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Sunday, November 16, 2014

What your DREAM says

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What your DREAM says

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What I believe is - Dream has relation to your last thinking just before sleeping. OR Some hidden thought which you are day to day thinking.
You will never dream which you never know for OR you can't imagine things which you dont know

However astro people are saying below things.
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1- नदी या समुद्र में तैरना, आकाश में उडऩा, सूर्योदय, प्रज्वलित आग, सूर्य आदि देखना, महल, मंदिर, शिखर चढऩे का सपना देंखे तो हर कार्य सफल व सिद्ध होता है।
3- यदि सपने में गंदे नाले में स्वयं को गिरते हुए देखें तो बीमारी होती है और एक महीने के भीतर ही किसी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
4- सपने में श्वेत चंदन लगाना, अलंकार पहनना अथवा पहने हुए देखना, यह सब देखने वाले जातक को शुभ समाचार मिलता है।
5- सूर्य या चंद्र को सपने में निस्तेज देखना, ध्रुव या अन्य तारों को गिरते हुए देखने पर मनुष्य मरण अथवा शोक को प्राप्त होता है।
6- स्वप्न में यदि स्वयं को नाव में बैठकर नदी पार करते देखते हैं तो दूर की यात्रा का योग बनता है।
7- जो व्यक्ति स्वप्न में गेंहू का ढेर देखता है तो उसे अचानक धन लाभ होता है। सपने में यदि दांत गिरते हुए देंखे तो आयु बढ़ती है।
8- यदि स्वप्न में सर्प दिखे तो अनिष्ट होने की संभावना रहती है तथा वंश वृद्धि में भी परेशानी आती है। सपने में खुद को थूकते हुए देंखे तो अनिष्ट फल मिलता है.
9- स्वप्न में घर का दरवाजा गिरते हुए देखें तो कुल का नाश हो जाता है। स्वयं को स्वप्न में पर्वत पर चढ़ते हुए देंखे तो उच्चपद की प्राप्ति होती
10- यदि सपने में गंदे नाले में स्वयं को गिरते हुए देखें तो बीमारी होती है और एक महीने के भीतर ही किसी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।




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अनामिका उंगली बताती है- धन किस तरह कमाएँगे?

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अनामिका उंगली बताती है- धन किस तरह कमाएँगे?


छोटी उंगली के बाद अनामिका होती है। इस उंगली के नीचे सूर्य पर्वत होता है इसलिए अनामिका उंगली को हस्तरेखा विज्ञान में काफी महत्व दिया गया है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार अनामिका अगर तर्जनी से बड़ी हो तो व्यक्ति स्वाभिमानी होता है। ऐसे लोग भावुक होते हैं और जरूरत के समय लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। सगे-संबंधियों विशेष तौर पर जीवनसाथी के प्रति इनमें गहरा लगाव होता है। सामान्य रूप से इनका दांपत्य जीवन सुखद रहता है।

अनामिका और तर्जनी की लंबाई बराबर होना दर्शाता है कि व्यक्ति स्वतंत्रताप्रिय है। ऐसा व्यक्ति अपने काम में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता है और न दूसरों के काम में दखलंदाजी करता है। यह अपने व्यक्तिगत जीवन में खुश रहते। जिनकी अनामिका उंगली मध्यमा के बारबार होती है वह स्वार्थी और धूर्त होते हैं। ऐसे लोग परंपरा और नैतिकता को ताक पर रखकर कई कार्य कर बैठते हैं। अनामिका उंगली का छोटा होना हस्तरेखा में अच्छा नहीं माना जाता है।

जिनकी अनामिका उंगली छोटी होती है वह ठगी, चोरी एवं कला का गलत इस्तेमाल करके धन कमाने की प्रवृति रखने वाले व्यक्ति होते हैं। अनामिका उंगली का झुकाव छोटी उंगली की ओर होने पर व्यक्ति व्यवसाय के माध्यम से खूब धन अर्जित कर सकता है। जिनकी अनामिका उंगली का झुकाव मध्यमा उंगली की ओर होता है वह नौकरी एवं बौद्धिक कार्यों के द्वारा धन कमाते हैं। इस तरह के लोग निराशावादी और खिन्न होते हैं। ज्योतिष, दर्शन और रहस्यमयी विद्याओं से भी धन अर्जित करने में सफल होते हैं।




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आइये जाने शरीर के अंगो पर तिलों का असर/प्रभाव

