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Sunday, March 31, 2024

  SARKARI NAUKRI DAMAD / सरकारी नौकरी / सरकारी दामाद क्या है ?


भारत में सरकारी नौकरी करने वाले को सरकारी दामाद कहते हैं। क्या वजह है आखिर इसकी ? 
क्यों सरकारी नौकरी को हमारे देश में इतनी तरज़ीह दी जाती है 
Why Government jobs in India preferred by people. What are importance and benefits.

भारत में सरकारी नौकरी का महत्व उच्च होने का कारण पहले तो जॉब सिक्योरिटी है। सरकारी सेवाओं की अन्य विशेषताएं भी हैं, और एक मुख्य कारण यह भी है कि सरकारी नौकरी करने वालों को दहेज मिलता है।

भारत में 2017 में बनी फिल्म 'न्यूटन' में समझाया गया है कि सरकारी नौकरी ( Sarkari Damad) करने वाले को उच्च सम्मान मिलता है, जो उनके शादीशुदा जीवन को सुगम बनाता है।

छोटे शहर से आने वाले न्यूटन जैसे लाखों भारतीय हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए बेकरार हैं। भारत में सरकारी नौकरी का मतलब है, आमदनी की गारंटी, सिर पर छत और मुफ्त में मेडिकल सुविधाएं। इसके अलावा सरकारी नौकरी करने वाले और उसके परिजनों को घूमने या कहीं आने-जाने के लिए पास भी मिलता है।

रेलवे भर्ती बोर्ड के अमिताभ खरे कहते हैं, 'भारत का समाज सामंतवादी रहा है। जहां पर सरकारी नौकरी करने वाले को समाज में बड़े सम्मान से देखा जाता था। वो मानसिकता आज भी कायम है'।

आईएएस और दूसरी सिविल सर्विसेज़ को तो और भी ऊंचा दर्जा हासिल है। यूपी और बिहार जैसे राज्यों से हर साल बड़ी तादाद में युवा सिविल सर्विसेज में कामयाबी हासिल करते हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि हर साल करीब 15 हजार रेलवे कर्मचारी अपने शहर में वापस ट्रांसफर किए जाने की अर्जी देते हैं। इनमें से ज्यादातर अर्जियां यूपी और बिहार से आती हैं।

सरकारी दामाद पर कविता 

दामाद सभी को सरकारी चाहिए -

जिसमें हानि नहीं मुनाफा हो बस , 
एक ऐसी बीमारी चाहिए l
शिक्षा उपचार तो सभी को प्राइवेट वाला चाहिए , 
बस दामाद ही सभी को सरकारी चाहिए ll


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Saturday, March 30, 2024

टेक्नोलोजी वर्सस प्रकृति :


टेक्नोलोजी वर्सस प्रकृति :

 

1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।
2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।
3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।
4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना ।
5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।
6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।
7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।
8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....
9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना।

इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।



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Friday, March 29, 2024

हार्ट अटैक को कैसे काबू में रखें

हार्ट अटैक को कैसे काबू में रखें 


महत्वपूर्ण समाचार
SHARE करे और सबको भेजे
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ये याद रखिये की भारत मैं सबसे ज्यादा मौते कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट अटैक से होती हैं।
आप खुद अपने ही घर मैं ऐसे बहुत से लोगो को जानते होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे।
अमेरिका की कईं बड़ी बड़ी कंपनिया भारत मैं दिल के रोगियों (heart patients) को अरबों की दवाई बेच रही हैं !
लेकिन अगर आपको कोई तकलीफ हुई तो डॉक्टर कहेगा angioplasty (एन्जीओप्लास्टी) करवाओ।
इस ऑपरेशन मे डॉक्टर दिल की नली में एक spring डालते हैं जिसे stent कहते हैं।
यह stent अमेरिका में बनता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डॉलर (रू.150-180) है।
इसी stent को भारत मे लाकर 3-5 लाख रूपए मे बेचा जाता है व आपको लूटा जाता है।
डॉक्टरों को लाखों रूपए का commission मिलता है इसलिए व आपसे बार बार कहता है कि angioplasty करवाओ।
Cholestrol, BP ya heart attack आने की मुख्य वजह है, Angioplasty ऑपरेशन।
यह कभी किसी का सफल नहीं होता।
क्यूँकी डॉक्टर, जो spring दिल की नली मे डालता है वह बिलकुल pen की spring की तरह होती है।
कुछ ही महीनो में उस spring की दोनों साइडों पर आगे व पीछे blockage (cholestrol व fat) जमा होना शुरू हो जाता है।
इसके बाद फिर आता है दूसरा heart attack ( हार्ट अटैक )
डॉक्टर कहता हें फिर से angioplasty करवाओ।
आपके लाखो रूपए लुटता है और आपकी जिंदगी इसी में निकल जाती हैं।
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               अब पढ़िए
       उसका आयुर्वेदिक इलाज
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अदरक (ginger juice) -
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यह खून को पतला करता है।
यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।
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लहसुन (garlic juice)
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इसमें मौजूद allicin तत्व cholesterol व BP को कम करता है।
वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।
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नींबू (lemon juice)
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इसमें मौजूद antioxidants, vitamin C व potassium खून को साफ़ करते हैं।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाते हैं।
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एप्पल साइडर सिरका ( apple cider vinegar)
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इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।
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         इन देशी दवाओं को
       इस तरह उपयोग में लेवें
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1-एक कप नींबू का रस लें;
2-एक कप अदरक का रस लें;  
3-एक कप लहसुन का रस लें;
4-एक कप एप्पल का सिरका लें;
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चारों को मिला कर धीमीं आंच पर गरम करें जब 3 कप रह जाए तो उसे ठण्डा कर लें;
अब आप
उसमें 3 कप शहद मिला लें
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रोज इस दवा के 3 चम्मच सुबह खाली पेट लें जिससे
सारी ब्लॉकेज खत्म हो जाएंगी।
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आप सभी से हाथ जोड़ कर विनती है कि इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें ताकि सभी इस दवा से अपना इलाज कर  सकें ; धन्यवाद् !
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जरा सोचिये की शाम के
7:25 बजे है और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले।
ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके
जबड़ो तक पहुँच जाता है।
आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर है और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ आ रहा की आप वहांतक पहुँच पाएंगे की नहीं।
आप सीपीआर में प्रशिक्षित है मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया की इसको खुद पर प्रयोग कैसे करे।
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     ऐसे में दिल के दौरे से बचने
            के लिए ये उपाय
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चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते है बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ
होती है । वे बेहोश होने लगते है और उनके पास सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है ।
ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है। एक जोर की सांस
लेनी चाहिए हर खांसी से पहले
और खांसी इतनी तेज हो की
छाती से थूक निकले।
जब तक मदद न आये ये
प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई
जाए ताकि धड्कण सामान्य
हो जाए ।
जोर की साँसे फेफड़ो में
ऑक्सीजन पैदा करती है
और जोर की खांसी की वजह
से दिल सिकुड़ता है जिस से
रक्त सञ्चालन नियमित रूप से
चलता है ।


जनहित में प्रसारित करें
 😊



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जामुन की लकड़ी चमत्कारी ओषधि

जामुन की लकड़ी चमत्कारी ओषधि 


जरूरी सूचना।,,,,,,,, हर व्यक्ति अपने घर की  पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ मात्र आपको जामुन की लकड़ी को घर लाना है अच्छी तरह साफ सफाई कर कर पानी की टंकी में डाल देना है इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई की जरूरत नहीं पड़ेगी।,,,,,,,,,,,,,,


*नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है* -.                           क्या आप जानते हैं भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है। सवाल यह है कि जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनाने वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है।               *नदियों का पानी पीने योग्य कैसे बना रहता है* -.                           बहुत कम लोग जानते हैं कि जामुन की लकड़ी एक चमत्कारी लकड़ी है। यह पानी के अंदर रहते हुए सड़कर खराब नहीं होती बल्कि इसमें एक चमत्कारी गुण होता है। यदि इसे पानी में डूबा दिया जाए तो यह पानी का शुद्धिकरण करती है और पानी में कचरा जमा होने से रोकती है। कितना आश्चर्यजनक है कि हम जिन पूर्वजों को अनपढ़ मानते हैं उन्होंने नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और नाव को मजबूत बनाए रखने का कितना असरकारी समाधान निकाला।

*बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई* -.        जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। *देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख श्री केएन श्रीवास्तव ने बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।*

                *आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग* -.                  यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।

*कृपया हमेशा याद रखिए कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बने गिलास में पानी पीते हैं।*




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हार्ट अटैक का आयुर्वेद इलाज

हार्ट अटैक का आयुर्वेद इलाज



*हमारे  देश  भारत  में  3000 साल  पहले  एक  बहुत  बड़े ऋषि  हुये  थे.*
*उनका  नाम  था* *महाऋषि वागवट  जी !!*

*उन्होंने   एक   पुस्तक   लिखी थी*
*जिसका  नाम  है* *अष्टांग* *हृदयम!!*
*(Astang   hrudayam)*

*और  इस  पुस्तक  में  उन्होंने* *बीमारियों  को  ठीक  करने  के* *लिए* *7000* *सूत्र  लिखें   थे !*
*यह  उनमें  से  ही  एक  सूत्र है !!*

*वागवट  जी  लिखते  हैं  कि कभी  भी  हृदय  को  घात  हो रहा  है !* *मतलब  दिल  की  नलियों  मे blockage  होना  शुरू  हो  रहा   है !*

*तो  इसका  मतलब  है  कि रक्त  (blood)  में , acidity (अम्लता )  बढ़ी  हुई  है !*
*अम्लता  आप  समझते  हैं !*
*जिसको  अँग्रेजी  में  कहते  हैं acidity !!*
*अम्लता  दो  तरह  की  होती है !*

