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Saturday, May 18, 2013

Online Enquiry Form for Amar nath Yaatra

Online Enquiry Form for Amar nath Yaatra



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स्यंभू हिमानी शिवलिंग

उल्लेखनीय है कि अमरनाथ गुफा में प्रतिवर्ष प्राकृतिक रूप से हिमलिंग का निर्माण होता है जिसके दर्शन हेतु श्रद्धालुजनों की भीड़ उमड़ पड़ती है। बताया जाता है कि अमरनाथ गुफा के भीतर प्रतिवर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन से प्राकृतिक हिमलिंग का निर्माण होना प्रारम्भ हो जाता है जो कि श्रावण पूर्णिमा के दिन अपना पूर्ण आकार ग्रहण कर लेता है। स्वयमेव निर्माण होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है। हिम से बना यह शिवलिंग वर्षपर्यन्त बने न रह कर कुछ माह में ही पिघल कर समाप्त हो जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि यह शिवलिंग बिल्कुल ठोस होता है जबकि इसके आस-पास जमा हुआ बर्फ कच्चा होता है। यही कारण है कि अमरनाथ गुफा में आकर ईश्वर के प्रति आस्था प्रगाढ़ हो जाती है।

अमरनाथ धाम की कथा (Story of Amarnath Dham)

पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि एक बार देवी पार्वती के मन में अमर होने की कथा जानने की जिज्ञासा हुई तथा उन्होंने भगवान शंकर से इस कथा को सुनाने का अनुरोध किया। चूँकि अमर होने की कथा अत्यन्त गुप्त है और इस कथा को सामान्य प्राणियों को सुनाने का निषेध है, कथा सुनाने के लिए शिव ऐसे स्थान की खोज में लगे जहां कोई जीव-जन्तु न हो। इसके लिए उन्होंन श्रीनगर स्थित अमरनाथ की गुफा को उपयुक्त पाया। पार्वती जी को कथा सुनाने के लिए इस गुफा में लाते समय शिव जी ने एक स्थान पर माथे से चन्दन उतारा इसलिए उस स्थान का नाम चन्दनबाड़ी हो गया। शिव जी अनन्त नाग में नागों को एवं शेषनाग नामक स्थान पर शेषनाग को ठहरने के लिए आदेश देकर पार्वती सहित अमारनाथ की गुफा में प्रवेश कर गये।

गुफा के भीतर पहुँच कर भगवान शिव माता पार्वती को अमर होने की कथा सुनाने लगे। कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को निद्रा देवी ने घेर लिया और वे सो गईं। शिव जी अमर होने की कथा सुनाते रहे, इस समय दो सफेद कबूतर शिव की कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे जिसे शिव जी माता पार्वती की हुँकार समझ रहे थै।. इस प्रकार से दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली।

वास्तविकता ज्ञात होने पर शिव जी कबूतरों पर क्रोधित हुए और उन्हें मारने के लिए तत्पर हुए। इस पर कबूतरों ने शिव जी कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर शिव जी ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप निवास करोगे। माना जाता है कि आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को यहां प्राप्त होता है।

अमरनाथ गुफा की भौगोलिक स्थिति

अमरनाथ धाम श्रीनगर से लगभग 135 किलोमीटर दूर है. यह स्थान समुद्र तल से 13, 600 फुट की ऊँचाई पर है। ध्यान रखें कि इस स्थान पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

अमरनाथ यात्रा हेतु विशेष सावधानी

पंजीयन केवल अधिकृत स्थान अर्थात् जम्मू एण्ड कश्मीर बैंक की शाखा से करवाएँ। नेट में उपलब्ध साइट्स, जिनमें अनेक ठगी करने वाले भी हो सकते हैं, पर निर्भर न रहें।
अस्वस्थ तथा कमजोर व्यक्ति अमरनाथ यात्रा न करें।
यात्रा के दौरान केवल आवश्यक सामग्री ही साथ रखें, अनावश्यक सामान रखकर अपना बोझा न बढ़ाएँ।
गर्म कपड़ों की पर्याप्त व्यवस्था रखें।
सम्पूर्ण यात्रा के दौरान शालीनता का परिचय दें और जरूरतमन्दों की यथायोग्य सहायता करें


LPG Gas Cylinder Booking Through Aadhaar Card Registration


LPG Gas Cylinder  Booking Through Aadhaar Card Registration :
एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी के लिए आधार पंजीकृत कराएं

भारत सरकार मई के मध्‍य से देश के 20 जिलों में एलपीजी सिलेंडर के लिए आधार आधारित डायरेक्ट सब्सिडी ट्रांसफर की शुरुआत करने जा रही है। इन जिलों में रहने वाले एलपीजी सिलेंडर उपभोक्ता सब्सिडी पाने के लिए आधार नबंर चार तरह से पंजीकृत करवा सकते हैं।

1. कॉल सेंटर : 18002333555 पर फोन करें और कॉल सेंटर एजेंट से कहें कि आप अपना आधार नबंर देना चाहते हैं। इसके बाद एजेंट द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करें।

2. वेबसाइट: www.rasf.uidai.gov.in/seeding/User/ResidentSplash.aspx  पर जाएं। यहां पर ‘स्टार्ट नाऊ’ का लिंक दबाएं और सीडिंग प्रक्रिया का पालन करें।

3. व्यक्तिगत : अपने एलपीजी वितरक या डिलीवरीमैन को अपने आधार पत्र की प्रति दें, जिस पर आपका उपभोक्ता नबंर, नाम, पता और मोबाइल नबंर लिखा होना चाहिए।

4. स्पीड पोस्ट : अपने उपभोक्ता नबंर, नाम, पते और मोबाइल नबंर के साथ आधार पत्र की प्रति एलपीजी मार्केटिंग कंपनी के संबंधित कार्यालय के पते पर स्पीड पोस्ट के जरिये भेजें। कार्यालय का पता जानने के लिए
www.indane.co.in, www.ebharatgas.com, www.hpgas.com पर लॉगइन करें।

नोट : यदि आपका एलीपीजी डिलीवरी पता और आपके आधार पत्र पर लिखा गया पता अलग-अलग है, तो आधार नबंर पंजीकृत कराने के लिए व्यक्तिगत या स्पीड पोस्ट के द्वारा ही जानकारी भेजें। आपको साथ में अपने मौजूदा पते की एक प्रति भी देनी होगी


Additional Info -
 देश के बीस जिलों में आधार से एलपीजी को लिंक करने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है। उसका कहना है कि यह सही है कि शुरू में कुछ समस्या होगी। इसके लिए मंत्रालय ने संभावित कदम भी साथ-साथ उठाने शुरू कर दिए हैं। इनमें हेल्पलाइन नंबर के साथ ही हर कंपनी से संबंधित शिकायत के लिए एक विशेष ई-मेल बनाने की भी कवायद की जा रही है। अगर किसी भी उपभोक्ता को यह लगता है कि उसे कुछ समस्या है या शिकायत है तो वह देशव्यापी मुफ्त हेल्पलाइन 18002333555 पर फोन कर सकते हैं।


