Hindi Poems, हिंदी कविताएँ
अयोध्यासिह उपाध्याय ‘हरिऔध’
खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य प्रियप्रवास’ के रचियता अयोध्यासिह उपाध्याय ‘हरिऔध’(15 अप्रैल, 1965-16 मार्च, 1947) का साहित्यकाल हिन्दी के तीन युगों भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग और छायावादी युग तक है। उन्होंने पर्याप्त मात्रा में बाल साहित्य का भी सृजन किया-
बाल साहित्य
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एक तिनका - अयोध्यासिह उपाध्याय (Ek Tinka - Ayodhya Singh Upadhyaya 'Hariodh')
मैं घमडों में भरा ऐंठा हुआएक दिन जब था मुडेरे पर खड़ा,आ अचानक दूर से उड़ता हुआएक तिनका आख में मेरी पड़ा।मैं झिझक उट्ठा, हुआ बेचैन-सालाल होकर आख भी दुखने लगी,मूठ देने लोग कपड़े की लगेऐंठ बेचारी दबे पावों भागी।जब किसी ढब से निकल तिनका गयातब समझ ने यों मुझे ताने दिए,ऐंठता तू किसलिए इतना रहाएक तिनका है बहुत तेरे लिए।--------------------------------------------------
एक बूंद
ज्यों निकल कर बादलों की गोद सेथी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी,सोचने फिर-फिर यही जी में लगीहाय क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में,चू पड़ूँगी या कमल के फूल में।बह गई उस काल एक ऐसी हवावो समदर ओर आई अनमनी,एक सुदर सीप का मुँह था खुलावो उसी में जा गिरी मोती बनी।लोग यों ही हैं झिझकते सोचतेजबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर,कितु घर का छोड़ना अक्सर उन्हेंबूँद लौं कुछ और ही देता है कर।------------------------------------------------------------
जागो प्यारे
उठो लाल अब आँखें खोलो,पानी लाई हूँ, मुँह धो लो।बीती रात कमल-दल फूले,उनके ऊपर भौंरे झूले।चिड़ियाँ चहक उठी पेड़ों पर,बहने लगी हवा अति सुदर।नभ में न्यारी लाली छाई,धरती ने प्यारी छवि पाई।भोर हुआ सूरज उग आया,जल में पड़ी सुनहरी छाया।ऐसा सुदर समय न खोओ,मेरे प्यारे अब मत सोओ।चंदा मामा
चंदा मामा दौड़े आओ,दूध कटोरा भर कर लाओ।उसे प्यार से मुझे पिलाओ,मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ।मैं तैरा मृग छौना लूँगा,उसके साथ हँसूँ खेलूँगा।उसकी उछल कूछ देखूँगा,उसको चाटूँगा चूमूँगा।
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