👉*एक  होती  है   पेट  की अम्लता !*

👉*और  एक  होती  है  रक्त (blood)  की  अम्लता !!*

*आपके  पेट  में  अम्लता  जब बढ़ती  है !* *तो  आप  कहेंगे*
✔️*पेट  में जलन सी  हो  रही  है !!*
✔️*खट्टी  खट्टी  डकार  आ रही  हैं !*
✔️*मुंह  से  पानी  निकल  रहा  है !*
*और  अगर  ये  अम्लता (acidity) और  बढ़  जाये !*
*तो  hyperacidity  होगी !*
*और  यही  पेट  की  अम्लता बढ़ते-बढ़ते  जब  रक्त  में  आती  है  तो  रक्त  अम्लता (blood  acidity)  होती है !!*
*और  जब  blood  में  acidity बढ़ती  है  तो  ये  अम्लीय  रक्त (blood)  दिल  की  नलियों  में से  निकल  नहीं  पाती !* *और  नलियों  में  blockage कर  देता  है !*
*तभी  heart  attack  होता है !!  इसके  बिना heart attack  नहीं  होता !!*
*और  ये  आयुर्वेद  का  सबसे बढ़ा  सच  है  जिसको  कोई डाक्टर  आपको  बताता  नहीं !*
*क्योंकि  इसका  इलाज  सबसे सरल  है !!*

*इलाज  क्या  है ??*

*वागवट  जी  लिखते  हैं  कि जब  रक्त  (blood)  में  अम्लता  (acidity)  बढ़  गई है !* *तो  आप  ऐसी  चीजों  का उपयोग  करो  जो  क्षारीय  हैं !*
*आप  जानते  हैं  दो  तरह  की चीजें  होती  हैं !*

*अम्लीय  और  क्षारीय !!*
*acidic  and  alkaline*

*अब  अम्ल  और  क्षार  को मिला  दो  तो  क्या  होता है ! ?????*

*acid  and  alkaline  को मिला  दो  तो  क्या  होता है   ?????*

‼️*neutral*‼️
*होता  है  सब  जानते  हैं !!*

*तो  वागवट  जी  लिखते  हैं !* *कि  रक्त  की  अम्लता  बढ़ी हुई  है  तो  क्षारीय (alkaline) चीजें  खाओ !*
*तो  रक्त  की  अम्लता (acidity)  neutral  हो जाएगी  !!!*

*और  रक्त  में  अम्लता neutral  हो  गई !*
*तो  heart  attack  की जिंदगी  मे  कभी  संभावना  ही नहीं !!*

*ये  है  सारी  कहानी !!*

*अब  आप  पूछेंगे कि  ऐसी कौन  सी  चीजें  हैं  जो  क्षारीय हैं  और  हम  खायें  ?????*

*आपके  रसोई  घर  में  ऐसी बहुत  सी  चीजें  है  जो  क्षारीय हैं !* *जिन्हें  आप  खायें  तो  कभी heart attack  न  आए !*

*और  अगर  आ  गया  है !*
*तो  दुबारा  न  आए !!*

*यह हम सब जानते हैं कि सबसे  ज्यादा  क्षारीय चीज क्या हैं और सब घर मे आसानी से उपलब्ध रहती हैं, तो वह  है लौकी !!*
*जिसे  दुधी  भी  कहते  हैं !!*
*English  में  इसे  कहते  हैं bottle  gourd  !!!*
*जिसे  आप  सब्जी  के  रूप  में खाते  हैं !* *इससे  ज्यादा  कोई  क्षारीय चीज  ही  नहीं  है !*

*तो  आप  रोज  लौकी  का  रस निकाल-निकाल  कर  पियो !!* *या  कच्ची  लौकी  खायो !!*

*वागवट  जी  कहते  हैं  रक्त की  अम्लता  कम  करने  की सबसे  ज्यादा  ताकत  लौकी  में ही  है ! * *तो  आप  लौकी  के  रस  का सेवन  करें !!*

🔴 *कितना   सेवन करें   ?????????*🔴

*रोज  200  से  300  मिलीग्राम   पियो !!*

*कब   पिये ??*

*सुबह  खाली  पेट (toilet जाने के बाद ) पी  सकते  हैं !!* *या  नाश्ते  के  आधे  घंटे  के बाद  पी  सकते  हैं !!*
*इस  लौकी  के  रस  को  आप और  ज्यादा  क्षारीय  बना सकते  हैं !*
*इसमें 7 से 10 पत्ते तुलसी के डाल लो* *तुलसी  बहुत  क्षारीय  है !!* *इसके  साथ  आप  पुदीने  के  7  से 10  पत्ते  मिला  सकते  हैं !* *पुदीना  भी बहुत  क्षारीय  है !* *इसके  साथ  आप  काला नमक  या  सेंधा  नमक  जरूर डाले !*
*ये भी बहुत क्षारीय है !!*

