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Sunday, February 21, 2016

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं
Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

ओमेगा 3 एसिड का  सस्ता और बेहतरीन स्रोत है , ओमेगा 3  बादाम में भी पाया जाता है 

ओमेगा 3 बेड कोलेस्ट्रोल से लड़ने में सबसे असरकारी होता हो 

बाजार में यह 12 /14 रूपए प्रति 100 ग्राम मिलते हैं , और स्वाद भी अच्छा है । 

सुबह शाम एक एक चम्मच अलसी के बीज खाने से डायबिटीस , उच्च कोलेस्ट्रोल , हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर,सेक्स समस्यों   आदि तमाम बीमारियों से निजात मिलती है और 

शरीर का वजन नियंत्रण में भी बेहद उपयोगी है

अलसी से शरीर को होने वाले फायदे 

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं।

आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया


अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी से शरीर को होने वाले फायदों पर इतना ज्यादा यकीन करते थे कि उन्होंने इसे खाने के लिए एक कानून भी पारित करा दिया था। आज 1300 साल बाद विशेषज्ञों ने प्राथमिक शोध के आधार पर कहा कि चार्लेमगने का अंदेशा बिल्कुल सही था।
वैसे तो अलसी में सभी तरह के स्वस्थ तत्व पाए जाते हैं, पर इनमें से तीन ऐसे हैं, जो बेहद खास हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह फैट अच्छा होता है और दिल को सेहतमंद रखता है। एक चम्मच अलसी में करीब 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है।


See Flex Seeds Report Here ->>> http://ndb.nal.usda.gov/ndb/foods/show/3716?fgcd=&manu=&lfacet=&format=Abridged&count=&max=25&offset=&sort=&qlookup=flaxseeds

अलसी के बीज
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 530 किलो कैलोरी   2230 kJ
कार्बोहाइड्रेट    28.88 g
- शर्करा 1.55 g
आहारीय रेशा  27.3 g  
वसा42.16 g
संतृप्त  3.663
एकल असंतृप्त  7.527  
बहुअसंतृप्त  28.730  
प्रोटीन18.29 g
थायमीन (विट. B1)  1.644 mg  126%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.161 mg  11%
नायसिन (विट. B3)  3.08 mg  21%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.985 mg 20%
विटामिन B6  0.473 mg36%
फोलेट (Vit. B9)  0 μg 0%
विटामिन C  0.6 mg1%
कैल्शियम  255 mg26%
लोहतत्व  5.73 mg46%
मैगनीशियम  392 mg106% 
फॉस्फोरस  642 mg92%
पोटेशियम  813 mg  17%
जस्ता  4.34 mg43%
Source US DA Nutrient Database - http://ndb.nal.usda.gov/



अलसी से होने वाले स्वास्थ लाभ

1. कैंसर: हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है।

2. कार्डियो वेस्कुलर डिजीज: शोध से पता चला है कि अलसी में पाया जाने वाला प्लांट ओमेगा-3 जलन को कम और हृदय गति को सामान्य कर कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है। कई शोध से यह बात सामने आई है कि ओमेगा-3 से भरपूर भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड वेसल के आंतरिक परत पर चिपका देता है, जिससे धमनियों में प्लैक कम मात्रा में जमा होता है।

3. मधुमेह: प्राथमिक शोध से पता चला है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड सुगर लेवल बेहतर होता है।

4. जलन: फिट्जपैट्रिक की मानें तो अलसी में पाए जाने वाले एएलए और लिगनन जलन को कम करता है, जो कि पार्किंनसन डिजीज और अस्थमा को जन्म देता है। दरअसल यह कुछ प्रो-इंफ्लैमटॉरी एजेंट के स्राव को बंद कर देता है।जलन का कम होना धमनियों में जमा होने वाले प्लैक से संबंधित है। यानी कि अलसी हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स को भी रोकने में मदद करता है।

5. हॉट फ्लैश: 2007 में महिलाओं के मासिक धर्म पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इसमें कहा गया था कि दो चम्मच अलसी को अनाज, जूस या दही में मिला कर दिन में दो बार लेने से हॉट फ्लैश आधा हो जाता है। साथ ही हॉट फ्लैश की तीव्रता में भी 57 प्रतिशत तक की कमी आती है। सिर्फ एक हफ्ते तक लगातार अलसी का सेवन करने पर महिलाएं फर्क देख सकती हैं और दो हफ्ते में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल किया जा सकता है



घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी, दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी



तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय.
नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय.
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये..
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी.
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी..
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय.
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय..
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी.
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी..
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय.
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय..


