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Thursday, March 17, 2016

आइंस्टीन की थ्योरी को गलत साबित कर नासा से सर्टिफिकेट ले उड़ी बिहार की ग्यारवीं की छात्रा मीनाक्षी मीनाक्षी ने कम उम्र में सारे संसार के वैज्ञानिकों को पीछे छोड़ बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली

Breaking News - आइंस्टीन की थ्योरी को गलत साबित कर नासा से सर्टिफिकेट ले उड़ी बिहार की ग्यारवीं की छात्रा मीनाक्षी 
 मीनाक्षी ने कम उम्र में सारे संसार के वैज्ञानिकों को पीछे छोड़ बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली 



आजकल इस तरह की खबरे में मीडिया में चल रही हैं , इस से पहले एक पश्चिम बंगाल की छोटी सी लड़की ने झूठी कहानी बता कर पहले 
वाह वाही लूटी थी , और अब आइंस्टीन को पीछे छोड़ने वाली बात भी कुछ ऐसी ही लग रही है । 

सर्न के वैज्ञानिकों ने गॉड पार्टिकल की खोज करते वक्त आइंस्टीन की प्रकाश की गति सीमा के तोड़ की बात कही थी , और उसके बाद 
सारे संसार के वैज्ञानिक भी ये ही कहने लगे । 
लेकिन 1 हफ्ते बाद जब नतीजों की गंभीरता से जांच की तब पता चला की आइंस्टीन तो सब वैज्ञानिकों का अब भी  बाप निकला , और प्रकाश की सीमा नहीं टूटी । 

वैसे किसी को कमतर आंकना भी ठीक नहीं है , हो सकता है की मीनाक्षी एक मिसाल कायम कर दें 


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मीनाक्षी ने आइंस्टीन के सिद्धांत को दी थी चुनौती, कर रही है ऑन लाइन रिसर्च






प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन के प्रकाश की गति सिद्धांत को मुंगेर की बेटी मीनाक्षी ने चुनौती दी है। आइंस्टीन के सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की गति को बढ़ाया नहीं जा सकता है। जिसे लोग आजतक पढ़ते आए है और कई शोध भी हुए है। मीनाक्षी ने चुनौती देते हुए अपने शोध के आधार पर दुनियां के देशों को यह बता दिया कि प्रकाश की गति को बढ़ाया जा सकता है।
कैंब्रिज से मिला ऑफर, सरकार के कारण मामला फंसा - 
मीनाक्षी के पापा मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार की तकनीकी अड़चन व समस्याओं के कारण मीनाक्षी को ऑन लाइन सुविधा के तहत ही स्विट्जरलैंड से शोध कार्य करने पड़ रहे है। जबकि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के द्वारा भी मीनाक्षी को ऑफर दिया गया, लेकिन वहां रिसर्च में ऑन लाइन सुविधा नहीं रहने के कारण काफी परेशानी आ रही है।
सरकार द्वारा भी इस मामले में अबतक कोई पहल व संज्ञान नहीं लिये जाने से जो मदद मिलनी चाहिये वह नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा दिये गए ऑफर सरकार की कुछ तकनीकी नीतियों की वजह से पूरा नहीं किया जा रहा है।
नासा ने 2013 में चुनाव था विश्व के टॉप-20 जूनियर साइंटिस्टों में - 
मीनाक्षी के प्रोजेक्ट की जानकारी मिलने और प्रकाश की गति बढ़ाए जाने के आश्चर्यजनक शोध पर नासा ने 2013 में विश्व के टॉप 20 जूनियर साइंटिस्टों में शामिल किया है। 2013 में मीनाक्षी ने अपने सिद्धांत को नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, नासा को भेजा था जिसके बाद नासा ने मीनाक्षी से इस अभूतपूर्व शोध और सिद्धांत को चुनौती देने के संदर्भ में विस्तारपूर्वक जानकारी ली।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित
नासा के बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने मीनाक्षी को बेस्ट कास्मोलॉजिकल अवार्ड से सम्मानित किया। कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा मीनाक्षी को शोध पूरा करने का ऑफर भी दिया गया
है। 31 मई को प्रेसिडेंट आफ कैंब्रिज यूनिवर्सिटी नेल टूरोक ने मीनाक्षी को बेस्ट कास्मॉलोजिकल एवार्ड से नवाजा और दस हजार यूरो पुरस्कारस्वरूप राशि प्रदान की
सातवीं कक्षा में प्रकाश की गति बढ़ाने का आया था ख्याल -> 
मीनाक्षी के अनुसार वर्ष 2012 में जब वह 7वीं कक्षा में पढ़ रही थी तभी उसके दिमाग में यह ख्याल आया कि प्रकाश की गति को बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद मीनाक्षी ने इसपर काम करना शुरू कर दिया। 8वीं कक्षा में उसने सैद्धांतिक रूप से यह साबित किया कि प्रकाश की गति को बढ़ाया जा सकता है।
2013 में मीनाक्षी ने अपने सिद्धांत को नासा को भेजा था जिसके बाद मीनाक्षी के सिद्धांत सुर्खियों में आया था। मीनाक्षी मूल रूप से मुंगेर के सुभाषनगर की निवासी है फिलहाल 11वीं कक्षा में मुंगेर के बीआरएम कॉलेज में पढ़ाई कर रही है।