*लेकिन  याद  रखें*
*नमक काला या सेंधा ही डाले !* *वो  दूसरा  आयोडीन  युक्त नमक  कभी  न  डाले !!* *ये  आओडीन  युक्त  नमक अम्लीय  है !!!!*

*तो  मित्रों  आप  इस  लौकी  के जूस  का  सेवन  जरूर  करें !!*

*2  से  3  महीने  की  अवधि में आपकी  सारी  heart  की blockage  को  ठीक  कर देगा !!*

*21  वें  दिन  ही  आपको  बहुत ज्यादा  असर  दिखना  शुरू  हो जाएगा  !!!*

*कोई  आपरेशन  की  आपको जरूरत  नहीं  पड़ेगी !!*

*घर  में  ही  हमारे  भारत  के आयुर्वेद  से  इसका  इलाज  हो जाएगा !!*

*और  आपका  अनमोल  शरीर और  लाखों  रुपए  आपरेशन के  बच  जाएँगे !!*
*आपने  पूरी  पोस्ट  पढ़ी , आपका   बहुत   बहुत धन्यवाद !!*
*यदि  आपको  ठीक  लगता  है  तो आप  ये  जानकारी  अन्य सभी  जनों  तक  पहुचाएँ.*
 🙏🙏🙏🏻🙏🙏


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Monday, March 25, 2024

Ayurvedik Health Benefits : जाने त्रिफला क्या है? और उसके प्रयोग

Ayurvedik Health Benefits : जाने त्रिफला क्या है? और उसके प्रयोग

त्रिफला का अर्थ है तीन फल का मिश्रण। हरड़, बहेड़ा और आंवला ये तीन फल के मिश्रण को त्रिफला कहते हैं। जब ये तीन फल मिल कर जब त्रिफला बनता है इस को आयुर्वेद में एक रसायन के रूप में माना जाता है। यदि त्रिफला का सेवन विधि पूर्वक तथा प्रतिदिन किया जाये तो अचूक से अचूक रोगों से लड़ने की क्षमता आती है तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता की भी भड़ोत्री होती है।

» मधुमेह (Diabetes) में उपयोगी - त्रिफला चूर्ण पॅनक्रियास (pancreas) को प्रभावित कर इन्सुलिन (insulin) के स्तर को बढ़ाता है तथा रक्त (blood) मे शुगर (insulin) की मात्रा को संतुलित रखता है।
» त्रिफला कफ, पित्त, नेत्रों के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक , अग्नि प्रदीप्त करने वाला, रुचिवर्धक और ज्वार नासक होता है।
» 2 से 4 ग्राम त्रिफला चूर्ण 120 मिली लौह भस्म में मिलकर सुबह और शाम सेवन करने से बाल झड़ने बंद हो जाते हे।
» 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात्रि को ठन्डे पानी में भिगोकर प्रातः उस जल से नेत्र को धोने से नेत्र के रोग मिट जाते हैं।
» रात्रि में सोते समय एक चम्मच त्रफला चूर्ण का सेवन गुनगुने जल के साथ करने से कब्ज मिट जाती है।
त्रफला का क्वाथ बनाकर 20 मिली मात्रा में पानी से विषम ज्वार का शमन होता है।
» 1 चम्मच त्रफला चूर्ण को रात्रि में 200 मिली पानी में भिगोकर रखें। प्रातः गर्म करें आधा शेष रहने पर छान लें, इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। कुछ ही दिन के सेवन से कई किलो वजन कम हो जाता है




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Ayurvedik Health Benefits : 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए

Ayurvedik Health Benefits : 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए


1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।
6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।
8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।
11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।
16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।
27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।
29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।
33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*
63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*
65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*
75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*
91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।
98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।

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🙏  🙏




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Ayurvedik Health Benefits : आयुर्वेदिक महत्वपूर्ण जानकारी यदि ना पचे तो करें उपाय

Ayurvedik Health Benefits : आयुर्वेदिक महत्वपूर्ण जानकारी यदि ना पचे तो करें उपाय

*रट लो👏 रट लो👏* 👌👌👌👌👌

*यदि ना पचे तो करें उपाय*
*-----------------------------------*

*👉🏻दूध ना पचे तो ~ सोंफ* ,
*👉🏻दही ना पचे तो ~ सोंठ*,
*👉🏻छाछ ना पचे तो ~जीरा व काली मिर्च*
*👉🏻अरबी व मूली ना पचे तो ~ अजवायन*
*👉🏻कड़ी ना पचे तो ~ कड़ी पत्ता,*
*👉🏻तैल, घी, ना पचे तो ~  कलौंजी...*
*👉🏻पनीर ना पचे तो ~ भुना जीरा,*
*👉🏻भोजन ना पचे तो ~ गर्म जल*
*👉🏻केला ना पचे तो  ~ इलायची*             
*👉🏻ख़रबूज़ा ना पचे तो ~ मिश्री का उपयोग करें...*
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।
6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।
8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।
11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।
16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।
27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।
29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।
33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*
63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*
65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*
75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*
91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।
98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके




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पेट की गर्मी की ऐसे करें पहचान ?


