*** ग़लत विश्वास ***
एक प्रयोग के दौरान, एक प्रोफेसर ने एक बड़े से टैंक में एक शार्क मछली को रखा.. और उसके साथ ही कुछ छोटी मछलियों को भी उसी टैंक में डाल दिया..
जैसा की हम समझ सकते है की शार्क ने तुरंत ही उन सारी मछलियों का सफाया कर दिया..
इसके बाद प्रोफेसर ने टैंक में एक बहुत ही मजबूत फाइबर ग्लास लगा दिया.. और टैंक के दो हिस्से कर दिए.. एक हिस्से में शार्क थी. और दुसरे हिस्से में उसने फिर से छोटी मछलियों को डाला.. जैसे ही शार्क की नज़र उन पर पड़ी.. वो उन्हें खाने के लिए लपकी. पर इस बार बीच में फाइबर ग्लास होने की वजह से शार्क उससे जा टकराई.. एक बार टकराने के बाद भी शार्क ने हार नहीं मानी.. वो हर कुछ मिनिट के अंतराल के बाद उस दिशा में बढती.. जहाँ मछलियाँ थी.. और टकरा के फिर पलट आती.. इस दौरान छोटी मछलियाँ आसानी से और आज़ादी से तैर रही थी.. और कुछ एक डेढ़ घंटे के बाद शार्क ने हार मान ली. ये प्रयोग पुरे हफ़्ते भर में कई बार किया गया.. धीरे धीरे शार्क के हमले कम होते गए.. और वो ज्यादा जोर भी नहीं लगाती थी. बार बार कोशिश करते रहने से, पर फिर भी मछलियों तक न पहुँच पाने से शार्क ने थक कर हार मान ली. और प्रयास करना छोड़ दिया.
कुछ दिनों के बाद प्रोफेसर ने बीच में मौजूद फाइबर ग्लास को हटा दिया. पर इसके बाद भी शार्क ने कभी हमला नहीं किया. शार्क को पिछले कुछ हफ्तों में विश्वास हो गया था की वो उन मछलियों तक नहीं पहुँच सकती. और दूसरी छोटी मछलियाँ बिना किसी नुकसान के तैरने लगी.. शार्क उन तक पहुँचने के कोशिश भी नहीं करती थी,.....
Moral : हममे से कई लोग, हार और निराशा को प्रयोग करने के बाद, प्रयास करना छोड़ देते है. वो ये सोचते है की क्योंकि वो पहले कई बार हार चुके है, और सफल नहीं हुए है. इसलिए वे आगे भी ऐसे ही रहेगे..,......
इसलिए ऐसा मत कीजिये सफलता कभी न कभी जरुर मिलती है ,… प्रयास करते रहें,....................
smile emoticon
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