पांच घंटियों वाली योजना
किसी जमाने में एक होटल हुआ करता था जिसका नाम "द सिल्वर स्टार"था। होटल मालिक के तमाम प्रयासों के बावजूद वह होटल बहुत अच्छा नहीं चल रहा था। होटल मालिक ने होटल को आरामदायक, कर्मचारियों को विनम्र बनाने के अलावा किराया भी कम करके देख लिया, पर वह ग्राहकों को आकर्षित करने में नाकाम रहा। इससे निराश होकर वह एक साधु के पास सलाह लेने पहुंचा।
उसकी व्यथा सुनने के बाद साधु ने उससे कहा - "इसमें चिंता की क्या बात है? बस तुम अपने होटल का नाम बदल दो।"
होटल मालिक ने कहा - "यह असंभव है। कई पीढ़ियों से इसका नाम "द सिल्वर स्टार" है और यह देशभर में प्रसिद्ध है।"
साधु ने उससे फिर कहा - "पर अब तुम इसका नाम बदल कर "द फाइव वैल" रख दो और होटल के दरवाज़े पर छह घंटियाँ लटका दो।"
होटल मालिक ने कहा - "छह घंटियाँ? यह तो और भी बड़ी बेवकूफी होगी। आखिर इससे क्या लाभ होगा?"
साधु ने मुस्कराते हुए कहा - यह प्रयास करके भी देख लो।
होटल मालिक ने वैसा ही किया।
इसके बाद जो भी राहगीर और पर्यटक वहां से गुजरता, होटल मालिक की गल्ती बताने चला आता। अंदर आते ही वे होटल की व्यवस्था और विनम्र सेवा से प्रभावित हो जाते। धीरे - धीरे वह होटल चल निकला। होटल मालिक इतने दिनों से जो चाह रहा था, वह उसे मिल गया।
"दूसरे की गल्ती बताने में भी कुछ व्यक्तियों का अहं संतुष्ट होता है।"
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