संता बंता चुटकले
संता: देखो ये मुर्दे कितने आराम से अपनी कब्रों में सोये हुए हैं!
सारे मुर्दे उठ खड़े हुये और बोले: क्यों न सोयें, ये जगह हमने अपनी जान दे के हासिल की है!
संता पहले तो बहुत रोया! फिर आंसूं पोंछते हुये पूछा: कितने नम्बर से?
संता: क्योंकि बीच में रात भी होती है ! बचपन से बुद्धिमान हूँ पर कभी घमंड नहीं किया!
संता: मेरी पत्नी को नहीं बोलना मैं उसे सरप्राइज़ दूंगा!
संता: सदके जावा, जैसे कोयले की खान में आग लग गई हो!
एक छोटे से बच्चे को नंगा देख कर संता पूछता है:
`ओये अज तेरी माँ ने कच्छी नी पायी!`
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