जल्द ही इस उद्देश्य से हर कंपनी का एक विशिष्ट ई-मेल भी जारी किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि आधार और एलपीजी को जोड़ने में आने वाली समस्या से निपटने के लिए हर एजेंसी पर विशेष सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे। इसमें सवाल-जवाब के रूप में हर शंका का समाधान होगा। संबंधित जिला अधिकारी, आधार नंबर प्राधिकरण के अधिकारी और तेल कंपनियों के अधिकारियों के बीच नियमित बैठक की कवायद भी शुरू कर दी गई है। जिससे ग्राहकों को समस्या न हो। इस अधिकारी ने कहा कि एक बार यह व्यवस्था लागू होने पर इन बीस जिलों में एलपीजी वितरण में अंतिम स्तर का भ्रष्टाचार खत्म होगा। सरकार बचत का पैसा वास्तविक उपयोगी तक पहुंचा पाएगी। इस तरह बचा हुआ पैसा अन्य विकासपरक कार्य में सरकार खर्च कर पाएगी। इस अधिकारी ने कहा कि जनता भी इसमें सहयोग देगी। इसकी वजह यह है कि हर व्यक्ति भ्रष्टाचार खत्म करना चाहता है। चाहे फिर उसे इसके लिए कुछ समस्या भी क्यों न सहनी पड़े। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि गैस एजेंसी पर ग्राहकों के लिए आगामी आधार कैंप, उनके स्थान व अन्य जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी

Monday, April 22, 2013

Hindi Jokes

Hindi Jokes


डॉक्टर ने एक पागल से पूछा: तुम छत से क्यों लटक रहे हो?

पागल: मैं एक बल्ब हूं.

डॉक्टर: तुम जल क्यों नही रहे?

पागल: बेवकूफ ये इंडिया है, अभी लाइट गई हुई है.
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संता की बीवी: Santa Banta Jokes in Hindi

शादी के कुछ दिन बाद संता अपने दोस्त बंता को बता रहा था.

संता : मेरी बीवी इतना मजाक करती है की क्या बताऊं.

बंता : कैसे?

संता : कल मैंने उसकी आंखों पर हाथ रख कर पूछा मैं कौन? तो बोली दूध वाला
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एक बार संता ने अपने बेटे की शादी की.

बहू विदाई के बाद घर आ गई तब संता की पत्नी (सास) ने कहा- बेटी आज से मुझे मां और अपने ससुर को पापा कहना.

शाम को संता का बेटा (पति) के आने पर पत्नी बोली, मां भैया आ गए
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सेक्रेटरी: नेताजी, आपने जूता फैक्ट्री का उद्घाटन करने से क्यों इनकार किया?
नेताजी : पिछले चुनाव का एक्सपीरियंस है. जूते-चप्पल जितने कम बनें, उतना ही अच्छा है.
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भाग्य बदलते देर नहीं लगती !


Hindi Stories : भाग्य बदलते देर नहीं लगती !


एक मछुआरा था । उस दिन सुबह से शाम तक नदी में जाल डालकर मछलियाँ पकड़ने की कोशिश करता रहा , लेकिन एक भी मछली जाल में न फँसी ।

जैसे -जैसे सूरज डूबने लगा , उसकी निराशा गहरी होती गयी । भगवान का नाम लेकर उसने एक बार और जाल डाला । पर इस बार भी वह असफल रहा . पर एक वजनी पोटली उसके जाल में अटकी । मछुआरे ने पोटली निकला और टटोला तो झुंझला गया और बोला -' हाय ये तो पत्थर है !फिर मन मारकर वह नाव में चढा ।
बहुत निराशा के साथ कुछ सोचते हुए वह अपने नाव को आगे बढ़ता जा रहा था और मन में आगे के योजनाओं के बारे में सोचता चला जा रहा था । सोच रहा था 'कल दुसरे किनारे पर जाल डालूँगा । सबसे छिपकर ...उधर कोई नही जाता ....वहां बहुत सारी मछलियाँ पकड़ी जा सकती है ...  '
मन चंचल था तो फिर हाथ कैसे स्थिर रहता ? वह एक हाथ से उस पोटली के पत्थर को एक -एक करके नदी में फेंकता जा रहा था । पोटली खाली हो गयी । जब एक पत्थर बचा था तो अनायास ही उसकी नजर उसपर गयी तो वह स्तब्ध रह गया । उसे अपने आँखों पर यकीन नही हो रहा था , यह क्या ! ये तो ‘नीलम ’ था |
मछुआरे के पास अब पछताने के अलावा कुछ नही बचा था | नदी के बीचोबीच अपनी नाव में बैठा वह सिर्फ अब अपने को कोस रहा था ।
प्रकृति और प्रारब्ध ऐसे ही न जाने कितने नीलम हमारी झोली में डालता रहता है जिन्हें पत्थर समझ हम ठुकरा देते हैं।

Hindi Stories : चतुर कौआ और साँप


Hindi Stories : चतुर कौआ और साँप


एक नदी के किनारे बरगद का एक वृक्ष था| उस वृक्ष पर घोंसला बनाकर एक कौआ रहता था| वृक्ष की कोटर में एक सर्प रहता था| जब भी मादा कौआ अन्डे देती थी , वह सर्प उन्हें खा जाता था| कौआ बड़ा दुखी था| वह सर्प की दुष्टता के लिए उसे दण्ड देना चाहता था| वह सोचता रहता था कि उस काले भयंकर सर्प से कैसे छुटकारा पाया जाये|

नदी के तट पर एक सुन्दर घाट बना हुआ था| जहाँ पूर्णिमा के दिन राजकुमारी नदी में स्नान करने आती थी| एक दिन कौआ बरगद के पेड़ पर दुखी मन से बैठा हुआ था| उसी समय उसने देखा कि राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ नदी में स्नान करने आ रही हैं| 

घाट पहुँच कर उन्होंने अपने वस्त्र आदि सामान रख दिए| राजकुमारी ने अपना मोतियों का हार भी उतार कर वहीँ रख दिया और अपनी सखियों के साथ नदी में स्नान करने लगी| कौआ को तुरन्त एक तरकीब सूझी| वह बरगद की डाली से काव-काव करता हुआ उड़ा| और राजकुमारी के मोतियों के हार को चोंच से पकड़ कर पेड़ की उस कोटर में डाल दिया जहाँ काला सर्प रहता था| राजकुमारी की एक सहेली ने यह सब देख लिया | शीघ्र ही स्नान करने के बाद राजकुमारी और उनकी सखियाँ हार लेने के लिए बरगद के वृक्ष के पास पहुँची| परन्तु वृक्ष के कोटर में काले भयंकर साँप को देखकर डर गयीं| राजकुमारी ने निश्चय किया कि वह महल पहुँच कर सैनिकों को भेज देंगी और वे सर्प को मारकर कोटर से मोतियों का हार निकाल लेंगे| ठीक ऐसा ही हुआ सैनिकों से कोटर से हार निकालने के लिए सर्प को मार दिया और राजकुमारी को हार सौप दिया|

इस प्रकार कौवे ने अपनी चतुरता से अपने शत्रु से बदला ले लिया और बिना किसी भय की प्रसन्नतापूर्वक रहने लगे



Hindi Stories : बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ..


Hindi Stories : बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ..


