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Wednesday, September 9, 2015

गर्ल – अभी मुझे मत छुओ शादी के बाद जितना मर्ज़ी छू लेना

गर्ल – अभी मुझे मत छुओ शादी के बाद जितना मर्ज़ी छू लेना
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बॉय- ठीक है अभी चलता हूँ शादी हो जाए तो फोन करके बता देना ..........😂😂



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🙏मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं

🙏मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं
पर इतना मालूम है ,
छोटा आदमी बडे मौके पर
काम आ जाता है।

और
बड़ा आदमी छोटी सी बात पर
औकात दिखा जाता है !


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पत्नी और पति का ..........यह रिश्ता बड़ा निराला

..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
एक को है किसी ने
दूजे को किसी ने पाला
फिर भी दोनों संग है रहते
संग हँसते हैं संग रोते हैं
दुनिया में यह दस्तूर
है किस ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
इक दूजे को प्यार है करते
कभी कभी तकरार भी करते
छोड़ जाने की बात भी करते
बच्चों की दुहाई देते
पर न निकले पति ही घर से
न पत्नी को किसी ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
रिश्ता है यह सब से ऊपर
सब रिश्ते में यह है सुपर
पति बिन पत्नी न रहती
उसकी न जुदाई सहती
पत्नी बिन भी पति न रहता
सुख दुःख उस के संग है सहता
रिश्ता उस का चले उम्र भर
जिसने इसे संभाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
Dedicated to all lovely couple. .



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टीचर - तुम्हारा रिजल्ट बहुत ख़राब आया है, कल पापा को साथ लेकर आना, वरना

टीचर - तुम्हारा रिजल्ट बहुत ख़राब आया है, कल पापा को साथ लेकर आना, वरना
स्टूडेंट - वरना क्या ???
टीचर - वरना रिजल्ट फेसबुक पर अपलोड करके उसमे पापा को टैग कर दूंगा
ज़माना नया - धमकी नयी 😀😀


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एक दर्जी का बेटा एक दिन अपने अपने पिता की दुकान पर चला गया

एक दर्जी का बेटा एक दिन अपने अपने पिता की दुकान
पर चला गया
वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पिता को काम करते
हुए देखने लगा...
उसने देखा कि उसके पिता कैंची से कपड़े को काटते हैं
और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं ..
फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई
को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।जब उसने
इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे
रहा नहीं गया, तो उसने अपने पिता से कहा कि वह एक
बात उनसे पूछना चाहता है?
पिता ने कहा-बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब
भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे
दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर
लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पिता ने दिया- उन दो पंक्तियों में
मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ..
उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और
सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह
हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह
हमेशा ऊपर होती है यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर
लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं.,.................



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विद्यालय में बच्चों में मिठाई बांटी जा रही थी|

विद्यालय में बच्चों में मिठाई बांटी जा रही थी|
जब एक १० वर्ष
के बालक को मिठाई का टुकड़ा दिया गया तो उसने पूछा : - मिठाई किस बात की है?

कैसा बुद्धीमान रहा होगा वह बालक!
जीभ का लंपट नहीं रहा होगा |

बालक को बताया गया : आज महारानी विक्टोरिया का बर्थडे है.
इसलिये खुशी मनाई जा रही है |

बालक ने फटाक से उस मिठाई के टुकड़े को नाली में फेक दिया और
कहा : रानी विक्टोरिया अंग्रेजो की रानी है और उन अंग्रेजों ने हमको गुलाम बनाया है |
गुलाम बनाने वालों के जन्म दिन की खुशियाँ हम क्यूं मनायें?
हम तो तब खुशियाँ मनायेंगे जब हम
अपने भारत देश को आजाद कर पायेंगे |

उस बालक का नाम था "केशव राम बलिराम हेडगेवार" |
आगे चलकर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की, जिसके
संस्कार आज दुनिया भर के बच्चों और जवानों के दिल तक पहुँच चुके हैं |

वन्दे मातरम् जय हिन्द जय मातृभूमि


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*** ग़लत विश्वास *** एक प्रयोग के दौरान, एक प्रोफेसर ने एक बड़े से टैंक में एक शार्क मछली को रखा..

*** ग़लत विश्वास ***

एक प्रयोग के दौरान, एक प्रोफेसर ने एक बड़े से टैंक में एक शार्क मछली को रखा.. और उसके साथ ही कुछ छोटी मछलियों को भी उसी टैंक में डाल दिया..
जैसा की हम समझ सकते है की शार्क ने तुरंत ही उन सारी मछलियों का सफाया कर दिया..
इसके बाद प्रोफेसर ने टैंक में एक बहुत ही मजबूत फाइबर ग्लास लगा दिया.. और टैंक के दो हिस्से कर दिए.. एक हिस्से में शार्क थी. और दुसरे हिस्से में उसने फिर से छोटी मछलियों को डाला.. जैसे ही शार्क की नज़र उन पर पड़ी.. वो उन्हें खाने के लिए लपकी. पर इस बार बीच में फाइबर ग्लास होने की वजह से शार्क उससे जा टकराई.. एक बार टकराने के बाद भी शार्क ने हार नहीं मानी.. वो हर कुछ मिनिट के अंतराल के बाद उस दिशा में बढती.. जहाँ मछलियाँ थी.. और टकरा के फिर पलट आती.. इस दौरान छोटी मछलियाँ आसानी से और आज़ादी से तैर रही थी.. और कुछ एक डेढ़ घंटे के बाद शार्क ने हार मान ली. ये प्रयोग पुरे हफ़्ते भर में कई बार किया गया.. धीरे धीरे शार्क के हमले कम होते गए.. और वो ज्यादा जोर भी नहीं लगाती थी. बार बार कोशिश करते रहने से, पर फिर भी मछलियों तक न पहुँच पाने से शार्क ने थक कर हार मान ली. और प्रयास करना छोड़ दिया.
कुछ दिनों के बाद प्रोफेसर ने बीच में मौजूद फाइबर ग्लास को हटा दिया. पर इसके बाद भी शार्क ने कभी हमला नहीं किया. शार्क को पिछले कुछ हफ्तों में विश्वास हो गया था की वो उन मछलियों तक नहीं पहुँच सकती. और दूसरी छोटी मछलियाँ बिना किसी नुकसान के तैरने लगी.. शार्क उन तक पहुँचने के कोशिश भी नहीं करती थी,.....
Moral : हममे से कई लोग, हार और निराशा को प्रयोग करने के बाद, प्रयास करना छोड़ देते है. वो ये सोचते है की क्योंकि वो पहले कई बार हार चुके है, और सफल नहीं हुए है. इसलिए वे आगे भी ऐसे ही रहेगे..,......
इसलिए ऐसा मत कीजिये सफलता कभी न कभी जरुर मिलती है ,… प्रयास करते रहें,....................
smile emoticon



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***जिंदगी का लेखा जोखा***

***जिंदगी का लेखा जोखा***
उम्र के सातवें दशक को प्राप्त कर चुके राम बाबू ठण्ड में दोपहर का खाना खाने के पश्चात धूप में बैठे अलसा रहे थे. लगभग एक घंटे के पश्चात उन्हें प्यास लग आयी. घर में पत्नी के अलावा और कोई नहीं था और वह भी धूप का आनंद लेकर कमरे में रजाई ओढ़ कर सो रही थी. थोड़ी देर तक तो सोचते रहे कि पानी पियूं कि नहीं फिर, चूँकि बहुत देर से धूप में बैठे थे, अतः प्यास ज्यादा लग रही थी, तो उठे और किचन में जाकर पानी पिया और वापस धूप में आकर बैठ गए और विचारों में मग्न हो गए कि एक ज़माना था कि मुहं से पानी का पा....
भी निकलता था तो नौकर पानी का गिलास लेकर आ जाता था और आज....................
एक आंसू का कतरा उनकी आँखों से निकल पड़ा. बैठे बैठे वे बीते जीवन का लेखा जोखा लगाने लगे..,...........

राम बाबू, उनका जन्म एक सम्पन्न परिवार में हुआ था. परिवार गाँव में रहता था अतः राम बाबू की ज्यादातर पढ़ाई समीप के बड़े शहर में हुई. इस कारण राम बाबू शुरू से ही परिवार से अलग रहे. धीरे धीरे परिवार सिर्फ मतलब का रह गया. पढ़ाई में अच्छे थे अतः पढ़ लिख कर एक शासकीय विभाग में अच्छे पद पर लग गए. ऊपर और नीचे, हर तरफ से कमाई. अच्छे घर में शादी हो गई. एक लड़का और एक लड़की, दो संतानों के पिता बन गए. घर में ढेर सारे नौकर चाकर. सब कुछ अच्छा चल रहा था, इससे राम बाबू भी गरूर में रहते थे. बच्चों को सब सुविधाएं दी पर शायद पिता का प्यार न दे पाये. शायद उन्होंने भी, शहर में रहकर पढ़ाई करने के कारण, माता पिता के प्यार का अहसास नहीं प्राप्त किया था.
बच्चे भी अच्छे पढ़ लिख गए पर उनमें भी अमीरी का गरूर पिता से आ गया. घर में सभी साथ रहते थे पर शायद अपनत्व नहीं था. बेटा पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी में लग कर अन्य शहर चला गया. बेटे की शादी भी कर दी. शायद बेटे में पिता के गरूर के कुछ अंश आये थे और अपनत्व की भावना नहीं थी, अतः वह बहुत ही कम आता और महीने - दो महीने में बात कर लेताहै. बेटी की शादी एक अच्छे घर में कर दी. पर बेटी को भी पिता का गरूर था. अतः ससुराल में बेटी की जमी नहीं और वह भी वापस मायके आ गई. तलाक हो गया. अच्छी पढ़ी लिखी होने के कारण बेटी ने भी एक अच्छी नौकरी कर ली और अपना जीवन अपने हिसाब से जीने लगी. रहती तो माता पिता के साथ, पर यह सम्बन्ध नाम मात्र का.
नौकरी में रहते राम बाबू को सब तरह की सुविधा और नौकर चाकर की सुविधा प्राप्त थी पर सेवा निवृत्ति के पश्चात वह सुविधा कहाँ. जो भी नौकर चाकर लगे वे अपना अपना काम निबटा कर चले जाते.
धुप में बैठे बैठे राम बाबू यही सोच रहे थे कि जीवन में उन्होंने धन तो बहुत कमाया पर सम्बन्ध बिलकुल नहीं कमाए. काश उन्होंने अपने माता पिता के सम्बन्धों को समय रहते पहचाना होता और कद्र की होती और अपने बच्चों में भी वही संस्कार दिए होते तो शायद बात कुछ और होती. पर अब क्या हो सकता है? जिंदगी इसी तरह बितानी पड़ेगी.,........

