News : फेस बुक पर मोदी जी से अपील - पहले संसद केन्टीन में मिल रही सब्सिडी बंद करो , संसद पेंशन योजना बंद करो , फिर गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए कहना
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महात्मा गांधी जी का कहना था - की पहले स्वयं पर अमल करो , फिर दूसरों से कहो
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सफाई अभियान का भी कुछ नहीं हुआ, सिर्फ कुछ दफ्तरों ने २ अक्टूबर के दिन नुमाइशी फोटो और झाड़ू मंगवाने के आलावा कुछ नहीं किया
आदरणीय प्रधानमंत्री Narendra Modi जी सांसदों को मिलने बाली सब्सिडी कब बंद होगी ?? "क्यों ना बढ़ाए जाएं संसद की कैंटीन व सांसदों को मिलने बाली अन्य सुविधायो का के दाम ? "राजाओ के सामान प्रिबिपर्स जो की नये राजाओ 745 (543 सांसद लोक सभा, 250 राज्य सभा सदस्य को दिया जा रहा हे ? "आख़िर क्यों जनता का रकम का दुरुपयोग हो रहा है ?
" 12.30 रुपये में शाकाहारी थाली , दाल 2 रुपए, चपाती 1 रुपए, ब्रेड-बटर 5 रुपए, सादा वडा 2 रुपए, चौंकिए नहीं ये तो महज एक नमूना है। देश की सबसे बड़ी पंचायत-यानि संसद की कैंटीन में नाश्ता हो या खाना इसी रेट पर मिलता है। इस सस्ते खाने की वजह है संसद की कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी। बाजार में कीमतों के दाम आसमान छू रहे हैं। दो वक्त की सब्जी खरीदने में पसीना छूट रहा है। यहां तक कि आलू भी 40 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे समय में हमारे माननीय सांसदों को बेहद सस्ते दाम पर खाना मिल रहा हैं। और सबसे मजे की बात पिछली बार वर्ष 2010 में कैंटीन के रेट बढ़े थे, तब भी कुछ सांसदों ने विरोध किया जिसके मद्देनजर कीमते नही बढ़ी ।
क्या मोदीजी कैंटीन के सब्सिडाइज्ड खाने को त्यागने की अपील सांसदों से करेंगे? जनता को पता लगना चाहिए, बताया जाना चाहिए कि मंत्रियों, सांसदों को कहां-कहां सब्सिडी मिलती है। इलाज में कितना कंसेशन मिलता है। और क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सांसदों को कुछ संख्या में मुफ्त हवाई यात्रा की सुविधा दी गई है। कितनी, यह ठीक से शायद ही, कुछ को पता हो, आम जनता को तो पता भी नहीं कि उनके सांसद कितनी हवाईयात्रा मुफ्त में करते हैं। सरकार यह सुविधा दे रही है। रेल किराया भी शायद नहीं लिया जाता। ए.सी.-1 में यात्रा की सुविधा है। क्या यह सब्सिडी भी मंत्री, सांसद त्यागेंगे। उनके लिए भी है क्या यह अपील। हो यह भी रहा है कि सरकारी स्कूलों में सांसदों, मंत्रियों के पुत्र-पुत्रियां, नाती-पोते, नातिन पढ़ते नहीं, महंगे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं (अपवाद हो सकता है) इसलिए सरकारी स्कूलों की पढ़ाई की समस्या को वे समझ नहीं रहे। कुछ सांसद, मंत्री ही महंगे स्कूल संचालित कर रहे हों। क्या मोदीजी इनसे अपील करेंगे कि वे निजी स्कूलों में फीस का स्ट्रक्चर ऐसा रखें कि गरीबों के बच्चे भी पढ़ें। क्या निजी स्कूलों से त्याग करने की अपील करेंगे। शिक्षा एक विशाल इंडस्ट्री बन गई है। व्यवसाय है, इसमें करोड़ों रुपये लगे हैं। क्या गांवों में अच्छे स्कूल खोलने की अपील करेंगे। दरअसल किसको-किसको, किस-किस रूप में सब्सिडी दी जा रही है, यह आमजन को पता ही नहीं।