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आइये जाने शरीर के अंगो पर तिलों का असर/प्रभाव —-


जेसा की आप सभी जानते हें हमारे शरीर पर कई प्रकार के जन्मजात अथवा जीवन काल के दौरान निकले निशान पाए जाते हैं। जिन्हे हम तिल, मस्सा एवं लाल मस्सा के नाम से सुनते आए हैं। शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर पर पाए गए यह निशान हमारे भविष्य और चरित्र के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं। मैं आज शरीर पर इन तिलों के होने का महत्त्व वर्णन कर रहा हूँ।

तिल तथा मस्से का होना दोनों एक ही प्रभाव देता है। तिल आपके सभी प्रकार के शारीरिक, आर्थिक एवं चरित्र के बारे में काफी कुछ दर्शा देता है। तिल का प्रभाव हमारे लिंग से कभी भी अलग नही होता। तिल का प्रभाव स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए एक सामान होता है.

मस्तक ,माथा अथवा ललाट :—-

१> ललाट के मध्य भाग में तिल का होना भाग्यवान माना जाता है।

२> ललाट पर बाएँ भंव के ऊपर तिल होना विलासिता को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति अपने रखे धन सम्पति को विलासिता में लिप्त होकर बरबाद कर देते हैं।

३> ललाट पर दाँए भंव के ऊपर तिल होना भी विलासिता को दर्शाता है परन्तु ऐसे व्यक्ति स्वयं धन अर्जित कर के उसे बरबाद कर देते हैं।

कान अथवा कर्ण:—

१> बाएँ कान के सामने की तरफ़ कहीं भी तिल का होना व्यक्ति के रहस्यमयी होने के गुण को दर्शाता है। साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति का विवाह अधिक उम्र होने के पश्चात् होता है।

२> बाएँ कान के पीछे की तरफ़ तिल का होना व्यक्ति के ग़लत कार्यो के प्रति झुकाव को दर्शाता है।

३> दाँए कान के सामने की तरफ़ कही भी तिल हो तो वह व्यक्ति बहुत कम आयु में ही धनवान हो जाता है। साथ ही साथ व्यक्ति का जीवन साथी सुंदर होता है।

४> दाँए कान के पीछे अगर तिल है तो यह तिल कान में किसी भी प्रकार के रोग होने की सम्भावना व्यक्त करता है।

आँख,नेत्र अथवा नयन:—-

१> बाएँ आँख के भीतर सफ़ेद भाग में तिल का होना चरित्र हीनता का सूचक है।

२> बाएँ आँख के पुतली पर तिल का होना भी चरित्र हीनता का सूचक है परन्तु इसका प्रभाव भीतर के तिल से कम होता है।

३> बाएँ आँख की नीचे की पलकों पर तिल होना व्यक्ति के आलसीपन और विलासी चरित्र को दर्शाता है। ४> दाँए आँख के भीतर सफ़ेद भाग में अगर तिल हो तो वह व्यक्ति भी चरित्रहीन होता है अथवा ऐसे व्यक्ति के जीवन का अंत या तो हत्या से होता है या फ़िर वह आत्मदाह कर लेता है

५> दाँए आँख के ऊपर का तिल आँखों से सम्बंधित रोग का सूचक है। एवं ऐसे व्यक्ति अविश्वासी होते हैं। ना यह किसी पर विश्वास करते है और न ही विश्वास के पात्र होते हैं।

६> दाँए आँख के नीचे की पलकों पर तिल का होना उस व्यक्ति के कम आयु से ही विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का सूचक है।

नाक:—-

१> नाक के अग्र भाग पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति लक्ष्य बना कर चलने वाले होते हैं तथा किसी भी कार्य को उस समय तक नही करते जब तक की वह उस कार्य के लिए स्वयं को पूर्ण सुरक्षित महसूस न कर लें। साथ ही साथ यह व्यक्ति भी विपरीत लिंग के प्रति बहुत आकर्षित होता है।

२> इसके अलावा अगर नाक पर कहीं भी तिल हो तो व्यक्ति को नाक सम्बंधित कोई भी रोग हो सकता है।

३> नाक के नीचे (मूछ वाली जगह ) पर दाँए अथवा बाएँ अगर कहीं भी तिल हो वह व्यक्ति भी अधिक विलासी होगा तथा नींद बहुत अधिक पसंद करेगा।