पेट की गर्मी की ऐसे करें पहचान?
Symptoms:
हमारे पेट में गर्मी हो रही है, इस बात पता ऐसे लगाएं

छाती या सीने में जलन होना

सांस लेने में तकलीफ होना

मुंह में खट्टा पानी और खट्टी डकारें आना

घबराहट और उल्टी जैसा महसूस होना

पेट में  जलन और दर्द होना
गले में जलन होना
पेट का फूल जाना (पेट में अफ़ारा होना)
कब्ज होना
सिर दर्द होना
पेट में गैस का बनना

 पेट को ठंडा रखने के लिए क्या खाएं?
पेट को ठंडा रखने के लिए हमें सबसे पहले अपने खान-पान के तरीकों में बदलाव लाना होगा. पेट को ठंडा रखने के लिए करें ये उपाय:

1. केला खाएं:
पेट की गर्मी को शांत करके उसे ठंडा रखने में केला बहुत मदद करता है. केले के पोटेशियम की मात्रा पेट में बनने वाले एसिड को नियंत्रित करती है और केले का पी एच तत्व  एसिड को कम करता है. साथ ही केला, पेट में एक चिकनी पर्त बना देता है जिससे एसिडिटी में कमी आती है. केले का फाइबर पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है.

 2. तुलसी के पत्तों का सेवन:
तुलसी के पत्तों का सेवन करने से पेट में पानी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे पेट के अतिरिक्त ऐसिड में कमी आती है. इसे खाने से मिर्च-मसाले वाला खाना भी सरलता से पच जाता है. रोज खाने के बाद पाँच-छह तुलसी के पत्ते खाने से एसिडिटी नहीं होती है.

 3. ठंडा दूध पियें:
दूध का कैल्शियम, पेट के एसिड को एब्जॉर्ब करके उसे बहुत आसानी से ख़त्म कर देता है. रोज सुबह एक कप ठंडा दूध पेट को ठंडा रखने का रामबाण इलाज है.

 4. सौंफ खाएं:
खाना खाने के बाद सौंफ का सेवन इसलिए अच्छा माना जाता है क्योंकि सौंफ की तासीर ठंडी होती है जो पेट की जलन और गरमी को शांत करती है. इसलिए अगर एसिडिटी की शिकायत ज्यादा हो तो सौंफ को पानी में उबालकर उसका सेवन करें.

 5. इलायची खाएं:
इलायची का स्वाद मीठा और तासीर ठंडी होती है, इस कारण यह पेट के अतिरिक्त एसिड को कम करके उसे ठंडा रखने में सहायक है.

6.  ज़ीरा खाएं:
आयुर्वेद में ज़ीरे को पेट के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इसकी सहायता से पेट में लार बनती है जिससे खाना पचने में मदद मिलती है और एसिड न बनने के कारण पेट भी ठंडा रहता है.

 7. पुदीने के पत्ते खाएं:
8. पुदीने के पत्ते मुखवास के साथ ही पेट के एसिड को कम करके पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं. इसलिए पुदीने के पत्ते ऐसे ही खा लें या फिर पानी में उबाल कर लें.

 8. सूखी अदरक खाएं:
अदरक, पाचन तंत्र को ठीक रखने के साथ शरीर को प्रोटीन भी देता है. इसके नियमित सेवन से अल्सर की गांठ नहीं होती और एसिड भी नहीं बनता है. पेट को ठंडा रखने के लिए सूखी  अदरक उत्तम खाद्य पदार्थ है.

 9. लौंग का सेवन:
लौंग के जूस से स्लाइवा बनता है जिससे खाना पचने में आसानी होती है और एसिडिटी भी नहीं होती है. खाना ठीक से पचने से पेट में आराम रहता है.

 10. आंवला का करें सेवन;
विटामिन सी का उत्तम सोर्स होने के कारण आंवला पेट की परेशानियों में भी लाभकारी है. नियमित रूप से आंवला लेने से पेट में गर्मी नहीं होती है और पेट ठंडा रहता है.

    *पेट को ठंडा रखने के चुनिन्दा घरेलू नुस्खे इस प्रकार हैं*

• मुलेठी का चूर्ण पेट की गर्मी को मारता है.

• त्रिफला का चूर्ण दूध के साथ पीने से पेट की जलन शांत होती है.

• दूध में मुनक्का डालकर पीने से पेट ठंडा रहता है.

• सौंफ, गुलाब और आंवला का चूर्ण, पेट की हर समस्या का रामबाण उपाय है.

• सुबह खाली पेट एक गिलास निवाया पानी में निम्बू और काला नमक डाल के पीना.  पेट साफ होगा.
• 3 लीटर पानी रोज़ पीना. उसमे से एक लीटर सुबह खाली पेट पी लेना.  
• खाने के साथ पानी नहीं पीना.  खाने के एक घंटे बाद पानी पीना.