1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है. यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है. उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी. इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी. उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया.
अलसी सेवन का तरीकाः- हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये. 30 ग्राम आदर्श मात्रा है. अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये. डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें. कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये. इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं.
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है. इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है. यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है.
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है. यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है. अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है. यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है. अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है. उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं.

अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है. पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है. अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें. स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा.

इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है. यह नाश्ते के साथ लें.


बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है. इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है.

अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें. तीन घंटे बाद छानकर पीएं. इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा. मूत्र भी खुलकर आने लगेगा.

इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है.

डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है. अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)

- स्वर्गीय राजीव दीक्षित

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1. अलसी
अलसी
अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें ओमेगा 3  एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। इसके प्रयोग से जुड़ें फायदों और नुकसान के बारे में हम आगे की स्लाइड में आपको विस्तार से जानकारी देंगे।

2. कैंसर से बचाव
कैंसर से बचाव
एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि अलसी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाव करता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन हार्माेन के प्रति संवेदनशील होता है।

3. हृदय से जुड़ी बीमारियां
हृदय से जुड़ी बीमारियां
अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 जलन को कम करता है और हृदय गति को सामान्य रखने में मददगार होता है। ओमेगा-3 युक्त भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड धमनियों की आंतरिक परत पर चिपका देता है।

4. मधुमेह को नियंत्रित रखता है
मधुमेह को नियंत्रित रखता है
अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

5. कफ पिघलाने में मददगार
कफ पिघलाने में मददगार
अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा। आगे हम अलसी के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बात करेंगे...

6. पेट की समस्याएं
पेट की समस्याएं
अलसी या कोई भी फ्लैक्सीड्स अधिक मात्रा में खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह अलसी में मौजूद लैक्सेटिव दस्त, सीने में जलन और बदहजमी जैसी पेट की समस्याएं भी बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन 30 ग्राम अलसी से ज्यादा सेवन न करें।

7. घाव भरने में देरी
घाव भरने में देरी
यदि आप अलसी का सेवन करते हैं और आपको कोई चोट लग जाती है तो अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा -3 खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ऐसे में आपके कोई चोट लगने पर खून बहना रुक नहीं नहीं पाता।

8. गैस की समस्या बढ़ जाती है
गैस की समस्या बढ़ जाती है
अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।

9. एलर्जी का कारण
एलर्जी का कारण
अलसी का अधिक मात्रा में सेवन एलर्जिक रिऐक्शन का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैंद्ध इसके सेवन से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।

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अलसी के लाभ जानकर हैरान रह जाएंगे आप


अलसी के बीजों की विलक्षणता के तीन पहलू हैं और ये तीनों हमें इस खाद्य के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पहला है ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स, दूसरा प्लांट एस्ट्रोजन/एंटी ऑक्सीडैंट्स और तीसरा फाइबर।

- अलसी हमारी पाचन शक्ति बढ़ाती है और हमारे शरीर को ऊर्जा देने में सहायता करती है।

- ये बीज शरीर में ताप पैदा करते हैं, जो सर्दी तथा बरसात में जुकाम-खांसी से राहत देने में सहायक होता है।

- अलसी के बीजों में फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के सही विकास  में सहायक होते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा उच्च होने के कारण कोलोन का स्वास्थ्य बरकरार रहता है और आंतडिय़ों की गतिविधि में सुधार होता है।

- अलसी के बीजों में ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं जो छाती में सूजन को कम करते हैं, हृदय रोगों से बचाते हैं और जोड़ों के दर्द, अस्थमा, डायबिटीज तथा कई किस्मों के कैंसर को भी रोकते हैं।

- अलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडैंट्स रक्त को शुद्ध करते हैं, त्वचा  तथा बालों को चमक देते हैं। ये शरीर की कई रोगों से सुरक्षा भी करते हैं।

- अलसी के बीजों में मौजूद फाइटो-एस्ट्रोजैन्स महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से लडऩे में सहायक होते हैं। माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को अत्यधिक पेट दर्द होता है, वे अलसी के बीजों से इस दर्द से राहत पा सकती हैं।

- एक छोटा चम्मच अलसी के बीजों को चबाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं तथा पैप्टिक अल्सर से छुटकारा मिल सकता है।


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Saturday, February 6, 2016

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी Garlik - Nectar on Earth

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी 
Garlik - Nectar on Earth


Lahsun ke Gharelu Nuskhe :लहसुन (अमृत फल) के  उपयोगी घरेलू नुस्खे

Lehsun ke Gharelu Nuskhe in Hindi


 लहसुन की उपयोगिता की पैरवी करने वाले कम से कम 4245 रिसर्च शोध पत्र हैं, जो दुनिया भर के तमाम अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स (शोध पत्रिकाओं) में प्रकाशित हो चुके हैं। इन तमाम शोध पत्रों के अध्ययन से पता चलता है कि लहसुन कम से कम 150 तरह के रोगों या लक्षणों जैसे कैंसर से लेकर डायबिटीज और दिल के रोगों, रेडिएशन के साईड इफेक्ट्स आदि के नियंत्रण में कारगर साबित हुआ है।

Home Remedies of Garlic in Hindi


खाली पेट लहसुन खाने से होते हैं ये चमत्‍कारी फायदे


लहसुन हर प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि लहसुन की एक कली हमारे अंदर पैदा होने वाले अनेको रोगों का नाश कर सकती है। यह कई बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार में प्रभावी है




जब आप कुछ भी खाने या पीने से पहले लहसुन खाते हैं तो आपकी ताकत बढ़ती है, तथा यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
सुबह खाली पेट लहसुन खाने से यह अधिक प्रभावकारी क्यों होता है? इससे बैक्टीरिया ओवरएक्सपोज़्ड हो जाते हैं तथा लहसुन की शक्ति से वे अपनी रक्षा नहीं कर पाते। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों की सूची कभी ख़त्म न होने वाली है


लहसुन बवासीर, कब्ज़ और कान दर्द के उपचार में भी सहायक है। यदि आप बवासीर और कब्ज़ के उपचार में इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो कुछ पानी उबालें तथा इसमें अच्छी मात्रा में लहसुन डालें

खाली पेट लहसुन खाना क्यों अच्छा होता है -
हाई बीपी से बचाए
कई लोगों का मानना है कि लहसुन खाने से हाइपरटेंशन के लक्षणों से आराम मिलता है। यह न केवल रक्त के प्रवाह को नियमित करता है बल्कि यह हृदय से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है तथा लीवर और मूत्राशय को भी सुचारू रूप से काम करने में सहायक होता है



डायरिया दूर करे
पेट से संबंधित समस्याओं जैसे डायरिया आदि के उपचार में भी लहसुन प्रभावकारी होता है। कुछ लोग तो यह दावा भी करते हैं कि लहसुन तंत्रिकाओं से संबंधित बीमारियों के उपचार में बहुत प्रभावकारी होता है, परंतु केवल तभी जब इसे खाली पेट खाया जाए।


भूख बढाए
यह पाचन प्रक्रिया को उत्तेजित करता है तथा भूख भी बढ़ाता है। लहसुन आपके तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। जब भी आपको घबराहट होती है तो पेट में एसिड बनता है। लहसुन इस एसिड को बनने से रोकता है



वैकल्पिक उपचार
जब डिटॉक्सीफिकेशन की बात आती है तो वैकल्पिक उपचार के रूप में लहसुन बहुत प्रभावी होता है। लहसुन इतना अधिक शक्तिशाली है कि यह शरीर को परजीवियों और कीड़ों से बचाता है, विभिन्न बीमारियों जैसे डाइबिटीज़, ट्युफ्स, डिप्रेशन तथा कुछ प्रकार के कैंसर की रोकथाम में सहायक सहायक होता है।


