अब नौकरी छोड़ने पर नहीं मिलेगी PF की पूरी रकम, 58 साल के बाद ही निकाल सकेंगे पूरा पैसा
नई दिल्ली : चौतरफा विरोध के बाद केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि कोष (ईपीएफ) की निकासी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव भले ही पूरी तरह से वापस ले लिया है, लेकिन अब सरकार का एक नए फरमान से नौकरीपेशा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप ईपीएफ से मोटी रकम मिलने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको ये जानकर झटका लगेगा कि ईपीएफओ ने 58 साल की उम्र से पहले पीएफ की पूरी रकम निकालने पर रोक लगा दी है।
मीडिया में सामने आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार, श्रम मंत्रालय के तहत आने वाले इम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन यानी ईपीएफओ ने कहा है कि 58 साल की उम्र के पहले नौकरी छोड़ने वाले को पीएफ में कुल जमा रकम का आधा ही निकालने की इजाजत मिलेगी। यानी अगर कर्मचारी 58 साल से पहले नौकरी छोड़ता है तो उसे महज उसके द्वारा जमा कराई गई रकम यानी आधा पीएफ ही मिलेगा। बाकी आधा पीएफ और उसपर लगने वाला ब्याज कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद ही हासिल कर सकेगा। यानी बाकी रकम 58 साल की उम्र पूरी होने पर ही मिलेगी।
इन रिपोर्टों में बताया गया कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरी बदलने का चलन अधिक है, उनमें से 80 फीसदी लोग नौकरी बदलने के दो महीने बाद ही ईपीएफ से पूरा पैसा निकाल लेते हैं। लेकिन ईपीएफओ के नए नियमों के मुताबिक अब ऐसा नहीं होगा। एक अधिसूचना के तहत कहा गया है कि 58 साल की उम्र के पहले कोई नौकरी छोड़ता है तो 2 महीने बाद उसने जितना पैसा पीएफ में डाला, उतना ही रकम निकाल सकता है, यानी पीएफ में जमा कुल रकम का आधा।
मौजूदा समय में कर्मचारी के वेतन का कम से कम 12 फीसदी ईपीएफ में जमा कराना अनिवार्य होता है। इतनी ही रकम कम्पनी भी जमा कराती है, लेकिन उसमें से 3.67 फीसदी पीएफ और 8.33 पेंशन फंड में जाता है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में इस बार ईपीएफ की रकम पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया था। कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बाद सरकार ने ये प्रस्ताव तो वापस ले लिया लेकिन अब खबर आई है कि पीएफ के पैसे की निकासी पर नई शर्तें लागू कर दी गई हैं। इन शर्तों के मुताबिक पीएफ की पूरी राशि 58 साल की उम्र से पहले नहीं निकाली जा सकेगी।
अब तक ये प्रावधान था कि अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में नौकरी छोड़ता है तो दो माह के कूलिंग पीरियड के बाद वो पीएफ की सारी रकम निकाल सकता है लेकिन अब कर्मचारी सिर्फ अपने द्वारा किया गया अंशदान ही पीएफ से निकाल सकेगा और उसकी नियोक्ता कंपनी द्वारा जमा कराया गया अंशदान व उसपर मिलने वाला ब्याज 58 साल की उम्र तक लॉक रहेगा। नियोक्ता द्वारा जमा कराए गए अंशदान में से 3.67 फीसदी पीएफ में और 8.33 पेंशन फंड में जाता है। पीएफ में जमा कराई गई रकम पर ब्याज बराबर बढ़ता रहेगा। 58 साल की उम्र पूरी होने पर ये रकम व पेंशन मिलना आरंभ हो जाएगी।
ईपीएफओ का ये फैसला प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका है क्योंकि ये कर्मचारी अक्सर नौकरी छोड़कर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में जाते रहते हैं। ये कर्मचारी अब पीएफ की पूरी राशि यूएएन नंबर के जरिए दूसरे संस्थान के अकाउंट में ट्रांसफर तो कर सकते हैं लेकिन बीच में निकाल नहीं सकते। नई व्यवस्था के तहत पेंशन फंड में जमा रकम से पेंशन मिलेगी। नई व्यवस्था के तहत नौकरी छोड़ने की सूरत में पुरानी कम्पनी की ओर से जमा कराई गई रकम, नई कम्पनी की ओर से खोले गए पीएफ अकाउंट में डालने का विकल्प भी होगा।