एक बार की बात है किसी गाँव में एक ब्राह्मण रहता था वह हर रोज भिक्षा माँगने निकल जाता था| एक दिन वह भिक्षा माँगने के लिए घर से बाहर निकला तो देखता है कि एक नेवली अपने बच्चे को जन्म दे कर मर गई, और नेवली के बच्चा वहाँ काँप रहा था| ब्राह्मण को दया आ गई और उसे अपने घर उठा ले गया| ब्राह्मण की पत्नी यह देख कर उसपे भड़क गई की यह नेवला मेरे बच्चे को नुकसान न पहुँचा दे| लेकिन फिर भी वह अपने बच्चे के साथ नेवले को भी पालन पोषण की, दोनों बड़े हुए और साथ साथ खेलने कूदने लगे|

एक बार ब्राह्मण का बच्चा सो रहा था ब्राह्मण की पत्नी ब्राह्मण से बोल के गई की मै पानी ले ने जा रही हूँ बच्चे को देखते रहना कुछ दूर जाने के बाद ब्राह्मण भी उठा और भिक्षा माँगने के लिए चल दिया तभी बच्चे के पास एक साँप आकर खड़ा हो गया यह देख कर नेवले ने साँप से खूब लड़ा और उसे मार डाला और उसके मुँह  में साँप का खून लग गया था और वो यह दिखाने के लिए ब्राह्मण के पत्नी के पास गया पत्नी खून देख कर डर गयी और पानी की मटका नेवले के ऊपर पटक दिया और भाग कर गई तो देखी की बच्चे के पास एक साँप मरा पड़ा हुआ था और इधर नेवला भी मर गया था जिससे वह फुट फुट कर रोने लगी |

सच कहा गया है की बिना सोचे समझे, बिना देखे दिखाए कोई भी काम नहीं करना चाहिए

Hindi Poems : माँ कह एक कहानी


Hindi Poems : माँ कह एक कहानी


"माँ कह एक कहानी।"
बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?

"कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी
कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी?
माँ कह एक कहानी।"

"तू है हठी, मानधन मेरे, सुन उपवन में बड़े सवेरे,
तात भ्रमण करते थे तेरे, जहाँ सुरभी मनमानी।"
"जहाँ सुरभि मनमानी! हाँ माँ यही कहानी।"

वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिमबिंदु झिले थे,
हलके झोंके हिले मिले थे, लहराता था पानी।"
"लहराता था पानी, हाँ हाँ यही कहानी।"

"गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हँस ऊपर से,
गिरा बिद्ध होकर खर शर से, हुई पक्षी की हानी।"
"हुई पक्षी की हानी? करुणा भरी कहानी!"

चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म सा उसने पाया,
इतने में आखेटक आया, लक्ष सिद्धि का मानी।"
"लक्ष सिद्धि का मानी! कोमल कठिन कहानी।"

"माँगा उसने आहत पक्षी, तेरे तात किन्तु थे रक्षी,
तब उसने जो था खगभक्षी, हठ करने की ठानी।"
"हठ करने की ठानी! अब बढ़ चली कहानी।"

हुआ विवाद सदय निर्दय में, उभय आग्रही थे स्वविषय में,
गयी बात तब न्यायालय में, सुनी सब ने जानी।"
"सुनी सब ने जानी! व्यापक हुई कहानी।"

राहुल तू निर्णय कर इसका, न्याय पक्ष लेता है किसका?"
"माँ मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी।
कोई निरपराध को मारे तो क्यों न उसे उबारे?
रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी।"
"न्याय दया का दानी! तूने गुनी  कहानी।"
                                                                         - मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित

Hindi Poems : खग उड़ते रहना


खग उड़ते रहना


खग उड़ते रहना जीवन भर !
भूल गया है तू अपना पथ , और नहीं पंखो में भी गति ,
किन्तु लौटना पीछे पथ पर , अरे मौत से भी है बदतर |

खग उड़ते रहना जीवन भर !
मत डर प्रलय-झकोरो से तू ,बढ़ आशा-हलकोरों से तू ,
क्षण में अरि–दल मिट जायेगा, तेरे पंखो से पिसकर |
खग उड़ते रहना जीवन भर !

यदि तू लौट पड़ेगा थककर अंधड़ काल-बवंडर से डर ,
प्यार तुझे करने वाले ही ,देखेंगे तुझको हँस हँस कर |
खग उड़ते रहना जीवन भर !

और मिट गया चलते-चलते मंजिल पथ तय करते-करते,
खाक चढ़ाएगा जग , उन्नत भाल और आँखों पर |
खग उड़ते रहना जीवन भर !

                                                                            गोपाल दास नीरज द्वारा रचित ..

Hindi Jokes ka Adda

Hindi Jokes ka Adda


एक दिन दो लड़कियां बस में सीट के लिए झगड़ रही थीं.
झगडा रुकने का नाम नहीं ले रहा था
तब बस कंडक्टर ने दिमाग लड़ाया वह बोला – आप में से जो उम्र से ज्यादा है वह इस सीट पर बैठ जाए.
झगड़ा रोककर दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा.
और वह सीट खाली की खाली ही रह गयी. 




संता ने अपने बेटे की शादी की.
बहू विदाई के बाद घर आ गई तब संता की पत्नी (सास) ने कहा- बेटी आज से मुझे मां और अपने ससुर को पापा कहना.
शाम को संता का बेटा (पति) के आने पर पत्नी बोली, मां भैया आ गए. 




पत्नी: आज हमारी शादी की सालगिरह है, चलो मुर्गा बनाते हैं.
पति: हां, लेकिन अपनी गलती की सजा बेचारे मुर्गे को क्यूं दे रही हो

टीचर (क्लास मे पढाते हुए), "बच्चो आयकर, बिक्रीकर, भूमिकर से मिलता झुलता कोइ और शब्द बताओ।"

निशु, "सर, एक नही तीन शब्द सुने, सुनील गावासकर, सचिन तैंदुलकर और दिलीप वेंगसरकर।"



मनु,"डेडी, ज्यादा काबिल कौन है मैं या आप?"डैडी, " मै, क्योकि मैं एक तो तुम्हारा बाप हुँ, दुसरे उम्र मे भी तुम से बडा हुँ और मेरा तजुर्बा भी तुम से ज्यादा है।"मनु, "फ़िर तो आप जानते होगें कि अमेरिका की खोज किस ने की थी? "डैडी, "कोलम्बस ने की थी"मनु, "कोलम्बस के बाप ने क्यों नही की, उसका तजुर्बा तो कोलम्बस से कही ज्यादा होगी?"



मरते समय पति ने अपने पत्नी को सब कुछ सच बताना चाहा । उस ने कहा " मै तुम्हे जीवन भर धोखा देता रहा। सच तो यह है कि दर्जनो औरतों से मेरे नाजायज संबंध थे।"
पत्नी बोली, "मै भी सच बताना चाहूँगी । तुम बीमारी से नही मर रहे मैने तुम्हे धीरे-धीरे असर करने वाला जहर दिया है।"




एक बहानेबाज कर्मचारी का दादा उस के दफ़तर में जा कर उस के बाँस से बोला, " इस दफ़तर मे सुनिल नाम का व्यक्ति कार्य करता है, मुझे उस से मिलना है, वह मेरा पोता है।"बाँस ने मुस्करा कर कहा, " मुझे अफ़सोस है, आप देर से आए है, वह आप के अर्थी को कंधा देने के लिए छुट्टी लेकर जा चुका है।




Saturday, April 20, 2013

Laugh India Laugh हँसने की बारी!




