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टैक्नोसैवी बच्चे
आज के बच्चे पूरी तरह टैक्नोसैवी हो गए हैं। कंप्यूटर, विडियो गेम और मोबाइल उनकी पसंदीदा चीजों में शामिल हो गए हैं। या यों कहिए कि इनके बिना बच्चे नहीं रह सकते हैं। घर से बाहर खेलने की बजाय वे घर में ही विभिन्न तरह के खेलों का मजा लेना चाहते हैं। पहले बच्चे जहां छुपा-छुपी और रस्सी कूद जैसे आउटडोर गेम्स पसंद करते थे, वहीं आज के बच्चे ऐसे खेल खेलने से कतराने लगे हैं। वे विडियो गेम खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। कंप्यूटर ने उनकी लाइफस्टाइल ही बदलकर रख दी है।
घंटों दोस्तों के साथ चैटिंग करना और ईमेल के जरिए एक दूसरे का हाल जानना उनका फेवरिट टाइमपास है। घंटों वे चैटिंग में व्यस्त देखे जा सकते हैं। कंप्यूटर में तरह-तरह के गेम्स का वे घर बैठकर मजा ले सकते हैं। मार्केट में तरह तरह के विडियो गेम उन्हें लुभाने के लिए तैयार हैं। मोबाइल के सभी फंग्शन बड़ों से ज्यादा बच्चों को अच्छे तरीके से पता होते हैं। नोएडा के सेक्टर 27 में रहने वाली पुष्पा पंत उस समय हैरान हो गई जब उनके 12 साल के बेटे ने उनसे बर्थडे गिफ्ट में लैपटॉप मांगा। सेक्टर 29 में रहने वाले सिद्धार्थ चोपड़ा का कहना है कि वे अपने 10 साल के बेटे को हर वीकएंड पर मॉल ले जाते हैं और वहां उसे 1 घंटा विडियो गेम खिलाते हैं। जिस बार यह रूटीन वे भूल जाते हैं, तो उनका बेटा खाना छोड़कर बैठ जाता है।
लाइफस्टाइल बदला
छोटे बच्चों का लाइफस्टाइल भी पूरी तरह बदल गया है। बदली स्कूली शिक्षा और आसपास के वातावरण ने उन्हें पूरी तरह बदल कर रख दिया है। पिज्जा, बर्गर और सैंडविच खाने के शौकीन बच्चों को घर का खाना रास नहीं आता है। स्कूली बच्चों का टिफिन ले जाना का सिस्टम भी चेंज हो गया है। आज के बच्चे टिफिन में मम्मी के हाथ का बने परांठों की बजाय मैगी, चाउमिन, बर्गर ले जाते हैं। बच्चों को फास्ट फूड ज्यादा पसंद आता है। दूसरी ओर उन्हें नैशनल और इंटरनैशनल ब्रैंड की जानकारी रहती है। बच्चे अपनी पसंद के कपड़े खरीदना पसंद करते हैं। वे अपनी लुक पर भी काफी ध्यान देते हैं। छोटे बच्चे आपको जिम जाते हुए नजर आ जाएंगे। सब में वे अपनी पसंद देखते है। वे अपनी पॉकेट मनी को बाहर खाने पीने से लेकर डीवीडी में फिल्में देखना और विडियो गेम्स पर खर्च करते हैं। बच्चों के माता-पिता भी उनके इस बदलते लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार हैं। अब यूनिट फैमली के चलते बच्चे अकेले हो गए हैं। माता-पिता के पास उनके लिए टाइम तो नहीं है, इसलिए वे बाजार से उनके लिए हर खुशी खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।
खिलौने भी हुए हाईटेक
आज बाजारों में एक से बढ़कर एक हाईटेक खिलौने हैं। इनमें उड़ने वाला हेलीकाप्टर विडियो गेम्स बच्चों को खूब पसंद आते हैं। हिंसा से भरपूर खेल उन्हें खूब रास आते हैं। बच्चों को लुभाने के लिए बाजार में लाइट इफेक्ट वाले खिलौनों की भरमार है। इसके अलावा वे बाइक राइडिंग ज्यादा पसंद करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स उनकी पसंद में शामिल हैं।
रोल मॉडल्स भी बदले
बच्चों के रोल मॉडल भी बदल गए हैं। पहले बच्चे जहां अपने माता-पिता, फ्रीडम फाइटर्स को अपना रोल मॉडल मानते थे, वहीं आज के बच्चों के रोल मॉडल कोई और ही हैं। वे अपना करियर बनाने को ज्यादा अहम मानते हैं। छोटी लड़कियों को ग्लैमर वर्ल्ड लुभाता है, तो लड़कों में जॉन और सलमान बनने की चाह है। सेक्टर-37 में रहने वाली इंग्लिश टीचर ऊषा जायसवाल का कहना है कि उनकी बेटी 11 साल की है और उन्होंने उसे टेनिस क्लासेस भेजा है, क्योंकि वह बड़ी होकर सानिया मिर्जा जैसी बनना चाहती है। वही चेतन भार्गव का कहना है कि उनका 9 साल का बेटा क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहता है। वह धोनी का फैन है।
News Taken from Navbharat Times
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परी लोक से
आई परियों की कहानियां, राजा और रानियों की दुनिया, बौनों का संसार ये सभी
कहानियां कुछ समय पहले बच्चों को खूब लुभाती थी। ऐसी कहानियां बच्चे खूब
मजे लेकर सुना करते थे। दादा-दादी के साथ उनका प्यार अनोखा होता था। आज के
