*एक बार दशहरा बीत चुका था , दीपावली समीप थी , तभी एक दिन कुछ युवक - युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई !*
*उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे ; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया !*
*उन्होंने पूछा , " जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उत्साह में मनाई जाती है , तो दीपावली पर " लक्ष्मी पूजन " क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही ?"*
*प्रश्न पर सन्नाटा छा गया , क्यों कि उस समय कोई सोशल मीडिया तो था नहीं , स्मार्ट फोन भी नहीं थे ! किसी को कुछ नहीं पता ! तब , सन्नाटा चीरते हुए , हममें से ही एक हाथ , प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा !*
*उसने बताया कि " दीपावली " उत्सव दो युग " सतयुग " और " त्रेता युग " से जुड़ा हुआ है !"*
*" सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी !" इसलिए " लक्ष्मी पूजन " होता है !*
*भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे ! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था ! इसलिए इसका नाम दीपावली है !*
*इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं , " लक्ष्मी पूजन " जो सतयुग से जुड़ा है , और दूजा " दीपावली " जो त्रेता युग , प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है !*
*हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा , क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था ! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं !*
*बाद में पता चला , कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार " लिबरर्ल्स " ( वामपंथियों ) की थी , जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी , कि " लक्ष्मी पूजन " का औचित्य क्या है , जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है ?" कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी !*
*लेकिन हमारे उत्तर के बाद , वह टोली गायब हो गई !*
*एक और प्रश्न भी था , कि लक्ष्मी और श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है ?*
*और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है ?*
*सही उत्तर है :*
*लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं , और भगवान विष्णु से विवाह किया , तो उन्हें धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया, उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया !*
*कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे ! वे धन बाँटते नहीं थे , स्वयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए !*
*माता लक्ष्मी परेशान हो गई ! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी !*
*उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई ! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा , कि " तुम मैनेजर बदल लो !"*
*माँ लक्ष्मी बोली : " यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं ! उन्हें बुरा लगेगा !"*
*तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी !*
*माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को " धन का डिस्ट्रीब्यूटर " बनने को कहा !*
*श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान, वे बोले : " माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा , उस पर आप कृपा कर देना ! कोई किंतु , परन्तु नहीं !" माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी !*
*अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न / रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे !*
*कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए ! श्री गणेश जी पैसा प्रदान करने वाले बन गए !*
*गणेश जी की दरियादिली देख , माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया , कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों , वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें !*
*दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को ! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं ! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद , देव उठावनी एकादशी को !*
*माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है , शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में , तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को ! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी - गणेश की पूजा होती है !*
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*( यह कैसी विडंबना है , कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है ? औऱ जो वर्णन है , वह अधूरा है !)*
*इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों , अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !*
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