संक्षिप्त समाचार! 
एक प्रेस रिपोर्टर को समाचार बड़े विस्तार के साथ लिखकर भेजने की आदत थी। उसके संपादक ने उसे कहा कि वह समाचार कम से कम शब्दों में लिखकर भेजा करे। अगली बार प्रेस रिपोर्टर ने निम्न समाचार भेजा।
स्थानीय तेल कंपनी के एक कर्मचारी ने माचिस जलाकर यह देखने के लिए पेट्रोल है या नहीं, पेट्रोल की टंकी में झाँका। पेट्रोल था। आयु पच्चीस वर्ष।
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घोर कलयुग!

मुल्ला नसरुद्दीन पर अदालत में मुकदमा था कि उसने गाँव के सबसे सीधे-सादे आदमी को लूट लिया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि नसरुद्दीन थोड़ी तो शर्म खाते। तुम्हें गाँव में कोई और लूटने को न मिला। यह सीधा-सादा आदमी, यह जो गाँव का सबसे सीधा-सादा आदमी है, यह एक नमूना है सतयुग का, इसको तुमने लूटा?
नसरुद्दीन ने कहा - मालिक, आप भी क्या बात करते हैं। इसको मैं न लूटूँ, तो किसको लूटूँ? यह भी भर लुट सकता है इस गाँव में, बाकी तो सब पहुँचे हुए लोग हैं। मेरी भी मजबूरी समझो। मैं और किसको लूटूँ? और तो मुझे ही लूट लेंगे। यह एक ही बचा मेरे लिए तो। यह तो मेरे धन्यभाग कि एक सतयुगी भी है, नहीं तो मेरा तो किसी पर उपाय ही न चलेगा।
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हिसाब बराबर! 

बनिया और जाट काम से दूसरे गाँव जा रहे थे। 
जाट को बनिये के 2000 रुपए चुकाने थे, पर वह टालमटोल करता रहता था। सुनसान रास्ता आया तो सामने से कुछ लुटेरे आते दिखाई पड़े। लुटेरों ने दूर से ही कड़क कर उन्हें ललकारा। 
जाट ने जल्दी से अपनी धोती की फेंट में से नोटों की गड्‍डी निकालकर बनिये को थमाते हुए कहा - लाला जी, ये 1800 रुपए सँभाल लो। अब 200 ही रह गए।
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प्रेम में प्रथम! 
लल्लू एक लड़की के प्रेम में था। सभी प्रेमी अपने प्रेम की प्रशंसा करते हैं। उस लड़की से कह रहा था कि सुबह उठते ही तेरा नाम लेता हूँ।' तो उस लड़की ने कहा, 'यही तो तुम्हारा छोटा भाई कहता है।' 
लल्लू बोला - लेकिन एक बात ख्याल रखना, मैं उससे पहले सोकर उठता हूँ



संता भीड़ भरी सड़क पर आड़ी-तिरछी कार चला रहा था, तभी पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
संता ने कहाः मैं कार चलाना सीख रहा हूं…
पुलिसः बिना किसी इंस्ट्रक्टर के?
संताः कॉरेस्पांडेंस कोर्स है, सर जी!

* एक नौजवान जोड़ा किसी हिल स्टेशन में हनीमून के लिये गया। होटल में खाने के रेट वगैरह तय हो गये।

संयोग कुछ ऐसा हुआ कि वे रोज बाहर घूमने जाते तो रात का खाना बाहर ही खाकर आते । तथा इस दौरान वे होटल में मना भी नहीं कर पाते कि वे रात का खाना नहीं खायेंगे।





Sunday, March 10, 2013

कठपुतली~~ भवानीप्रसाद मिश्र~~~


कठपुतली~~ भवानीप्रसाद मिश्र~~~ 
          
कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली - ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे आगे ?


तब तक दूसरी कठपुतलियां
बोलीं कि हां हां हां
क्यों हैं ये धागे
हमारे पीछे-आगे ?
हमें अपने पांवों पर छोड दो,
इन सारे धागों को तोड दो !


बेचारा बाज़ीगर
हक्का-बक्का रह गया सुन कर
फिर सोचा अगर डर गया
तो ये भी मर गयीं मैं भी मर गया
और उसने बिना कुछ परवाह किए
जोर जोर धागे खींचे
उन्हें नचाया !


कठपुतलियों की भी समझ में आया
कि हम तो कोरे काठ की हैं
जब तक धागे हैं,बाजीगर है
तब तक ठाट की हैं
और हमें ठाट में रहना है
याने कोरे काठ की रहना है~~ 


जय सांई राम~~~

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं ?


क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं ? 

ॐ सांई राम~~~

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं? 

अगणित उन्मादों के क्षण हैं,
अगणित अवसादों के क्षण हैं,
रजनी की सूनी की घडियों को किन-किन से आबाद करूं मैं!
क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

याद सुखों की आसूं लाती,
दुख की, दिल भारी कर जाती,
दोष किसे दूं जब अपने से, अपने दिन बर्बाद करूं मैं!
क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

दोनो करके पछताता हूं,
सोच नहीं, पर मैं पाता हूं,
सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आबाद करूं मैं!
क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

~~हरिवंशराय बच्चन

जय सांई राम~~

उफ् ये पढ़ाई !!!


ॐ सांई राम~~~

उफ् ये पढ़ाई !!!

उफ् ये पढ़ाई,किसने बनाई,
कहाँ से ये जन्मी,कहाँ से आई ??
पापा कहते पढ़ो केमेस्ट्री,
याद करो इक्वेशन ।
मम्मी कहती पढ़्प् हिस्ट्री,
रटो सिविलाईज़ेशन ।
भैया कहते पढ़ो मैथ्स,
शीखो कैलक्युलेशन ।
आ रहे है एग्ज़ामिनेशन,
खत्म हो इम्तिहान का मौसम,
और करूं सैलिब्रेशन ।

बाबा तुम हमको शक्ति देना,
डर को मन से तुम हर लेना,
हमारी मेहनत सफल कर देना,
हन को पास ज़रूर कर देना~~~

जय सांई राम~~~

पढ़ाई~~~


पढ़ाई~~~

पढ़ाई पढ़ाई पढ़ाई।
हाय! यह कैसी बला जो
हमारी समझ में न आयी।
तब हमारे माता पिता ने ही
इसकी महत्ता बताई
वे कहते है
अगर तुम न करोगे पढ़ाई,
तो तुम नहीं कर सकोगे कमाई,
पढ़ाई ही तुम्हारा मान है,
इसने बढ़ाई कई लोगों की शान है।
पढ़ाई के बिना नहीं चलते कारखाने,
इसके बिना नहीं हो सकते बङे-बङे कारनामे।
पढ़ाई के बिना तुम्हारा जीवन है अधूरा,
इसलिए तुम्हें उस उद्देश्य को करना है पूरा~~~



बच्चे कुछ बर्बाद करेंगे~~~

बच्चे कुछ बर्बाद करेंगे~~~


बच्चे कुछ बर्बाद करेंगे,
फिर उसको आबाद करेंगे।
भागेंगे तितली के पीछे,
चिङिया से संवाद करेंगे।
उअनको पाकर चहक उठेंगे,
जो उअनको आज़ाद करेंगे।
पत्थर से वे टकराएंगे,
खूलों से फरियाद करेंगे।
सपनों में जो साथ रहेंगा,
उनको हरदम याद करेंगे~~~




सुन्दर प्यारा देश हमारा


सुन्दर प्यारा देश हमारा




सुन्दर प्यारा
देश हमारा
बहे यहाँ
गंगा की धारा ।
शीश हिमालय
छूता अम्बर
धोता है पग
इसके सागर ।
है सबकी –
आँखों का तारा ।
इस पर अपने
प्राण लुटाएँ
हम सब इसका
मान बढ़ाएँ ।
‘भारत की जय !
‘भारत की जय’ !
अपना नारा।




कहां रहेगी चिड़िया / महादेवी वर्मा

कहां रहेगी चिड़िया / महादेवी वर्मा



ॐ सांई राम~~~

कहां रहेगी चिड़िया / महादेवी वर्मा
               
कहां रहेगी चिड़िया ?
आंधी आई जोर शोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोंसला बेचारी का
किससे अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ
कैसे यह घोंसला बनाएँ
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ? 