होंठ:—

१> उपरी होंठ के बाएँ तरफ़ तिल होना जीवनसाथी के साथ लगातार विवाद होने का सूचक है।

२> उपरी होंठ के दाँए तरफ़ तिल हो तो जीवनसाथी का पूर्ण साथ मिलता है।

३> निचले होंठ के बाएँ तरफ़ तिल होना किसी विशेष रोग के होने का सूचक होता है एवं ऐसे व्यक्ति अच्छे भोजन खाने तथा नए वस्त्र पहनने के शौकीन होते हैं।

४> निचले होंठ के दाँए तरफ़ तिल हो तो वह व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्दि प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ इन्हे भोजन से कोई खास लगाव नही होता है। लेकिन विपरीत लिंग इन्हे अधिक आकर्षित करते हैं।

गाल:—-

१> जिस व्यक्ति के बाएँ गाल,नाक तथा ठुड्डी पर तीनो जगह तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के पास स्थायी धन हमेशा रहता है। परन्तु अगर सिर्फ़ कही एक जगह ही तिल हो तो उसे पैसे का आभाव नही होता।

२> इसी प्रकार दाँए गाल,नाक तथा ठुड्डी पर तीनो जगह तिल हो तो ऐसे व्यक्ति भी धनवान होते हैं परन्तु घमंडी भी होते हैं। एसऐ व्यक्ति अपना धन किसी भी सामाजिक कार्य में नही लगते हैं। परन्तु अगर सिर्फ़ कही एक जगह ही तिल हो तो उसे पैसे का आभाव नही होता।

३> दाँए गाल पर तिल होना व्यक्ति के घमंडी होने का सूचक है।

कंठ,गला तथा गर्दन:

१> कंठ पर तिल का होना सुरीली आवाज़ का सूचक है तथा ऐसा व्यक्ति संगीत में रूचि रखता है।

२> गले पर और कहीं भी तिल होने वाले व्यक्ति संगीत के शौखिन होते हैं परन्तु उन्हे गले सम्बंधित रोग एवं कुछ व्यक्तियों में दमा जैसे रोग भी पाए गए हैं।

३> अगर गले के नीचे तिल हो तो ऐसा व्यक्ति गायक होता है। एवं उसकी आवाज़ बहुत सुरीली होती है। ४> गले के पीछे अगर तिल हो तो रीढ़ सम्बंधित रोग होते हैं।

सीना अथवा छाती:—-

1> बाएँ तरफ़ सीने में तिल का होना सीने या ह्रदय रोग की शिकायत होने एवं मध्यस्तर के जीवनसाथी का मिलना तथा अधिक उम्र में शादी होने की स्थिति को दर्शाता है। वक्ष स्थल पर यदि तिल हो तो वह व्यक्ति अधिक कामुक होता है और अनेको प्रकार की बदनामी को झेलता है।

२> दाँए तरफ़ सीने में तिल का होने से सुंदर जीवनसाथी मिलता है एवं यह व्यक्ति धनवान भी होता है। परन्तु यदि तिल वक्ष स्थल पर है तो इसका प्रभाव भी बाएँ तिल के सामान होता है।

उदर अथवा पेट:—-

१> उदर के बाएँ तरफ़ तिल होना पेट सम्बन्धी रोगों का सूचक है एवं अधिकतम लोगो में पाया गया है की उन्हे शल्य चिकित्सा भी करनी पड़ी है। ऐसे लोग भोजन अधिक नही कर पाते है।

२> उदर के दाँए तरफ़ तिल होना व्यक्ति के भोजन के प्रति अधिक लगाव को दर्शाता है। साथ ही साथ यह आरामदेह व्यक्ति होते हैं।

३> नाडी के बीचोबीच तिल का होना नाडी सम्बंधित रोगों तथा लकवे की बीमारी के होने का सूचक है।

४> नाडी के नीचे तिल यदि हो तो वह व्यक्ति कम आयु में ही मैथुन क्रिया में कमजोर हो जाता है एवं अप्पेंधिक्स और होर्निया जैसे रोगों से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है।

गुप्तांग:—-

१> पुरूष के गुप्तांग पर यदि तिल हो तो वह पुरूष अधिक कामुक एवं एक से अधिक स्त्रियों के संपर्क में रहता है।साथ ही साथ उस व्यक्ति हो पुत्र प्राप्ति की सम्भावना अधिक होती है एवं ४५-५० के बीच की आयु में उसे शिथिल इन्द्रियों का रोग हो जाता है।

