इन पंक्तियों को गाकर देखिए, याद आ जाएगा बचपन का दिन........
* चल कबड्डी आसलाल, मर गया प्रकाशलाल
* आव तानी रे, डेरइहें मत रे
कपार कान फूटी- लड़िकपन छूटी- लड़िकपन छूटी...
* ओका-बोका तीन तड़ोका, लऊआ-लाठी चंदन काठी...
* आन्हीं-बुनी आवेले, चिरइयां ढोल बजावेले
बूढ़ी मइया हाली-हाली, गोइठा उठावेले
एक मुठी लाई, दामाद फुसलाई
बुंदी ओनही बिलाई, बुंदी ओनही बिलाई...
* तार काटो, तरकूल काटो, काटो रे बनखाजा
हाथी प के घुंघरा, चमक चले राजा
राजा के दुलारी बेटी, खूब बजाए बाजा
तालवा खुलते नइखे, चभिया मिलते नइखे
चभिया मिल गइल, तालवा खुल गइल...
* घुघुआ माना, उपजे धाना
नया भीति उठत हई, पुरान भीति गिरत हई
बासन-बरतन सम्हरिये बुढ़िया, ढायं...
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* आव तानी रे, डेरइहें मत रे
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* ओका-बोका तीन तड़ोका, लऊआ-लाठी चंदन काठी...
* आन्हीं-बुनी आवेले, चिरइयां ढोल बजावेले
बूढ़ी मइया हाली-हाली, गोइठा उठावेले
एक मुठी लाई, दामाद फुसलाई
बुंदी ओनही बिलाई, बुंदी ओनही बिलाई...
* तार काटो, तरकूल काटो, काटो रे बनखाजा
हाथी प के घुंघरा, चमक चले राजा
राजा के दुलारी बेटी, खूब बजाए बाजा
तालवा खुलते नइखे, चभिया मिलते नइखे
चभिया मिल गइल, तालवा खुल गइल...
* घुघुआ माना, उपजे धाना
नया भीति उठत हई, पुरान भीति गिरत हई
बासन-बरतन सम्हरिये बुढ़िया, ढायं...
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