संतान जीवन कि सबसे बड़ी पूंजी होती है ,। अपने समय का का कुछ हिस्सा जरुरी कामों के साथ बच्चों पर भी व्यतीत कीजिये ,.... सही संस्कार बच्चों में माता-पिता के अलावा कोई नहीं दे सकता,… घर ही संस्कारों कि पहली सीढ़ी होती है,…… smile emoticon

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**********ज़िंदगी का एक-एक पल पूरी तरह से जियो*************


**********ज़िंदगी का एक-एक पल पूरी तरह से जियो*************

एक कंजूस व्यक्ति ने जीवन भर कंजूसी करके पांच करोड़ रूपये एकत्रित कर लिये।
इस एकत्रित धन की बदौलत वह एक साल तक बिना कोई काम किए चैन की बंशी बजाने के स्वप्न देखने लगा।
इसके पहले कि वह उस धन को निवेश करने का इरादा कर पाता, यमदूत ने उसके दरवाज़े पर दस्तक दे दी।
उस व्यक्ति ने यमदूत से कुछ समय देने की प्रार्थना की परंतु यमदूत टस से मस नहीं हुआ।
उसने याचना की - "मुझे तीन दिन की ज़िंदगी दे दो, मैं तुम्हें अपना आधा धन दे दूँगा।" पर यमदूत ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उस व्यक्ति ने फिर प्रार्थना की "मैं आपसे एक दिन की ज़िंदगी की भीख मांगता हूं। इसके बदले तुम
मेरी वर्षों की मेहनत से जोड़ा गया पूरा धन ले लो।" पर यमदूत फिर भी अडिग रहा।
अपनी तमाम अनुनय-विनय के बाद उसे यमदूत से सिर्फ इतनी मोहलत मिली कि वह एक संदेश लिख सके।

उस व्यक्ति ने अपने संदेश में लिखा -- "जिस किसी को भी यह संदेश मिले,उससे मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि वह जीवन भर सिर्फ संपत्ति जोड़ने की फिराक में न रहे। ज़िंदगी का एक - एक पल पूरी तरह से जियो। मेरे पांच करोड रूपये भी मेरे लिए एक घंटे का समय नहीं खरीद सके।"
इसलिए वर्तमान में जियो,भविष्य की सोच सोच कर अपने वर्तमान को ख़राब मत करो | smile emoticon
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एक बार एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से पूछा -- तुम्हारे खुशहाल वैवाहिक जीवन के पीछे क्या राज है?

एक बार एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से पूछा -- तुम्हारे खुशहाल वैवाहिक जीवन के पीछे क्या राज है?

पहले दोस्त ने कहा, हमें अपने जीवन साथी के साथ प्यार से जिम्मेवारियाँ बाँटनी चाहिए, एक दूसरे का आदर करना चाहिए, तब कोई समस्या नहीं रहती!
दूसरे दोस्त ने कहा क्या तुम थोड़ा खुल कर बता सकते हो?

पहले दोस्त ने कहा--- जैसे मेरे घर में सारे बड़े मुद्दों पर में ही निर्णय लेता हूँ, जबकि सारी छोटी छोटी बातों के निर्णय मेरी बीवी लेती है हम एक दूसरे के निर्णयों पर कभी हस्तक्षेप नहीं करते!

मैं कुछ समझा नहीं! दूसरे दोस्त ने कहा, थोड़ा उदाहरण दे कर बताओ, पहले दोस्त ने कहा,..... छोटी छोटी बातें जैसे हमें कौन सी कार खरीदनी है, कितना पैसा बचाना है, कब घर जाना है, कब बाजार जाना है, कौन सा सोफा, एयर कंडिशनर कौन सा रेफ्रिज्रेटर खरीदना है, महीने का खर्चा, नौकरानी रखनी है या नहीं वगैरा वगैरा!
मेरी पत्नी ही इन सबका निर्णय लेती है मैं उसके निर्णयों से सहमत हो जाता हूँ!

दूसरे दोस्त ने पूछा तब तुम्हारी क्या भूमिका है?

पहले दोस्त ने कहा-- मेरे निर्णय हमेशा बड़े मुद्दों पर होते हैं जैसे,=---अमेरिका को इराक पर हमला करना चाहिए, क्या अफ्रीका को अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ानी चाहिए, क्या सचिन को सन्यास लेना चाहिए वगैरा वगैरा, तुम्हें ये सुनकर हैरानी होगी, कि मेरी बीवी कभी भी मेरे फैसलों का विरोध नहीं करती! :D :)



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Tuesday, September 8, 2015

OMG! इस महिला ने सोते हुए मर्द से किया रेप....

OMG! इस महिला ने सोते हुए मर्द से किया रेप.... Rapist Woman

Chantae Gilman   Court   pregnant   Rape   Seattle

Chantae Gilman rape




Surprising and amazing incidence on earth



सिएटल: हम आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार, यौन शोषण और दुष्कर्म करने के मामले सुनते हैं लेकिन आपकी हैरानी का उस समय कोई ठिकाना नहीं रहेगा, जब आपको पता चलेगा कि एक महिला ने सोते हुए आदमी का रेप किया लेकिन यह मामला सच है।





उससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि वह महिला गर्भवती थी। यह अजीबोगरीब मामला अमरीका के सिएटल में सामने आया है, जहां पीड़ित युवक की जीत हुई। उसने महिला के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।

दरअसल, मामला कुछ यूं है कि सिएटल में 2 साल पुराने यौन उत्पीड़न के एक मामले में चैंटे गिलमन नाम की आरोपी महिला (28 वर्ष) ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल करते हुए माफी की अपील की है।

2 साल पहले हुए इस मामले में युवक ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि घटना से पहले वह एक बर्थडे पार्टी में गया था और काफी थक चुका था। थकान की वजह से वह गहरी नींद में सो गया। अचानक रात के 2 बजे उसे अपने शरीर पर वजन महसूस हुआ। उसकी नींद खुली तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। उसने देखा कि उसके हाथ-पैर बंधे हुए हैं और 108 किलो वजनी महिला उसके साथ सैक्स कर रही है।

महिला चैंटे ने अपने हाथों से उसके हाथों को जकड़ रखा था ताकि वह किसी तरह का कोई प्रतिरोध न कर सके। काफी कोशिशों के बाद किसी तरह से पीड़ित उसके चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा।

इसके बाद पीड़ित शख्स ने गिलमन को अपने अपार्टमैंट से बाहर किया और घर के पास स्थित मैडीकल सेंटर में रेप की जांच करवाने के लिए पहुंचा। हालांकि, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि महिला ने उस शख्स के घर में किस तरह से एंट्री की।

रेप की आरोपी गिलमन पीड़ित युवक की पड़ोसी को जानती थी और उसके यहां जन्मदिन की पार्टी में आई हुई थी। पीड़ित ने महिला पर ड्रग्स लेने की आदी होने का आरोप भी लगाया है। पहले तो उसने यह आरोप मानने से मना दिए और कहा कि वह मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं लेकिन बाद में खुद को फंसता देख उसने गुनाह कबूल किया।

आपको बता दें कि जिस समय गिलमन पर ये आरोप लगे थे तब वह 4 बच्चों की मां थी और अपने पांचवे बच्चे के साथ गर्भवती थी। वहीं रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि गिलमन को 19 जून को सजा सुनाई जा सकती


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>>>>मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं धनानंद, मैं शिक्षक हूँ,


>>>>मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं धनानंद, मैं  शिक्षक हूँ, 
यदि मेरी शिक्षा में सामर्थ्य है तो अपना पोषण करने वाले सम्राटों का निर्माण मैं स्वयं कर लूँगा
                  -चाणक्य

*******************
>>>> अध्यापक : Internet पे जो
अश्लीलता फैली हुई है आप उसे किस तरह से
देखते हैं..?... . . 



छात्र : जी full HD में.....

De thappad ... de thappad 😂😂😂😳😱😜

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Friday, September 4, 2015

मैं ही कृष्ण मैं ही कंस.....

मैं ही कृष्ण मैं ही कंस.....

एक चित्रकार था, जो अद्धभुत चित्र बनाता था।
लोग उसकी चित्रकारी की काफी तारीफ़ करते थे।
एक दिन कृष्ण मंदिर के भक्तों ने उनसे कृष्ण और कंस का एक
चित्र बनाने की इच्छा प्रगट की।
चित्रकार इसके लिये तैयार हो गया आखिर भगवान् का काम था, पर
उसने कुछ शर्ते रखी।
उसने कहा मुझे योग्य पात्र चाहिए, अगर वे मिल जाए तो में
आसानी से चित्र बना दूंगा।




कृष्ण के चित्र लिए एक योग्य नटखट बालक और कंस के लिए
एक क्रूर भाव वाला व्यक्ति लाकर दे तब मैं चित्र बनाकर दूंगा।
कृष्ण मंदिर के भक्त एक बालक ले आये, बालक सुन्दर था।
चित्रकार ने उसे पसंद किया और उस बालक को सामने रख
बालकृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया।
अब बारी कंस की थी पर
क्रूर भाव वाले व्यक्ति को ढूंढना थोडा मुस्किल था।
जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालो को पसंद आता वो चित्रकार को पसंद
नहीं आता उसे वो भाव मिल नहीं रहे
थे...
वक्त गुजरता गया।
आखिरकार थक-हार कर सालों बाद वो अब जेल में चित्रकार को ले
गए, जहा उम्रकेद काट रहे अपराधी थे।
उन अपराधीयों में से एक को चित्रकार ने पसंद किया
और उसे सामने रखकर उसने कंस का एक चित्र बनाया।
कृष्ण और कंस की वो तस्वीर आज
सालों के बाद पूर्ण हुई।
कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीरे देखकर मंत्रमुग्ध
हो गए।
उस अपराधी ने भी वह
तस्वीरे देखने की इच्छा व्यक्त
की।
उस अपराधी ने जब वो तस्वीरे
देखी तो वो फुट-फुटकर रोने लगा।
सभी ये देख अचंभित हो गए।
चित्रकार ने उससे इसका कारण बड़े प्यार से पूछा।
तब वह अपराधी बोला "शायद आपने मुझे पहचाना
नहीं, मैं वो ही बच्चा हुँ जिसे सालों
पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए पसंद किया था।
मेरे कुकर्मो से आज में कंस बन गया, इस तस्वीर में
मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।

 हमारे कर्म ही हमे अच्छा और बुरा
इंसान बनाते है।

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Thursday, September 3, 2015

Must must must read एक मंत्री जी गाँव में सभा को संबोधित करने जा रहे थे. गाँव के पहले ही उनकी कार के नीचे एक कुत्ता आ गया. कुत्ता मर

Must must must read
एक मंत्री जी गाँव में सभा को संबोधित करने जा रहे थे. गाँव के पहले ही उनकी कार के नीचे एक कुत्ता आ गया. कुत्ता मर गया साथ ही एक्सीडेंट के कारण कार भी खराब हो गई. मंत्री जी ने ड्राईवर को गाँव वालों को मदद के लिए बुलाने भेजा. करीब दो घंटे बाद जब ड्राईवर लौटा.. तो उसके गले में ढेर सारी मालाएं पड़ी हुई थीं. मंत्री जी ने पूछा – “तूने ऐसा क्या किया जो तेरा इतना सम्मान हुआ ?”
?
??
?
ड्राईवर बोला – “मैंने तो सिर्फ इतना कहा था कि मंत्रीजी की कार का एक्सीडेंट हो गया है …
कुत्ता मर गया …. !”😄😄



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Wednesday, September 2, 2015