• चाय और कॉफ़ी नहीं पीना.

इन उपायों को अपनाने से पेट को ठंडा रखा जा सकता है



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Ayurvedik Health Benefits बथुआ साग नहीं, एक औषधि है

Ayurvedik Health Benefits बथुआ साग नहीं, एक औषधि है

सागों का सरदार है बथुआ,
सबसे अच्छा आहार है बथुआ।
 बथुआ को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते हैं।

*इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।*

साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए पलस्तर में बथुआ मिलाते थे?

हमारी बुजुर्ग महिलायें सिर से ढेरे व फाँस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल धोया करती थीं।

बथुआ गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो हमारा भारत महान है।

*बथुए में क्या-क्या है ? मतलब कौन-कौन से विटामिन और मिनरल्स हैं ?*

तो सुनें,बथुए में क्या है।
बथुआ विटामिन *B1, B2, B3, B5, B6, B9 और C* से भरपूर है तथा बथुए में *कैल्शियम,लोहा,मैग्नीशियम,मैगनीज,फास्फोरस,पोटाशियम,सोडियम व जिंक* आदि मिनरल्स हैं।

100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43 Kcal होती है।

*जब बथुआ मट्ठा, लस्सी या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है। साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो तो इसे खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।*

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डाक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली खाने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जाती है। बथुए में ये सब कुछ है।
कहने का तात्पर्य है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है !

बथुआ का साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ अमाशय को बलवान बनाता है,गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।

बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है,यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाए।  बथुए का उबला हुआ पानी अच्छा लगता है। तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है।

*किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें।*
बथुए में जिंक होता है जो कि शुक्रवर्धक होता है। बथुआ कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी। कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुये का साग मिलता रहे नित्य इसकी सब्जी खाए।*

बथुये का रस,उबाला हुआ पानी पियें तो यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है। पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिए तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें,आधा रहने पर छानकर पी जाए, तुरंत लाभ होगा। आँखों में सूजन,लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ। पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास,दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकाल कर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू , जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक डाल लें और पी जाए।

आप ने अपने दादा-दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुआ ही है।
 मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुआ काम आता है।
 हाँ अगर सिर के बाल धोते हैं,क्या करेंगे शेम्पू
इसके आगे......
लेकिन अफसोस !

*हम ये बातें भूलते जा रहे हैं और इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने-अपने खेतों में रासायनिक जहर डालते हैं। तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों (अंग्रेज व काले अंग्रेज) ने बथुए को भी कोंधरा, चौलाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को खरपतवार की श्रेणी में डाल दिया है और हम भारतीय चूँ भी न कर पाये।*
🙏



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खरबूजे से बीज निकालने की आसान विधि

खरबूजे से बीज निकालने की आसान विधि

* खरबूजे से निकाले गए बीज को सबसे पहले अच्छी तरह से पानी से धो कर साफ़ कर लीजिए
* अगर आप छननी में रख कर धोएंगे तो बीज जल्दी और अच्छी तरह से साफ हो जाएंगे,
* धोने के बाद इन्हें कपड़े से पोंछ लें ताकि जो अतिरिक्त पानी है बीज से निकल जाए, और फिर इन्हे धूप में सुखाए, जब बीजों से नमी पूरी तरह चली न कौर इन्हे धूप में सुखा लीजिए,
* अब इन बीज को आप मिक्सर जार में डाले और 1-1 सेकंड के अंतराल पर 2 -3 बार चला लीजिए, हम बस इसके छिलके उतारने है इसलिए मिक्सर जार का उपयोग कर रहे, हमे इसको पिसना नही है, बस 2-3 बार इसे मिक्सी में चला लेना है जिस से बीज के ऊपर के छिलके आसानी से अलग हो जाए,
* मिक्सी से निकाल कर सभी बीज एक प्लेट पर रख लीजिए और बीज से छिलके उतार लीजिए, ये बहुत ही कारगर ट्रिक है, कई लोग मिक्सर का उपयोग कर इसे पीस देते है, या बहुत ज्यादा बार चला देते है, जिस से बीज टूट जाते है,
आपको ऐसा बिलकुल नहीं करना है, इस तरीके से बहुत आसानी से बीज तैयार होंगे आप ट्राई कर के देखिए.


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Ayurvedik Health Benefits : पंजे पर चलने का कमाल


*पंजे पर चलने का कमाल*.....