श्रम मंत्री बंदारू दत्तात्रेय़ का कहना है कि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए ही ये फैसला किया गया है। 20 या 20 से ज्यादा कर्मचारी वाली किसी भी कम्पनी के लिए ईपीएफ में 12 फीसदी रकम जमा कराने का नियम है।
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मीडिया में सामने आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार, श्रम मंत्रालय के तहत आने वाले इम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन यानी ईपीएफओ ने कहा है कि 58 साल की उम्र के पहले नौकरी छोड़ने वाले को पीएफ में कुल जमा रकम का आधा ही निकालने की इजाजत मिलेगी। यानी अगर कर्मचारी 58 साल से पहले नौकरी छोड़ता है तो उसे महज उसके द्वारा जमा कराई गई रकम यानी आधा पीएफ ही मिलेगा। बाकी आधा पीएफ और उसपर लगने वाला ब्याज कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद ही हासिल कर सकेगा। यानी बाकी रकम 58 साल की उम्र पूरी होने पर ही मिलेगी।
इन रिपोर्टों में बताया गया कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरी बदलने का चलन अधिक है, उनमें से 80 फीसदी लोग नौकरी बदलने के दो महीने बाद ही ईपीएफ से पूरा पैसा निकाल लेते हैं। लेकिन ईपीएफओ के नए नियमों के मुताबिक अब ऐसा नहीं होगा। एक अधिसूचना के तहत कहा गया है कि 58 साल की उम्र के पहले कोई नौकरी छोड़ता है तो 2 महीने बाद उसने जितना पैसा पीएफ में डाला, उतना ही रकम निकाल सकता है, यानी पीएफ में जमा कुल रकम का आधा।
मौजूदा समय में कर्मचारी के वेतन का कम से कम 12 फीसदी ईपीएफ में जमा कराना अनिवार्य होता है। इतनी ही रकम कम्पनी भी जमा कराती है, लेकिन उसमें से 3.67 फीसदी पीएफ और 8.33 पेंशन फंड में जाता है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में इस बार ईपीएफ की रकम पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया था। कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बाद सरकार ने ये प्रस्ताव तो वापस ले लिया लेकिन अब खबर आई है कि पीएफ के पैसे की निकासी पर नई शर्तें लागू कर दी गई हैं। इन शर्तों के मुताबिक पीएफ की पूरी राशि 58 साल की उम्र से पहले नहीं निकाली जा सकेगी।
अब तक ये प्रावधान था कि अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में नौकरी छोड़ता है तो दो माह के कूलिंग पीरियड के बाद वो पीएफ की सारी रकम निकाल सकता है लेकिन अब कर्मचारी सिर्फ अपने द्वारा किया गया अंशदान ही पीएफ से निकाल सकेगा और उसकी नियोक्ता कंपनी द्वारा जमा कराया गया अंशदान व उसपर मिलने वाला ब्याज 58 साल की उम्र तक लॉक रहेगा। नियोक्ता द्वारा जमा कराए गए अंशदान में से 3.67 फीसदी पीएफ में और 8.33 पेंशन फंड में जाता है। पीएफ में जमा कराई गई रकम पर ब्याज बराबर बढ़ता रहेगा। 58 साल की उम्र पूरी होने पर ये रकम व पेंशन मिलना आरंभ हो जाएगी।
ईपीएफओ का ये फैसला प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका है क्योंकि ये कर्मचारी अक्सर नौकरी छोड़कर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में जाते रहते हैं। ये कर्मचारी अब पीएफ की पूरी राशि यूएएन नंबर के जरिए दूसरे संस्थान के अकाउंट में ट्रांसफर तो कर सकते हैं लेकिन बीच में निकाल नहीं सकते। नई व्यवस्था के तहत पेंशन फंड में जमा रकम से पेंशन मिलेगी। नई व्यवस्था के तहत नौकरी छोड़ने की सूरत में पुरानी कम्पनी की ओर से जमा कराई गई रकम, नई कम्पनी की ओर से खोले गए पीएफ अकाउंट में डालने का विकल्प भी होगा।
श्रम मंत्री बंदारू दत्तात्रेय़ का कहना है कि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए ही ये फैसला किया गया है। 20 या 20 से ज्यादा कर्मचारी वाली किसी भी कम्पनी के लिए ईपीएफ में 12 फीसदी रकम जमा कराने का नियम है।
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