चक्रवर्ती सम्राट अशोक : जीवन परिचय
Chakravarti samrat Ashok - Jivan prichay, Chakravarti Emperor Ashoka: biography.
कलिंग का युद्ध एक भरी नरसंहार था । तेरहवें सिलालेख अनुसार कलिंग के युध्द मैं एक लाख पचास हज़ार लोग बंदी बनाकर निर्वासित कर दिया गये, एक लाख लोगो की हत्या कर दी गयी । सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपने आखो से देखा । इससे द्रवित होकर अशोक ने शांति , सामाजिक ,प्रगति और धार्मिक प्रचार किया ।
बौध्द धर्म का अनुसरण और प्रचार
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Chakravarti samrat Ashok - Jivan prichay, Chakravarti Emperor Ashoka: biography.
भारत के इतिहास मैं अशोक एक चक्रवर्ती सम्राट
था । अशोक के राज्य का विस्तार बहुत विशाल था उन्होंने एक विशाल भारत की नीव डाली
जो अफगानिस्तान से लेकर बंगाल तक तथा हिन्दुकुश की श्रेणियों से मैसूर तक था । अशोक
का जन्म ३०४ ईसा पूर्व का था । अशोक सम्राट बिन्दुसार और रानी धर्मा का पुत्र
था।
राजगद्दी और विस्तारवादी निति
राजगद्दी और विस्तारवादी निति
भाईयो के साथ गृह-युध्द के बाद २७२ ईसा पूर्व मै
सत्ता मिली । सत्ता के अधिग्रहण के बाद दादा
सम्राट चन्द्रगुप्त और पिता सम्राट बिन्दुसार नितीयो को अपनाते होए राज्य का विस्तार बहुत तेजी गति से की । जो केवल ८ वर्षो मैं कश्मीर , कलिंग और महत्तवपूर्ण राज्यों को जीतकर विशाल राज्य की स्थापना की जो उस समय के सभी छोटे राज्यों को मिलकर एक भारत की पहचान बनाई । सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा शांति के लिए जाना जाता था
कलिंग का युद्ध
सम्राट चन्द्रगुप्त और पिता सम्राट बिन्दुसार नितीयो को अपनाते होए राज्य का विस्तार बहुत तेजी गति से की । जो केवल ८ वर्षो मैं कश्मीर , कलिंग और महत्तवपूर्ण राज्यों को जीतकर विशाल राज्य की स्थापना की जो उस समय के सभी छोटे राज्यों को मिलकर एक भारत की पहचान बनाई । सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा शांति के लिए जाना जाता था
कलिंग का युद्ध
कलिंग का युद्ध एक भरी नरसंहार था । तेरहवें सिलालेख अनुसार कलिंग के युध्द मैं एक लाख पचास हज़ार लोग बंदी बनाकर निर्वासित कर दिया गये, एक लाख लोगो की हत्या कर दी गयी । सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपने आखो से देखा । इससे द्रवित होकर अशोक ने शांति , सामाजिक ,प्रगति और धार्मिक प्रचार किया ।
बौध्द धर्म का अनुसरण और प्रचार
कलिंग के युध्द ने अशोक के ह्रदय में महान
परिवर्तन कर दिया । उसका ह्रदय मानवता के प्रति दया और करुणा से भरा गया उसने युध्द
क्रिया को सदा के लिए बंद कर देने की प्रतिज्ञा की । यहाँ से आध्यात्मिक और धर्मं
विजय का युग शुरू हुआ । अशोक ने बौध धर्मं स्वीकार किया और इसके प्रसार के लिए उसने
देश-विदेश मैं अपने अनुय़ाय़ी को भेजा गया यह तक की उन्होंने अपने पुत्र और पुत्री
को श्रीलंका मैं बौध्द धर्म के प्रसार के लिए भेजा था । राज्य की ताकत का उसने
जनकल्याण लगा दिया और अशोक ने अपने कार्यकाल मैं अनेक सिलालेखा खुदवाए, अनेक
स्तुपों, स्तंभों का निर्माण करवाया जिनमे धरमौपदेश का सन्देश दिया । जो आज भी कई
देश-विदेशो मैं इसके लेखा मिलते है।
अशोक की तुलना कई विद्वानों ने विश्व इतिहास की विभूतियाँ कांस्टेटाइन, एटोनियास, अकबर, सेंटपाल और नेपोलियन सीज़र के साथ की है । अशोक ने अहिंसा , शांति तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के विश्वविख्यात तथा अतुलनीय सम्राट है ।
एच.जी वेल्स के मतानुसार अशोक का चरित्र
"इतिहास के स्तंम्भों को भरने वाले राजाओ, सम्राटो, संत-महात्माओ आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश मै अच्छाई के लिए जगमगाते रहेंगे "
अशोक की तुलना कई विद्वानों ने विश्व इतिहास की विभूतियाँ कांस्टेटाइन, एटोनियास, अकबर, सेंटपाल और नेपोलियन सीज़र के साथ की है । अशोक ने अहिंसा , शांति तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के विश्वविख्यात तथा अतुलनीय सम्राट है ।
एच.जी वेल्स के मतानुसार अशोक का चरित्र
"इतिहास के स्तंम्भों को भरने वाले राजाओ, सम्राटो, संत-महात्माओ आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश मै अच्छाई के लिए जगमगाते रहेंगे "
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