बेशर्म महिला टीचर ने छात्रों के साथ बीच पर किया रेप

बेशर्म  महिला टीचर ने छात्रों के साथ बीच पर किया रेप







स्कूलों में छात्र-छात्राओं के यौन उत्पीड़न के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश-विदेश में रोजाना सामने आ रहे ऐसे मामलों ने प्रशासन के साथ ही बच्चों के परिजनों के भी होश उड़ा दिए हैं। कैलिफोर्निया के कोविना शहर में एक स्कूल की दो महिला टीचर, छात्रों के यौन शौषण के आरोप में घिर गई हैं। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने 10वीं में पढ़ने वाले छात्रों के साथ यौन संबंध बनाए। पुलिस के अनुसार, साउथ हिल्स हाईस्कूल की महिला टीचर मेलोडी लिपर्ट (38) क्लास के लड़कों के एक ग्रुप से सैन क्लेमेंटे बीच पर मिली थी। उसने छात्रों के शराब पिलाई और जब वे नशे में डूब गए तो उसने उनमें से एक छात्र के साथ सेक्स किया। के मुताबिक, इस घटना के बाद उसने छात्रों से उसी बीच पर दोबारा मिलने का प्लान बनाया और इस बार एक और महिला टीचर मिशेल हिरेली (30) को साथ ले गई। दोनों टीचर बीच पर फिर से छात्रों से मिलीं और वहीं पर रात बिताई। उन्होंने शराब पिलाकर दो छात्रों के साथ शारीरिक संबंध बनाए। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने ऑरेंज काउंटी के पुलिस विभाग को सूचना दी। जांच के दौरान पता चला कि यह घटना तब हुई जब स्कूल की ओर से कोई भी आधिकारिक टूर प्लान नहीं किया गया था। दोनों टीचर खुद वहां गई हुई थीं। आरोपी टीचर लिपर्ट पर नाबालिग से रेप और साजिश रचने का केस दर्ज किया गया है जबकि हिरेली पर नाबालिग से यौन संबंध बनाने का केस दर्ज किया गया है। बता दें कि इसके पहले बीते मंगलवार को पुलिस ने साउथ हिल्स हाईस्कूल में रेसलिंग कोच को छात्रा के साथ सेक्स करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामला सामने आने के बाद स्कूल प्रशासन ने एंटनी विडालेस (29) को छुट्टी पर भेज दिया है। कोच ने 17 साल की लड़की के साथ संबंध बनाए थे। फिलहाल शिकायत मिलने के बाद आरोपी के खिलाफ जांच की जा रही है। यह मामला भी कोविना का ही है। आरोपी टीचर को गिरफ्तार कर लिया गया है



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48 साल की महिला (Molly Shattuck Cheerleader ) ने किया 15 साल के किशोर से रेप



48 साल की महिला (Molly Shattuck Cheerleader )  ने किया 15 साल के किशोर से रेप



अमेरिका में एक चीयरलीडर ने 15 साल के एक किशोर के साथ दुष्कर्म किया लेकिन कोर्ट ने उसे कड़ी सजा देने के बजाय महज दो साल का प्रोबेशन देकर छोड़ दिया।

अमेरिका के जॉर्जटाउन में 48 वर्षीय पूर्व चियर लीडर मॉली शैटक ने 15 साल के लड़के से रेप किया था। अदालत ने इस मामले में मॉली को 15 साल की सजा सुनाई। हालांकि सजा पर अमल के बजाय उसे दो साल का प्रोबेशन दिया गया। इस दौरान यदि उसका व्यवहार उचित पाया गया तो सजा नहीं होगी और वो बरी हो जाएंगी।



प्रोबेशन के तहत मॉली को हर हफ्ते प्रोबेशन ऑफिस में हाजिरी देनी होगी।

उधर मॉली को सजा में रियायत को लेकर पीड़ित के पिता के कहना है कि उनके लड़के से बलात्कार की वारदात एक जघन्य अपराध है, जिसकी सजा केवल जेल होनी चाहिए।मॉली ने रेप की इस वारदात को उस वक्त अंजाम दिया जब बीते साल सितंबर में वो डेलवेयर के बेथनी बीच पर छुट्टियां मनाने गई थीं। बीच पर 15 साल के एक नाबालिग लड़के पर मॉली का दिल आ गया और बीच हाउस पर मॉली ने उसके साथ शारीरिक संबंध बना डाला।

मॉली के वकील का कहना है कि मॉली जब काफी जवान थीं तब उनके पति से उनका रिश्ता टूट गया था। यही वजह है कि मॉली अपने जज्बातों पर काबू नहीं रख सकीं और लड़के के साथ संबंध बना डाला।




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शीना मर्डरः सिद्धार्थ के घर पहुंची पुलिस, थाने में पीटर को देख रोने लगी इंद्राणी Sheena Bora Murder Case - Exclusive Pics

शीना मर्डरः सिद्धार्थ के घर पहुंची पुलिस, थाने में पीटर को देख रोने लगी इंद्राणी

Sheena Bora Murder Case - Exclusive Pics



मुंबई. शीना बोरा मर्डर केस में अरेस्ट होने के बाद बुधवार को पहली बार इंद्राणी मुखर्जी का पुलिस स्टेशन में पति पीटर मुखर्जी से आमना-सामना हुआ। मुंबई पुलिस जैसे ही पीटर को उसके सामने लेकर पहुंची, इंद्राणी फूट-फूट कर रोने लगी। सूत्रों के मुताबिक, खार थाने में पुलिस ने दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की। इस दौरान दोनों से उनके फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस के बारे में भी जानकारी मांगी गई। इस बीच, शाम को मुंबई पुलिस कोलकाता में शीना के बायोलॉजिकल पिता सिद्धार्थ दास के घर पहुंची

>मुंबई पुलिस की एक टीम ने कोलकाता में इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना का लैपटॉप सीज किया।

>पुलिस का मानना है कि खन्ना के लैपटॉप से मर्डर की प्लानिंग के बारे में अहम सुराग हाथ लग सकते हैं।

> संजीव खन्ना को भी बुधवार को थाने लाया गया। हालांकि, पीटर-इंद्राणी के सामने उसे नहीं लाया गया।

> इस केस के गवाह गणेश धेने और रायगढ़ के तीन पुलिसवालों को भी पूछताछ के लिए मुंबई लाया गया।

> सीआईडी की एक टीम ने रायगढ़ के उस जगह का दौरा किया, जहां शीना बोरा को दफनाया गया था।

>पुलिस की एक टीम पीटर के वर्ली स्थित घर पहुंची। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस यहां सबूतों की तलाश में पहुंची थी।














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Sunday, August 30, 2015

(हार्दिक पटेल जैसे प्रतिघातियों द्वारा पुनः आरक्षण की आग लगाने पर टूटते हिन्दू समाज को चेताती नई कविता


(हार्दिक पटेल जैसे प्रतिघातियों द्वारा पुनः आरक्षण की आग लगाने पर टूटते हिन्दू समाज को चेताती नई कविता
रचनाकार-गौरव चौहान इटावा
आओ मिलकर आग लगाएं,नित नित नूतन स्वांग करें,
पौरुष की नीलामी कर दें,आरक्षण की मांग करें,

पहले से हम बंटे हुए हैं,और अधिक बंट जाएँ हम,
100 करोड़ हिन्दू है,मिलकर इक दूजे को खाएं हम,

देश मरे भूखा चाहे पर अपना पेट भराओ जी,
शर्माओ मत,भारत माँ के बाल नोचने आओ जी,

तेरा हिस्सा मेरा हिस्सा,किस्सा बहुत पुराना है,
हिस्से की रस्साकसियों में भूल नही ये जाना है,

याद करो ज़मीन के हिस्सों पर जब हम टकराते थे,
गज़नी कासिम बाबर मौका पाते ही घुस आते थे

अब हम लड़ने आये हैं आरक्षण वाली रोटी पर,
जैसे कुत्ते झगड़ रहे हों कटी गाय की बोटी पर,

हमने कलम किताब लगन को दूर बहुत ही फेंका है,
नाकारों को खीर खिलाना संविधान का ठेका है,

मैं भी पिछड़ा,मैं भी पिछड़ा,कह कर बनो भिखारी जी,
ठाकुर पंडित बनिया सब के सब कर लो तैयारी जी,

जब पटेल के कुनबों की थाली खाली हो सकती है,
कई राजपूतों के घर भी कंगाली हो सकती है,

बनिए का बेटा रिक्शे की मज़दूरी कर सकता है,
और किसी वामन का बेटा भूखा भी मर सकता है,

आओ इन्ही बहानों को लेकर,सड़कों पर टूट पड़ो,
अपनी अपनी बिरादरी का झंडा लेकर छूट पड़ो,

शर्म करो,हिन्दू बनते हो,नस्लें तुम पर थूंकेंगी,
बंटे हुए हो जाति पंथ में,ये ज्वालायें फूकेंगी,

मैं पटेल हूँ मैं गुर्जर हूँ,लड़ते रहिये शानों से,
फिर से तुम जूते खाओगे गजनी की संतानो से,

ऐसे ही हिन्दू समाज के कतरे कतरे कर डालो,
संविधान को छलनी कर के,गोबर इसमें भर डालो,

राम राम करते इक दिन तुम अस्सलाम हो जाओगे,
बंटने पर ही अड़े रहे तो फिर गुलाम हो जाओगे,
---कवि गौरव चौहान


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Saturday, August 29, 2015

5 बच्चों वाले हिंदू परिवारों को इनाम देगी शिवसेना दो लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान

5 बच्चों वाले हिंदू परिवारों को इनाम देगी शिवसेना
 दो लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान

Aug 30, 2015, 06.30AM IST



भाषा, आगरा : शिवसेना की आगरा इकाई ने उन हिंदू परिवारों को दो लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है, जिनके परिवार में पांच बच्चे होंगे। शिवसेना के जिला प्रमुख वीणू लवाणिया ने शुक्रवार को कहा कि हाल में जारी जनगणना के आंकड़ों में हिंदुओं की जनसंख्या में गिरावट की चिंता के कारण ऐसा शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि 2010 से 2015 के बीच जिन हिंदू परिवारों के पांच बच्चे हैं, उन्हें दो लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। अभिभावकों को नगर पालिका से जारी जन्म प्रमाणपत्र दिखाना होगा। शिवसेना ने मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि को लेकर भी चिंता जताई है। साथ ही समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की है, ताकि कई पत्नियों वाली व्यवस्था का अंत हो सके।

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Tuesday, August 25, 2015

More than 100 Keyboard Shortcuts must read SHARE IT........ Keyboard Shorcuts (Microsoft Windows)

