बद से बदतर तरीका
एक महाराजा समुद्र की यात्रा के दौरान भयंकर तूफान में फंस गए। उनका एक गुलाम जो पहली बार जहाज पर चढ़ा था, डर के मारे कांपने लगा और चिल्ला-चिल्ला के रोने लगा। वह इतनी जोर से रोया कि जहाज पर सवार बाकी सभी लोग उसकी कायरता देख गुस्सा हो गए। महाराजा ने भी गुस्सा होकर उसे समुद्र में फेंकने का आदेश दे दिया।
लेकिन राजा के सलाहकार, जो कि एक संन्यासी थे, ने उन्हें रोकते हुए कहा - "कृपया यह मामला मुझे निपटाने दें। शायद मैं उसका इलाज कर सकता हूं।"
राजा ने उनकी बात मान ली। उन्होंने कुछ नाविकों से उस गुलाम को समुद्र में फेंक देने का आदेश दिया। जैसे ही उस गुलाम को समुद्र में फेंका गया वह बेचारा गुलाम जोर से चिल्लाया और अपनी जान बचाने के लिए कठोर संघर्ष करने लगा।
कुछ ही पलों में संन्यासी ने उसे दोबारा जहाज पर खींच लेने का आदेश दिया। जहाज पर वापस आकर वह गुलाम चुपचाप एक कोने में जाकर खड़ा हो गया। जब महाराजा ने संन्यासी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा - "जब तक स्थितियां बद से बदतर न हो जाए, हम यह जान नहीं पाते कि हम कितने भाग्यशाली हैं।"
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आत्मोन्नति के लिए यदि अधिक से अधिक समय लगायें तो दूसरों की आलोचना करने का समय नही मिलेगा "
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