Friday, February 8, 2013

Santa Banta Hindi Chutkule: संता बंता हिन्दी चुटकुले


Santa Banta Hindi Chutkule: संता बंता हिन्दी चुटकुले


संता: तेरा भाई आजकल क्या कर रहा है?
बंता: एक दुकान खोली थी, पर अब जेल में है!
संता: वो क्यों?
बंता: दुकान हथोड़े से खोली थी!
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Santa Banta Hindi Chutkule: संता बंता हिन्दी चुटकुले
 संता: भैया बाल छोटे कर दो.
नाई: कितने छोटे कर दूं साहब?
संता: बस भाई इतने कर दे की बीवी के हाथों में ना आ सके.
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Santa Banta Hindi Chutkule: संता बंता हिन्दी चुटकुले
 चोर (बन्दूक तनते हुए): ज़िन्दगी चाहते हो तो अपना पर्स मेरे हवाले कर दो.
संता: यह लो.
चोर: कितने मुर्ख हो तुम, मेरी बंदुक मे तो गोली ही नही थी। हा..हा...हा. 
संता: और मेरे पर्स मे भी कहां रुपये थे. .

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Santa Banta Hindi Chutkule: संता बंता हिन्दी चुटकुले
अर्ज किया है:
बहार आने से पहले फिजा आ गई,
कि बहार आने से पाहेल फिजा आ गई,
और फूल खिलने से पहले बकरी खा गई.

SANTA BANTA JOKES : संता का लाजवाब साक्षात्कार


SANTA BANTA JOKES : संता का लाजवाब साक्षात्कार

संता को एक कंपनी में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। संता सही समय पर दफ्तर पहुंच गया। जल्द ही उसे अंदर बुलाया गया। अधिकारी संता के प्रमाणपत्रों को गौर से देख रहा था।    

अधिकारी: संता तुम्हारे प्रमाणपत्रों को देखते हुए मैंने तय किया है कि मैं तुमसे कुछ मामूली सवाल करूंगा। अगर तुम सभी सवालों के जवाब दे देते हो तो यह नौकरी तुम्हें मिल जाएगी। मैं कुछ शब्द कहता हूं तुम्हें उनके विपरीतार्थक बताने हैं।

संता ने जवाब दिया, “जी ठीक है”।  
   
अधिकारी: एबव(Above) 

संता: बिलो(Below) 

अधिकारी: फ्रंट 

संता: बैक 

अधिकारी: लेफ्ट 

संता: राइट

अधिकारी: मेल 

संता: फीमेल

अधिकारी: अग्ली(Ugly)

संता: पिछली(पीछे)

अधिकारी हैरान हुआ।

अधिकारी: अग्ली, यू..जी.एल..वाइ..( हैरान अधिकारी ने वर्तनी पर जोर डालते हुए कहा) 

संता: पिछली, पि..छ..ली.(संता ने वर्तनी पर जोर देते हुए कहा)

अधिकारी गुस्सा हो गया, उसने संता से कहा, “गेट आउट”

संता ने जवाब दिया, “कम इन”। 

अधिकारी: क्वाइट प्लीज़। 

संता: टॉक प्लीज़।

खीज कर अधिकारी ने कहा: यू आर रिजेक्टेड(तुम निकाले जा रहे हो)।

संता: आइ एम सेलेक्टेड (मैं चुना जाता हूं)।

और हार कर अधिकारी ने संता को नौकरी पर रख लिया




Thursday, February 7, 2013

Joke तुम शादीशुदा हो!


Joke तुम शादीशुदा हो!


एक दुबला पतला और घबराया हुआ गवाह कटघरे में खड़ा था और वकील उससे पूछताछ कर रहा था!

वकील जोर से चिल्लाकर क्या तुम पहले से ही शादीशुदा हो?

जी हाँ, साहब गवाह ने बड़ी धीमी आवाज में कहा!

तुमने किससे शादी की है? वकील ने पूछा!

एक औरत के साथ गवाह ने जवाब दिया!

वकील ने गुस्से में कहा नि:संदेह तुमने एक औरत से शादी की है पर क्या तमने कभी ये सुना कि किसी ने आदमी से शादी की!

गवाह ने बहुत सादगी से कहा जी हाँ साहब मेरी बहन ने की है!



Santa Banta Lotry Joke : लॉटरी जितवा दो!


Santa Banta Lotry Joke : लॉटरी जितवा दो!


संता बहुत बड़ी मुसीबत में था उसका सारा बिजनेस ठप्प पड़ गया, और वह बहुत बड़े आर्थिक संकट में फंस गया वह बहुत निराश हुआ और आखिर में भगवान से मदद के लिए गुहार करने लगा!

वह मंदिर में गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा, हे भगवान मेरी मदद करो! मेरा सारा बिजनेस ठप्प पड़ गया और मेरे पास एक भी पैसा नहीं बचा है, अब तो हालात ये है कि मुझे अपना घर भी बेचना पड़ सकता है, इसलिए हे भगवान, मुझे कोई लॉटरी जितवा दो!

इतना कहकर संता अपने घर चला गया जिस दिन लॉटरी निकली तो दुर्भाग्य से संता की लॉटरी नहीं निकली और वह फिर मंदिर में भगवान के पास चला गया फिर से वही गुहार लगाने लगा हे भगवान मुझे लॉटरी जितवा दो संता फिर अपने घर चला गया फिर से लॉटरी निकली पर इस बार भी सांता को निराशा का ही मुहं देखना पड़ा!

संता फिर भगवान के पास गया हे भगवान मुझे लॉटरी जितवा दो पर संता कई दिन तक लॉटरी नही जीत पाया!

एक दिन उदास होकर भगवान के पास पहुंचा और भारी मन से भगवान से कहने लगा..

हे भगवान! तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो अब तो स्थिति ये बन गयी है कि मेरा घर गाड़ी सब बिक गए है, और मेरा परिवार भूखे मर रहा है... हे भगवान अब तो मुझे लॉटरी जितवा दे और संता निराश होकर वापिस जाने लगा और तभी..

एक जोर कि बिजली कड़की जिसकी रोशनी संता के मुहं पर पड़ी और आकाशवाणी हुई...

अरे उल्लू के पट्ठे संता पहले लॉटरी का टिकट तो खरीद!

