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Tuesday, August 13, 2013

Ayurvedik Health Benefits of Garlic : गुणों का भंडार है लहसुन

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Ayurvedik Health Benefits : गुणों का भंडार है लहसुन


लहसुन दैनिक प्रयोग में आने वाला एक मसाला है। यह अपनी औषधीय क्षमता के लिए विख्यात है। आयुर्वेद ने तो इसकी महिमा मुक्त कंठ से गाई है-
‘लंशति छिंनति रोगान लशुनम।’
अर्थात् जो रोगों का नाश करें, वह लहसुन है।
लहसुन का बोटेनिकल नाम ‘एलियन सेटाइवा गालिक’ है। कहीं-कहीं बोलचाल की भाषा में लोग इसे रोगन भी कहते हैं।
लहसुन देखने में कुछ-कुछ प्याज से मिलता जुलता है। इसके पौधे की ऊंचाई 30-60 सेमी. तक होती है। पत्तियां चपटी व पतली होती है। इसे मसलने पर एक उग्र तीखी गंध आती है। इसका कंद श्वेत या हल्का गुलाबी रहता है। आवरण को हटाने पर 12-15 छोटे-छोटे मटर आकार के कन्द निकलते हैं। इन्हें भी कुचलने या खाने पर तीखी गंध आती है।
सूखे एवं स्वच्छ स्थानों पर लहसुन को छ: माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका बाह्य और अंत: दोनों प्रयोग होता है। आइए इनके उपयोग के बारे में कुछ हम भी जानें।
- लहसुन के तेल लगाने से कड़ी से कड़ी गांठ भी गल जाती है। वात रोग व लकवे में तो इसका प्रयोग रामबाण के समान लाभदायक है। इस बीमारी में लहसुन के तेल की मालिश से जहां मांसपेशियों को पुनर्जीवित होने का मौका मिलता है, वहीं इसके एक-दो जौ के प्रतिदिन प्रात: सेवन से शरीर में आंतरिक गर्मी पैदा होती है।
- लहसुन पीसकर पुल्टिस बांधने से दमा, गठिया, सायटिका तथा अनेक प्रकार के चर्मरोग दूर हो जाते हैं। इसकी पुल्टिस जहां चोट लगे या सूजे भाग की सृजन व दर्द भगाती है, वहीं उसमें कुष्ठ रोग तक को दूर कर देने की क्षमता होती है।
- आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार पेशाब रूकने पर पेट के निचले भाग में लहसुन की पुल्टिस बांधने से मूत्राशय की निष्क्रियता दूर होती है। फलत: पेशाब खुलकर आता है।
- ‘मेडिसिनल प्लान्ट्स आफ इण्डिया’ के अनुसार लहसुन में ‘एलीन’ नामक जैव-सक्रिय पदार्थ पाया जाता है, जो प्रचण्ड जीवाणुनाशक होता है। इसकी जीवाणुनाशक क्षमता कार्बोलिक एसिड से भी दुगुनी होती है।
- लहसुन के लेप से जहां फोड़े-फुंसी शीघ्र पककर ठीक हो जाते हैं, वहां दाद-खुजली भी मिटती है।
- प्रतिदिन प्रात: एक या दो जौ लहसुन खाने वाले को कभी भी कब्जियत नहीं होती।
- जाड़े के मौसम में तो लहसुन का प्रयोग अंत: और बाह्य दोनों (खाने तथा तेल में पका कर मालिश करने) दृष्टि से अतीव उपयोगी है।
लहसुन में अनेक औषधीय गुण भरे पड़े हैं किन्तु इसका अत्यधिक प्रयोग फिर भी वर्जित हैं। अधिक प्रयोग से आंत्रशोध तथा अन्य बीमारियां हो सकती है। तामसी प्रवृत्ति के होने के कारण साधनादि करने वालों के लिए भी इसका प्रयोग वर्जित है





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