जिगिषा मर्डर केस: दो को फांसी, एक को उम्रकैद
अभिषेक की बहादुरी को सलाम
जिगिषा मर्डर केस: 7 साल बाद सजा का ऐलान
Publish Date:Tue, 23 Aug 2016 01:05 AM (IST) | Updated Date:Tue, 23 Aug 2016 01:05 AM (IST)
share शैलेंद्र गौतम, दक्षिणी दिल्ली जिगिषा के माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान दिखी तो उसका श्रेय सबसे ज्या
दिल्ली
जिगिषा के माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान दिखी तो उसका श्रेय सबसे ज्यादा उस बच्चे अभिषेक को जाता है, जिसने सदमे से बाहर निकलकर कोर्ट को बताया कि उसने सुबह चार बजे तीन लोगों को एक लड़की को उठाते हुए देखा था। बैंक के गार्ड भीमाराव का बयान भी निर्णायक रहा। उसने शिनाख्त परेड में तीनों दोषियों की पहचान की थी। सरोजिनी नगर में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सेल्स गर्ल सुनीता भी आखिर तक बयान पर डटी थी।
रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक ने वसंत विहार से सुबह चार बजे जिगिषा का अपहरण किया था। पता पूछने के बहाने उसे रोका और मुंह दबा दिया। उस समय 13 साल का अभिषेक परीक्षा की तैयारी के लिए जगा था। उसने घर की खिड़की से सारा मंजर देखा और बीमार हो गया। बदमाश जिगिषा को अपने साथ लेकर घूमते रहे। महिपालपुर के एटीम बूथ पर जाकर अमित व रवि ने जिगिषा को गर्लफ्रेंड की तरह गाड़ी से निकाला और भीतर गए। बलजीत बाहर खड़ा रहा। गार्ड भीमाराव वहां था। पैसे निकालकर वे चंपत हो गए। सूरजकुंड ले जाकर उन्होंने जिगिषा की हत्या कर दी। अमित, रवि ने उसका गला दबाया। पुलिस की जांच कहती है कि जिगिषा ने हर तरह से समर्पण कर दिया था, लेकिन बदमाशों ने खुद बचने के लिए उसे हरियाणा के सूरजकुंड में मार दिया।
पुलिस की टीम को जब लाश मिली तो उसकी शिनाख्त की कोशिश हुई। जिगिषा के पिता को शव दिखाया गया तो पता चला कि वह उनकी बेटी है। पुलिस ने उसका बैंक एकाउंट देखा। उसमें से बीस हजार रुपये महिपालपुर से 18 मार्च की सुबह साढ़े चार बजे निकले थे। कार्ड के बारे में बैंक की रिपोर्ट थी कि उससे शॉपिंग की गई है। पुलिस ने सभी जगहों पर जाकर पूछताछ की। एटीएम बूथ के गार्ड ने तीन लोगों के साथ एक लड़की के होने की पुष्टि की तो शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के स्टाफ ने तीन लोगों द्वारा शॉपिंग करने की बात बताई। तीनों दोषियों तक पुलिस के हाथ पहुंचते कि उसी बीच बलजीत का पता एक सिपाही के जरिये लगा। दोषियों को नेल्सन मंडेला रोड पर पकड़ा गया। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की सेल्स गर्ल सुनीता, स्टाफ महेश, टीवी विक्रेता मो. नियामुद्दीन व स्टाफ धर्मेद्र ने तीनों को पहचाना। पुलिस ने अदालत में 58 गवाह पेश किए, जिनमें सबसे अहम अभिषेक व भीमाराव रहे। अभिषेक ने सदमे से निकलकर पुलिस को बयान दिया और अदालत तक पहुंचा। हालांकि अंधेरा होने की वजह से उसने तीनों को पहचानने से इन्कार किया, लेकिन उसका कहना था कि तीन लोगों ने जिगिषा को अगवा किया था। भीमाराव ने तीनों की पहचान की और मामले को निर्णायक बनाने में अहम भूमिका निभाई।
तीनों काफी शातिर थे। वे जिगिषा को लेकर स्टेट बैंक के एटीएम बूथ पर गए थे, क्योंकि वहां कैमरा नहीं था। जिगिषा को अपने साथ लेकर एटीएम के भीतर इसलिए गए क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं था कि वह उन्हें सही कोड नंबर बताएगी। शॉपिंग करने उन जगहों पर गए जहां सीसीटीवी कैमरे होने के आसार नहीं थे। पुलिस ने अदालत में यह बात रखी कि जिगिषा के एटीएम कार्ड का नंबर उन्हें कैसे पता चला। तीनों में आपसी भरोसा नहीं के बराबर था। रवि ने 20 हजार रुपये निकालने के बाद अमित को पैसे देने से इन्कार कर दिया था। अमित एटीएम बूथ में दोबारा आया था। भीमाराव ने यह जानकारी पुलिस को दी थी।
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ये रहे अहम सुबूत
पुलिस ने जो अहम सुबूत अदालत में पेश किए, उनमें रिबॉक के जूते (यूनिक आइडी), जिगिषा से लूटे गए आभूषण, रवि से बरामद साढ़े बारह हजार रुपये, अमित के घर से बरामद टीवी, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बिलों पर उनके हस्ताक्षर, सीसीटीवी कैमरे में उनकी फुटेज, जिगिषा के गर्दन पर मिले उनकी अंगुलियों के निशान।
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