२> स्त्री के गुप्तांग पर यदि बाएँ तरफ़ तिल है तो वह स्त्री अधिक कामुक, कम आयु से ही विपरीत लिंग के संपर्क में अधिक रहना अथवा इन्द्रियों सम्बंधित रोगों से पीड़ित होती हैं।ऐसी स्त्रियाँ कन्या को अधिक जनम देती हैं।यदि तिल दाँए तरफ़ है तो यह भी अधिक कामुक होती है तथा गुप्तांग में किसी प्रकार की फंगल रोग से पीड़ित हो जाती हैं। परन्तु ऐसी स्त्रियाँ कन्या से अधिक पुत्र को जनम देती हैं। तिल के अग्र्र भाग में नीचे होने पर वह स्त्री भी कामुक होती है पर वह कम आयु में ही विधवा हो जाती है।

हाथ, उंगलियाँ अथवा भुजा:—-

१> हाथ के पंजे में अगर किसी भी ग्रह के स्थान पर यदि तिल है तो वह उसे ग्रह को कमजोर करता है तथा हानि ही करता है। तिल हाथपर अन्दर की तरफ हो या फ़िर बहार की तरफ़ प्रभाव यही रहता है। कुछ लोगों को यह भ्रान्ति है की हाथ के पंजे का तिल शुभ होता है। परन्तु ऐसा नही होता।

२> तर्जनी ऊँगली (पहली ऊँगली ) पर कहीं भी तिल हों तो ऐसा व्यक्ति कितना भी धन कमाए उसके पास पैसा कभी नही टिकता। ऐसे व्यक्ति को आँखों में कमजोरी की शिकायत रहती है तथा कम आत्मविश्वाशी होता है।

तर्जनी ऊँगली के नीचे बृहस्पत का पर्वत होता है इसलिए अगर उस पर्वत पर तिल है तो वह व्यक्ति अपने पूर्वजो के रखे हुए धन को भी गवा देता है तथा अंत समय में दरिद्र होके रहता है।

३> मध्यमा ऊँगली में कही भी तिल है तो यह व्यक्ति अनेको बार दुर्घटना का शिकार होता है, एवं पुलिस, थाना अथवा कचहरी का आना जाना लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन भर हर कार्य के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है साथ ही साथ कोई भी काम में स्थिर नही रह पता है। मध्यमा उंगली के नीचे शनि का पर्वत होता है। शनि पर यदि तिल है तो इस व्यक्ति की आकाल मृत्यु अवश्य निश्चित हैअन्यथा उसे आजीवन कारावास झेलना निश्चित है।

४> अनामिका ऊँगली में कही भी तिल होंतो ऐसे व्यक्ति का पढ़ाई में मन कम लगता है तथा उसकी प्रतिभा धूमिल होती है। ऐसे व्यक्ति ह्रदय सम्बन्धी रोग का शिकार होते हैं। अनामिका ऊँगली के नीचे सूर्य का पर्वत होता है। अगर इस पर्वत पर तिल है तो यह व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी कार्य में सफल नही होता है। साथ ही साथ बदनामी भी झेलनी पड़ती है और मृत्यु ह्रदय रोग से होती है��

५> कानी अथवा कनिष्क ऊँगली पर यदि तिल हों तो ऐसे व्यक्ति का अपने जीवनसाथी के साथ हमेशा विवाद होता रहता है, साथ ही उसे चर्म रोग ( सफ़ेद दाग ) की शिकायत रहती है। कानी ऊँगली के नीचे बुद्ध का पर्वत होता है.यदि तिल इस पर्वत पर है तो ऐसे व्यक्ति की शल्य चिकित्सा जरुर होती है। ऐसे स्त्रियों के बच्चे भी शल्य चिकत्सा के बाद होते है।

६> अंगूठे पर तिल होने पर उस व्यक्ति को यश नही मिलता। अंगूठे के नीचे शुक्र का पर्वत होता है। यदि शुक्र पर्वत पर तिल है तो ऐसे व्यक्ति को गुप्त रोगों की शिकायत रहती है।ऐसे लोगों को पुत्र कष्ट होता है।