SANTA BANTA JOKES : बहुत शर्म आती है


SANTA BANTA JOKES : बहुत शर्म आती है!

संता की शादी हुई पर अभी तक उसे कोई नौकरी नहीं मिल पाई थी वो बिल्कुल आलसी था एक दिन उसकी बीवी ने बहुत गुस्से होते हुए कहा मुझे तो बहुत शर्म आती है जिस तरह की जिन्दगी हम जी रहे है!

मेरे पापा ने हमारे घर का किराया दिया, माँ ने घर में खाने पीने का सामान भर दिया, मेरी बहन ने कपड़े दिए और चाचा चाची ने कार खरीद कर दी, मुझे तो बहुत शर्म आती है!

संता ने सोफे पर लोटपोट होते हुए कहा डार्लिंग शर्म तो तुम्हें आनी ही चाहिए, क्योंकि जो तुम्हारे दो भाई है बेकार में घूमते रहते है उन्होंने तो हमें फूटी कौड़ी भी नहीं दी!

Santa Banta Joke : चश्मदीद गवाह!


Santa Banta Joke : चश्मदीद गवाह!


एक आदमी एक गाड़ी के एक्सिडेंट का चश्मदीद गवाह था! वकील और गवाह के बीच कुछ ऐसे सवाल जवाब हो रहे थे!

वकील: क्या तुमने सच में एक्सिडेंट देखा?

गवाह: जी हाँ साहब!

वकील: जब एक्सिडेंट हुआ तो तुम उस जगह से कितनी दूरी पर खड़े थे?

गवाह: 30 फुट और सवा 6 इंच!

वकील: थोड़ा सोचकर, तो श्रीमान जी, क्या आप जज साहब को बता सकते है कि, आप इस दूरी को इतनी प्रमाणिकता से कैसे कह सकते हो कि, ये इतनी ही थी, जितनी आप ने कही?
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गवाह: क्योंकि जब एक्सिडेंट हुआ तो मैंने उसी वक़्त उस दूरी को इंच टेप से नाप लिया और मैं जानता था कि कोर्ट में बेवकूफ वकील इस प्रश्न को जरुर पूछेगा!




Saturday, January 26, 2013

गाँव में बिजली


गाँव में बिजली 


दिन भर खेतों में काम करके 
मिटाने अपनी थकान 
लोग बैठा करते थे शाम को 
गाँव की चौपाल में 
या बरगद या नीम के पेड़ के नीचे 
बने हुए कच्चे चबूतरों पर 
और होती थी आपस में 
सुख दुःख की बातें
और हो जाती थी कुछ 
हंसी ठिठोली भी 
महिलायें भी मिल लेती थीं आपस में 
पनघट पर पानी भरने के बहाने 
और कर लेती थीं साझा 
अपना अपना सुख&दुःख
मगर अब गाँव में 
बिजली आ जाने से   
बदल गए हैं हालात 
और सूने से रहने लगे हैं 
चौपाल और चबूतरे
अब नहीं होती हैं पनघट पर 
आपस में सुख&दुःख की बातें 
गाँव में बिजली आ जाने से 
अब आ गए हैं टेलीविजन 
लग गए हैं नल भी अब घरों में 
ख़त्म हो गए हैं बहाने 
अब घर से निकलने के 
गर्मी लगने पर चला लेते हैं पंखे 
नहीं बैठते नीम के पेड़ के नीचे
फुर्सत भी अब किसे है
किसी के पास बैठने की 
अब टी-वी- पर आते हैं इतने प्रोग्राम 
चौपाल जाने की जरूरत ही नहीं लगती 
पहले होली पर जहाँ 
गाये जाते थे फाग&गीत 
और जाते थे लोग 
एक , दूसरे के घर मिलने 
होली के बहाने 
अब रहते हैं अपने ही घरों में 
बजा लेते हैं लाउडस्पीकर 
पर ही फाग&गीत 
और अगर कोई गाना भी चाहे
तो दबकर रह जाती है उसकी आवाज़ 
बेतहाशा बजते हुए कानफोडू 
लाउडस्पीकर के बीच  
सचमुच बिजली आने से
कितना बदल गया है हमारा गाँव -  कृष्ण धर शर्मा 



हिंदी कहावतें

हिंदी कहावतें



घर आए नाग न पूजिए, बामी पूजन जाय : किसी निकटस्थ तपस्वी सन्त की पूजा न करके किसी साधारण साधु का आदर-सत्कार करना.

घर कर सत्तर बला सिर कर : ब्याह करने और घर बनबाने में बहुत-से झंझटों का सामना करना पड़ता है.

घर का भेदी लंका ढाये : आपसी फूट से सर्वनाश हो जाता है.

घर की मुर्गी दाल बराबर : घर की वस्तु या व्यक्ति का उचित आदर नहीं होता.

घर घर मटियारे चूल्हे : सब लोगों में कुछ न कुछ बुराइयाँ होती हैं, सब लोगों को कुछ न कुछ कष्ट होता है.

घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने : झूठे दिखावे पर उक्ति.

घायल की गति घायल जाने : दुखी व्यक्ति की हालत दुखी ही जानता है.

घी खाया बाप ने सूंघो मेरा हाथ : दूसरों की कीर्ति पर डींग मारने वालों पर उक्ति.

घोड़ा घास से यारी करे तो खाय क्या : मेहनताना या किसी चीज का दाम मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए

चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे : पहले कुछ रुपया पैसा खर्च करोगे या पहले कुछ खिलाओगे तभी काम हो सकेगा.

चट मँगनी पट ब्याह : शीघ्रतापूर्वक मंगनी और ब्याह कर देना, जल्दी से अपना काम पूरा कर देने पर उक्ति.

चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय : बहुत अधिक कंजूसी करने पर उचित.

चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात : थोड़े दिनों के लिए सुख तथा आमोद-प्रमोद और फिर दु:ख.

चाह है तो राह भी : जब किसी काम के करने की इच्छा होती है तो उसकी युक्ति भी निकल आती है.

चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता : बेशर्म आदमी पर किसी बात का असर नहीं होता.

चिकने मुँह सब चूमते हैं : सभी लोग बड़े और धनी आदमियों की हाँ में हाँ मिलाते हैं.

चित भी मेरी, पट भी मेरी : हर तरह से अपना लाभ चाहने पर उक्ति.

चिराग तले अँधेरा : जहाँ पर विशेष विचार, न्याय या योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर यदि कुविचार, अन्याय या अयोग्यता पाई जाए.

बेवकूफ मर गए औलाद छोड़ गए : जब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है तब उसके लिए ऐसा कहते हैं.

चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाय। उपेक्षा और तिरस्कारसूचक शाप जिसका प्रयोग स्त्रियाँ करती हैं.

चोर उचक्का चौधरी, कुटनी भई प्रधान : जब नीच और दुष्ट मनुष्यों के हाथ में अधिकार होता है.

चोर की दाढ़ी में तिनका : यदि किसी मनुष्य में कोई बुराई हो और कोई उसके सामने उस बुराई की निंदा करे, तो वह यह समझेगा कि मेरी ही बुराई कर रहा है, वास्तविक अपराधी जरा-जरा-सी बात पर अपने ऊपर संदेह करके दूसरों से उसका प्रतिवाद करता है.

