News: हिन्दू समाज के एक वर्ग ने किया बहिष्कार, मुस्लिमों ने किया दलित का अंतिम संस्कार, वोट से जुड़ा हुआ था मामला
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हिंदुस्तान का दुर्भाग्य है ये की ऐसी ऐसी बातें आधुनिक समाज में आज भी होती हैं , हालाँकि समय तेजी से बदल रहा है
और अब ये गाँव में कभी कभार देखने को मिलता है , क्यूंकि वहां पढ़े लिखे लोग नहीं हैं
दुःख की घड़ी में तो समझदारी होनी चाहिए
सालों से जाती के नाम पर निम्न जातियों का उत्पीड़न होता आया है । और निम्न जातियां दूसरे धर्म - बौद्ध , सिख , इस्लाम आदि में जाती गई ।
प्राचीन समय में रोटी - बेटी सिर्फ अपनी जाती और धर्म वालों से ही रखी जाती थी और दूसरे धर्म के लोगों का हिन्दू धर्म में आ पाना बेहद मुश्किल था ।
स्वयं सम्राट कनिष्क (कुषाण - चीनी जाती ) तक हिन्दू धर्म में नहीं आ पाये थे और फिर मजबूरन बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा था ।
वहीँ इस्लाम धर्म प्रचार प्रसार में यकीन रखता था - जजिया टैक्स लगाकर , जबरन धर्म परिवर्तन करा कर , शादी आदि कर , और चार शादीयां तक करने का प्रावधान का ये कारण हो सकता है ।
प्राचीन काल में उच्च जातियों ने निम्न जातियों पर राज किया , उसके मुगलों - इस्लामी राजाओं ने हिन्दुओं पर राज किया , और उसके बाद अंग्रेजों ने दोनों मुसलमानो और हिन्दुओं पर राज किया ।
सारी बातों में एक बात कॉमन है की लोग आपस में एक जुट नहीं थे और आज ये न्यूज़ देख कर हिन्दू धर्म की जाती पाती फिर देखने को मिली ।
अब जाती पाती व् धर्म की बजाये लोगो को मानवता के नए धर्म से जोड़ते हुए एक जुट रखना चाहिए. वरना फिर विदेशी शक्तियां देश पर हावी हो सकती हैं
व्यक्ति से घृणा मत करो , अपितु वयक्ति की बुराई को मारो , अच्छाई फैलाओ ।
देश के गण मान्य लोग विक्षुब्ध परिवार से मिलें और भाई चारे का सन्देश दें , ये राष्ट्रिय एकता के लिए बेहद जरूरी है ।
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चुनाव में दूसरे संप्रदाय के व्यक्ति को वोट देने के चलते दलित परिवार के मुखिया की मौत पर अंतिम संस्कार में हिंदू समाज के लोगों के शामिल होने के इनकार कर दिया
इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग आगे आए। अर्थी को बाकायदा कंधा देकर मुस्लिम समाज के लोगों ने पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया। विकास खंड मुजफ्फराबाद की ग्राम पंचायत दयालपुर में सैनी बिरादरी के दीपक कुमार और मुस्लिम समुदाय की तेली बिरादरी के सईद अहमद प्रधानी के चुनाव में आमने-सामने थे। चुनाव में सईद के साथ दलित रामदिया का परिवार खुलकर समर्थन में था। परिवार का आरोप है कि चुनाव के समय हिंदू समाज के लोगों ने उसे धमकी दी थी कि उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। अगर उनके परिवार में किसी की मौत होती है, तो मुस्लिम समुदाय के लोग ही उसकी अर्थी उठाकर ले जाएंगे
बृहस्पतिवार की रात रामदिया (70) की बीमारी के चलते मौत हो गई। आरोप है कि हिंदू समाज के लोग सांत्वना देने तक उसके घर तक नहीं पहुंचे। मृतक के बेटे राजेंद्र ने बताया कि शुक्रवार की सुबह शव का अंतिम संस्कार होना था। उसमें भी हिंदुओं में से कोई शामिल नहीं हुआ।