कमर दर्द, साइटिका दर्द, पिंडलियों का दर्द, पैरों का दर्द, घुटने का दर्द, एड़ी का दर्द, थाइस के पीछे दर्द के बाद कारण के बारे में बात करेंगे।

हमारे शरीर मे बहुत सारी हड्डियां होती है और इनमें से 26 हड्डियाँ केवल पैरों में होती हैं। पैरों की हड्डियाँ जो सारे शरीर का वजन उठाती हैं उसमें भी सबसे लंबी हड्डी केल्केनियस होती है जो एड़ी में होती है।
 इस हड्डी का काम हमें चलने, भागने-दौड़ने में मदद करने के साथ ही शरीर में संतुलन भी बनाए रखना है।

हमारे जानकारों का कहना है की जब हम पैदल चलते हैं तो हमारे पैर पर शरीर के वजन का 1.25 गुना भार और दौड़ने पर 2.75 गुना अधिक भार पड़ता है।

कुछ कारण निम्न हो सकते है, जिन पर व्यक्ति का नियंत्रण नही होता।

1. अर्थराइट्स या गाउट का होना।

2. शरीर में न्यूट्रिशियन का कम होना।

3. उम्र के साथ पैरों के मांस का कम होना।

4. पैर की हड्डी का बढ़ना।

5. हारमोन संबंधी दवाइयाँ अधिक लेना।

6. डाइबिटिक होना।

7. मांसपेशियों में सूजन आना ।

8.हड्डी का घिस जाना या कैल्शियम कम हो जाना।

 कुछ ऐसे कारण होते है जिन्हें हम खुद करते है लेकिन हमें पता ही नही चलता....

आपने बच्चों को देखा होगा चलते हुए। वो हमेशा पंजे पर चलते फिरते और दौड़ते है।

लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, सभी लोग लाला जी बन जाते है। पेट बाहर, कमर अंदर को दबा कर, एड़ी पर जोर देते हुए, पैरो को जमीन पर रगड़ते हुए चलने लगते है।

आज से आप नियम बनाएं...

1. चलते समय पैरों के पंजे को बिल्कुल सीधा रखेंगे।

2.  एड़ी पर दबाव नही देंगे चलते हुए।

3. सुबह शाम 10 min पंजे पर walk(चलना) करेंगे।

4. खाने के साथ कोई भी लिक्विड नही लेंगे, पानी भी नही।

5. खड़े होकर पानी बिल्कुल नही पीएँगे।

6. घुटनो पर तेल लगाकर 5 बार उठक बैठक करेंगे।

7.सप्ताह में 2 बार पैरो की खुद मालिश जरूर करें।

8. शरीर के वजन पर नियंत्रण रखेंगे।

9. घुटनों में दर्द हो तो उकड़ूँ बैठना शुरू/कोशिश करें जिससे जोड़ो में जकड़न न हो।





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मैं आँवला हूँ
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मैं आंवला हूँ,विटामिन c का भंडार हूँ...तीन ऋतुओं को सहकर पूर्ण फल बनता हूँ....इस कारण हर ऋतु के ऋतुजन्य रोगों से लड़ने की क्षमता मेरे अंदर होती है ...।

मुझे गला दो, सेक लो, पीस लो, मेरे औषधि तत्व कम नहीं होते .....।
कार्तिक मास में मेरे नीचे आ जाने मात्र से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैं...।

में- दाह, पांडु, रक्तपित्त, अरूचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वांस रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता हुँ..पौरूष को बढ़ाता हुँ -में आंवला हूँ..।।

आयुर्वेद में मेरे बारे लिखा है...

वयस्यामलकी वृष्या जाती फलरसं शिवम्॥३७॥
धात्रीफलं श्रीफलं च तथामृतफलंस्मृतम्।
 त्रिष्वामलकमाख्यातं धात्री तिष्यफलामृता॥३८॥
हरीतकीसमं धात्रीफलं किंतु विशेषतः।
रक्तपित्तप्रमेहघ्नं परं वृष्यं रसायनम्॥३९॥
हन्ति वातं तदम्लत्वात्पित्तं माधुर्यशैत्यतः।
कफं रूक्षकषायत्वात्फलं धात्र्यास्त्रिदोषजित्॥४०॥

अर्थात-वयस्या, आमलकी, वृष्या, जातीफलरसा, शिव, धात्रीफल, श्रीफल, अमृतफल, तिष्यफल, अमृत
जो गुण हरड़ के हैं वही गुण मुझमे हैं... में रक्तपित्त व प्रमेह को हरने वाला एवं अत्यधिक धातुवर्द्धक वा रसायन हूँ ...में आमला- अम्लरस से वायु को, मधुरस व शीत होने से पित्त को, रूक्ष वा कषाय होने से कफ को जीतता हूँ...।

#गुणकारी_पक्ष
1 डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला बहुत फायदेमंद है...पीड़ि‍त व्यक्ति अगर आंवले के रस का प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें तो बीमारी में राहत मिलती है... आंवला में पाया जाने वाला विटामिन सी डायबिटीज के मरीज की रोक प्रतिरोधरक क्षमता बढ़ाता है...।