चोर-चोर मौसेरे भाई : एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्द मेल-जोल हो जाता है.

चोरी और सीनाजोरी : अपराध करना और जबरदस्ती दिखाना, अपराधी का अपने को निरपराध सिद्ध करना और अपराध को दूसरे के सिर मढ़ना.

चौबे गए छब्बे होने दुबे रह गए : यदि लाभ के लिए कोई काम किया जाय परन्तु उल्टे उसमें हानि हो.

छूछा कोई न पूछा : गरीब आदमी का आदर-सत्कार कोई नहीं करता.

छोटा मुँह बड़ी बात : छोटे मनुष्य का लम्बी-चौड़ी बातें करना.

जंगल में मोर नाचा किसने देखा : जब कोई ऐसे स्थान में अपना गुण दिखावे जहाँ कोई उसका समझने वाला न  हो.

जने-जने से मत कहो, कार भेद की बात : अपने रोजगार और भेद की बात हर एक व्यक्ति से नहीं कहनी चाहिए.

जब आया देही का अन्त, जैसा गदहा वैसा सन्त : सज्जन और दुर्जन सभी को मरना पड़ता है.

जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर : जब कष्ट सहने के लिए तैयार हुआ हूँ तब चाहे जितने कष्ट आवें, उनसे क्या डरना.

जब तक जीना तब तक सीना : जब तक मनुष्य जीवित रहता है तब तक उसे कुछ न कुछ करना ही पड़ता है.

जबरा मारे और रोने न दे : जो मनुष्य जबरदस्त होता है उसके अत्याचार को चुपचाप सहना होता है.

जर, जोरू, ज़मीन जोर की, नहीं और की : धन, स्त्री और ज़मीन बलवान् मनुष्य के पास होती है, निर्बल के पास  नहीं.

जल की मछली जल ही में भली : जो जहाँ का होता है उसे वहीं अच्छा लगता है.
थोथा चना बाजे घना : दिखावा बहुत करना परन्तु सार न होना.

दूर के ढोल सुहावने : किसी वस्तु से जब तक परिचय न हो तब तक ही अच्छी लगती है.

नदी में रहकर मगरमच्छ से बैर : अपने को आश्रय देने वाले से ही शत्रुता करना.

बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया : रुपये वाला ही ऊँचा समझा जाता है.

भेड़ जहाँ जायेगी, वहीं मुँडेगी : सीधे-सादे व्यक्ति को सब लोग बिना हिचक ठगते हैं.

रस्सी जल गई पर बल नहीं गया : बरबाद हो गया, पर घमंड अभी तक नहीं गया.

अपने बेरों को कोई खट्टा नहीं बताता : अपनी वस्तु को कोई बुरी नहीं बताता.

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू : अपने मुँह अपनी प्रशंसा करना.

अन्त भले का भला : अच्छे आदमी की अन्त में भलाई होती है.