More than 100 Keyboard Shortcuts must read
SHARE IT........
Keyboard Shorcuts (Microsoft Windows)
1. CTRL+C (Copy)
2. CTRL+X (Cut)
3. CTRL+V (Paste)
4. CTRL+Z (Undo)
5. DELETE (Delete)
6. SHIFT+DELETE (Delete the selected item permanently without placing the item in the Recycle Bin)
7. CTRL while dragging an item (Copy the selected item)
8. CTRL+SHIFT while dragging an item (Create a shortcut to the selected item)
9. F2 key (Rename the selected item)
10. CTRL+RIGHT ARROW (Move the insertion point to the beginning of the next word)
11. CTRL+LEFT ARROW (Move the insertion point to the beginning of the previous word)
12. CTRL+DOWN ARROW (Move the insertion point to the beginning of the next paragraph)
13. CTRL+UP ARROW (Move the insertion point to the beginning of the previous paragraph)
14. CTRL+SHIFT with any of the arrow keys (Highlight a block of text)
SHIFT with any of the arrow keys (Select more than one item in a window or on the desktop, or select text in a document)
15. CTRL+A (Select all)
16. F3 key (Search for a file or a folder)
17. ALT+ENTER (View the properties for the selected item)
18. ALT+F4 (Close the active item, or quit the active program)
19. ALT+ENTER (Display the properties of the selected object)
20. ALT+SPACEBAR (Open the shortcut menu for the active window)
21. CTRL+F4 (Close the active document in programs that enable you to have multiple documents opensimultaneou sly)
22. ALT+TAB (Switch between the open items)
23. ALT+ESC (Cycle through items in the order that they had been opened)
24. F6 key (Cycle through the screen elements in a window or on the desktop)
25. F4 key (Display the Address bar list in My Computer or Windows Explorer)
26. SHIFT+F10 (Display the shortcut menu for the selected item)
27. ALT+SPACEBAR (Display the System menu for the active window)
28. CTRL+ESC (Display the Start menu)
29. ALT+Underlined letter in a menu name (Display the corresponding menu) Underlined letter in a command name on an open menu (Perform the corresponding command)
30. F10 key (Activate the menu bar in the active program)
31. RIGHT ARROW (Open the next menu to the right, or open a submenu)
32. LEFT ARROW (Open the next menu to the left, or close a submenu)
33. F5 key (Update the active window)
34. BACKSPACE (View the folder onelevel up in My Computer or Windows Explorer)
35. ESC (Cancel the current task)
36. SHIFT when you insert a CD-ROMinto the CD-ROM drive (Prevent the CD-ROM from automatically playing)
Dialog Box - Keyboard Shortcuts
1. CTRL+TAB (Move forward through the tabs)
2. CTRL+SHIFT+TAB (Move backward through the tabs)
3. TAB (Move forward through the options)
4. SHIFT+TAB (Move backward through the options)
5. ALT+Underlined letter (Perform the corresponding command or select the corresponding option)
6. ENTER (Perform the command for the active option or button)
7. SPACEBAR (Select or clear the check box if the active option is a check box)
8. Arrow keys (Select a button if the active option is a group of option buttons)
9. F1 key (Display Help)
10. F4 key (Display the items in the active list)
11. BACKSPACE (Open a folder one level up if a folder is selected in the Save As or Open dialog box)
Microsoft Natural Keyboard Shortcuts
1. Windows Logo (Display or hide the Start menu)
2. Windows Logo+BREAK (Display the System Properties dialog box)
3. Windows Logo+D (Display the desktop)
4. Windows Logo+M (Minimize all of the windows)
5. Windows Logo+SHIFT+M (Restorethe minimized windows)
6. Windows Logo+E (Open My Computer)
7. Windows Logo+F (Search for a file or a folder)
8. CTRL+Windows Logo+F (Search for computers)
9. Windows Logo+F1 (Display Windows Help)
10. Windows Logo+ L (Lock the keyboard)
11. Windows Logo+R (Open the Run dialog box)
12. Windows Logo+U (Open Utility Manager)
13. Accessibility Keyboard Shortcuts
14. Right SHIFT for eight seconds (Switch FilterKeys either on or off)
15. Left ALT+left SHIFT+PRINT SCREEN (Switch High Contrast either on or off)
16. Left ALT+left SHIFT+NUM LOCK (Switch the MouseKeys either on or off)
17. SHIFT five times (Switch the StickyKeys either on or off)
18. NUM LOCK for five seconds (Switch the ToggleKeys either on or off)
19. Windows Logo +U (Open Utility Manager)
20. Windows Explorer Keyboard Shortcuts
21. END (Display the bottom of the active window)
22. HOME (Display the top of the active window)
23. NUM LOCK+Asterisk sign (*) (Display all of the subfolders that are under the selected folder)
24. NUM LOCK+Plus sign (+) (Display the contents of the selected folder)
MMC COnsole Windows Shortcut keys
1. SHIFT+F10 (Display the Action shortcut menu for the selected item)
2. F1 key (Open the Help topic, if any, for the selected item)
3. F5 key (Update the content of all console windows)
4. CTRL+F10 (Maximize the active console window)
5. CTRL+F5 (Restore the active console window)
6. ALT+ENTER (Display the Properties dialog box, if any, for theselected item)
7. F2 key (Rename the selected item)
8. CTRL+F4 (Close the active console window. When a console has only one console window, this shortcut closes the console)
Remote Desktop Connection Navigation
1. CTRL+ALT+END (Open the Microsoft Windows NT Security dialog box)
2. ALT+PAGE UP (Switch between programs from left to right)
3. ALT+PAGE DOWN (Switch between programs from right to left)
4. ALT+INSERT (Cycle through the programs in most recently used order)
5. ALT+HOME (Display the Start menu)
6. CTRL+ALT+BREAK (Switch the client computer between a window and a full screen)
7. ALT+DELETE (Display the Windows menu)
8. CTRL+ALT+Minus sign (-) (Place a snapshot of the active window in the client on the Terminal server clipboard and provide the same functionality as pressing PRINT SCREEN on a local computer.)
9. CTRL+ALT+Plus sign (+) (Place asnapshot of the entire client window area on the Terminal server clipboardand provide the same functionality aspressing ALT+PRINT SCREEN on a local computer.)
Microsoft Internet Explorer Keyboard Shortcuts
1. CTRL+B (Open the Organize Favorites dialog box)
2. CTRL+E (Open the Search bar)
3. CTRL+F (Start the Find utility)
4. CTRL+H (Open the History bar)
5. CTRL+I (Open the Favorites bar)
6. CTRL+L (Open the Open dialog box)
7. CTRL+N (Start another instance of the browser with the same Web address)
8. CTRL+O (Open the Open dialog box,the same as CTRL+L)
9. CTRL+P (Open the Print dialog box)
10. CTRL+R (Update the current Web )
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आप एक कसबे में रहते हैं, मोटरसाइकिल से कही जा रहे थे, एक्सीडेंट हो गया, चोट लग गयी।

आप एक कसबे में रहते हैं, मोटरसाइकिल से कही जा रहे थे, एक्सीडेंट हो गया, चोट लग
गयी।

अस्पताल 2 km दूर है, बगल से एक ऑटो रिक्शा वाला जा रहा है।

अस्पताल 2 km दूर है ऑटो वाला कहता है 2000 रु लूँगा पहले, तब छोडूंगा अस्पताल तक...

आप क्या करेंगे??

मान लीजिये आपने मना कर
दिया दूसरा ऑटो वाला आ गया,

वो बोला चलो मैं 1000 में छोड़ देता हूँ।

पहला ऑटो वाला उस से भिड गया...

साले, मेरी सवारी खराब कर रहा है, रेट बिगाड़ रहा है।

दूसरा ऑटो वाला डर के भाग
गया.. आप क्या करेंगे ??
---------------------------------

चलो इसे छोडिये अब...

ये सिर्फ समझाने के लिये था।
असली मुद्धे पर आते है।
---------------------------------

आपके पिता जी को "हार्ट अटैक" हो गया...

डॉक्टर कहता है Streptokinase इंजेक्शन
ले के आओ...

9000 रु का... इंजेक्शन की असली कीमत 700 - 900 रु के बीच है... पर उसपे MRP 9000 का है।

आप क्या करेंगे??
---------------------------------

आपके बेटे को टाइफाइड हो गया...

डॉक्टर ने लिख दिया कुल 14 Monocef लगेंगे।

होलसेल दाम 25रु है. अस्पताल का केमिस्ट आपको 53 रु में देता है...

आप क्या करेंगे??
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आपकी माँ की किडनी फेल हो गयी है...

हर तीसरे दिन Dialysis होता है...

Dialysis के बाद एक इंजेक्शन लगता है (नाम मुझे मालूम नहीं)
MRP शायद 1800 रु है।

आप सोचते हैं की बाज़ार से होलसेल मार्किट से ले लेता हूँ।

पूरा हिन्दुस्तान आप खोज मारते हैं, कही नहीं मिलता... क्यों?

कम्पनी सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर
को सप्लाई देती है।

इंजेक्शन की असली कीमत 500 है पर डॉक्टर अपने
अस्पताल में MRP पे यानि 1800 में देता है...

आप क्या करेंगे ??
---------------------------------

आपके बेटे को इन्फेक्शन हो गया है...

डॉक्टर ने जो Antibiotic लिखी वो 540 रु का एक पत्ता है.

वही salt किसी दूसरी कम्पनी का 150 का है और जेनेरिक 45 रु का...

पर केमिस्ट आपको मना कर देता है... नहीं जेनेरिक हम रखते ही नहीं, दूसरी कम्पनी की देंगे नहीं...

वही देंगे जो डॉक्टर साहब ने लिखी है... यानी 540 वाली?

आप क्या करेंगे??
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बाज़ार में Ultrasound 750 रु में होता है...

चैरिटेबल डिस्पेंसरी 240 रु में
करती है।

750 में डॉक्टर का कमीशन 300 रु है।

MRI में डॉक्टर का कमीशन 2000 से 3000 के बीच है।

डॉक्टर और अस्पतालों की ये लूट, ये नंगा नाच बेधड़क बेखौफ्फ़ देश में चल रहा है।

Pharmaceutical कम्पनियों की lobby इतनी मज़बूत है की उसने देश को सीधे सीधे बंधक बना रखा है।

स्वास्थय मंत्रालय और सरकार एकदम लाचार है।

डॉक्टर्स और दवा कम्पनियां मिली हुई हैं।

दोनों मिल के सरकार को ब्लैकमेल करते हैं...

सरकार पूरी तरह लाचार है? या नकारा? नपुंसक ?
---------------------------------

यक्ष प्रश्न... मीडिया दिन रात रोजा और रोटी दिखाता है,

लाल किताब बेचता है,

समोसे के साथ बाबा जी की हरी चटनी,

सास बहू और साज़िश,

सावधान,

क्राइम रिपोर्ट,

राखी सावंत, Bigboss,

Cricketar की Girlfriend,

बिना ड्राईवर की कार,

गड्ढे में गिरा प्रिंस...

सब दिखाता है...

पर Doctors, Hospitals और Pharmaceutical कम्पनियों की ये लूट क्यों नहीं दिखाता?
---------------------------------

मीडिया नहीं दिखाएगा तो कौन
दिखाएगा??

मेडिकल lobby की दादागिरी कैसे रुकेगी??

इस lobby ने सरकार को लाचार कर रखा है।

media क्यों चुप है?

क्या मीडिया को भी खरीद लिया है फार्म कंपनी ने??

2000 रु मांगने वाले ऑटो वाले को तो आप कालर पकड़ के मारेंगे चार झापड़...

डॉक्टर साहब का क्या करेंगे??
---------------------------------

यदि आपको ये सत्य लगता है तो करदो फ़ॉरवर्ड सबको।
हेलपिंग हैंड्स ग्रुप आपसे निवेदन करता हैं...🙏जागरूकता लाईये और दूसरों को भी जागरूक बनाने में अपना सहयोग दीजिये। जय हिंद🇮🇳

धन्यवाद...





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मिनटों में खूबसूरत दिखने के आसान नुस्खे त्‍वचा की खूबसूरती को निखारे खास देखभाल से। झुर्रियां त्‍वचा की खूबसूरती को कम करती है इससे बचें।

