivational Hindi Stories - कमजोर बनाने वाली आवाज़ के प्रति बहरे एवं द्रश्य के प्रति अंधे बने


Fabulous Motivational Hindi Stories -
 कमजोर बनाने वाली आवाज़ के प्रति बहरे एवं द्रश्य के प्रति अंधे बने 


बहुत  समय  पहले  की  बात  है  एक  सरोवर  में  बहुत  सारे  मेंढक  रहते  थे . सरोवर  के   बीचों -बीच  एक  बहुत  पुराना  धातु   का  खम्भा  भी  लगा  हुआ   था  जिसे  उस  सरोवर  को  बनवाने  वाले  राजा    ने   लगवाया  था . खम्भा  काफी  ऊँचा  था  और  उसकी  सतह  भी  बिलकुल  चिकनी  थी .

एक  दिन  मेंढकों  के  दिमाग  में  आया  कि  क्यों  ना  एक  रेस  करवाई  जाए . रेस  में  भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों  को  खम्भे  पर  चढ़ना  होगा , और  जो  सबसे  पहले  एक  ऊपर  पहुच  जाएगा  वही  विजेता  माना  जाएगा .

रेस  का  दिन  आ   पंहुचा , चारो  तरफ   बहुत  भीड़  थी ; आस -पास  के  इलाकों  से  भी  कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा   लेने  पहुचे   . माहौल  में  सरगर्मी थी   , हर  तरफ  शोर  ही  शोर  था .
रेस  शुरू  हुई …

लेकिन  खम्भे को देखकर  भीड़  में  एकत्र  हुए  किसी  भी  मेंढक  को  ये  यकीन  नहीं हुआकि  कोई  भी  मेंढक   ऊपर  तक  पहुंच  पायेगा …

हर  तरफ  यही सुनाई  देता …

“ अरे  ये   बहुत  कठिन  है ”

“ वो  कभी  भी  ये  रेस  पूरी  नहीं  कर  पायंगे ”

“ सफलता  का  तो  कोई  सवाल ही  नहीं  , इतने  चिकने  खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता  ”

और  यही  हो  भी  रहा  था , जो भी  मेंढक  कोशिश  करता , वो  थोडा  ऊपर  जाकर  नीचे  गिर  जाता , कई  मेंढक  दो -तीन  बार  गिरने  के  बावजूद  अपने  प्रयास  में  लगे  हुए  थे …

पर  भीड़  तो अभी भी  चिल्लाये  जा  रही  थी , “ ये  नहीं  हो  सकता , असंभव ”, और  वो  उत्साहित  मेंढक  भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना  प्रयास  छोड़  दिया .

लेकिन  उन्ही  मेंढकों  के  बीच  एक  छोटा  सा  मेंढक  था , जो  बार -बार  गिरने  पर  भी  उसी  जोश  के  साथ  ऊपर  चढ़ने  में  लगा  हुआ  था ….वो लगातार   ऊपर  की  ओर  बढ़ता  रहा ,और  अंततः  वह  खम्भे के  ऊपर  पहुच  गया  और इस रेस का  विजेता  बना .

उसकी  जीत  पर  सभी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ , सभी मेंढक  उसे  घेर  कर  खड़े  हो  गए  और  पूछने  लगे   ,” तुमने  ये  असंभव  काम  कैसे  कर  दिखाया , भला तुम्हे   अपना  लक्ष्य   प्राप्त  करने  की  शक्ति  कहाँ  से  मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?”

तभी  पीछे  से  एक  आवाज़  आई … “अरे  उससे  क्या  पूछते  हो , वो  तो  बहरा  है ”

अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं . आवश्यकता  इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा.


Saturday, December 1, 2012

इतने ऊँचे उठो


इतने ऊँचे उठो

इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।

देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥

नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो
नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो
नये राग को नूतन स्वर दो
भाषा को नूतन अक्षर दो
युग की नयी मूर्ति-रचना में
इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥

लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है
जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
तोड़ो बन्धन, रुके न चिन्तन
गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
धारा के शाश्वत प्रवाह में
इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।

चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना
अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना
सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे
सब हैं प्रतिपल साथ हमारे
दो कुरूप को रूप सलोना
इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥

- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी



मेरे जन्मदिन पर by shailjapathak


मेरे जन्मदिन पर  by shailjapathak



अम्मा ने बताया था 
आज के दिन नैनीताल 
के रानीखेत में 
जन्म हुआ मेरा
सबने मेरे होने की 
बधाई की जगह 
आ कर दी थी 
सहानुभूति.. की 
सांवली लड़की हुई

मेरे बड़े और गोरे 
रंग वाले भाई बहन ने 
मुझे मुस्कराकर देखा था

सबसे ज्यादा खुश 
वो दाइ जी हुई थी 
जिसने अम्मा को 
अपने पहाड़ी नुस्खों से 
मुझे गोरा बना देने का 
भरोसा दिया था

खूब सफ़ेद बरफ गिरती थी 
अम्मा कहती वो मुझे 
शाल में लपेट कर रखती 
और कोट पैंट पहने हुए 
मेरे भाई बहन 
कभी कभी छूते मुझे

मैं पहाड़ी गाना सुन 
कर मालिश करावा लेती 
बरफ गिरने को 
टुकटुक कर देखती 
अम्मा के आँख में 
दूसरी लडकी होने की 
मायूसी को भी 
समझती

अम्मा बताती है 
कई बार जब रातें ठिठुरा देती 
मैं आखिरी बार हाथ उठाती 
जरा सी आँख खोल 
अम्मा को एकदम आखिरी बार 
देखती और मैं 
मरते मरते जी जाती

मुझे लगता है मेरे 
अंदर पहाड जीना चाहते थे 
नदियाँ झरने मुझमे 
बहते थे और मैं 
जीना चाहती थी 
ये जिंदगी अपनी 
कविताओं को जिंदा करने 
के लिए ………


Source : Shailja Pathak's Poem