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MERI MAA MERI JANNAT
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माँ हमारी पहली टीचर होती है और दोस्त भी !
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हमारा जन्मदिन हमारे जीवन का इकलौता दिन होगा,
जिस दिन हमारे रोने पर भी हमारी माँ मुस्कुरायी होगी !
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नफरत है मुझे हर उस इंसान से जो छोटी छोटी बात में अपनी माँ की कसम खा कर उसे दांव पे लगा देते हैं !
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प्रेम से जो देती है वो बहन है,
लड़ झगड़ के जो देता है वो भाई है,
पूछ कर जो देता है वो पिता है,
बिना मांगे जो सब कुछ दे दे, वो माँ है !
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माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे।
वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे !
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माँ, भले ही पढ़ी-लिखी हो या नहीं,
पर संसार का दुर्लभ व महत्वपूर्ण ज्ञान हमें माँ से ही प्राप्त होता है !
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बचपन में जब चलते- 2 गिर जाता था तो माँ कहती थी,
चुप हो जा बेटा देख चींटी दब के मर गई,
अब मैं जब भी गिरता हु,
तो ज़मीर दबा नज़र आता है चींटी नहीं !
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जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच..
तब मुझे भूख नहीं है ऐसा कहने वाली इंसान है – माँ !
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मुझे किसी और जन्नत का नहीं पता,
क्योंकि हम माँ के कदमों को ही जन्नत कहते हैं !
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मां जब भी दुआएं मेरे नाम करती है ....
रास्ते की ठोकरें मुझे सलाम करती हैं !
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न अपनों से खुलता है, न ही गैरों से खुलता है.
ये जन्नत का दरवाज़ा है, माँ के पैरो से खुलता है !
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पता नहीं क्या जादू है माँ के पैरों में,
जितना झुकता हूँ , उतना ही ऊपर जाता हूँ !
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भगवान न दिखाई देने वाले माता-पिता है,
और माता-पिता दिखाई देने वाले भगवान है !
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