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Saturday, August 27, 2011

Hindi Poems / हिंदी कविताएँ

Hindi Poems / हिंदी कविताएँ


ये ज़िन्दगी के मेले (Ye Jindgi Ke Mele)
ये ज़िन्दगी के मेले
दुनिया में कम होंगे
अफ़सोस हम होंगे
इक दिन पड़ेगा जाना
क्या वक़्त क्या ज़माना
कोई साथ देगा
सब कुछ यहीं रहेगा
जायेंगे हम अकेले
ये ज़िन्दगी के मेले
दुनिया है मौज--दरिया
कतरे की ज़िन्दगी क्या
पानी में रह के पानी
अंजाम ये के पानी
दम भर को सांस ले ले
ये ज़िन्दगी के मेले
होंगी यही बहारें
उल्फत की यादगारें
बिगड़ेगी और बनेगी
दुनिया यही रहेगी
होंगे यही झमेले
ये ज़िन्दगी के मेले
- शकील बदायूँनी

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तूफ़ान मेल
दुनिया ये दुनिया
तूफ़ान मेल
इसके पहिये जोर से चलते और अपना रस्ता तय करते
स्याने इससे काम निकालें
बच्चे समझें खेल
कोई कहीं का टिकट कटाता
इक आता है इक है जाता
सभी मुसाफिर बिछड़ जायेंगे
पल भर का है मेल
जो जितनी पूँजी है रखता उसी मुताबिक़ सफ़र वो करता
जीवन का है भेद बताती
ज्ञानी को ये रेल

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पंडित मधुर

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