श्वसन तंत्र में मजबूती लाए
लहसुन श्वसन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक होता है: यह ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), अस्थमा, निमोनिया, ज़ुकाम, ब्रोंकाइटिस, पुरानी सर्दी, फेफड़ों में जमाव और कफ़ आदि रोकथाम तथा उपचार में बहुत प्रभावशाली होता है।


ट्यूबरक्लोसिस में लाभकारी
ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) में लहसुन पर आधारित इस उपचार को अपनाएँ। एक दिन में लहसुन की एक पूरी गाँठ खाएं। इसे कुछ भागों में बाँट लें तथा आपको जिस प्रकार भी पसंद हो इसे खाएं। यदि आप इसे कच्चा या ओवन में हल्का सा भूनकर खायेंगे तो अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे।

फेफड़े की बीमारी के लिये
यदि आपको ब्रोंकाइनल बीमारी से संबंधित किसी उपचार की आवश्यकता है तो यह अर्क बनायें। 7 औंस / 200 ग्राम लहसुन, 24 औंस / 700 ग्राम ब्राउन शुगर और 33 औंस/ 1लीटर पानी। पानी को लहसुन के साथ उबालें तथा फिर शक्कर मिलाएं। दिन में तीन चम्मच इसका सेवन करें।


सावधानी
यदि आपको लहसुन से किसी प्रकार की एलर्जी है तो दो महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें: कभी भी इसे कच्चा न खाएं तथा फिर भी यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई समस्या आती है, बुखार आता है या सिरदर्द होता है तो इसका सेवन करना छोड़ दें।


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लहसुन के कुछ उपयोगी घरेलू नुस्खे (Lahsun ke Upyogi Gharelu Nuskhe)

1. एक कप तिल के तेल में 8 लहसुन की कलियां डालकर गर्म करें और ठंडा होने पर कमर से लेकर जांघों तक इससे मालिश करें। इससे साइटिका में काफी फ़ायदा होता है।

2. आदिवासी अंचलों में इसे गैस और दिल के रोगों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। सूखे लहसुन की 15 कलियां 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबाल लें। इस पानी को इतनी देर उबालें कि पानी आधा रह जाए। इस पाक को जब गैस और दिल के रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है तो आराम मिल जाता है।

3. जिन लोगों को जोड़ों का दर्द या आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) होने की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

4. सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए तो घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते हैं।

5. हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो उन्हें रोजाना सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए, नमक और लहसुन का सीधा सेवन खून साफ करता है।

6. ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी होने पर भी नमक और लहसुन का समान मात्रा में सेवन करना चाहिए।

7. लहसुन के एंटीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, इसका सेवन बैक्टीरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है।

8. लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाएं। इसके आधे घंटे बाद आधा चम्मच मुलेठी पाउडर का सेवन करें। यह उपाय दो महीने तक लगातार करें। मान्यता है इससे दमा रोग जड़ से खत्म हो जाता है।

9. लौकी 50 ग्राम और लहसुन की कलियां 10 ग्राम लेकर पीस लें और इसे आधे लीटर पानी में उबालें।जब आधा पानी रह जाए तो छानकर कुल्ला करें। इससे दांत दर्द दूर होता है।

10. कान में कीड़ा चला जाने पर डांग- गुजरात के आदिवासी सूरजमुखी के तेल में लहसुन की दो कलियां डालकर गर्म करते है और फ़िर इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालते है, इनका मानना है कि इससे कीट बाहर निकल आता है
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लहसुन


वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
(अश्रेणिकृत) Angiosperms
(अश्रेणिकृत) Monocots
गण: Asparagales
कुल: Alliaceae
उपकुल: Allioideae
ट्राइब: Allieae
प्रजाति: Allium
जाति: A. sativum


लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में।

लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं



आयुर्वेद और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत , वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना , जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्त्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये।

लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, भारत 17,852 मीट्रिक टन (जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये है) का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8. 34 लाख टन हो गया है


Allium sativum, known as garlic from William Woodville, Medical Botany, 1793.




