पढ के जरा सोचे ।।
एक परिवार मे 4 सदस्य थे ।
पति-पत्नी दो बच्चे थे ।सभी एक साथ बाजार गए ।
बाजार खत्म करने के बाद वापसी के समय जिस रास्ते से आ रहे
उसी रास्ते से कुछ लोग मृत शरीर (लाश) ले के जा
रहे थे ।
बच्चे थोड़े चंचल थे । रास्ते मे आने जाने वाले साधनो मे हाथ लगा देते ।
इसी बीच अचानक उनका हाथ मृत
शरीर ले जाते लोगों मे लग गया ।
माँ ने देख लिया और तुरंत थप्पड़ लगाते हुए बोली वो लोग
अशुध्द है मृत शरीर लेके श्मशान जा रहे अब तुम्हें
नहाना पड़ेगा । थोड़ा ठंडी ही थी
उसे नहलाया गया ।
कुछ साल बीते , पिता के साथ वो लड़का बाजार गया । पिता
जी उस बच्चे के सामने मांस खरीदे । लड़का सब
देख रहा था ।मांस लेकर घर पहुंचे।
घर मे सब बन के तैयार हुआ और डाईनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठे ।
माँ मीठी आवाज मे बोली बेटा खाओ ।
हम नही खाएगे बेटे ने जवाब दिया ।
माँ ने पूछा क्यों ?
लड़के का जवाब सुनते ही माता पिता अपना सर झुका लिए।
लड़के का जवाब :- माँ मै उस दिन केवल अन्जाने मे मृत शरीर से
मेरा हाथ लग गया तो आपने मुझे मारा और अशुध्द बोलकर नहलाया, और
आज पैसे देकर किसी मजबूर बकरे को कटवा कर लाए । और
आपने उसे घर मे बनाया । और फिर आप खुद खा भी
रही और हमे खिला रही ।दोनो तो मृत
शरीर ही है
फिर ऐसा क्यूँ क्या हमारा पेट श्मशान है । माँ ने sorry बोला और सब खाना
कचरे मे फेंक दिया ।।
भावार्थ :- मांस केवल शैतान लोग खाते थे। सभी जानते हुए
भी खाते है बहुत लोग तो Faishion बोल के खाते है।
कभी किसी पुराणों मे कही
किसी दैवी देवता को खाते हुए देखा है या सुना
है ।अगर ये अच्छी चीज होती
तो नवरात्रि मे इसे क्यों नही खाते है ।
कहा भी जाता है -
जैसा अन्न , वैसा मन
कभी ये नही सोचे की केवल बड़े
लोग ही सीखने योग्य बाते कह सकते है
। हम अगर सीखना चाहे तो किसी से
भी सीख सकते है ।
एक परिवार मे 4 सदस्य थे ।
पति-पत्नी दो बच्चे थे ।सभी एक साथ बाजार गए ।
बाजार खत्म करने के बाद वापसी के समय जिस रास्ते से आ रहे
उसी रास्ते से कुछ लोग मृत शरीर (लाश) ले के जा
रहे थे ।
बच्चे थोड़े चंचल थे । रास्ते मे आने जाने वाले साधनो मे हाथ लगा देते ।
इसी बीच अचानक उनका हाथ मृत
शरीर ले जाते लोगों मे लग गया ।
माँ ने देख लिया और तुरंत थप्पड़ लगाते हुए बोली वो लोग
अशुध्द है मृत शरीर लेके श्मशान जा रहे अब तुम्हें
नहाना पड़ेगा । थोड़ा ठंडी ही थी
उसे नहलाया गया ।
कुछ साल बीते , पिता के साथ वो लड़का बाजार गया । पिता
जी उस बच्चे के सामने मांस खरीदे । लड़का सब
देख रहा था ।मांस लेकर घर पहुंचे।
घर मे सब बन के तैयार हुआ और डाईनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठे ।
माँ मीठी आवाज मे बोली बेटा खाओ ।
हम नही खाएगे बेटे ने जवाब दिया ।
माँ ने पूछा क्यों ?
लड़के का जवाब सुनते ही माता पिता अपना सर झुका लिए।
लड़के का जवाब :- माँ मै उस दिन केवल अन्जाने मे मृत शरीर से
मेरा हाथ लग गया तो आपने मुझे मारा और अशुध्द बोलकर नहलाया, और
आज पैसे देकर किसी मजबूर बकरे को कटवा कर लाए । और
आपने उसे घर मे बनाया । और फिर आप खुद खा भी
रही और हमे खिला रही ।दोनो तो मृत
शरीर ही है
फिर ऐसा क्यूँ क्या हमारा पेट श्मशान है । माँ ने sorry बोला और सब खाना
कचरे मे फेंक दिया ।।
भावार्थ :- मांस केवल शैतान लोग खाते थे। सभी जानते हुए
भी खाते है बहुत लोग तो Faishion बोल के खाते है।
कभी किसी पुराणों मे कही
किसी दैवी देवता को खाते हुए देखा है या सुना
है ।अगर ये अच्छी चीज होती
तो नवरात्रि मे इसे क्यों नही खाते है ।
कहा भी जाता है -
जैसा अन्न , वैसा मन
कभी ये नही सोचे की केवल बड़े
लोग ही सीखने योग्य बाते कह सकते है
। हम अगर सीखना चाहे तो किसी से
भी सीख सकते है ।
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