७> यदि जीवनरेखा पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति की कम आयु में ही किसी विशेष रोग से मृत्यु होती है। शुक्र और बृहस्पत पर्वत के बीच में मंगल का स्थान होता है, इस स्थान पर यदि तिल हो तो उस व्यक्ति को मानसिक बीमारी होने की सम्भावना रहती है। यदि दिमाग रेखा पर तिल हो ऐसे व्यक्ति भी मस्तक सम्बन्धी रोग से पीड़ित होते है साथ ही साथ नौकरी में अनेको प्रकार की बाधाएं होती हैं। ह्रदय रेखा पर यदि तिल हो तो ह्रदय सम्बन्धी रोगों के कारन कम आयु में ही मृत्यु होती है। चन्द्र रेखा पर तिल होने पर ऐसे व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित होते है एवं इनके शरीर पर तापमान का अधिक प्रभाव होता है। राहू ग्रह के पर्वत पर तिल होने पर ऐसे व्यक्ति किसी भी व्यवसाय में सफल नही होते और आजीवन उदर रोग से परेशान रहते हैं। केतु ग्रह पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति पर चरित्रहीनता का आरोप लगता रहता है तथा जोडो में आजीवन दर्द रहता है।

८ > मणिबंध ( कलाई ) पर अगर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति को यश नही मिलता है। ऐसे व्यक्ति को पुत्र कष्ट भी होता है।

यदि यही सारे तिल हाथ, उँगलियों पर ऊपर की तरफ़ हो तो सारे वही प्रभाव रहते है परन्तु उनका असर ५० प्रतिषत कम हो जाता है। यदि तिल दाँए हाथ में है तो किसी पूजा या अनुष्ठान से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है परन्तु यदि वही तिल बाएँ हाथ में है तो उसका प्रभाव कम नही हो सकता और व्यक्ति को उस तिल के प्रभाव झेलने ही पड़ते हैं।

९>बाएँ भुजा ( कोहनी से नीचे ) यदि कही भी तिल है तो उस व्यक्ति की पढ़ाई में बाधा उत्पन होती है एवं कई लोगों में ऐसा भी पाया गया है की उनका मन पढ़ाई से भाग जाता है। कोहनी से ऊपर अगर कही भी तिल है तो यह व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर होता है।

१०> दाँए भुजा (कोहनि से नीचे ) यदि कही भी तिल है तो यह व्यक्ति अपने कलम की कमाई खाते है यानि अपना जीवन यापन स्वयम करते हैं। यदि कोहनी से ऊपर की तरफ़ कही भी तिल है तो यह व्यक्ति बहुत साहसी होता है।

११> यदि कोहनी पर तिल है तो उस व्यक्ति को हमेशा जोडो के दर्द की तकलीफ रहेगी। बाएँ हाथ के तिल का असर कभी ख़त्म नही हो सकता है। यदि दाँए हाथ की कोहनी पर तिल है तो पूजा या उपचार करने से कष्ट दूर हो सकता है।

पैर:—-

१> यदि पैर पर भी हाथ की तरह उन्ही जगह पर तिल है तो सारे प्रभाव हाथ जैसे ही होते है। परन्तु माना गया है की हाथ के तिल का प्रभाव पैर के तिल से ज्यादा होता है।

२> बाएँ पैर की जांघ पर यदि तिल हो तो यह व्यक्ति भोगी होता है। एवं कुछ लोगों में बवासीर होने की शिकायत भी पाई गई है। दाँए पैर की जांघ पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति भी भोगी विलासी होते है। ऐसे व्यक्तियों को विपरीत लिंग के प्रति अधिक आकर्षण रहता है।

३> यदि घुटने पर तिल हो तो जोडो के दर्द अथवा मूत्र सम्बन्धी रोग हो सकते हैं।

पीठ:—-
पीठ के रीढ़ के दाए हिस्से पर उपर की तरफ़ यदि तिल हो तो यह व्यक्ति धनवान होता है एवम अपनो द्वारा अनेको बार मुसीबत आने पर मदद पता है.दाए ओर कमर से उपर यदि तिल हो तो ऐसा व्यक्ति खाने पीने का शौखिन होता है। तथा पेट के रोगों से ग्रस्त रह सकता है।यदि तिल कमर पर दाईं तरफ़ हो तो यह व्यक्ति अधिक कामुक होता है.बाएँ तरफ़ ऊपर की तरफ़ यदि तिल हो तो यह व्यक्ति बहुत कठिन परिश्रम के बाद ही पैसा कमाता है एवं अपने लोग इसे धोखा दिया करते हैं। यदि नीचे बैएँ तरफ़ तिल हो तो यह व्यक्ति आजीवन उदर रोग से ग्रस्त रहता है। तथा शल्य चिकित्सा की सम्भावना अधिक होती है। यदि तिल कमर पर हो तो यह व्यक्ति आजीवन कमर के दर्द से परेशान रहता है। तथा यदि स्त्री है तो उसे श्वेत प्रदर का रोग हो सकता है और पुरूष हो तो स्वप्नदोष की बेमारी अधिक होती है। रीढ़ पर ऊपर से नीचे यदि कहीं भी तिल हो तो रीढ़ की बीमारी या शरीर में जोडो के दर्द की शिकायत होती है। तथा ऐसे लोग हमेशा अपनों से ही धोखा खाते हैं और इनके पीठ पीछे हमेशा वार होता है। अधिकतर पाया गया है ऐसे लोग अपनों से ही धोखा खाते हैं।