मिनटों में खूबसूरत दिखने के आसान नुस्खे
त्‍वचा की खूबसूरती को निखारे खास देखभाल से।
झुर्रियां त्‍वचा की खूबसूरती को कम करती है इससे बचें।
तैलीय त्वचा से छुटकारा पाकर त्‍वचा में लाएं निखार।
शहद का इस्‍तेमाल त्‍वचा में लाता है कसावट।
सुंदर दिखना हर किसी की चाहत होती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप मंहगे उत्पाद का प्रयोग करें या ब्यूटी पार्लर का रुख करें। चेहरे की खूबसूरती को निखारने के लिए जरूरी है कि आप इसका खास खयाल रखें। जानिए कुछ आसान उपाय जिनसे आपकी खूबसूरती बरकरार रहेगी।
asie nikhaare twachaझुर्रियों करें दूर-
एक चम्मच शहद में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती है।
चमक रखे बरकरार -
एक चम्मच गुलाबजल और एक चम्मच दूध के मिश्रण में दो तीन बूंद नींबू का रस मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की कोमलता व चमक बनी रहती है।
स्क्रबिंग के लिए
टमाटर का टुकड़ा लेकर चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें, चेहरे की सारी गंदगी साफ हो जाएगी। त्वचा को निखारने के लिए स्क्रबिंग बहुत जरूरी है। स्क्रब त्वचा की मृत कोशिकाओं, धूल इत्यादि को हटाकर रोमछिद्रों को बंद होने से रोकता है।
[इसे भी पढ़ें : त्‍वचा की देखभाल कैसे की जाये]
तैलीय त्वचा से पाएं छुटकारा-
एक चम्मच नींबू का रस में एक चम्मच गुलाब जल और पिसा हुआ पुदीना मिलाकर 1 घंटे रखें। फिर चेहरे पर लगाकर 20 मिनट बाद धो लें। इससे चेहरे का चिपचिपापन दूर हो जाएगा।
कैसे पाएं निखार -
त्वचा में निखार लाने के लिए थोड़े-से चोकर में एक चम्मच संतरे का रस, एक चम्मच शहद व गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर धो डालें।
शहद से पाएं त्वचा में कसावट -
चेहरे व गर्दन पर शहद लगाएं थोड़ा सा सूखने के बाद अंगुलियों से चेहरे पर मसाज करें। शहद के सूखने के बाद गुनगुने पानी से इसे साफ करें। इससे त्वचा में कसाव आएगा।
[इसे भी पढ़ें : उम्र के साथ सौंदर्य]
डार्क सर्कल से बचें-
आंखों के नीचे झुर्रियां व डार्क सर्कल से बचने के लिए बादाम के तेल में शहद मिलाकर लगाएं और इस हल्के हाथों से मलें और धो लें।
क्लीजिंग के लिए -
चेहरे से मेकअप को हटाने व धूल मिट्टी से बचाने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। इसके लिए चावल के आटे में दही मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे चेहरे एवं गर्दन पर अच्छी तरह मलें। इसके बाद चेहरा धो लें।
रुखी त्वचा से बचें-
नारियल के तेल में शहद और संतरे का रस मिला लें और इसे रुखी, फटी हुई त्वचा पर लगाएं। इस मिश्रण के सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें और हल्के हाथ से पोंछकर नारियल का तेल या कोई और मॉइश्चराइर लगा लें।
[इसे भी पढ़े: दूध से कैसे निखारें सौंदर्य]
यूं हटाएं चेहरे के दाग-धब्बे -
चेहरे पर काले दागों को हटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागों पर लगाएं इससे काले धब्बे साफ हो जाएंगे।
मुंहासों से पाएं छुटकारा -
आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुंहासे ठीक हो जाएंगे।





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आंखों पर चढ़ा मोटा चश्मा भी उतर जाता है, इन साधारण घरेलू नुस्खों से... 1. - पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं।

आंखों पर चढ़ा मोटा चश्मा भी उतर जाता है, इन साधारण घरेलू नुस्खों से...
1. - पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं। सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें व नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें, आंखों की कमजोरी दूर हो जाएगी।
2. - एक चने बराबर फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और रोजाना रात को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पांच बूंद आंखों में डालें। साथ ही, पैर के तलवों पर घी की मालिश करें। इससे चश्में के नंबर कम हो जाते हैं।
3- - आंवले के पानी से आंखें धोने से या गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ रहती है।
4. - बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को पीसकर पाउडर बना लें। रोज इस पाउडर को एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।
5. - बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूंद आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग में आराम मिलता है।
6- - सोया मिल्क में वसा कम और प्रोटीन अधिक होता है। इसमें फैटी एसिड, विटामिन ई पाया जाता है, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
7 - हरी सब्जियां और सलाद को भोजन में अधिक से अधिक शामिल करें। इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट आंखों को स्वस्थ रखते हैं।
8 - ड्रायफ्रूट्स को अपने भोजन में शामिल करने से शरीर को सही मात्रा में ऊर्जा मिलती है। साथ ही, ऐसे पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं, जो आंखों को स्वस्थ बनाते हैं।
9 - - आंखों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना विटामिन ए, बी व सी से भरपूर फलों व अन्य चीजों का सेवन करना चाहिए। गाजर, आंवला, अमरूद, पपीता आदि वे फ्रूट्स हैं, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।
10 - अपने रोजाना के खाने में लहसुन व प्याज शामिल करें। इनके सेवन से शरीर को सल्फर और पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं।
11- - आंखों के रोग जैसे पानी गिरना, आंखें आना, आंखों की दुर्बलता, आदि होने पर रात को आठ बादाम भिगोकर सुबह पीस कर पानी में मिलाकर पी जाएं। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर आंखों पर लगे चश्मे के नंबर कम हो जाते हैं।
12 - कनपटी पर गाय के घी की हल्के हाथ से रोजाना कुछ देर मसाज करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
13 - लघुपाठा नाम के पौधे की पत्तियों के
रस को नेत्र रोगों में प्रयोग कराने का विधान भी आयुर्वेद में बताया गया है।
14 - रोजाना दिन में कम से कम दो बार अपनी आंखों पर ठंडे पानी के छींटे जरूर मारें। रात को त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला) को भिगोकर सुबह उस पानी से आंखें धोने से आंखों की बीमारियां दूर होती है व ज्योति बढ़ती है।
15 - एक चम्मच पानी में एक बूंद नींबू का रस डालकर दो-दो बूंद करके आंखों में डालें। इससे आंखें स्वस्थ रहती है।
16- - आंखों पर चोट लगी हो, मिर्च मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो, आंख लाल हो, तो दूध गर्म करके उसमें रूई का फुआ डालकर ठंडा करके आंखों पर लगाएं आराम मिलेगा।
17 - 1 से 2 ग्राम मिश्री और जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से व लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंधी में फायदा होता है।
18. - ठंडी ककड़ी या कच्चे आलू की स्लाइस काटकर दस मिनट आंखों पर रखें। पानी अधिक पिएं। पानी कमी से आंखों पर सूजन दिखाई देती हैं। सोने से 3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से आंखे स्वस्थ रहती हैं।
19. गुलाब जल का फोहा आंखों पर एक घंटा बांधने से गर्मी से होने वाली परेशानी में तुरंत आराम मिल जाता है
20 - श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिन तक आंखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन भी मिटता है।
21 - हल्दी की गांठ को तुअर की दाल में उबालकर, छाया में सूखा लें। इस गांठ को पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आंख में काजल की तरह लगाने से आंखों की लालिमा दूर होती है व आंखें स्वस्थ रहती हैं।
22. - रात को सोने से पहले अरण्डी का तेल या शहद आंखों में डालने से आंखों की सफेदी बढ़ती है।
23. - नींबू व गुलाबजल को समान मात्रा में मिलाकर एक-एक घण्टे के अंतर से आंखों में डालने से आंखों को ठंडक मिलती है।
24. - केला और गन्ना खाना आंखों के लिए हितकारी है। रोजाना नींबू पानी पीने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है।
25 - - ग्रीन टी का सेवन भी आंखों के लिए अच्छा होता है। एक रिसर्च के अनुसार रोजाना लगभग पांच कप ग्रीन टी पीने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होते हैं, जिससे आंखें स्वस्थ रहती हैं।
26 - दूध व अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। इनके सेवन से आंखों को सही मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
27 - सूरजमुखी के बीजों का सेवन भी आंखों के लिए फायदेमंद होता है। इसके बीजों में विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा केरोटीन व एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसीलिए इसके सेवन से आंखों की कमजोरी दूर होती है।





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चेहरा चमकाना चाहते हैं तो करें टमाटर का उपयोग 1. टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।

चेहरा चमकाना चाहते हैं तो करें टमाटर का उपयोग
1. टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।
2. - सेब को पीस लें और इसमें कुछ मात्रा कच्चे दूध की मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो इसे धो लें। सप्ताह में कम से कम 4 बार ऐसा करने से काफी फायदा होता है।
3.- पान के एक पत्ते को पीस लें। इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। किसी भी हिस्से पर बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार करें। 3 महीने के भीतर निशान मिट जाएंगे।
4 - एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। पेस्ट तैयार हो जाएगा। इस पेस्ट को प्रतिदिन सुबह शाम कुछ देर के लिए काले निशानों पर लगाकर रखें। फिर धो लें, निशान दूर हो जाएंगे।
5 - - रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रस की समान मात्रा चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं। जबरदस्त फायदा होगा।
6 - हर्बल वैद्यों की जानकारी के अनुसार 1/2 कप पत्ता गोभी का रस तैयार करें। इसमें 1/2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से इसे धो लें, ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में प्राकृतिक रूप से खिंचाव आता है और यह झुर्रियों को दूर करने में मदद करता है।
7 - - रात सोने जाने से पहले संतरे के 2 चम्मच रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। चेहरे पर 20 मिनिट तक लगाए रखें। इसके बाद दूध में डूबोकर चेहरे की सफाई करें। ऐसा रोज करने से बहुत जल्दी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
8 - एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जल्द ही निशान दूर हो जाएंगे।
9 - रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रसको समान मात्रा में मिलाकर चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं तो जबरदस्त फायदा होगा और जल्द ही गहरे काले निशानों की छुट्टी हो जाएगी।



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क्या आप जानते हैं कि अधिकतम शिशुओं की आंखों का रंग जन्म के ठीक पश्चात नीला ही होता है. यह हमें आसानी से ज्ञात नहीं हो पाता है. बच्चों की आंखों का रंग तब अपना असली रंग पकड़ता है जब उसकी आंखें प्रकृति की अल्ट्रा वायलेट किरणों से टकराती हैं.

 क्या आप जानते हैं कि अधिकतम शिशुओं की आंखों का रंग जन्म के ठीक पश्चात नीला ही होता है. यह हमें आसानी से ज्ञात नहीं हो पाता है. बच्चों की आंखों का रंग तब अपना असली रंग पकड़ता है जब उसकी आंखें प्रकृति की अल्ट्रा वायलेट किरणों से टकराती हैं.

- जन्म के समय आप एक शिशु के नन्हें हाथों को जब देखते हैं तो उन पर नाखून आवश्य होते हैं लेकिन निराकार दिशा में। यह नाखून अपना सही आकार लेने में 6 महीनों का समय लेते हैं.

- वैज्ञानिकों का दावा है कि अपने पूरे जीवन काल में एक मनुष्य अपने अंदर इतना थूक जमा कर लेता है कि इसकी मदद से दो स्विमिंग पूल भरे जा सकते हैं.

- आपकी पीठ या यूं कहें कि रीढ़ की हड्डी रोजाना सिकुड़ती है जिसकी बदौलत जब आप नींद से उठते हैं तो उसके बाद यह आपको एक सेंटीमीटर छोटा बना देती है.

- मनुष्य का पेट कभी अपने आप नष्ट नहीं होता क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी कोशिकाओं को बनने में जितनी तेजी लगती है उससे भी अधिक समय इन्हें नष्ट होने में लगता है.

- आपने सुना होगा कि मानव शरीर में अपनी एक ऊर्जा होती है लेकिन क्या यह सुना है कि केवल आधे घंटे में हमारे शरीर में इतनी गर्मी पैदा हो सकती है कि हम उस गर्मी से आधे गेलन पानी को उबाल सकते हैं.

- एक अजीब लेकिन सत्य सा तथ्य, आप खुद को गुदगुदा कर हंसा नहीं सकते हैं. यकीन ना आए तो खुद आजमा कर देख लीजिये.

- अक्सर बैठे-बैठे फालतू में सपने बुनने वाले लोगों को बेकार समझा जाता है लेकिन एक शोध के मुताबिक इन लोगों का आईक्यू लेवल किसी बुद्धिमान इंसान से कई गुना बेहतर होता है.

- दिनभर में जो जानकारी हम प्राप्त करते हैं वो 90 प्रतिशत अपनी आंखों से यानि कि देखकर प्राप्त करते हैं व बाकी की 10 प्रतिशत अन्य शारीरिक अंगों से प्राप्त की जाती हैं.

- इंसान की त्वचा ही उसका सबसे बड़ा अंग है.