Cabridge University gave award to Meenakshi and put her name in Top 20 Scientist ->>>>





See NASA Certificate / Award to Meenakshi ->>
Michael Griffina and American President Barak Obama Gave NASA honor certificate to Meenakshi and included her name in Top 20 Scientist of the world -


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आइंस्टीन की थ्योरी जिसे सबसे यूनीक थ्योरी कहा जाता है, उसे अब मुंगेर की बेटी मीनाक्षी चैलेंज कर रही है। आइंस्टीन ने अपने शोध में कहा था कि प्रकाश की गति नहीं बढ़ती है, जबकि 11वीं की छात्रा मीनाक्षी का दावा है कि प्रकाश की गति को बढ़ाया जा सकता है।
जिले की बेटी मीनाक्षी का कहना है कि इस दिशा में उसे सफलता भी मिली है। मीनाक्षी के इस शोध पर नासा और कैब्रिज यूनिवर्सिटी ने भी मुहर लगाई है। हालांकि अभी मीनाक्षी डार्क इनर्जी और ब्लैक होल्स के रहस्यों को लेकर नासा के साथ काम रही है।
जानकारी के अनुसार नासा ने 2104 में पूरी दुनिया से 20 जुनियर साइंटिस्ट का चयन किया था और मीनाक्षी भी उसमें शामिल थी। नासा प्रत्येक 10 सालों के बाद इस तरह के जूनियर साइंटिस्ट का चयन करता है।
बता दें कि मीनाक्षी को कैब्रिंज यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई के साथ रिसर्च करने का ऑफर मिला है। मीनाक्षी ने अपने इस शोध से मु्ंगेर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। मीनाक्षी सिन्हा जिले के बीआरएम कॉलेज की 11वीं की छात्रा हैं।
मीनाक्षी मुंगेर जिले के सुभाष नगर मोहल्ले की रहने वाली है। मीनाक्षी के पिता मुकेश कुमार सिन्हा एक योग शिक्षक और माता संध्या वर्मा जुवेनाइल बोर्ड की सदस्या हैं। मीनाक्षी की शुरुआती शिक्षा नॉट्रोडेम स्कूल से हुई है और फिलहाल इंटर की पढ़ाई बी आर एम महिला कॉलेज से कर रही है।
मीनाक्षा ने वर्ष 2012 में भाभा को अपने रिसर्च की थ्योरी भेजी जिसे भाभा ने वर्ष 2013 में उस थ्योरी को नासा में भेज दिया और नासा ने भी मीनाक्षी विलक्षता प्रतिभा को देखते हुए दो वर्षो की पढाई के लिए ऑफर दिया था।

सम्मान
वर्ष 2014 में बेस्ट कॉस्मोलीगल अवार्ड
वर्ष 2015 में नासा ने ओनर सर्टिफिकेट






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