हाथ के बगल/कांख:—

दाँए कांख में यदि तिल हो तो यह व्यक्ति बहुत धनवान होता है तथा कंजूस भी होता है। बाएँ कांख में तिल हो तो यह व्यक्ति पैसे तो कमाते हैं लेकिन रोग और भोग में ही पैसो का नाश हो जाता है।

कुल्हे/हिप्स पर—

यदि बाएँ हिप पर तिल हो तो यह व्यक्ति बवासीर सम्बन्धी या भगंदर सम्बन्धी रोगों से पीड़ित हो सकता है। यदि दाँए हिप पर तिल हो तो यह व्यक्ति व्यापारी है तो अपने व्यापर में बहुत आगे बढ़ता है…

पुरुषों और महिलाओं के शरीर पर तिल का असर—-
व्यक्ति के शरीर पर जो तिल होते हैं उनका प्रभाव अवश्य ही पड़ता है। प्रभाव अच्छा व बुरा दोनों तरह का हो सकता है…

पुरुष—-

—जिस पुरुष के सिर (मस्तक) पर तिल होता है, वह हर जगह इज्जत पाता है।
— आंख पर तिल होता है तो वह नायक पद पाता है।
– मुख पर तिल होता है तो उसे बहुत दौलत मिलती है।
- गाल पर तिल होता है तो उसे स्त्री का सुख मिलता है।
-ऊपर के होंठ पर तिल हो तो धन पाता है तथा चारों तरफ इज्जत मिलती है।
- नीचे के होंठ पर तिल हो तो वह व्यक्ति कंजूस होता है।
-कान पर तिल हो तो वह खूब पैसे वाला होता है।
-गर्दन पर तिल हो तो उस व्यक्ति की लम्बी उम्र होती है तथा उसे आराम मिलता है।
- दाहिने कंधे पर तिल हो तो वह व्यक्ति कलाकार होता है। क्षेत्र कोई सभी हो सकता है।
- हाथ के पंजे पर तिल हो तो वह व्यक्ति दिलदार व दयालु रहता है।
– पांव पर तिल हो तो उस व्यक्ति की विदेश यात्रा का योग बनता है।

महिला—

- जिस महिला के गाल पर तिल होता है, उसे अच्छा पति मिलता है।
- महिला के बाई तरफ मस्तक पर तिल हो तो वह किसी राजा की रानी बनती है।
- आंख पर तिल हो तो पति की बहुत अधिक प्रिय होती है।
- गाल पर बांयी तरफ तिल हो तो ऐशो आराम का सुख मिलता है।



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Friday, September 12, 2014

17 सितंबर सूर्य-राहु का बन रहा योग, आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा

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17 सितंबर  सूर्य-राहु का बन रहा योग, आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा

17 Septemebr ko Hee Narendra Modi ji ka Janm Din Hai


सूर्यदेव 17 सितंबर की ​सुबह कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं, वहां ये पहले से ही मौजूद राहु से युति करेंगें जिसके परिणामस्वरूप 'ग्रहणयोग' बनेगा। कन्या राशि के अधिपति बुध हैं लेकिन यह राहु की भी प्रिय राशि है।

इसकी वजह है कि यह स्त्री राशि है और राहु, केतु अथवा कोई भी क्रूर ग्रह जब किसी भी स्त्री राशि के प्रवेश करते हैं तो उनके स्वाभाव में सौम्यता आ जाती है।

आसुरी शक्तियां सर्वाधिक स्त्रियों के ही वशीभूत रहती हैं अतः कन्याराशि के जातकों का एक माह मानसिक तनाव वाला तो रहेगा परन्तु कार्य व्यापार की दृष्टि से अधिक नुकसान नहीं होगा।