- क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर की कोशिकाओं को यदि एक कतार में लगाकर हम पूरी दुनिया में घुमाएं तो वो एक विश्व मैप के हिस्से में अटलांटा से लेकर लॉस एंजिल्स तक का सफर तय कर सकती है



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हर ट्रेन का एक विशेष नंबर होता है, जो उसकी पहचान होता है। ये डिजिट 0 से लेकर 9 तक होते हैं। पहला डिजिट => 5 डिजिट में पहले डिजिट (0-9) के अलग-अलग मतलब होते हैं।

हर ट्रेन का एक विशेष नंबर होता है, जो उसकी पहचान होता है। ये डिजिट 0 से लेकर 9 तक होते हैं।
पहला डिजिट
=> 5 डिजिट में पहले डिजिट (0-9) के अलग-अलग मतलब होते हैं।
=> 0 का मतलब है कि ये ट्रेन स्पेशल ट्रेन है। (समर स्पेशल, हॉलीडे स्पेशल या अन्य स्पेशल)
1 से 4 तक डिजिट क्या दर्शाती हैं
पहला डिजिट 1 है तो यह दर्शाता है कि ट्रेन लंबी दूरी तक जाती है। साथ ही राजधानी, शताब्दी, जन साधारण, संपर्क क्रांति, गरीब रथ, दूरंतो को भी दर्शाता है।
पहला डिजिट 2 दर्शाता है कि ट्रेन लंबी दूरी की है। 1-2 दोनों ही डिजिट की ट्रेनें एक ही श्रेणी में आती हैं।
पहला डिजिट 3 दर्शाता है कि ट्रेन कोलकाता सब अरबन ट्रेन है।
पहला डिजिट 4 दर्शाता है कि यह नई दिल्ली, चेन्नई, सिकंदराबाद और अन्य मेट्रो सिटी की सब अरबन ट्रेन है।
पहला डिजिट 5 दर्शाता है कि यह सवारी गाड़ी है।
पहला डिजिट 6 दर्शाता है कि ये मेमू ट्रेन है।
पहला डिजिट 7 दर्शाता है कि यह डेमू ट्रेन है।
पहला डिजिट 8 दर्शाता है कि यह आरक्षित ट्रेन है।
पहला डिजिट 9 दर्शाता है कि यह मुंबई की सब अरबन ट्रेन है।
दूसरा और उसके बाद का डिजिट पहले डिजिट के अनुसार ही होता है।
जब किसी ट्रेन के पहले लेटर 0, 1 और 2 से शुरू होते हैं तो बाकी के चार लेटर रेलवे जोन और डिजिवन को दर्शाते हैं। यह 2011 4-डिजिट स्कीम के अनुसार होता है।
0- कोंकण रेलवे
1- सेंट्रल रेलवे, वेस्ट-सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे
2- सुपरफास्ट, शताब्दी, जन शताब्दी तो दर्शाता है। इन ट्रेन के अगले डिजिट जोन कोड को दर्शाते हैं।
3- ईस्टर्न रेलवे और ईस्ट सेंट्रल रेलवे
4- नॉर्थ रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे
5- नेशनल ईस्टर्न रेलवे, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे
6- साउथर्न रेलवे और साउथर्न वेस्टर्न रेलवे
7- साउथर्न सेंट्रल रेलवे और साउथर्न वेस्टर्न रेलवे
8- साउथर्न ईस्टर्न रेलवे और ईस्ट कोस्टल रेलवे
9- वेस्टर्न रेलवे, नार्थ वेस्टर्न रेलवे और वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे
इसके अलावा जिस ट्रेन का पहला डिजिट 5,6,7 में से एक होता है उनका दूसरा डिजिट जोन को दर्शाता है और बाकी डिजिट उनके डिविजन कोड को दर्शाते हैं।





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केला और दही खाकर करें ब्लडप्रेशर कंट्रोल, ऐसे करें रोगों का बिना दवा इलाज

केला और दही खाकर करें ब्लडप्रेशर कंट्रोल, ऐसे करें रोगों का बिना दवा इलाज
1. दही का सेवन करें - दही का एक छोटा पॉट जमाएं और पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा करके इस पॉट के दही का सेवन करें। यू.एस की एक युनिवर्सिटी के अनुसार ये शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम की मात्रा शरीर को प्रदान करता है। साथ ही, ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है।
2. सप्ताह में एक बार करें ये काम - सप्ताह में एक बार वीकली जॉगिंग पर जाएं। सप्ताह में एक बार जॉगिंग पर जाने से लगभग 6 साल आयु बढ़ती है। कोपनहेगन में की गई एक हार्ट कार्डीवेस्कुलर स्टडी केअनुसार 20000 लोगों पर किए गए एक शोध के अनुसार साप्ताहिक जागिंग पर जाने से बहुत सारे सेहतमंद फायदे होते हैं। शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी से शरीर के ब्लड प्रेशर का स्तर नियंत्रित रहता है।
3. मेथी दाने से भी होता है फायदा - मेथी दाने के चूर्ण को रोज सुबह खाली पेट लेकर हाई ब्लड प्रेशर से बचा जा सकता है। खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाए। ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती। प्याज का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।
4. टमाटर भी होते हैं फायदेमंद - एक चिकित्सा अनुसंधान में बताया गया है कि लाल टमाटरों का उपयोग हाई ब्लड प्रेशर और ख़ून में पाए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होता है।इसीलिए हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को रोजाना खाने के साथ सलाद के रूप में टमाटर जरूर खाना चाहिए। टमाटर में विटामिन सी, थोड़ा सा फैट और खूब सारा आयरन होता है।
5. खसखस का ऐसे करें उपयोग - खसखस का सेवन भी ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। यह उपाय करीब एक महीने तक नियमित करें।
6 नमक का संतुलित सेवन करें - नमक का उपयोग भोजन में सभी को बहुत संतुलित मात्रा में करना चाहिए। दरअसल, हम सिर्फ नमक अपने अनुसार ही भोजन में नहीं डालते बल्कि कुछ नमक प्राकृतिक रूप से कुछ सब्जियों में भी होता है। इसीलिए लो ब्लड प्रेशर व हाई ब्लड प्रेशर दोनों के पेशेन्ट्स को संतुलित मात्रा में नमक का सेवन करना चाहिए।
7. तुलसी का रस लें- रोजाना 21 तुलसी के पत्तो या तुलसी का रस एक या दो चम्मच पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें।इसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं। ठंडे पानी से नहाने के बजाए गुनगुने पानी से नहाए। साथ ही, अधिक नमक व अधिक चीनी का इस्तेमाल हानिकारक है।
8. केला खाना भी होता है लाभदायक - पोटेशियम की अधिकता वाले फल का सेवन ब्लड प्रेशर पेशेंट्स के लिए बहुत अधिक लाभदायक होते हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के एक नए शोध के अनुसार पोटेशियम वह महत्वपूर्ण तत्व है जो लो-ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
9. चुकंदर वरदान है - हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना है तो आपको वैज्ञानिकों की सलाह मानकर रोजाना एक गिलास चुकंदर का जूस पीना चाहिए।रीडिंग यूनिवर्सिटी में एक अध्ययन में पाया गया कि सब्जियों के जूस की एक छोटी सी खुराक ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि सब्जियों का 100 ग्राम जूस भी कम से कम चार घंटे के लिए ब्लड प्रेशर कम कर सकता है।
10 किशमिश को खाएं इस तरीके से - 32 किशमिश लेकर एक चीनी के बाउल में पानी में डालकर रात भर भिगोएं। सुबह उठकर भूखे पेट एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबा कर खाएं,पूरे फायदे के लिए हर किशमिश को बत्तीस बार चबाकर खाएं। इस प्रयोग को नियमित बत्तीस दिन करने से लो ब्लडप्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी




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बालों के असमय सफेद होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे प्रदूषण , हानिकारक कैमिकल्स का प्रयोग करने से भी बालों

बालों के असमय सफेद होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे प्रदूषण , हानिकारक कैमिकल्स का प्रयोग करने से भी बालों को नुक्सान पहुंचता हैं और तनाव के कारण भी बालों सफेद हो जाते हैं । बाल हमारी खूबसूरती को ओर बढ़ाने में मदद करते हैं इसलिए इनकी देखभाल अच्छे ढंग से करनी चाहिए और बालों को असमय सफेद होने से बचाने के लिए इन घरेलु उपायों को अपनाना चाहिए ।

- अदरक का पेस्ट : अदरक का पेस्ट तैयार करके उसमें थोड़ा सा दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बालों में लगाएं और दस मिन्ट के बाद सिर धो लें । सफेद हो रहे बालों को काला करने में मदद करता हैं ।

- प्याज के पेस्ट का करें इस्तेमाल : प्याज का पेस्ट तैयार करें इसको बालों में लगाने से बाल तो काले होंगे और साथ ही बालों की समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती हैं ।

- नारियल तेल या देसी घी : सफेद हो रहे बालों को फिर से काला करने के लिए नारियल तेल में नींबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर बालों पर लगाने के बाद दस मिन्ट तक बालों को धो लें और बालों की मालिश देसी घी से करने से सफेद बाल काले होने शुरु हो जाते हैं ।

- दूध : गाय का कच्चा दूध बालों में लगाने से बाल काले होने शुरु हो जाते हैं । बालों में दूध लगाने के बाद इसे धो लें ।

- नींबू और आंवला : आंवला सफेद बालों को काला करने में मदद करता हैं ,इसलिए आंवले का पेस्ट तैयार करके उसमें नींबू की कुछ बूंदे मिलाकर लगाने से बाल काले होने शुरु हो जाते हैं ।

- हिना और दही : हिना में दही को मिलाकर बालों में लगाने से बालों का रंग बदलने लगता हैं ।


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चमकौर का युद्ध- जहां 10 लाख मुग़ल सैनिकों पर भारी पड़े थे 40 सिक्ख


चमकौर का युद्ध- जहां 10 लाख मुग़ल सैनिकों पर भारी पड़े थे 40 सिक्ख

22 दिसंबर सन्‌ 1704  को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया जो इतिहास में "चमकौर का युद्ध" नाम से प्रसिद्ध है। इस युद्ध में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नेतृत्व में 40 सिक्खों का सामना वजीर खान के नेतृत्व वाले 10 लाख मुग़ल सैनिकों से हुआ था।  वजीर खान किसी भी सूरत में गुरु गोविंद सिंह जी को ज़िंदा या मुर्दा पकड़ना चाहता था क्योंकि औरंगजेब की लाख कोशिशों के बावजूद गुरु गोविंद सिंह मुग़लों की अधीनता स्वीकार नहीं कर रहे थे। लेकिन गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों सहित 40 सिक्खों ने गुरूजी के आशीर्वाद और अपनी वीरता से वजीर खान को अपने मंसूबो में कामयाब नहीं होने दिया और 10 लाख मुग़ल सैनिक भी गुरु गोविंद सिंह जी को नहीं पकड़ पाए। यह युद्ध इतिहास में सिक्खों की वीरता और उनकी अपने धर्म के प्रति आस्था के लिए जाना जाता है । गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन "जफरनामा" में करते हुए लिखा है-  
" चिड़ियों से मै बाज  लडाऊ  गीदड़ों  को  मैं  शेर  बनाऊ.
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ,"

आइए याद करते अपने भारत के गौरवशाली इतिहास को और जानते है "चमकौर युद्ध" के पुरे घटनाक्रम को।



मई सन्‌ 1704  की आनंदपुर की आखिरी लड़ाई में कई मुग़ल शासकों की सयुक्त फौज ने आनंदपुर साहिब को 6 महीने तक घेरे रखा। उनका सोचना था की जब आनंदपुर साहिब में राशन-पानी खत्म हो जाएगा तब गुरु जी स्वयं मुगलों की अधीनता स्वीकार कर लेंगे। पर ये मुग़लों की नासमझी थी, जब आनंदपुर साहिब में राशन-पानी खत्म हुआ तो एक रात  गुरु गोविंद सिंह जी आनंदपुर साहिब में उपस्तिथ अपने सभी साथियों को लेकर वहां से रवाना हो गए।  पर कुछ ही देर बाद मुगलों को पता चल गया की गुरु जी यहां से प्रस्थान कर गए है तो वो उनका पीछा करने लगे।  उधर गुरु गोविंद सिंह जी अपने सभी साथियों के साथ सरसा नदी की और बढे जा रहे थे।