 2- पेट की लगभग समस्याओं में आंवला काफी लाभकारी है... एसिडिटी की समस्या होने पर आंवला बेहद फायदेमंद होता है... आंवला पाउडर, चीनी के साथ मिलाकर खाने या पानी में डालकर पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है... आंवले का जूस पेट की सारी समस्याओं के लिए काम आता है...।

 3 पथरी की समस्या में भी आंवला कारगर होता है...पथरी होने पर 40 दिन तक आंवले को सुखाकर उसका पाउडर बना लें, और उस पाउडर को प्रतिदिन मूली के रस में मिलाकर खाएं.. इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में पथरी गल जाएगी और आप स्वस्थ रहेंगे..।

 4 खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो तो आंवले के रस का सेवन करें... आंवला शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है...आंवले से खून की कमी दूर होती है जो कि अच्छा उपाय है...।

 5 आंखों के लिए आंवला अमृत समान है, यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने में सहायक होता है... इसके लिए रोजाना एक चम्मच आंवला के पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ मिलता है..
 मोतियाबिंद के रोगियों को आंवले का सेवन करना चाहिए..।

 6 बुखार से छुटकारा पाने के लिए आंवले के रस में छौंक लगाकर इसका सेवन करना चाहिए, 7- आंवला दांतों में दर्द और कैविटी हो में भी काम करता है... आंवले का रस लेकर कपूर में मिला कर मसूड़ों पर लगाने से आराम मिलता है... दांतों की किसी भी बीमारी में आंवला काफी कारगार होता है...।

 7 शरीर में गर्मी बढ़ने वालों के लिए आंवला बेहतर उपाय है.. आंवले के रस से शरीर को ठंडक मिलती है...।

8- हिचकी तथा उल्टी होने की पर आंवले के रस को मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से काफी राहत मिलेगी... हिचकी आना बंद हो जाती है जो कि काफी तकलीफदेह होती हैं...।

 9 याददाश्त बढ़ाने में आंवला काफी फायदेमंद होता है...
 पढ़ने वाले बच्चों को आंवला अवश्य खाना चाहिए... इसके लिए सुबह के समय आंवला के मुरब्बा गाय के दूध के साथ लेने से लाभ होता है...आंवले के रस का प्रयोग भी कर सकते हैं...।

 10 आंवला चेहरे पर कांति लाता है... अगर चेहरे पर दाग-धब्बे हो तो इन्हें हटाने के लिए आंवला इस्तेमाल करें... आंवले का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा झुर्रियां कम होती हैं साथ ही त्वचा निखरती है...।

11 बालों के लिए आंवले का प्रयोग होता फायदेमंद होता है... बालों को काला, घना और चमकदार बनाने के लिए आंवले के पाउडर से बाल धोने चाहिए...।

#आंवला
#आमला
#अमृतफल
#Phyllanthus_emblica



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Sunday, March 24, 2024

मोटापा कम करने के 50 आयुर्वेदिक उपाय और घरेलु उपाय Ayurvedik Health Benefits

मोटापा कम करने के 50 आयुर्वेदिक उपाय और घरेलु उपाय 
Ayurvedik Health Benefits





1 : नींबू👇
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।

2 : सेब और गाजर👇

सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना चाहिए।

3 : मूली👇

मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

4 : मिश्री👇

मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।

5 : चूना👇

बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।

6 : सहजन👇

सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।

7 : विजयसार👇

विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

8 : अर्जुन👇

अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

9 : भृंगराज👇

भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।

10 : शहद👇

120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।

11 : विडंग👇
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।

12 : तुलसी👇

तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

13 : बेर👇
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।

14 : टमाटर👇

टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।

15 : त्रिफला👇

रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है।

त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।

16 : हरड़👇
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।

17 : सोंठ👇

सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।

18 : गिलोय👇
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।

19 : जौ👇

जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

20 : गुग्गुल👇

गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।

21 तिल👇

तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।

22 : सरसो👇
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।

23 : दही👇

दही को पतला करके खाने से मोटापा कम होता है।

24 छाछ👇

छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

25 आलू👇

आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।

26 : अपामार्ग👇

अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।

27 : कुल्थी👇

100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।

28 : पीपल👇

4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

29 : पालक👇
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

30 : पानी👇

भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।

31 डिकामाली👇

डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

32 कूठ👇

कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।

33 : माधवी👇

माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।

34 बरना👇

बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
35 : एरण्ड👇

एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।

36 : पिप्पली👇

पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

37 जौखार👇

जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

38 लुके मगसूल👇

50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।

39 माजून मुहज्जिल👇

माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।

40 बबूल👇

बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।

41 अनन्नास👇

प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।

42 चित्रक👇

चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।

43 बेल👇

बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।

44 : परवल👇

परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

45 ईसबगोल👇

ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।

46 रस👇

फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।

47 असगंध👇

असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।

48 अजवायन👇

अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।

49 करेला👇

करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।


50 चावल👇
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
मोटापा कम करने में सहायक है यह

स्पेशल चाय::👇
एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।




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