कन्या राशि वालों के लिए बड़ी खुशखबरी यह है कि अब कामयाबियों के मार्ग में आनेवाली सभी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होती जाएगी। इसराशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती के बचे हुए अंतिम 50 दिनों का कुप्रभाव अभी भी जातकों के शरीर में कमर से नीचे रहेगा।

यह थोडा कष्टकारक तो है, लेकिन अब इससे भी मुक्ति मिलाने वाली है। इसलिए इस युति से घबराए नहीं। राहु-सूर्य के एक साथ आ जाने से सूर्य, राहु का कुप्रभाव और भी कम कर देंगें। इसकी वजह है कि जन्मकुंडली में यदि सूर्य बलवान हों तो अकेले ही सात ग्रहों का दोष शमन कर देते हैं।

अगर उत्तरायण सूर्य के समय आपका जन्म हुआ हो तो सूर्य सभी आठ ग्रहों चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु का दोष शमन कर देते हैं।

अतः सूर्य को प्रसन्न करने से राजपद, श्रेष्ठ पुरस्कार, उत्तम स्वास्थय, संतान प्राप्ति, पाप शमन, शत्रु विनाश, खोई हुई प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्ति होती है। ! शिव-पार्वती संवादशास्त्र, कर्मविपाक संहिता में सूर्य के महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है "ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वराः



 ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षी भूतं जगत्त्रये। अर्थात- तीनों प्रकार श्रेष्ठ मध्यम और अधम जगत के साक्षी ब्रह्मा, विष्णु, शिव, देवी, देव, इंद्र और मुनीश्वर भी भगवान् भास्कर ही ध्यान करते हैं।

आप ही ब्रह्मा, विष्णु ,शिव, प्रजापति अग्नि तथा वषट्कार स्वरूप कहे जाते है आप समस्त संसार के शुभ-अशुभ कर्मों के दृष्टा हैं। यह चराचर जगत आपके ही प्रकाश से दीप्यमान होता है, आप जगत की आत्मा हैं आपकी तेजस्वी किरणों के प्रभाव से ही जीव की उतपत्ति होती है।

सूर्य रश्मितो जीवोभि जायते। जन्मकुंडली में अथवा ग्रह गोचर देखते समय सूर्य की भावस्थिति का ध्यानपूर्वक विवेचन करना चाहिए।

इनका राशि परिवर्तन मेष, बृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, बृश्चिक, धनु, और मकर, राशि वालों के लिए उत्तम फलदायी रहेगा जबकि, मिथुन, तुला, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिए मध्यम रहेगा।



News Source : Amar Ujala (12.09.2014)


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क्या आपकी कुण्डली में भी है राजयोग

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क्या आपकी कुण्डली में भी है राजयोग

Astrology Special : Rajyog in Janm Kundli

देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की कुण्डली में मालव्य नामक राजयोग मौजूद है। इसके अलावा इनकी कुण्डली में बुधादित्य योग, ब्रह्म योग जैसे कई शुभ योग मौजूद हैं। आमिर खान, शाहरूख खान, कैटरीना कैफ- ये वो नाम हैं जिनकी कुण्डली में शश नामक राजयोग बना हुआ है।


लोकसभा में विपक्ष के नेता आडवाणी की कुण्डली में विपरीत राज योग है और गुजरात के मुख्यमंत्री की कुण्डली में रूचक नामक राजयोग मौजूद है।
कुंडली विशेषज्ञों के अनुसार अगर आपकी कुंडली में राजयोग है तो आप तो आप भी इन कामयाब हस्तियों की तरह सफल व्यक्ति बन सकते हैं

राजयोग
अगर कोई केन्‍द्र का स्‍वामी किसी त्रिकोण के स्‍वामी से सम्‍बन्‍ध बनाता है तो उसे राजयोग कहते हैं। राजयोग शब्‍द का प्रयोग ज्‍योतिष में कई अन्‍य योगों के लिए भी किया जाता हैं अत: केन्‍्द्र-त्रिकोण स्‍वा‍मियों के सम्‍बन्‍ध को पारा‍शरीय राजयोग भी कह दिया जाता है। दो ग्रहों के बीच राजयोग के लिए निम्‍न सम्‍बन्‍ध देखे जाते हैं -
1 युति
2 दृष्टि
3 परिवर्तन

