नदी का पानी बिकाऊ
गुरू जी के प्रवचन में एक गूढ़ वाक्य शामिल था।
कटु मुस्कराहट के साथ वे बोले, "नदी के तट पर बैठकर नदी का पानी बेचना ही मेरा कार्य है"।
और मैं पानी खरीदने में इतना व्यस्त था कि मैं नदी को देख ही नहीं पाया।
"हम जीवन की समस्याओं और आपाधापी के कारण प्रायः सत्य को नहीं पहचान पाते।"
Motivational Hindi Stories, अच्छाई, प्रेरक कहानियाँ
No comments:
Post a Comment