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Thursday, September 12, 2013

इश्वर के करीब पहुचने को आये वैज्ञानिक

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इश्वर के करीब पहुचने को आये वैज्ञानिक

मनुष्य की सबसे बड़ी जिज्ञासा, कि धरती पर सृष्टि की रचना कैसे हुई, आज काफी हद तक शांत हो गई है। दुनिया को यह समझ में आ चुका है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति गॉड पार्टिकल से हुई है। जेनेवा में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में ये तलाश पूरी हुई है, जहा वैज्ञानिकों की टीम गॉड पार्टिकल के रहस्य को सुलझाने के करीब जा पहुंची है। गॉड पार्टिकल का नाम हिग्स बोसॉन है। यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च [सर्न] के वैज्ञानिकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आज इसकी घोषणा की है। हालांकि उनकी इस औपचारिक घोषणा से पहले ही इस प्रयोग का वीडियो लीक हो गया था।

जेनेवा के पास जमीन में कई फुट नीचे सर्न की प्रयोगशाला में हजारों वैज्ञानिक इसकी तलाश में लगे थे। फ्रांस में और स्विट्जरलैंड की सीमा के पास जमीन के 300 फीट नीचे वैज्ञानिक वर्षो से प्रयोग कर रहे थे। 27 किलोमीटर लंबी लार्ज हैड्रन कोलाइडर [एलएचसी] में वैज्ञानिक अणुओं के बीच टक्कर करा रहे थे। यह कणों को तेजी से घुमाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मशीन है।

वैज्ञानिक धारणा है कि हिग्स बोसॉन के कण 13.7 खरब साल पहले बिग बैंग यानि महाविस्फोट के दौरान पैदा हुए और इस महाधमाके की वजह से ब्रह्माड अस्तित्व में आया। एलएचसी के जरिए ठीक वैसा ही बिग बैंग करवाने की कोशिश की जो खरबों साल पहले हुआ था। इस महाप्रयोग के वक्त एलएचसी में कणों को तेज गति से फेंका गया ताकि वे आपस में टकरा सके। शुरुआत में वैज्ञानिकों ने प्रोटान्स की टक्कर कराई लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली। नवंबर, 2011 में वैज्ञानिकों ने प्रोटॉन्स की जगह कुछ आयन्स की टक्कर कराई। इस टक्कर के नतीजे हैरान करने वाले रहे। दिसंबर में ही वैज्ञानिकों ने एलान कर दिया कि वे गॉड पार्टिकल केबेहद करीब पहुंच चुके हैं।

अगर गॉड पार्टिकल का अस्तित्व सिद्ध हो गया तो भविष्य में ब्रह्माड को लेकर होने वाले शोध आसान हो जाएंगे। अभी तक वैज्ञानिकों को केवल पाच फीसद ही ब्रह्माड की जानकारी है। बाकी का हिस्सा डार्क एनर्जी या डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है



Good Story : राजा और बकरा

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Good Story : राजा और  बकरा 



किसी राजा के पास एक बकरा था. एक बार उसने एलान किया की जो कोई एस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा. किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा. इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा की बकरा चरना कोई बड़ी बात नहीं है.वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चरता रहा. शाम तक उसने बकरे को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ. बकरे के साथ वह राजा के पास गया. राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी तो बकरा उसे खाने लगा. इसपर राजा ने उस मनुष्य से कहा की तूने उसे पेट भर खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता. बहुतों ने बकरे का पेट भरने का प्रयत्न किया किंतु ज्योंही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती की वह खाने लगता. एक सत्संगी ने सोचा इस एलान का कोई रहस्य है, तत्व है. मैं युक्ति से काम लूँगा. वह बकरे को चराने के लिए ले गया. जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे लकड़ी से मार देता. सारे दिन में ऐसा कई बार हुआ. अंत में बकरे ने सोचा की यदि मैं घास खाने का प्रयत्न करूँगा तो मार खानी पड़ेगी. श्याम को वह सत्संगी बकरे को लेकर राजदरबार में लौटा. बकरे को उसने बिलकुल घास नहीं खिलाई थी फिर भी राजा से कहा मैंने इसको भरपेट खिलाया है. अत: यह अब बिलकुल घास नहीं खायेगा. कर लीजिये परीक्षा. राजा से घास डाली लेकिन उस बकरे ने उसे खाया तो क्या देखा और सूंघा तक नहीं. बकरे के मन में यह बात बैठ गयी थी की घास खाऊंगा तो मार पड़ेगी. अत: उसने घास नहीं खाई.
यह बकरा हमारा मन ही है. बकरे को घास चराने ले जाने वाला जीवात्मा है. राजा परमात्मा है. मन को मारो, मन पर अंकुश रखो. मन सुधरेगा तो जीवन सुधरेगा. मन को विवेकरूपी लकड़ी से रोज पीटो. भोग से जीव तृप्त नहीं हो सकता. भोगी रोगी होता है. भोगी की भूख कभी शांत नहीं होती. त्याग में ही तृप्ति समाई हुई है ||