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सूर्यदेव 17 सितंबर की सुबह कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं, वहां ये पहले से ही मौजूद राहु से युति करेंगें जिसके परिणामस्वरूप 'ग्रहणयोग' बनेगा। कन्या राशि के अधिपति बुध हैं लेकिन यह राहु की भी प्रिय राशि है।
इसकी वजह है कि यह स्त्री राशि है और राहु, केतु अथवा कोई भी क्रूर ग्रह जब किसी भी स्त्री राशि के प्रवेश करते हैं तो उनके स्वाभाव में सौम्यता आ जाती है।
आसुरी शक्तियां सर्वाधिक स्त्रियों के ही वशीभूत रहती हैं अतः कन्याराशि के जातकों का एक माह मानसिक तनाव वाला तो रहेगा परन्तु कार्य व्यापार की दृष्टि से अधिक नुकसान नहीं होगा।
कन्या राशि वालों के लिए बड़ी खुशखबरी यह है कि अब कामयाबियों के मार्ग में आनेवाली सभी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होती जाएगी। इसराशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती के बचे हुए अंतिम 50 दिनों का कुप्रभाव अभी भी जातकों के शरीर में कमर से नीचे रहेगा।
यह थोडा कष्टकारक तो है, लेकिन अब इससे भी मुक्ति मिलाने वाली है। इसलिए इस युति से घबराए नहीं। राहु-सूर्य के एक साथ आ जाने से सूर्य, राहु का कुप्रभाव और भी कम कर देंगें। इसकी वजह है कि जन्मकुंडली में यदि सूर्य बलवान हों तो अकेले ही सात ग्रहों का दोष शमन कर देते हैं।
अगर उत्तरायण सूर्य के समय आपका जन्म हुआ हो तो सूर्य सभी आठ ग्रहों चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु का दोष शमन कर देते हैं।
अतः सूर्य को प्रसन्न करने से राजपद, श्रेष्ठ पुरस्कार, उत्तम स्वास्थय, संतान प्राप्ति, पाप शमन, शत्रु विनाश, खोई हुई प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्ति होती है। ! शिव-पार्वती संवादशास्त्र, कर्मविपाक संहिता में सूर्य के महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है "ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वराः
ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षी भूतं जगत्त्रये। अर्थात- तीनों प्रकार श्रेष्ठ मध्यम और अधम जगत के साक्षी ब्रह्मा, विष्णु, शिव, देवी, देव, इंद्र और मुनीश्वर भी भगवान् भास्कर ही ध्यान करते हैं।
आप ही ब्रह्मा, विष्णु ,शिव, प्रजापति अग्नि तथा वषट्कार स्वरूप कहे जाते है आप समस्त संसार के शुभ-अशुभ कर्मों के दृष्टा हैं। यह चराचर जगत आपके ही प्रकाश से दीप्यमान होता है, आप जगत की आत्मा हैं आपकी तेजस्वी किरणों के प्रभाव से ही जीव की उतपत्ति होती है।
सूर्य रश्मितो जीवोभि जायते। जन्मकुंडली में अथवा ग्रह गोचर देखते समय सूर्य की भावस्थिति का ध्यानपूर्वक विवेचन करना चाहिए।
इनका राशि परिवर्तन मेष, बृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, बृश्चिक, धनु, और मकर, राशि वालों के लिए उत्तम फलदायी रहेगा जबकि, मिथुन, तुला, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिए मध्यम रहेगा।
News Source : Amar Ujala (12.09.2014)
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17 सितंबर सूर्य-राहु का बन रहा योग, आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा
17 Septemebr ko Hee Narendra Modi ji ka Janm Din Hai
सूर्यदेव 17 सितंबर की सुबह कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं, वहां ये पहले से ही मौजूद राहु से युति करेंगें जिसके परिणामस्वरूप 'ग्रहणयोग' बनेगा। कन्या राशि के अधिपति बुध हैं लेकिन यह राहु की भी प्रिय राशि है।
इसकी वजह है कि यह स्त्री राशि है और राहु, केतु अथवा कोई भी क्रूर ग्रह जब किसी भी स्त्री राशि के प्रवेश करते हैं तो उनके स्वाभाव में सौम्यता आ जाती है।
आसुरी शक्तियां सर्वाधिक स्त्रियों के ही वशीभूत रहती हैं अतः कन्याराशि के जातकों का एक माह मानसिक तनाव वाला तो रहेगा परन्तु कार्य व्यापार की दृष्टि से अधिक नुकसान नहीं होगा।
कन्या राशि वालों के लिए बड़ी खुशखबरी यह है कि अब कामयाबियों के मार्ग में आनेवाली सभी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होती जाएगी। इसराशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती के बचे हुए अंतिम 50 दिनों का कुप्रभाव अभी भी जातकों के शरीर में कमर से नीचे रहेगा।
यह थोडा कष्टकारक तो है, लेकिन अब इससे भी मुक्ति मिलाने वाली है। इसलिए इस युति से घबराए नहीं। राहु-सूर्य के एक साथ आ जाने से सूर्य, राहु का कुप्रभाव और भी कम कर देंगें। इसकी वजह है कि जन्मकुंडली में यदि सूर्य बलवान हों तो अकेले ही सात ग्रहों का दोष शमन कर देते हैं।
अगर उत्तरायण सूर्य के समय आपका जन्म हुआ हो तो सूर्य सभी आठ ग्रहों चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु का दोष शमन कर देते हैं।
अतः सूर्य को प्रसन्न करने से राजपद, श्रेष्ठ पुरस्कार, उत्तम स्वास्थय, संतान प्राप्ति, पाप शमन, शत्रु विनाश, खोई हुई प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्ति होती है। ! शिव-पार्वती संवादशास्त्र, कर्मविपाक संहिता में सूर्य के महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है "ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वराः
ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षी भूतं जगत्त्रये। अर्थात- तीनों प्रकार श्रेष्ठ मध्यम और अधम जगत के साक्षी ब्रह्मा, विष्णु, शिव, देवी, देव, इंद्र और मुनीश्वर भी भगवान् भास्कर ही ध्यान करते हैं।
आप ही ब्रह्मा, विष्णु ,शिव, प्रजापति अग्नि तथा वषट्कार स्वरूप कहे जाते है आप समस्त संसार के शुभ-अशुभ कर्मों के दृष्टा हैं। यह चराचर जगत आपके ही प्रकाश से दीप्यमान होता है, आप जगत की आत्मा हैं आपकी तेजस्वी किरणों के प्रभाव से ही जीव की उतपत्ति होती है।
सूर्य रश्मितो जीवोभि जायते। जन्मकुंडली में अथवा ग्रह गोचर देखते समय सूर्य की भावस्थिति का ध्यानपूर्वक विवेचन करना चाहिए।
इनका राशि परिवर्तन मेष, बृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, बृश्चिक, धनु, और मकर, राशि वालों के लिए उत्तम फलदायी रहेगा जबकि, मिथुन, तुला, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिए मध्यम रहेगा।
News Source : Amar Ujala (12.09.2014)
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