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Thursday, January 28, 2016

कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट How To Reduce Cholesterol : Diet which reduces cholesterol level

कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट

How To Reduce Cholesterol : Diet which reduces cholesterol level


आजकल के समय में कोई भी बैड-कोलेस्ट्रॉल नामक शब्द से अनजान नहीं है। बैड कोलेस्ट्रॉल का मतलब है एलडीएल यानि लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन। ये व्यक्ति के दिल में पाया जाने वाला एक ऐसा चिपचिपा पदार्थ है, जिसकी अधिकता के कारण दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा रहता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, आजकल विश्वभर के लगभग सभी देशों में तकरीबन 3 युवाओं में से एक को एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो रही है। अगर हम अपनी दिनचर्या में बदलाव करें और सही डाइट लें तो इस बीमारी से छुटकारा पाना मुश्किल नहीं है।


कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट
1. ओट्स




सुबह के समय नाश्ते में ओट्स खाना स्वस्थ दिन की शानदार शुरुआत है। 6 हफ्ते तक सुबह नाश्ते में प्रतिदिन ओट्स का दलिया लेने से एलडीएल को 5.3% तक घटा सकते हैं।

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2. रेड वाइन




जो लोग वाइन पीने का शौक रखते हैं, उनके लिए अच्छी खबर है। हफ्ते में 2 बार थोड़ी सी रेड ग्रेप वाइन पीना कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे मदद करता है
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3. साल्मन फिश



जो लोग मछली खाते हैं उनके लिए भी कोलेस्ट्रॉल को घटाना आसान है। दरअसल, हमारे शरीर को स्वस्थ फैटी एसिड और अमीनो एसिड की जरूरत होती है।

शरीर को एनर्जी और विटामिन-डी देने के अलावा साल्मन फिश में स्वस्थ फैटी एसिड और अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में उपयोगी हैं।
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4. ड्राई फ्रूट्स


अब आप हर रोज मुट्ठी भर सूखे मेवे बिना किसी चिंता के खा सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की मानें तो सूखे मेवे खाना हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि इनमें प्रोटीन फाइबर और विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होते हैं।

साथ ही मेवों में स्वस्थ फैटी एसिड भी पाया जाता है जो केमिकल्स में प्रोसेस नहीं होता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी असरदार है।
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5. अंकुरित दालें



अंकुरित दालों को अगर दिल का दोस्त कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अपने दिन के खाने में कम से कम आधा कप बीन्स जैसे राजमा, चने, मूंग, सोयाबीन और उड़द को आप सूप, सलाद या सब्जी किसी भी रूप में ले सकते हैं।

अंकुरित दालों का रोजाना सेवन बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है
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6. ग्रीन टी


ग्रीन टी में कॉफी की तुलना में काफी कम कैफीन पाई जाती है। साथ ही शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने और स्वस्थ रखने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट भी ग्रीन-टी में ज्यादा होते हैं। 

रोजाना ग्रीन-टी पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करना आसान हो जाता है




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7. डार्क चॉकलेट



डार्क चॉकलेट खाना भी कोलेस्ट्रॉल कम करने में उपयोगी है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स से रक्त नलिकाएं मजबूत बनती हैं। जिससे दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है


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8. हरी पत्तेदार सब्जियां



हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए, बी, सी के साथ आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है। 

ये सभी पोषक तत्व शरीर को सेहतमंद बनाने के साथ-साथ रक्तसंचार दुरुस्त करते हैं, जिससे दिल सुगमता से अपना काम करता है
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9. ऑलिव ऑयल


ऑलिव यानि जैतून के तेल में पका हुआ खाना कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त रहता है क्योंकि इसमें बना खाना हल्का और सुपाच्य होता है और साथ ही उसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं
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10 लहसुन


लहसुन का नियमित सेवन रक्तचाप, रक्तसंचार और ब्लड शुगर स्तर को सामान्य रखने के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी उपयोगी है