जिस समय सिक्खों का काफिला इस बरसाती नदी के किनारे पहुँचा तो इसमें भयँकर बाढ़ आई हुई थी और पानी जोरों पर था। इस समय सिक्ख भारी कठिनाई में घिर गए। उनके पिछली तरफ शत्रु दल मारो-मार करता आ रहा था और सामने सरसा नदी फुँकारा मार रही थी, निर्णय तुरन्त लेना था। अतः श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी ने कहा कि कुछ सैनिक यहीं शत्रु को युद्ध में उलझा कर रखों और जो सरसा पार करने की क्षमता रखते हैं वे अपने घोड़े सरसा के बहाव के साथ नदी पार करने का प्रयत्न करें।

ऐसा ही किया गया। भाई उदय सिंह तथा जीवन सिंह अपने अपने जत्थे लेकर शत्रु के साथ भिड़ गये। इतने में गुरूदेव जी सरसा नदी पार करने में सफल हो गए। किन्तु सैकड़ों सिक्ख सरसा नदी पार करते हुए मौत का शिकार हो गए क्योंकि पानी का वेग बहुत तीखा था। कई तो पानी के बहाव में बहते हुए कई कोस दूर बह गए। जाड़े ऋतु की वर्षा, नदी का बर्फीला ठँडा पानी, इन बातों ने गुरूदेव जी के सैनिकों के शरीरों को सुन्न कर दिया। इसी कारण शत्रु सेना ने सरसा नदी पार करने का साहस नहीं किया।

सरसा नदी पार करने के पश्चात 40 सिक्ख दो बड़े साहिबजादे अजीत सिंह तथा जुझार सिंह के अतिरिक्त गुरूदेव जी स्वयँ कुल मिलाकर 43 व्यक्तियों की गिनती हुईं। नदी के इस पार भाई उदय सिंह मुगलों के अनेकों हमलों को पछाड़ते रहे ओर वे तब तक वीरता से लड़ते रहे जब तक उनके पास एक भी जीवित सैनिक था और अन्ततः वे युद्ध भूमि में गुरू आज्ञा निभाते और कर्त्तव्य पालन करते हुए वीरगति पा गये।

इस भयँकर उथल-पुथल में गुरूदेव जी का परिवार उनसे बिछुड़ गया। भाई मनी सिंह जी के जत्थे में माता साहिब कौर जी व माता सुन्दरी कौर जी और दो टहल सेवा करने वाली दासियाँ थी। दो सिक्ख भाई जवाहर सिंह तथा धन्ना सिंह जो दिल्ली के निवासी थे, यह लोग सरसा नदी पार कर पाए, यह सब हरिद्वार से होकर दिल्ली पहुँचे। जहाँ भाई जवाहर सिंह इनको अपने घर ले गया। दूसरे जत्थे में माता गुजरी जी छोटे साहबज़ादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह तथा गँगा राम ब्राह्मण ही थे, जो गुरू घर का रसोईया था। इसका गाँव खेहेड़ी यहाँ से लगभग 15 कोस की दूरी पर मौरिंडा कस्बे के निकट था। गँगा राम माता गुजरी जी व साहिबज़ादों को अपने गाँव ले गया।

गुरूदेव जी अपने चालीस सिक्खों के साथ आगे बढ़ते हुए दोपहर तक चमकौर नामक क्षेत्र के बाहर एक बगीचे में पहुँचे। यहाँ के स्थानीय लोगों ने गुरूदेव जी का हार्दिक स्वागत किया और प्रत्येक प्रकार की सहायता की। यहीं एक किलानुमा कच्ची हवेली थी जो सामरिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि इसको एक ऊँचे टीले पर बनाया गया था। जिसके चारों ओर खुला समतल मैदान था। हवेली के स्वामी बुधीचन्द ने गुरूदेव जी से आग्रह किया कि आप इस हवेली में विश्राम करें।

गुरूदेव जी ने आगे जाना उचित नहीं समझा। अतः चालीस सिक्खों को छोटी छोटी टुकड़ियों में बाँट कर उनमें बचा खुचा असला बाँट दिया और सभी सिक्खों को मुकाबले के लिए मोर्चो पर तैनात कर दिया। अब सभी को मालूम था कि मृत्यु निश्चित है परन्तु खालसा सैन्य का सिद्धान्त था कि शत्रु के समक्ष हथियार नहीं डालने केवल वीरगति प्राप्त करनी है।

अतः अपने प्राणों की आहुति देने के लिए सभी सिक्ख तत्पर हो गये। गरूदेव अपने चालीस शिष्यों की ताकत से असँख्य मुगल सेना से लड़ने की योजना बनाने लगे। गुरूदेव जी ने स्वयँ कच्ची गढ़ी (हवेली) के ऊपर अट्टालिका में मोर्चा सम्भाला। अन्य सिक्खों ने भी अपने अपने मोर्चे बनाए और मुगल सेना की राह देखने लगे।

उधर जैसे ही बरसाती नाला सरसा के पानी का बहाव कम हुआ। मुग़ल सेना टिड्डी दल की तरह उसे पार करके गुरूदेव जी का पीछा करती हुई चमकौर के मैदान में पहुँची। देखते ही देखते उसने गुरूदेव जी की कच्ची गढ़ी को घेर लिया। मुग़ल सेनापतियों को गाँव वालों से पता चल गया था कि गुरूदेव जी के पास केवल चालीस ही सैनिक हैं। अतः वे यहाँ गुरूदेव जी को बन्दी बनाने के स्वप्न देखने लगे। सरहिन्द के नवाब वजीर ख़ान ने भोर होते ही मुनादी करवा दी कि यदि गुरूदेव जी अपने आपको साथियों सहित मुग़ल प्रशासन के हवाले करें तो उनकी जान बख्शी जा सकती है। इस मुनादी के उत्तर में गुरूदेव जी ने मुग़ल सेनाओं पर तीरों की बौछार कर दी।

इस समय मुकाबला चालीस सिक्खों का हज़ारों असँख्य (लगभग 10 लाख) की गिनती में मुग़ल सैन्यबल के साथ था। इस पर गुरूदेव जी ने भी तो एक-एक सिक्ख को सवा-सवा लाख के साथ लड़ाने की सौगन्ध खाई हुई थी। अब इस सौगन्ध को भी विश्व के समक्ष क्रियान्वित करके प्रदर्शन करने का शुभ अवसर आ गया था।

22 दिसम्बर सन 1704 को सँसार का अनोखा युद्ध प्रारम्भ हो गया। आकाश में घनघोर बादल थे और धीमी धीमी बूँदाबाँदी हो रही थी। वर्ष का सबसे छोटा दिन होने के कारण सूर्य भी बहुत देर से उदय हुआ था, कड़ाके की शीत लहर चल रही थी किन्तु गर्मजोशी थी तो कच्ची हवेली में आश्रय लिए बैठे गुरूदेव जी के योद्धाओं के हृदय में।

कच्ची गढ़ी पर आक्रमण हुआ। भीतर से तीरों और गोलियों की बौछार हुई। अनेक मुग़ल सैनिक हताहत हुए। दोबारा सशक्त धावे का भी यही हाल हुआ। मुग़ल सेनापतियों को अविश्वास होने लगा था कि कोई चालीस सैनिकों की सहायता से इतना सबल भी बन सकता है। सिक्ख सैनिक लाखों की सेना में घिरे निर्भय भाव से लड़ने-मरने का खेल, खेल रहे थे। उनके पास जब गोला बारूद और बाण समाप्त हो गए किन्तु मुग़ल सैनिकों की गढ़ी के समीप भी जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उन्होंने तलवार और भाले का युद्ध लड़ने के लिए मैदान में निकलना आवश्यक समझा।

सर्वप्रथम भाई हिम्मत सिंह जी को गुरूदेव जी ने आदेश दिया कि वह अपने साथियों सहित पाँच का जत्था लेकर रणक्षेत्र में जाकर शत्रु से जूझे। तभी मुग़ल जरनैल नाहर ख़ान ने सीढ़ी लगाकर गढ़ी पर चढ़ने का प्रयास किया किन्तु गुरूदेव जी ने उसको वहीं बाण से भेद कर चित्त कर दिया। एक और जरनैल ख्वाजा महमूद अली ने जब साथियों को मरते हुए देखा तो वह दीवार की ओट में भाग गया। गुरूदेव जी ने उसकी इस बुजदिली के कारण उसे अपनी रचना में मरदूद करके लिखा है।

सरहिन्द के नवाब ने सेनाओं को एक बार इक्ट्ठे होकर कच्ची गढ़ी पर पूर्ण वेग से आक्रमण करने का आदेश दिया। किन्तु गुरूदेव जी ऊँचे टीले की हवेली में होने के कारण सामरिक दृष्टि से अच्छी स्थिति में थे। अतः उन्होंने यह आक्रमण भी विफल कर दिया और सिँघों के बाणों की वर्षा से सैकड़ों मुग़ल सिपाहियों को सदा की नींद सुला दिया।

सिक्खों के जत्थे ने गढ़ी से बाहर आकर बढ़ रही मुग़ल सेना को करारे हाथ दिखलाये। गढ़ी की ऊपर की अट्टालिका (अटारी) से गुरूदेव जी स्वयँ अपने योद्धाओं की सहायता शत्रुओं पर बाण चलाकर कर रहे थे। घड़ी भर खूब लोहे पर लोहा बजा। सैकड़ों सैनिक मैदान में ढेर हो गए। अन्ततः पाँचों सिक्ख भी शहीद हो गये।

फिर गुरूदेव जी ने पाँच सिक्खों का दूसरा जत्था गढ़ी से बाहर रणक्षेत्र में भेजा। इस जत्थे ने भी आगे बढ़ते हुए शत्रुओं के छक्के छुड़ाए और उनको पीछे धकेल दिया और शत्रुओं का भारी जानी नुक्सान करते हुए स्वयँ भी शहीद हो गए। इस प्रकार गुरूदेव जी ने रणनीति बनाई और पाँच पाँच के जत्थे बारी बारी रणक्षेत्र में भेजने लगे। जब पाँचवा जत्था शहीद हो गया तो दोपहर का समय हो गया था।

सरहिन्द के नवाब वज़ीर ख़ान की हिदायतों का पालन करते हुए जरनैल हदायत ख़ान, इसमाईल खान, फुलाद खान, सुलतान खान, असमाल खान, जहान खान, खलील ख़ान और भूरे ख़ान एक बारगी सेनाओं को लेकर गढ़ी की ओर बढ़े। सब को पता था कि इतना बड़ा हमला रोक पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए अन्दर बाकी बचे सिक्खों ने गुरूदेव जी के सम्मुख प्रार्थना की कि वह साहिबजादों सहित युद्ध क्षेत्र से कहीं ओर निकल जाएँ।

यह सुनकर गुरूदेव जी ने सिक्खों से कहा: ‘तुम कौन से साहिबजादों (बेटों) की बात करते हो, तुम सभी मेरे ही साहबजादे हो’ गुरूदेव जी का यह उत्तर सुनकर सभी सिक्ख आश्चर्य में पड़ गये। गुरूदेव जी के बड़े सुपुत्र अजीत सिंह पिता जी के पास जाकर अपनी युद्धकला के प्रदर्शन की अनुमति माँगने लगे। गुरूदेव जी ने सहर्ष उन्हें आशीष दी और अपना कर्त्तव्य पूर्ण करने को प्रेरित किया।

