पुरानी यादे ताज़ा करो achhi kavitaayein Hindi Poems,
हिंदी कविताएँ
(Chilhood Days Golden Old Days )
सुन्दर बचपन (Childhood Hindi Poems Which you miss) / flash back of childhood
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पोशम्पा भाई पोशम्पा,लालकिले मे क्या हुआ
सौ रुपये की घडी चुराई।
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,जेल की रोटी खानी पडेगी,जेल का पानी पीना पडेगा।
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झूठ बोलना पाप है,नदी किनारे सांप है।
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मछली जल की रानी है,जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।
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काली माई आयेगी,तुमको उठा ले जायेगी।
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आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।
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चन्दा मामा दूर के,पूए पकाये भूर के।
आप खाएं थाली मे,मुन्ने को दे प्याली मे...
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तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver ड्राईवर बोला आजा मेरे पास,तितली बोली " हट बदमाश "।
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सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver ड्राईवर बोला आजा मेरे पास,तितली बोली " हट बदमाश "।
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आज सोमवार है,चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,डाक्टर ने लगायी सुई,चूहा बोला उईईईईई।
चूहा गया डाक्टर के पास,डाक्टर ने लगायी सुई,चूहा बोला उईईईईई।
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आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की -प्रदीप ( Aao Bachhon Tumhein Dikhain Jhanki Hindustan Kee - Pradeep)
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो, यह धरती है बलिदान की
वंदेमातरम! वंदेमातरम!
जलियाँवाला बाग ये देखो, यहीं चलीं थीं गोलियाँ,
यह मत पूछो किसने खेलीं यहाँ खून की होलियाँ,
एक तरफ बंदूकें दन-दन, एक तरफ थीं टोलियाँ,
मरने वाले बोल रहे थे इन्क़लाब की बोलियाँ,
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाज़ी अपनी जान की।
इस मिट्टी से तिलक करो, यह धरती है बलिदान की
वंदेमातरम! वंदेमातरम!
देखो मुल्क मराठों का यह, यहाँ शिवाजी डोला था,
मुग़लों की ताक़त को जिसने, तलवारों पे तोला था,
हर पर्वत पर आग लगी थी, हर पत्थर इक शोला था,
बोली हर-हर महादेव की, बच्चा-बच्चा बोला था,
वीर शिवाजी ने रक्खी थी, लाज हमारी शान की।
इस मिट्टी से तिलक करो, यह धरती है बलिदान की
वंदेमातरम! वंदेमातरम!
ये है राजपुताना, नाज़ इसे तलवारों पे,
इसने अपना जीवन काटा, बरछी तीर कटारों पे,
ये प्रताप का वतन पला है, आज़ादी के नारों पे,
कूद पड़ीं थीं यहाँ हज़ारों, पद्मिनियाँ अंगारों पे,
बोल रही है कण-कण से क़ुरबानी राजस्थान की।
इस मिट्टी से तिलक करो, यह धरती है बलिदान की
वंदेमातरम! वंदेमातरम!
-प्रदीप
धक्का-मुक्की रेलम-पेल, आई रेल-आई रेल|
इंजन चलता सबसे आगे, पीछे-पीछे डिब्बे भागे|
हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता, पटरी पर यह तेज़ दौड़ता|
जब स्टेशन आ जाता है, सिग्नल पर यह रुक जाता है|
जब तक बत्ती लाल रहेगी, इसकी ज़ीरो चाल रहेगी|
हरा रङ्ग जब हो जाता है, तब आगे तो बढ़ जाता है|
बच्चों को यह बहुत सुहाती, नानी के घर तक ले जाती|
छुक-छुक करती आती रेल, आओ मिल कर खेलें खेल|
धक्का-मुक्की रेलम-पेल, आई रेल-आई रेल
इंजन चलता सबसे आगे, पीछे-पीछे डिब्बे भागे|
हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता, पटरी पर यह तेज़ दौड़ता|
जब स्टेशन आ जाता है, सिग्नल पर यह रुक जाता है|
जब तक बत्ती लाल रहेगी, इसकी ज़ीरो चाल रहेगी|
हरा रङ्ग जब हो जाता है, तब आगे तो बढ़ जाता है|
बच्चों को यह बहुत सुहाती, नानी के घर तक ले जाती|
छुक-छुक करती आती रेल, आओ मिल कर खेलें खेल|
धक्का-मुक्की रेलम-पेल, आई रेल-आई रेल
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सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में आई, फ़िर नयी जवानी थी
गुमी हुई आज़ादी की, कीमत सबने पहचानी थी
दूर फ़िरंगी को करने की, सबने मन में ठानी थी|
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी||
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी
लक्ष्मीबाई नाम पिता की, वह संतान अकेली थी
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी
बरछी ढाल कृपाण कटारी, उसकी यही सहेली थी|
वीर शिवाजी की गाथायें, उसको याद ज़बानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी||
बूढ़े भारत में आई, फ़िर नयी जवानी थी
गुमी हुई आज़ादी की, कीमत सबने पहचानी थी
दूर फ़िरंगी को करने की, सबने मन में ठानी थी|
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी||
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी
लक्ष्मीबाई नाम पिता की, वह संतान अकेली थी
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी
बरछी ढाल कृपाण कटारी, उसकी यही सहेली थी|
वीर शिवाजी की गाथायें, उसको याद ज़बानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी||
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