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मोटापा कम कीजिए

यदि आपका वजन बहुत ज्‍यादा है तो उस पर नियं‍त्रण कीजिए, खासकर अपने कमर की चर्बी को कम कीजिए। इसके लिये आपको स्‍पोर्ट, एरोबिक्‍स क्‍लास या जिम ज्‍वाइन कर सकते हैं। ऐसा करने से आपका गुड कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ेगा और खराब कोलेस्‍ट्रॉल घटेगा।ढेर सारा पालक खाइए। माना जाता है कि पालक के साग में 13 फ्लेवनॉइड तत्‍व पाये जाते हैं जिससे कैंसर, हार्ट की बीमारी और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव होता है। इसलिए अगर कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ गया है तो रोजाना आधा कप पालक खाइए, इससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो प्राकृतिक रूप से दिल की बीमारी, हाई कोलेस्‍ट्रॉल और स्‍ट्रोक से दूर रखता है। यह अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ाता है और यदि आप मछली नहीं खाते हैं तो आप उसकी जगह पर अखरोठ, सोयाबीन और तिल के तेल का सेवन कर सकते हैं
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धूम्रपान छोडि़ये

स्‍मोकिंग से धमनियों की अंदर की परत नष्‍ट होने लगती है। सिगरेट में कार्सीनो‍जेन और काबर्न मोनो ऑक्‍साइड होता है जिससे खून में जल्‍दी कालेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। धूम्रपान करने से खराब कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है तथा अच्‍छा कोलेस्‍ट्रॉल घटने लगता है। इसलिए स्‍मोकिंग की आदत को अलविदा कहिए। एल्‍कोहल कंट्रोल में पीजिये। पुरुषों के लिये शराब की सीमित मात्रा दिन में एक या दो गिलास तक होती है और महिलाओं के लिये दिन में शराब का केवल एक गिलास। यदि आप इससे ज्‍यादा पियेंगे तो शरीर में वसा जमने लगेगा और कोलेस्‍ट्रॉल बढे़गा। इसलिए शराब को ज्‍यादा पीने से बचिए


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संतृप्‍त वसा कम करें

संतृप्त वसा को कम करें और ट्रांस फैट को छोडे़। इसके लिए आपको अंडे का पीला भाग, फ्राइड फूड, वसा वाला दूध और उससे बने उत्‍पाद और फैटी मीट आदि खाने से परहेज करना चाहिए। क्‍योंकि यह तेल आपके खराब कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं। रोजाना केवल 20 ग्राम तक संतृप्त वसा खाने की सलाह दी जाती है।रेगुलर एक्‍सरसाइज करने की आदत डालिए। हफ्ते में 4 दिन तो जम कर व्‍यायाम करना ही चाहिये। एक्‍सरसाइज से कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है और दिल की बीमारी पास नहीं आती। इसलिए नियमित रूप से कम से 40-60 मिनट तक व्‍यायाम कीजिए।


यदि आपके अंदर कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा बढ़ गई है तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्‍य कीजिए और उसके सलाह के अनुसार ही अपनी दिनचर्या बनाइए
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Wednesday, March 4, 2015

STEAM-BATH #HEATH BENEFITS जानें क्यों जरूरी है #स्टीमबाथ और क्या हैं इसके फायदे

#STEAM-BATH #HEATH BENEFITS
जानें क्यों जरूरी है स्टीम बाथ और क्या हैं इसके फायदे

+ स्टीम बाथ से शरीर की सफाई हो जाती है।
+ स्टीम बाथ से पहले अच्छे से पानी पी लें।
+ स्टीम बाथ शरीर को कैंसर से बचाता है।
+ स्टीम बाथ से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।


स्टीम बाथ सिर्फ सर्दियों में ही नहीं, यह किसी भी मौसम में फायदेमंद होता है। यह त्वचा के रोमछिद्रों को खोलता है और अंदर से साफ करता है, जिससे विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। इस तरह ऑक्सीजन मिलने से त्वचा की मृत कोशिकायें निकल जाती हैं और नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है
दिन भर की थकान मिटानी हो या फिर तनाव से मुक्ति पानी हो, स्‍टीम बाथ इन सबके लिए एक कारगर उपाय है। यह तन-मन को राहत देता है। कई लोग इसका इस्‍तेमाल वजन कम करने के लिए भी करते हैं।






 


