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मनुष्य की सबसे बड़ी जिज्ञासा, कि धरती पर सृष्टि की रचना कैसे हुई, आज काफी हद तक शांत हो गई है। दुनिया को यह समझ में आ चुका है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति गॉड पार्टिकल से हुई है। जेनेवा में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में ये तलाश पूरी हुई है, जहा वैज्ञानिकों की टीम गॉड पार्टिकल के रहस्य को सुलझाने के करीब जा पहुंची है। गॉड पार्टिकल का नाम हिग्स बोसॉन है। यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च [सर्न] के वैज्ञानिकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आज इसकी घोषणा की है। हालांकि उनकी इस औपचारिक घोषणा से पहले ही इस प्रयोग का वीडियो लीक हो गया था।
जेनेवा के पास जमीन में कई फुट नीचे सर्न की प्रयोगशाला में हजारों वैज्ञानिक इसकी तलाश में लगे थे। फ्रांस में और स्विट्जरलैंड की सीमा के पास जमीन के 300 फीट नीचे वैज्ञानिक वर्षो से प्रयोग कर रहे थे। 27 किलोमीटर लंबी लार्ज हैड्रन कोलाइडर [एलएचसी] में वैज्ञानिक अणुओं के बीच टक्कर करा रहे थे। यह कणों को तेजी से घुमाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मशीन है।
वैज्ञानिक धारणा है कि हिग्स बोसॉन के कण 13.7 खरब साल पहले बिग बैंग यानि महाविस्फोट के दौरान पैदा हुए और इस महाधमाके की वजह से ब्रह्माड अस्तित्व में आया। एलएचसी के जरिए ठीक वैसा ही बिग बैंग करवाने की कोशिश की जो खरबों साल पहले हुआ था। इस महाप्रयोग के वक्त एलएचसी में कणों को तेज गति से फेंका गया ताकि वे आपस में टकरा सके। शुरुआत में वैज्ञानिकों ने प्रोटान्स की टक्कर कराई लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली। नवंबर, 2011 में वैज्ञानिकों ने प्रोटॉन्स की जगह कुछ आयन्स की टक्कर कराई। इस टक्कर के नतीजे हैरान करने वाले रहे। दिसंबर में ही वैज्ञानिकों ने एलान कर दिया कि वे गॉड पार्टिकल केबेहद करीब पहुंच चुके हैं।
अगर गॉड पार्टिकल का अस्तित्व सिद्ध हो गया तो भविष्य में ब्रह्माड को लेकर होने वाले शोध आसान हो जाएंगे। अभी तक वैज्ञानिकों को केवल पाच फीसद ही ब्रह्माड की जानकारी है। बाकी का हिस्सा डार्क एनर्जी या डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है
इश्वर के करीब पहुचने को आये वैज्ञानिक
जेनेवा के पास जमीन में कई फुट नीचे सर्न की प्रयोगशाला में हजारों वैज्ञानिक इसकी तलाश में लगे थे। फ्रांस में और स्विट्जरलैंड की सीमा के पास जमीन के 300 फीट नीचे वैज्ञानिक वर्षो से प्रयोग कर रहे थे। 27 किलोमीटर लंबी लार्ज हैड्रन कोलाइडर [एलएचसी] में वैज्ञानिक अणुओं के बीच टक्कर करा रहे थे। यह कणों को तेजी से घुमाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मशीन है।
वैज्ञानिक धारणा है कि हिग्स बोसॉन के कण 13.7 खरब साल पहले बिग बैंग यानि महाविस्फोट के दौरान पैदा हुए और इस महाधमाके की वजह से ब्रह्माड अस्तित्व में आया। एलएचसी के जरिए ठीक वैसा ही बिग बैंग करवाने की कोशिश की जो खरबों साल पहले हुआ था। इस महाप्रयोग के वक्त एलएचसी में कणों को तेज गति से फेंका गया ताकि वे आपस में टकरा सके। शुरुआत में वैज्ञानिकों ने प्रोटान्स की टक्कर कराई लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली। नवंबर, 2011 में वैज्ञानिकों ने प्रोटॉन्स की जगह कुछ आयन्स की टक्कर कराई। इस टक्कर के नतीजे हैरान करने वाले रहे। दिसंबर में ही वैज्ञानिकों ने एलान कर दिया कि वे गॉड पार्टिकल केबेहद करीब पहुंच चुके हैं।
अगर गॉड पार्टिकल का अस्तित्व सिद्ध हो गया तो भविष्य में ब्रह्माड को लेकर होने वाले शोध आसान हो जाएंगे। अभी तक वैज्ञानिकों को केवल पाच फीसद ही ब्रह्माड की जानकारी है। बाकी का हिस्सा डार्क एनर्जी या डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है
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