साहिबजादा अजीत सिंह के मन में कुछ कर गुजरने के वलवले थे, युद्धकला में निपुणता थी। बस फिर क्या था वह अपने चार अन्य सिक्खों को लेकर गढ़ी से बाहर आए और मुगलों की सेना पर ऐसे टूट पड़े जैसे शार्दूल मृग-शावकों पर टूटता है। अजीत सिंघ जिधर बढ़ जाते, उधर सामने पड़ने वाले सैनिक गिरते, कटते या भाग जाते थे। पाँच सिंहों के जत्थे ने सैंकड़ों मुगलों को काल का ग्रास बना दिया।

अजीत सिंह ने अविस्मरणीय वीरता का प्रदर्शन किया, किन्तु एक एक ने यदि हजार हजार भी मारे हों तो सैनिकों के सागर में से चिड़िया की चोंच भर नीर ले जाने से क्या कमी आ सकती थी। साहिबजादा अजीत सिंह को, छोटे भाई साहिबज़ादा जुझार सिंह ने जब शहीद होते देखा तो उसने भी गुरूदेव जी से रणक्षेत्र में जाने की आज्ञा माँगी। गुरूदेव जी ने उसकी पीठ थपथपाई और अपने किशोर पुत्र को रणक्षेत्र में चार अन्य सेवकों के साथ भेजा।

गुरूदेव जी जुझार सिंघ को रणक्षेत्र में जूझते हुए, को देखकर प्रसन्न होने लगे और उसके युद्ध के कौशल देखकर जयकार के ऊँचे स्वर में नारे बुलन्द करने लगे– "जो बोले, सो निहाल, सत् श्री अकाल"। जुझार सिंह शत्रु सेना के बीच घिर गये किन्तु उन्होंने वीरता के जौहर दिखलाते हुए वीरगति पाई। इन दोनों योद्धाओं की आयु क्रमश 18 वर्ष तथा 14 वर्ष की थी। वर्षा अथवा बादलों के कारण साँझ हो गई, वर्ष का सबसे छोटा दिन था, कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी, अन्धेरा होते ही युद्ध रूक गया।

गुरू साहिब ने दोनों साहिबजादों को शहीद होते देखकर अकालपुरूख (ईश्वर) के समक्ष धन्यवाद, शुकराने की प्रार्थना की और कहा:

‘तेरा तुझ को सौंपते, क्या लागे मेरा’।

शत्रु अपने घायल अथवा मृत सैनिकों के शवों को उठाने के चक्रव्यूह में फँस गया, चारों ओर अन्धेरा छा गया। इस समय गुरूदेव जी के पास सात सिक्ख सैनिक बच रहे थे और वह स्वयँ कुल मिलाकर आठ की गिनती पूरी होती थी। मुग़ल सेनाएँ पीछे हटकर आराम करने लगी। उन्हें अभी सन्देह बना हुआ था कि गढ़ी के भीतर पर्याप्त सँख्या में सैनिक मौजूद हैं।

रहिरास के पाठ का समय हो गया था अतः सभी सिक्खों ने गुरूदेव जी के साथ मिलकर पाठ किया तत्पश्चात् गुरूदेव जी ने सिक्खों को चढ़दीकला में रहकर जूझते हुए शहीद होने के लिए प्रोत्साहित किया। सभी ने शीश झुकाकर आदेश का पालन करते हुए प्राणों की आहुति देने की शपथ ली किन्तु उन्होंने गुरूदेव जी के चरणों में प्रार्थना की कि यदि आप समय की नज़ाकत को मद्देनज़र रखते हुए यह कच्ची गढ़ीनुमा हवेली त्यागकर आप कहीं और चले जाएँ तो हम बाजी जीत सकते हैं क्योंकि हम मर गए तो कुछ नहीं बिगड़ेगा परन्तु आपकी शहीदी के बाद पँथ का क्या होगा ?

इस प्रकार तो श्री गुरू नानक देव जी का लक्ष्य सम्पूर्ण नहीं हो पायेगा। यदि आप जीवित रहे तो हमारे जैसे हज़ारों लाखों की गिनती में सिक्ख आपकी शरण में एकत्र होकर फिर से आपके नेतृत्त्व में सँघर्ष प्रारम्भ कर देंगे।

गुरूदेव जी तो दूसरों को उपदेश देते थे: जब आव की आउध निदान बनै, अति ही रण में तब जूझ मरौ। फिर भला युद्ध से वह स्वयँ कैसे मुँह मोड़ सकते थे ? गुरूदेव जी ने सिंघों को उत्तर दिया– मेरा जीवन मेरे प्यारे सिक्खों के जीवन से मूल्यवान नहीं, यह कैसे सम्भव हो सकता है कि मैं तुम्हें रणभूमि में छोड़कर अकेला निकल जाऊँ। मैं रणक्षेत्र को पीठ नहीं दिखा सकता, अब तो वह स्वयँ दिन चढ़ते ही सबसे पहले अपना जत्था लेकर युद्धभूमि में उतरेंगे। गुरूदेव जी के इस निर्णय से सिक्ख बहुत चिन्तित हुए। वे चाहते थे कि गुरूदेव जी किसी भी विधि से यहाँ से बचकर निकल जाएँ ताकि लोगों को भारी सँख्या में सिंघ सजाकर पुनः सँगठित होकर, मुगलों के साथ दो दो हाथ करें।

सिक्ख भी यह मन बनाए बैठे थे कि सतगुरू जी को किसी भी दशा में शहीद नहीं होने देना। वे जानते थे कि गुरूदेव जी द्वारा दी गई शहादत इस समय पँथ के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होगी। अतः भाई दया सिंह जी ने एक युक्ति सोची और अपना अन्तिम हथियार आजमाया। उन्होंने इस युक्ति के अन्तर्गत सभी सिंहों को विश्वास में लिया और उनको साथ लेकर पुनः गुरूदेव जी के पास आये।

और कहने लगे: गुरू जी, अब गुरू खालसा, पाँच प्यारे, परमेश्वर रूप होकर, आपको आदेश देते हैं कि यह कच्ची गढ़ी आप तुरन्त त्याग दें और कहीं सुरक्षित स्थान पर चले जाएं क्योंकि इसी नीति में पँथ खालसे का भला है।

गुरूदेव जी ने पाँच प्यारों का आदेश सुनते ही शीश झुका दिया और कहा: मैं अब कोई प्रतिरोध नहीं कर सकता क्योंकि मुझे अपने गुरू की आज्ञा का पालन करना ही है।

गुरूदेव जी ने कच्ची गढ़ी त्यागने की योजना बनाई। दो जवानों को साथ चलने को कहा। शेष पाँचों को अलग अलग मोर्चो पर नियुक्त कर दिया। भाई जीवन सिंघ, जिसका डील-डौल, कद-बुत तथा रूपरेखा गुरूदेव जी के साथ मिलती थी, उसे अपना मुकुट, ताज पहनाकर अपने स्थान अट्टालिका पर बैठा दिया कि शत्रु भ्रम में पड़ा रहे कि गुरू गोबिन्द सिंघ स्वयँ हवेली में हैं, किन्तु उन्होंने निर्णय लिया कि यहाँ से प्रस्थान करते समय हम शत्रुओं को ललकारेगें क्योंकि चुपचाप, शान्त निकल जाना कायरता और कमजोरी का चिन्ह माना जाएगा और उन्होंने ऐसा ही किया।

देर रात गुरूदेव जी अपने दोनों साथियों दया सिंह तथा मानसिंह सहित गढ़ी से बाहर निकले, निकलने से पहले उनको समझा दिया कि हमे मालवा क्षेत्र की ओर जाना है और कुछ विशेष तारों की सीध में चलना है। जिससे बिछुड़ने पर फिर से मिल सकें। इस समय बूँदाबाँदी थम चुकी थी और आकाश में कहीं कहीं बादल छाये थे किन्तु बिजली बार बार चमक रही थी। कुछ दूरी पर अभी पहुँचे ही थे कि बिजली बहुत तेजी से चमकी।

दया सिंघ की दृष्टि रास्ते में बिखरे शवों पर पड़ी तो साहिबज़ादा अजीत सिंह का शव दिखाई दिया, उसने गुरूदेव जी से अनुरोध किया कि यदि आप आज्ञा दें तो मैं अजीत सिंह के पार्थिव शरीर पर अपनी चादर डाल दूँ। उस समय गुरूदेव जी ने दया सिंह से प्रश्न किया आप ऐसा क्यों करना चाहते हैं। दयासिंघ ने उत्तर दिया कि गुरूदेव, पिता जी आप के लाड़ले बेटे अजीत सिंह का यह शव है।

गुरूदेव जी ने फिर पूछा क्या वे मेरे पुत्र नहीं जिन्होंने मेरे एक सँकेत पर अपने प्राणों की आहुति दी है ? दया सिंह को इसका उत्तर हाँ में देना पड़ा। इस पर गुरूदेव जी ने कहा यदि तुम सभी सिंहों के शवों पर एक एक चादर डाल सकते हो, तो ठीक है, इसके शव पर भी डाल दो। भाई दया सिंह जी गुरूदेव जी के त्याग और बलिदान को समझ गये और तुरन्त आगे बढ़ गये।

योजना अनुसार गुरूदेव जी और सिक्ख अलग-अलग दिशा में कुछ दूरी पर चले गये और वहाँ से ऊँचे स्वर में आवाजें लगाई गई, पीर–ऐ–हिन्द जा रहा है किसी की हिम्मत है तो पकड़ ले और साथ ही मशालचियों को तीर मारे जिससे उनकी मशालें नीचे कीचड़ में गिर कर बुझ गई और अंधेरा घना हो गया। पुरस्कार के लालच में शत्रु सेना आवाज की सीध में भागी और आपस में भिड़ गई। समय का लाभ उठाकर गुरूदेव जी और दोनों सिंह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगे और यह नीति पूर्णतः सफल रही। इस प्रकार शत्रु सेना आपस में टकरा-टकराकर कट मरी।

अगली सुबह प्रकाश होने पर शत्रु सेना को भारी निराशा हुई क्योंकि हजारों असँख्य शवों में केवल पैंतीस शव सिक्खों के थे। उसमें भी उनको गुरू गोबिन्द सिंह कहीं दिखाई नहीं दिये। क्रोधतुर होकर शत्रु सेना ने गढ़ी पर पुनः आक्रमण कर दिया। असँख्य शत्रु सैनिकों के साथ जूझते हुए अन्दर के पाँचों सिक्ख वीरगति पा गए।

भाई जीवन सिंह जी भी शहीद हो गये जिन्होंने शत्रु को झाँसा देने के लिए गुरूदेव जी की वेशभूषा धारण की हुई थी। शव को देखकर मुग़ल सेनापति बहुत प्रसन्न हुए कि अन्त में गुरू मार ही लिया गया। परन्तु जल्दी ही उनको मालूम हो गया कि यह शव किसी अन्य व्यक्ति का है और गुरू तो सुरक्षित निकल गए हैं।

मुग़ल सत्ताधरियों को यह एक करारी चपत थी कि कश्मीर, लाहौर, दिल्ली और सरहिन्द की समस्त मुग़ल शक्ति सात महीने आनन्दपुर का घेरा डालने के बावजूद भी न तो गुरू गोबिन्द सिंह जी को पकड़ सकी और न ही सिक्खों से अपनी अधीनता स्वीकार करवा सकी। सरकारी खजाने के लाखों रूपय व्यय हो गये। हज़ारों की सँख्या में फौजी मारे गए पर मुग़ल अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त न कर सके।

यह गर्दन कट तो सकती है मगर झुक नहीं सकती।
कभी चमकौर बोलेगा कभी सरहिन्द की दीवार बोलेगी।।  "सरदार पँछी"



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