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Saturday, August 27, 2011

हिंदी कविताएँ Hindi Poems

हिंदी कविताएँ Hindi Poems  - Golden Memories

This is my Papa's fevourite song -

मालिक तेरे बंदे हम
मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे करम, नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हँसते हुये निकले दम|
जब ज़ुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना, वो बुराई करें, हम भलाई करें, नहीं बदले की हो कामना|
बढ़ उठे प्यार का हर कदम, और मिटे बैर का ये भरम, नेकी पर चलें ...
ये अंधेरा घना छा रहा, तेरा इनसान घबरा रहा, हो रहा बेखबर, कुछ आता नज़र, सुख का सूरज छिपा जा रहा|
है तेरी रोशनी में वो दम, जो अमावस को कर दे पूनम, नेकी पर चलें ...
बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमीं, पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा, तेरी कृपा से धरती थमी
दिया तूने जो हमको जनम, तू ही झेलेगा हम सबके गम, नेकी पर चलें

जहाँ डाल-डाल पर (jahan Daal Daal Par Sone Ki Chidia Karti hain Basere, Vo Bharat Desh hai Mere)
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा|
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा, वो भारत देश है मेरा|
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला,
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला,
जहाँ सूरज सबसे पहले कर डाले अपना फेरा, वो भारत देश है मेरा|
अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी है अलबेले,
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले,
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारो और है घेरा, वो भारत देश है मेरा|
जहाँ आसमान से बाते करते मंदिर और शिवाले,
जहाँ किसी नगर मे किसी द्वार पर कोई ताला डाले,
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा, वो भारत देश है मेरा|
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पासे सभी उलट गए दुश्मन -प्रदीप
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी उलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

देखो कहीं बर्बाद होवे ये बगीचा
इसको हृदय के ख़ून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

दुनिया के दाँव पेच से रखना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका दे कोई तुम्हें धोके में डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

एटम बमों के ज़ोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर क़दम उठाना ज़रा देख भाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

आराम की तुम भूल भुलय्या में भूलो
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के झूलो
अब वक़्त गया मेरे हँसते हुए फूलों
उट्ठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

-प्रदीप

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