इम्यूनिटी बढ़ाए:-
नियमित रूप से स्टीम बाथ लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। स्टीम बाथ लेने पर शरीर का तापमान तेजी से बढ जाता है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं। इम्यून सिस्टम मजबूत होने से शरीर रोगों से दूर रहता है। यह सर्दियों में फ्लू से भी दूर रखता है। साथ ही बंद नाक को खोलकर आराम देता है


कैंसर से रखे दूर:-
स्टीम बाथ का तापमान 106 से 110 डिग्री फॉरेनहाइट होता है, जो कैंसर बनाने वाले तत्वों को नष्ट कर देता है। साथ ही किसी भी प्रकार के संक्रमण से शरीर को दूर रखता है।

बाहर निकाले विषैले तत्व:-
स्टीम और सौना बाथ शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने का सबसे बेहतरीन उपाय है। स्टीम बाथ से निकलने वाले पसीने के साथ ही शरीर के नुकसानदेह टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। अगर अधिक धूम्रपान करने वाला स्टीम रूम में बैठ जाए तो उसके तौलिये में पीले रंग का कुछ शेष नजर आएगा। मसाज के बाद स्टीम बाथ लेने से दोगुना आराम मिलता है। यह सिर से पांव तक पूरे शरीर और मांसपेशियों को आराम देता है। तनाव भी दूर करता है। स्टीम बाथ के बाद वार्म शॉवर लेने से रात में नींद बहुत अच्छी आती है


रक्त संचार बढ़ाए:-
स्टीम से रक्तसंचार बढता है। यह बिना ब्लड प्रेशर बढाए नाडी की गति को बढाने में मदद करता है। क्योंकि गर्माहट के कारण रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और रक्त संचार तेज हो जाता है। इस तरह त्वचा में पोषक तत्वों का संचार होता है, जो उसे सौम्य, कोमल और कांतिमय बनाता है।


ध्यान रखें:-
हृदय रोगी और कार्डियोवैस्कुलर एक्टीविटी करने वालों को स्टीम बाथ नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती स्त्रियों, जिन्हें बुखार हो और शिशु को स्टीम बाथ नहीं लेनी चाहिए


कैसे लें स्टीम बाथ:-
स्टीम बाथ तब तक लें जब तक कि आपको आराम मिले। लेकिन ट्रीटमेंट के तौर पर एक बार में 15 मिनट से अधिक न लें। अगर किसी भी प्रकार की समस्या या दिक्कत हो तो स्टीम बंद कर दें। स्टीम बाथ से पसीना बहुत निकलता है। इसलिए पानी खूब पी लें। स्टीम लेने से पहले एक ग्लास भर कर पानी जरूर पी लें। ट्रीटमेंट के बाद कुछ तरल पदार्थ जरूर लें। नीबू, नमक पानी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। स्टीम रूम में जाने से पहले शॉवर ले लें। बाथ लेने के बाद कमरे के तापमान में पहले सामान्य अवस्था में आएं फिर ठंडे या गर्म पानी से नहाएं। अगर आप दोबारा स्टीम सेशन लेना चाहती हैं तो पहले सामान्य अवस्था में आ
एं।

Health, Health Tips, Ayurvedik Health Benefits,

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Tuesday, March 3, 2015

पथरी का #होमियोपेथी इलाज !

पथरी का होमियोपेथी इलाज !
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अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये| (स्वदेशी कंपनी SBL की बढ़िया असर करती है )
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
और यही दवा से पित की पथरी (gallbladder stones ) भी ठीक हो जाती है ! जिसे आधुनिक डाक्टर पित का कैंसर बोल देते हैं !
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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|
और एक बात इस BERBERIS VULGARIS से पीलिया jaundice भी ठीक होता है