जब सरकार एक-एक करके आम जनता से जुड़ी अधिकतर चीजों मसलन पेट्रोल, डीजल, बिजली, जरुरतमंद यात्रियों के तत्काल रेलवे टिकटों को बाजार के हवाले करने के बाद अब सक्षम नागरिकों से राष्ट्रहित में घरेलू गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रही है। ऐसे में अच्छा होगा कि अगर संसद कैंटीन में भी बाजार दरों पर भोजन परोसा जाए। और सांसदों को मिलने बाली सुविधाओ को भी बंद किया जाये। वर्तमान लोकसभा में 441 सांसद करोड़पति हैं इसलिए ये लोकसभा बाजार दरों पर स्वयं के भोजन का भार उठाने में सक्षम भी है।
नोट - संसद की कैटीन का मेन्यू जिसमें कीमतों का पूरा ब्योरा भी हैं साथ दे रही हु खुद देखे सरकारी बजट का एक बड़ा हिस्सा इस पर खर्च किया जा रहा हो, सांसदों को इतना सस्ता और सब्सीडाइज्ड खान मुहैया कराने का क्या मतलब है, क्या इससे हमारी सियासी जमात को लेकर आम जनता में गलत संदेश नहीं जाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रसोई गैस की सब्सिडी त्यागने की अपील की है। उनका कहना है कि जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है, वे सब्सिडी न लें, सब्सिडी का त्याग करें। श्री मोदी सब्सिडी त्यागो अभियान चला रहे हैं।
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आदरणीय प्रधानमंत्री Narendra Modi जी सांसदों को मिलने बाली सब्सिडी कब बंद होगी ?? "क्यों ना बढ़ाए जाएं संसद की कैंटीन व सांसदों को मिलने बाली अन्य सुविधायो का के दाम ? "राजाओ के सामान प्रिबिपर्स जो की नये राजाओ 745 (543 सांसद लोक सभा, 250 राज्य सभा सदस्य को दिया जा रहा हे ? "आख़िर क्यों जनता का रकम का दुरुपयोग हो रहा है ?
" 12.30 रुपये में शाकाहारी थाली , दाल 2 रुपए, चपाती 1 रुपए, ब्रेड-बटर 5 रुपए, सादा वडा 2 रुपए, चौंकिए नहीं ये तो महज एक नमूना है। देश की सबसे बड़ी पंचायत-यानि संसद की कैंटीन में नाश्ता हो या खाना इसी रेट पर मिलता है। इस सस्ते खाने की वजह है संसद की कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी। बाजार में कीमतों के दाम आसमान छू रहे हैं। दो वक्त की सब्जी खरीदने में पसीना छूट रहा है। यहां तक कि आलू भी 40 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे समय में हमारे माननीय सांसदों को बेहद सस्ते दाम पर खाना मिल रहा हैं। और सबसे मजे की बात पिछली बार वर्ष 2010 में कैंटीन के रेट बढ़े थे, तब भी कुछ सांसदों ने विरोध किया जिसके मद्देनजर कीमते नही बढ़ी ।
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जब सरकार एक-एक करके आम जनता से जुड़ी अधिकतर चीजों मसलन पेट्रोल, डीजल, बिजली, जरुरतमंद यात्रियों के तत्काल रेलवे टिकटों को बाजार के हवाले करने के बाद अब सक्षम नागरिकों से राष्ट्रहित में घरेलू गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रही है। ऐसे में अच्छा होगा कि अगर संसद कैंटीन में भी बाजार दरों पर भोजन परोसा जाए। और सांसदों को मिलने बाली सुविधाओ को भी बंद किया जाये। वर्तमान लोकसभा में 441 सांसद करोड़पति हैं इसलिए ये लोकसभा बाजार दरों पर स्वयं के भोजन का भार उठाने में सक्षम भी है।
नोट - संसद की कैटीन का मेन्यू जिसमें कीमतों का पूरा ब्योरा भी हैं साथ दे रही हु खुद देखे सरकारी बजट का एक बड़ा हिस्सा इस पर खर्च किया जा रहा हो, सांसदों को इतना सस्ता और सब्सीडाइज्ड खान मुहैया कराने का क्या मतलब है, क्या इससे हमारी सियासी जमात को लेकर आम जनता में गलत संदेश नहीं जाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रसोई गैस की सब्सिडी त्यागने की अपील की है। उनका कहना है कि जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है, वे सब्सिडी न लें, सब्सिडी का त्याग करें। श्री मोदी सब्सिडी त्यागो अभियान चला रहे हैं।
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