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एक बार सभी तरह की भावनाए और विचार एक island
पर छुट्टिया मनाने गए.
सभी अपने अपने स्वाभाव के
अनुसार समय बिता रहे थे. और सभी खुश थे. तभी अचानक,
एक बहुत ही भयंकर तूफ़ान की चेतावनी आई. और
सभी को island ख़ाली करने के लिए, जाने के लिए कहा गया.
चारो और अफरा तफरी मच गयी. सभी सहम गए थे और
अपनी अपनी boats की तरफ भागे. island
की सारी क्षतिग्रस्त boats को भी जल्दी से ठीक कर
लिया गया. पर ‘प्यार’ को जाने की इच्छा नहीं थी. उसे
तो अभी बहुत कुछ करना था . पर जैसे जैसे, तूफ़ान पास
आने लगा. ‘प्यार’ को भी समझ आया की अब
जाना चाहिए. पर तब तक देर हो चुकी थी. एक
भी boat नहीं थी. ‘प्यार’ मदद के लिए इधर उधर नज़रे
दौड़ाने लगा.
तभी ‘सम्रद्धि’ वहाँ से अपनी आलिशान boat से गुजरी.
‘प्यार’ ने उसे पुकारा, “सम्रद्धि, क्या तुम मुझे
अपनी boat में ले सकती हो?”
“नहीं”, सम्रद्धि ने कहा, “मेरी boat
पूरी कीमती चीजों से भरी पड़ी हैं, सोना चांदी. इसमें
तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं हैं.”
थोड़ी देर बाद अपनी सुन्दर सी boat में अहंकार वहाँ से
निकला. ‘प्यार’ ने फिर से आवाज लगायी, “क्या तुम
मेरी मदद कर सकते हो अहंकार? मैं यहाँ फस गया हूँ.
please, मुझे अपने साथ ले लों.”
अहंकार ने कहा, “ नहीं, मैं तुम्हे अपने साथ नहीं ले
जा सकता, तुम्हारे गंदे पैरो से मेरी boat में मिट्टी लग
जाएगी.”
फिर ‘दुः’ख वहाँ से गुज़रा. फिर से ‘प्यार’ ने आवाज
लगायी. पर फिर से न ही मिला. “नहीं मैं तुम्हे अपने
साथ नहीं ले जा सकता. मैं इतना दुखी हूँ. मैं अकेला रहन
चाहता हूँ.”
तभी वहाँ से ‘ख़ुशी’ गुजरी. पर वो अपने आप में इतनी खुश
थी की उसे होश ही नहीं था, उसे किसी और की परवाह
ही नहीं थी. वो तो बस खुश थी.
‘प्यार’ इधर उधर देखने लगा. फिर वो उदास बैठ गया.
तभी किसी की आव़ाज आई, “आओ ‘प्यार’, मैं तुम्हे अपने
साथ ले चलता हूँ.” ‘प्यार’ देख नहीं पाया की आखिर
कौन इतना अच्छा हैं, जो उसकी मदद कर रहा है. पर
वो boat पर चढ़ गया. अब ‘प्यार’ की जान में जान आई.
की आखिर वो एक सुरक्षित जगह पर पहुँच सकेगा.
जब ‘प्यार’ boat पर चढा तो उसे ‘ज्ञान’ मिला. उसने
ज्ञान से पूछा, “ ज्ञान, क्या तुम्हे पता हैं की किसने मुझे
अपनी boat पर बैठाया जब कोई और मेरी मदद के लिए
बिलकुल भी तैयार नहीं था?”
‘ज्ञान’ मुस्कुराया और कहा, “ ओह, वो ‘समय’ था”
“पर समय भला मेरी मदद क्यों करेगा?” प्यार सोच में पड़ गया.
‘ज्ञान’ ने एक गहरी मुस्कान ली, और कहा “
क्योंकि केवल समय ही तुम्हारी महानता जानता हैं. और
समय के साथ ही तुम्हारी value पता चलती हैं.
कहानी का आशय यह हैं की जब हम सम्रद्ध होते हैं,
तो हम प्यार पर ध्यान नहीं देते. जब हमारी position
बढ़ जाती हैं, तो हम प्यार को भूल जाते हैं. हम तो सुख
और दुःख में भी प्यार को भूल जाते हैं. पर हमें प्यार
की असली value तो समय के साथ पता चलती हैं. पर
इतना इंतज़ार क्यों करें? क्यों न हम आज ही से प्यार
को अपनी जिंदगी में शामिल कर लें.
दोस्तों आपको हमारी ये कहानी कैसी लगी जरुर बताएं ;
और शेयर करके अपने दोस्तों को भी पड़ने मौका
भावनाए , विचार और प्यार
एक बार सभी तरह की भावनाए और विचार एक island
पर छुट्टिया मनाने गए.