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Monday, December 1, 2014

काम के घरेलु टिप्स

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काम के घरेलु टिप्स

सख्त नींबू को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है।
महीने में एक बार मिक्सर और ग्राइंडर में नमक डालकर चला दिया जाये तो उसके ब्लेड तेज हो जाते हैं।
नूडल्स उबालने के बाद अगर उसमें ठंडा पानी डाल दिया जाये तो वह आपस में चिपकेंगे नही।
पनीर को ब्लोटिंग पेपर में लपेटकर फ्रिज में रखने से यह अधिक देर तक ताजा रहेगा।
मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये अलग रख दें।
एक टीस्पून शक्कर को भूरा होने तक गरम करे। केक के मिश्रण में इस शक्कर को मिला दे। ऐसा करने पर केक का रंग अच्छा आयेगा।
फूलगोभी पकाने पर उसका रंग चला जाता है। ऐसा न हो इसके लिए फूलगोभी की सब्जी में एक टीस्पून दूध अथवा सिरका डाले। आप देखेगी कि फूलगोभी का वास्तविक रंग बरकरार है।
आलू के पराठे बनाते समय आलू के मिश्रण में थोड़ी सी कसूरी मेथी डालना न भूले। पराठे इतने स्वादिष्ट होंगे कि हर कोई ज्यादा खाना चाहेगा।
आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा।
दाल पकाते समय एक चुटकी पिसी हल्दी और मूंगफली के तेल की कुछ बूंदे डाले। इससे दाल जल्दी पक जायेगी और उसका स्वाद भी बेहतर होगा।
बादाम को अगर 15-20 मिनट के लिए गरम पानी में भिगो दें तो उसका छिलका आसानी से उतर जायेगा।
चीनी के डिब्बे में 5-6 लौंग डाल दी जाये तो उसमें चींटिया नही आयेगी।
बिस्कुट के डिब्बे में नीचे ब्लोटिंग पेपर बिछाकर अगर बिस्कुट रखे जाये तो वह जल्दी खराब नही होंगे।
कटे हुए सेब पर नींबू का रस लगाने से सेब काला नही पड़ेगा।
जली हुए त्वचा पर मैश किया हुआ केला लगाने से ठंडक मिलती है।
मिर्च के डिब्बे में थोड़ी सी हींग डालने से मिर्च लम्बे समय तक खराब नही होती।
किचन के कोनो में बोरिक पाउडर छिड़कने से कॉकरोच नही आयेंगे।
लहसुन के छिलके को हल्का सा गरम करने से वो आसानी से उतर जाते हैं।
हरी मिर्च के डंठल को तोड़कर मिर्च को अगर फ्रिज में रखा जाये तो मिर्च जल्दी खराब नही होती।
हरी मटर को अधिक समय तक ताजा रखने के लिए प्लास्टिक की थैली में डालकर फ्रिजर में रख दें



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Sunday, November 30, 2014

Benefits of following the Alkaline Diet

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Benefits of following the Alkaline Diet

(* Alkaline Foods prevent Cancer )



 

 






There are many benefits to following a diet high in alkalizing foods. One of them being that one gets more of the essential Vitamins and Minerals your body needs in its natural form which means that it gets Absorbed Better.

A diet high in alkalizing foods also means that one has more energy to tackle the daily stresses and less dis-ease in many respects. On the Alkaline Diet you might just find that some of the things that have ailed you disappears overnight. Symptoms like Cancer , acid Reflux, İndigestion, IBS, Allergies, Hay Fever, Gout, Arthritis, Athletes Foot, Constipation and more can disappear literally overnight on this diet.
too get the best benefits out of alkaline health, there are things that you can do to get more alkaline into your body, and certain things that you should avoid.

Alkaline Diet Tips :

a ) Have the juice of a Lemon or Lime each day, 1 tablespoon full at a time in a glass of water

b) Drink more Water – at least 8 glasses a day ( 2 lt )

c ) Eat more *Green Leafy Vegetables – raw, cooked or steam fried

d ) You must eat * Spicey Foods , add your food ( Black Pepper ,Cayenne pepper, Cinnamon, Curry, Ginger, Garlic etc. Spices – all of these are excellent for your health

You must stay away from These ( Acidic Foods ) in Alkaline Diet :
1) Microwaved Foods : the Microwave Changes the Chemical structure of any food you cook in it

2 ) Soft Drinks & Sodas : cold drinks like Coke and other sodas are really acidifying

3) Processed Meat : Processed meats include bacon, sausage, hot dogs, sandwich meat, packaged ham, pepperoni, salami and virtually all red meat used in frozen prepared meals.

They are usually manufactured with a Carcinogenic ingredient known as " Sodium Nitrite"

4 ) Sugar
5 ) Alcohol
6 ) White Bread


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