इसकी खबर मिलते ही मुस्लिम समुदाय के लोग उसके घर पहुंचे। तब पिता के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और अन्य सामान जुटाया। मुस्लिमों ने अर्थी को कंधा दिया और श्मशान ले जाकर विधिवत अंतिम संस्कार कराया।
News Source : Amar Ujala News
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और अब ये गाँव में कभी कभार देखने को मिलता है , क्यूंकि वहां पढ़े लिखे लोग नहीं हैं
दुःख की घड़ी में तो समझदारी होनी चाहिए
सालों से जाती के नाम पर निम्न जातियों का उत्पीड़न होता आया है । और निम्न जातियां दूसरे धर्म - बौद्ध , सिख , इस्लाम आदि में जाती गई ।
प्राचीन समय में रोटी - बेटी सिर्फ अपनी जाती और धर्म वालों से ही रखी जाती थी और दूसरे धर्म के लोगों का हिन्दू धर्म में आ पाना बेहद मुश्किल था ।
स्वयं सम्राट कनिष्क (कुषाण - चीनी जाती ) तक हिन्दू धर्म में नहीं आ पाये थे और फिर मजबूरन बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा था ।
वहीँ इस्लाम धर्म प्रचार प्रसार में यकीन रखता था - जजिया टैक्स लगाकर , जबरन धर्म परिवर्तन करा कर , शादी आदि कर , और चार शादीयां तक करने का प्रावधान का ये कारण हो सकता है ।
प्राचीन काल में उच्च जातियों ने निम्न जातियों पर राज किया , उसके मुगलों - इस्लामी राजाओं ने हिन्दुओं पर राज किया , और उसके बाद अंग्रेजों ने दोनों मुसलमानो और हिन्दुओं पर राज किया ।
सारी बातों में एक बात कॉमन है की लोग आपस में एक जुट नहीं थे और आज ये न्यूज़ देख कर हिन्दू धर्म की जाती पाती फिर देखने को मिली ।
अब जाती पाती व् धर्म की बजाये लोगो को मानवता के नए धर्म से जोड़ते हुए एक जुट रखना चाहिए. वरना फिर विदेशी शक्तियां देश पर हावी हो सकती हैं
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इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग आगे आए। अर्थी को बाकायदा कंधा देकर मुस्लिम समाज के लोगों ने पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया। विकास खंड मुजफ्फराबाद की ग्राम पंचायत दयालपुर में सैनी बिरादरी के दीपक कुमार और मुस्लिम समुदाय की तेली बिरादरी के सईद अहमद प्रधानी के चुनाव में आमने-सामने थे। चुनाव में सईद के साथ दलित रामदिया का परिवार खुलकर समर्थन में था। परिवार का आरोप है कि चुनाव के समय हिंदू समाज के लोगों ने उसे धमकी दी थी कि उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। अगर उनके परिवार में किसी की मौत होती है, तो मुस्लिम समुदाय के लोग ही उसकी अर्थी उठाकर ले जाएंगे
बृहस्पतिवार की रात रामदिया (70) की बीमारी के चलते मौत हो गई। आरोप है कि हिंदू समाज के लोग सांत्वना देने तक उसके घर तक नहीं पहुंचे। मृतक के बेटे राजेंद्र ने बताया कि शुक्रवार की सुबह शव का अंतिम संस्कार होना था। उसमें भी हिंदुओं में से कोई शामिल नहीं हुआ।
इसकी खबर मिलते ही मुस्लिम समुदाय के लोग उसके घर पहुंचे। तब पिता के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और अन्य सामान जुटाया। मुस्लिमों ने अर्थी को कंधा दिया और श्मशान ले जाकर विधिवत अंतिम संस्कार कराया।
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