बच्चे वक्त से पहले ही बड़े हो रहे हैं। गुड्डे गुड़ियों का खेल अब उन्हें
पसंद नहीं आता है। बच्चों का संसार अब हाईटेक हो चला है। बदलते लाइफस्टाइल
ने उनके बातचीत के तरीके से लेकर खाने-पीने की हैबिट और उनके खेलने के
तरीकों को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। उनकी शरारत करने के अंदाज बदल गए
हैं। आज आप किसी बच्चे को सिर्फ बच्चा समझने की भूल मत कीजिए।
टैक्नोसैवी बच्चे
आज के बच्चे पूरी तरह टैक्नोसैवी हो गए हैं। कंप्यूटर, विडियो गेम और मोबाइल उनकी पसंदीदा चीजों में शामिल हो गए हैं। या यों कहिए कि इनके बिना बच्चे नहीं रह सकते हैं। घर से बाहर खेलने की बजाय वे घर में ही विभिन्न तरह के खेलों का मजा लेना चाहते हैं। पहले बच्चे जहां छुपा-छुपी और रस्सी कूद जैसे आउटडोर गेम्स पसंद करते थे, वहीं आज के बच्चे ऐसे खेल खेलने से कतराने लगे हैं। वे विडियो गेम खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। कंप्यूटर ने उनकी लाइफस्टाइल ही बदलकर रख दी है।
घंटों दोस्तों के साथ चैटिंग करना और ईमेल के जरिए एक दूसरे का हाल जानना उनका फेवरिट टाइमपास है। घंटों वे चैटिंग में व्यस्त देखे जा सकते हैं। कंप्यूटर में तरह-तरह के गेम्स का वे घर बैठकर मजा ले सकते हैं। मार्केट में तरह तरह के विडियो गेम उन्हें लुभाने के लिए तैयार हैं। मोबाइल के सभी फंग्शन बड़ों से ज्यादा बच्चों को अच्छे तरीके से पता होते हैं। नोएडा के सेक्टर 27 में रहने वाली पुष्पा पंत उस समय हैरान हो गई जब उनके 12 साल के बेटे ने उनसे बर्थडे गिफ्ट में लैपटॉप मांगा। सेक्टर 29 में रहने वाले सिद्धार्थ चोपड़ा का कहना है कि वे अपने 10 साल के बेटे को हर वीकएंड पर मॉल ले जाते हैं और वहां उसे 1 घंटा विडियो गेम खिलाते हैं। जिस बार यह रूटीन वे भूल जाते हैं, तो उनका बेटा खाना छोड़कर बैठ जाता है।
लाइफस्टाइल बदला
छोटे बच्चों का लाइफस्टाइल भी पूरी तरह बदल गया है। बदली स्कूली शिक्षा और आसपास के वातावरण ने उन्हें पूरी तरह बदल कर रख दिया है। पिज्जा, बर्गर और सैंडविच खाने के शौकीन बच्चों को घर का खाना रास नहीं आता है। स्कूली बच्चों का टिफिन ले जाना का सिस्टम भी चेंज हो गया है। आज के बच्चे टिफिन में मम्मी के हाथ का बने परांठों की बजाय मैगी, चाउमिन, बर्गर ले जाते हैं। बच्चों को फास्ट फूड ज्यादा पसंद आता है। दूसरी ओर उन्हें नैशनल और इंटरनैशनल ब्रैंड की जानकारी रहती है। बच्चे अपनी पसंद के कपड़े खरीदना पसंद करते हैं। वे अपनी लुक पर भी काफी ध्यान देते हैं। छोटे बच्चे आपको जिम जाते हुए नजर आ जाएंगे। सब में वे अपनी पसंद देखते है। वे अपनी पॉकेट मनी को बाहर खाने पीने से लेकर डीवीडी में फिल्में देखना और विडियो गेम्स पर खर्च करते हैं। बच्चों के माता-पिता भी उनके इस बदलते लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार हैं। अब यूनिट फैमली के चलते बच्चे अकेले हो गए हैं। माता-पिता के पास उनके लिए टाइम तो नहीं है, इसलिए वे बाजार से उनके लिए हर खुशी खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।
खिलौने भी हुए हाईटेक
आज बाजारों में एक से बढ़कर एक हाईटेक खिलौने हैं। इनमें उड़ने वाला हेलीकाप्टर विडियो गेम्स बच्चों को खूब पसंद आते हैं। हिंसा से भरपूर खेल उन्हें खूब रास आते हैं। बच्चों को लुभाने के लिए बाजार में लाइट इफेक्ट वाले खिलौनों की भरमार है। इसके अलावा वे बाइक राइडिंग ज्यादा पसंद करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स उनकी पसंद में शामिल हैं।
रोल मॉडल्स भी बदले
बच्चों के रोल मॉडल भी बदल गए हैं। पहले बच्चे जहां अपने माता-पिता, फ्रीडम फाइटर्स को अपना रोल मॉडल मानते थे, वहीं आज के बच्चों के रोल मॉडल कोई और ही हैं। वे अपना करियर बनाने को ज्यादा अहम मानते हैं। छोटी लड़कियों को ग्लैमर वर्ल्ड लुभाता है, तो लड़कों में जॉन और सलमान बनने की चाह है। सेक्टर-37 में रहने वाली इंग्लिश टीचर ऊषा जायसवाल का कहना है कि उनकी बेटी 11 साल की है और उन्होंने उसे टेनिस क्लासेस भेजा है, क्योंकि वह बड़ी होकर सानिया मिर्जा जैसी बनना चाहती है। वही चेतन भार्गव का कहना है कि उनका 9 साल का बेटा क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहता है। वह धोनी का फैन है।
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