युति और दृष्टि के बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं। परिवर्तन का मतलब राशि परिवर्तन से है। उदाहरण के तौर पर सूर्य अगर च्ंद्र की राशि कर्क में हो और चन्‍द्र सूर्य की राशि सिंह में हो तो इसे सूर्य और चन्‍द्र के बीच परिवर्तन सम्‍बन्‍ध कहा जाएगा।

पाराशरी राजयोग को केन्‍द्र त्रिकोण राजयोग भी कहते हैं।

अगर कोई केन्‍द्र का स्‍वामी किसी त्रिकोण के स्‍वामी से सम्‍बन्‍ध बनाता है तो उसे राजयोग कहते हैं। केन्‍द्र मतलब 4, 7, 10 भाव और त्रिकोण मतलब 5 और 9 भाव। पहला भाव केन्‍द्र और त्रिकोण दोनों माना जाता है। जैसा पहले बताया दो ग्रहों के बीच संबध का मतलब -

 जैसे मेष राशि वाले के लिए त्रिकोण यानि पांचवे और नवें भाव के स्‍वामी हैं सूर्य और गुरु। अगर इनका पहले भाव के स्‍वामी यानि मंगल, या चौ‍थे भाव का स्‍वामी यानि चंद्र, या सातवें भाव का स्‍वामी यानि शुक्र या दसवें भाव का स्‍वामी यानि शनि से युति, दृष्टि या परिवर्तन हो तो पाराशरी राजयोग बनेगा। जितने ज्‍यादा संबंध होंगे उतने ज्‍यादा राजयोग होंगे।

इसके अलावा कभी कभी एक ही ग्रह केन्‍द्र और त्रिकोण दोनों का स्‍वामी हो जाता है। कर्क लग्‍न के लिए मंगल त्रिकोण यानि पांचवे भाव और केन्‍द्र यानि कि दसवें घर को स्‍वामी होने की वजह से भी पाराशरी राजयोग बनाता है। पाराशरी राजयोग बनाने वाले ग्रह को योगकारक ग्रह कहते हैं और यह ग्रह अपनी दशा अन्‍तर्दशा में विशेष रूप से सफलता, समृद्धि और यश देता है।


 मूल रूप से जिसे राजयोग कहते हैं वह तब बनता है जब केन्द्र अथवा त्रिकोण के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठें अथवा दो केन्द्र भाव के स्वामी गृह परिवर्तन करें और त्रिकोण भाव के स्वामी की उनपर दृष्टि हो. यह राजयोग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है वह राजा के समान वैभवपू्र्ण जीवन जीता है. इनकी आयु लम्बी होती है. जबतक जीते हैं सम्मान से जीते हैं मृत्यु के पश्चात भी इनकी ख्याति व नाम बना रहता है.


 मालव्य राजयोग
वृष, तुला अथवा मीन राशि में जब शुक्र होता है तब मालव्य नामक योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सुन्दर और सौभाग्यशाली होता है। प्रसिद्धि इनके साथ-साथ चलती है। ऐसा व्यक्ति जो भी काम करता है उसमें भाग्य पूरा साथ देता है।

 रूचक राजयोग
यह राजयोग तब बनता है जब मंगल मकर राशि अथवा अपनी राशि मेष या वृश्चिक में केन्द्र स्थान में होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह बहुत ही साहसी होते हैं और कभी किसी दबाव में आकर कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति जहां भी होते हैं लोग इन्हें सम्मान देते हैं। यह राजा के समान शानो-शौकत से रहते हैं

भद्र राजयोग
यह योग बुध बनाता है जब वह मिथुन या कन्या राशि में होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह काफी बुद्धिमान और व्यवहार कुशल होते हैं। अपने व्यवहार और बुद्धि से लोगों से प्रशंसा प्राप्त करते हैं। बुद्धि और चतुराई से ऐसे लोग कार्य क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं


हंस राजयोग
कुण्डली में गुरू जब धनु, मीन अथवा कर्क में राशि में होता है तब हंस नामक राजयोग बनता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ने-लिखने में बहुत ही बुद्धिमान होता है। इनकी निर्णय क्षमता अच्छी होती है। राजनीतिक सलाहकार, शिक्षण अथवा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोग बहुत ही कामयाब होते हैं। इनका जीवन वैभवपूर्ण होता है


 शश राजयोग
शनि जब अपनी राशि यानी मकर या कुंभ में होता है अथवा अपनी उच्च राशि तुला में होता है तब शश नामक योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति धीरे धीरे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए समाज में यश और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।

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