सभी अपने अपने स्वाभाव के
अनुसार समय बिता रहे थे. और सभी खुश थे. तभी अचानक,
एक बहुत ही भयंकर तूफ़ान की चेतावनी आई. और
सभी को island ख़ाली करने के लिए, जाने के लिए कहा गया.
चारो और अफरा तफरी मच गयी. सभी सहम गए थे और
अपनी अपनी boats की तरफ भागे. island
की सारी क्षतिग्रस्त boats को भी जल्दी से ठीक कर
लिया गया. पर ‘प्यार’ को जाने की इच्छा नहीं थी. उसे
तो अभी बहुत कुछ करना था . पर जैसे जैसे, तूफ़ान पास
आने लगा. ‘प्यार’ को भी समझ आया की अब
जाना चाहिए. पर तब तक देर हो चुकी थी. एक
भी boat नहीं थी. ‘प्यार’ मदद के लिए इधर उधर नज़रे
दौड़ाने लगा.
तभी ‘सम्रद्धि’ वहाँ से अपनी आलिशान boat से गुजरी.
‘प्यार’ ने उसे पुकारा, “सम्रद्धि, क्या तुम मुझे
अपनी boat में ले सकती हो?”
“नहीं”, सम्रद्धि ने कहा, “मेरी boat
पूरी कीमती चीजों से भरी पड़ी हैं, सोना चांदी. इसमें
तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं हैं.”
थोड़ी देर बाद अपनी सुन्दर सी boat में अहंकार वहाँ से
निकला. ‘प्यार’ ने फिर से आवाज लगायी, “क्या तुम
मेरी मदद कर सकते हो अहंकार? मैं यहाँ फस गया हूँ.
please, मुझे अपने साथ ले लों.”
अहंकार ने कहा, “ नहीं, मैं तुम्हे अपने साथ नहीं ले
जा सकता, तुम्हारे गंदे पैरो से मेरी boat में मिट्टी लग
जाएगी.”
फिर ‘दुः’ख वहाँ से गुज़रा. फिर से ‘प्यार’ ने आवाज
लगायी. पर फिर से न ही मिला. “नहीं मैं तुम्हे अपने
साथ नहीं ले जा सकता. मैं इतना दुखी हूँ. मैं अकेला रहन
चाहता हूँ.”
तभी वहाँ से ‘ख़ुशी’ गुजरी. पर वो अपने आप में इतनी खुश
थी की उसे होश ही नहीं था, उसे किसी और की परवाह
ही नहीं थी. वो तो बस खुश थी.
‘प्यार’ इधर उधर देखने लगा. फिर वो उदास बैठ गया.
तभी किसी की आव़ाज आई, “आओ ‘प्यार’, मैं तुम्हे अपने
साथ ले चलता हूँ.” ‘प्यार’ देख नहीं पाया की आखिर
कौन इतना अच्छा हैं, जो उसकी मदद कर रहा है. पर
वो boat पर चढ़ गया. अब ‘प्यार’ की जान में जान आई.
की आखिर वो एक सुरक्षित जगह पर पहुँच सकेगा.
जब ‘प्यार’ boat पर चढा तो उसे ‘ज्ञान’ मिला. उसने
ज्ञान से पूछा, “ ज्ञान, क्या तुम्हे पता हैं की किसने मुझे
अपनी boat पर बैठाया जब कोई और मेरी मदद के लिए
बिलकुल भी तैयार नहीं था?”
‘ज्ञान’ मुस्कुराया और कहा, “ ओह, वो ‘समय’ था”
“पर समय भला मेरी मदद क्यों करेगा?” प्यार सोच में पड़ गया.
‘ज्ञान’ ने एक गहरी मुस्कान ली, और कहा “
क्योंकि केवल समय ही तुम्हारी महानता जानता हैं. और
समय के साथ ही तुम्हारी value पता चलती हैं.
कहानी का आशय यह हैं की जब हम सम्रद्ध होते हैं,
तो हम प्यार पर ध्यान नहीं देते. जब हमारी position
बढ़ जाती हैं, तो हम प्यार को भूल जाते हैं. हम तो सुख
और दुःख में भी प्यार को भूल जाते हैं. पर हमें प्यार
की असली value तो समय के साथ पता चलती हैं. पर
इतना इंतज़ार क्यों करें? क्यों न हम आज ही से प्यार
को अपनी जिंदगी में शामिल कर लें.
दोस्तों आपको हमारी ये कहानी कैसी लगी जरुर बताएं ;
और शेयर करके अपने दोस्तों को भी पड़ने मौका