अन्धे के हाथ बटेर : अयोग्य व्यक्ति को कोई अच्छी वस्तु मिल जाना.
जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे : जिसकी जो
काम होता है वही उसे कर सकता है.
जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ करे : जब किसी के द्वारा पाला हुआ
व्यक्ति उसी से गुर्राता है।
जिसकी लाठी उसकी भैंस : शक्ति अनधिकारी को भी अधिकारी बना
देती है, शक्तिशाली की ही विजय होती है.
जिसके पास नहीं पैसा, वह भलामानस कैसा : जिसके पास धन होता
है उसको लोग भलामानस समझते हैं, निर्धन को लोग
भलामानस नहीं समझते.
जिसके राम धनी, उसे कौन कमी : जो भगवान के भरोसे रहता है,
उसे किसी चीज की कमी नहीं होती.
जिसके हाथ डोई (करछी) उसका सब कोई : सब लोग धनवान का
साथ देते हैं और उसकी खुशामद करते हैं.
जिसे पिया चाहे वही सुहागिन : जिस पर मालिक की कृपा होती है
उसी की उन्नति होती है और उसी का सम्मान होता है.
जी कहो जी कहलाओ : यदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग
तुम्हारा भी आदर करेंगे.
जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा है : कम बोलने और कम
खर्च करने से बड़ा लाभ होता है.
जीभ भी जली और स्वाद भी न पाया : यदि किसी को बहुत थोड़ी-सी
चीज खाने को दी जाये.
जीये न मानें पितृ और मुए करें श्राद्ध : कुपात्र पुत्रों के लिए कहते हैं
जो अपने पिता के जीवित रहने पर उनकी सेवा-सुश्रुषा नहीं
करते, पर मर जाने पर श्राद्ध करते हैं.
जी ही से जहान है : यदि जीवन है तो सब कुछ है. इसलिए सब तरह
से प्राण-रक्षा की चेष्टा करनी चाहिए.
जुत-जुत मरें बैलवा, बैठे खाय तुरंग : जब कोई कठिन परिश्रम करे और उसका आनंद दूसरा उठावे तब कहते हैं, जैसे गरीब
आदमी परिश्रम करते हैं और पूँजीपति उससे लाभ उठाते हैं.
जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती : साधारण कष्ट या हानि के डर से कोई व्यक्ति काम नहीं छोड़ देता.
जेठ के भरोसे पेट : जब कोई मनुष्य बहुत निर्धन होता है और उसकी स्त्री का पालन-पोषण उसका बड़ा भाई (स्त्री का जेठ) करता है तब कहते हैं.
जेते जग में मनुज हैं तेते अहैं विचार : संसार में मनुष्यों की प्रकृति-प्रवृत्ति तथा अभिरुचि भिन्न-भिन्न हुआ करती है.
जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास : जब एक ही प्रकार के दो मूर्खों का साथ हो जाता है.
जैसा कन भर वैसा मन भर : थोड़ी-सी चीज की जाँच करने से पता चला जाता है कि राशि कैसी है.
जैसा काछ काछे वैसा नाच नाचे : जैसा वेश हो उसी के अनुकूल काम करना चाहिए.
जैसा तेरा ताना-बाना वैसी मेरी भरनी : जैसा व्यवहार तुम मेरे साथ करोगे, वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूँगा.
जैसा देश वैसा वेश : जहाँ रहना हो वहीं की रीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए.
जैसा मुँह वैसा तमाचा : जैसा आदमी होता है वैसा ही उसके साथ व्यवहार किया जाता है.
जैसी औढ़ी कामली वैसा ओढ़ा खेश : जैसा समय आ पड़े उसी के अनुसार अपना रहन-सहन बना लेना चाहिए.
जैसी चले बयार, तब तैसी दीजे ओट : समय और परिस्थिति के अनुसार काम करना चाहिए.
जैसी तेरी तोमरी वैसे मेरे गीत : जैसी कोई मजदूरी देगा, वैसा ही उसका काम होगा.
जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे विदेश : निकम्मे आदमी के घर रहने से न तो कोई लाभ होता है और न बाहर रहने से कोई हानि होती है.
जैसे को तैसा मिले, मिले डोम को डोम,
दाता को दाता मिले, मिले सूम को सूम :
जो व्यक्ति जैसा होता है उसे जीवन में वैसे ही लोगों से पाला पड़ता है.
जैसे बाबा आप लबार, वैसा उनका कुल परिवार : जैसे बाबास्वयं झूठे हैं वैसे ही उनके परिवार वाले भी हैं.
जैसे को तैसा मिले, मिले नीच में नीच,
पानी में पानी मिले, मिले कीच में कीच
जो जैसा होता है उसका मेल वैसों से ही होता है.
जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई : जिस व्यक्ति पर जितनी अधिक विपत्ति पड़ी रहती है उतना ही अधिक वह सुख का आनंद पाता है.
जो करे लिखने में गलती, उसकी थैली होगी हल्की : रोकड़ लिखने में गलती करने से सम्पत्ति का नाश हो जाता है.
जो गंवार पिंगल पढ़ै, तीन वस्तु से हीन,
बोली, चाली, बैठकी, लीन विधाता छीन :
चाहे गंवार पढ़-लिख ले तिस पर भी उसमें तीन गुणों का अभाव पाया जाता है. बातचीत करना, चाल-ढाल और  बैठकबाजी.
जो गुड़ खाय वही कान छिदावे : जो आनंद लेता हो वही परिश्रम भी करे और कष्ट भी उठावे.
जो गुड़ देने से मरे उसे विषय क्यों दिया जाए : जो मीठी-मीठी बातों या सुखद प्रलोभनों से नष्ट हो जाय उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए.
जो टट्टू जीते संग्राम, तो क्यों खरचैं तुरकी दाम : यदि छोटे आदमियों से काम चल जाता तो बड़े लोगों को कौन पूछता.
जो दूसरों के लिए गड्ढ़ा खोदता है उसके लिए कुआँ तैयार रहता है : जो दूसरे लोगों को हानि पहुँचाता है उसकी हानि अपने आप हो जाती है.
जो धन दीखे जात, आधा दीजे बाँट : यदि वस्तु के नष्ट हो जाने की आशंका हो तो उसका कुछ भाग खर्च करके शेष भाग बचा लेना चाहिए.
जो धावे सो पावे, जो सोवे सो खोवे : जो परिश्रम करता है उसे लाभ होता है, आलसी को केवल हानि ही हानि होती है.
जो पूत दरबारी भए, देव पितर सबसे गए : जो लोग दरबारी या परदेसी होते हैं उनका धर्म नष्ट हो जाता है और वे संसार के कर्तव्यों का भी समुचित पालन नहीं कर सकते.
जो बोले सो कुंडा खोले : यदि कोई मनुष्य कोई काम करने का उपाय बतावे और उसी को वह काम करने का भार सौपाजाये.
जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में : जो सुखअपने घर में मिलता है वह अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता.
जोगी काके मीत, कलंदर किसके भाई : जोगी किसी के मित्र नहीं होते और फकीर किसी के भाई नहीं होते, क्योंकि वे नित्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं.
जोगी जुगत जानी नहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआ : गैरिक वस्त्र पहनने से ही कोई जोगी नहीं हो जाता.
जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान : बड़ों की लड़ाई मेंगरीबों की हानि होती है.
जोरू चिकनी मियाँ मजूर : पति-पत्नी के रूप में विषमता हो, पत्नी तो सुन्दर हो परन्तु पति निर्धन और कुरूप हो.
जोरू टटोले गठरी, माँ टटोले अंतड़ी : स्त्री धन चाहती है औरमाता अपने पुत्र का स्वास्थ्य चाहती है. स्त्री यह देखना चाहती है कि मेरे पति ने कितना रुपया कमाया. माता यह देखती है कि मेरा पुत्र भूखा तो नहीं है.
जोरू न जांता, अल्लाह मियां से नाता : जो संसार में अकेला हो, जिसके कोई न हो.
ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होय : जितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा.
ज्यों-ज्यों मुर्गी मोटी हो, त्यों-त्यों दुम सिकुड़े : ज्यों-ज्यों आमदनी बढ़े, त्यों-त्यों कंजूसी करे.
ज्यों नकटे को आरसी, होत दिखाए क्रोध : जब कोई व्यक्तिकिसी दोषी पुरुष के दोष को बतलाता है तो उसे बहुत बुरा लगता है।
झगड़े की तीन जड़, जन, जमीन, जर : स्त्री, पृथ्वी और धन इन्हीं तीनों के कारण संसार में लड़ाई-झगड़े हुआ करते हैं.
झट मँगनी पट ब्याह : किसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति.
झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानी : जल्दी का काम अच्छा नहीं होता.
झड़बेरी के जंगल में बिल्ली शेर : छोटी जगह में छोटे आदमी बड़े समझे जाते हैं.
झूठ के पांव नहीं होते : झूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है.
झूठ बोलने में सरफ़ा क्या : झूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता.
झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिए : झूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे.
टंटा विष की बेल है : झगड़ा करने से बहुत हानि होती है.
टका कर्ता, टका हर्ता, टका मोक्ष विधायकाः
टका सर्वत्र पूज्यन्ते,बिन टका टकटकायते :
संसार में सभी कर्म धन से होते हैं,बिना धन के कोई काम नहीं होता.
टका हो जिसके हाथ में, वह है बड़ा जात में : धनी लोगों का आदर- सत्कार सब जगह होता है.
टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारा : मूर्ख को दंड देने की आवश्यकता पड़ती है और बुद्धिमानों के लिए इशारा काफी होता है.
टाट का लंगोटा नवाब से यारी : निर्धन व्यक्ति का धनी-मानी व्यक्तियों के साथ मित्रता करने का प्रयास.
टुकड़ा खाए दिल बहलाए, कपड़े फाटे घर को आए : ऐसा काम करना जिसमें केवल भरपेट भोजन मिले, कोई लाभ न हो.
टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे : जो अपनी हानि की बात सबसे कहा करता है उसकी साख जाती रहती है.
ठग मारे अनजान, बनिया मारे जान : ठग अनजान आदमियों को ठगता है, परन्तु बनिया जान-पहचान वालों को ठगता है.
ठुक-ठुक सोनार की, एक चोट लोहार की : जब कोई निर्बल मनुष्य किसी बलवान्‌ व्यक्ति से बार-बार छेड़खानी करता है.
ठुमकी गैया सदा कलोर : नाटी गाय सदा बछिया ही जान पड़ती है. नाटा आदमी सदा लड़का ही जान पड़ता है.
ठेस लगे बुद्धि बढ़े : हानि सहकर मनुष्य बुद्धिमान होता है.
डरें लोमड़ी से नाम शेर खाँ : नाम के विपरीत गुण होने पर.
डायन को भी दामाद प्यारा : दुष्ट स्त्र्िायाँ भी दामाद को प्यार करती हैं.
डूबते को तिनके का सहारा : विपत्त्िा में पड़े हुए मनुष्यों को थोड़ा सहारा भी काफी होता है.
डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोई : थोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना.
डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार : जब कोई बिना बुलाए कहीं जाने को तैयार हो.
ढाक के वही तीन पात : सदा से समान रूप से निर्धन रहने पर उक्त, परिणाम कुछ नहीं, बात वहीं की वहीं.
ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़ : जिसके पास धन नहीं होता वह गुणहीन और धनी व्यक्ति गुणवान्‌ माना जाता है.
ढेले ऊपर चील जो बोलै, गली-गली में पानी डोलै : यदि चील ढेले पर बैठकर बोले तो समझना चाहिए कि बहुत अधिक वर्षा होगी