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Thursday, May 21, 2015

VERY IMPORTANT: Max Temperatures recorded in some Indian cities:

VERY IMPORTANT: Max Temperatures recorded in some Indian cities:

Lucknow 47 degrees
Delhi 48 degrees
Agra 46 degrees
Nagpur 48 degrees
Kota 48 degrees
Hyderabad 46 degrees
Pune 44 degrees
Ahmedabad 47 degrees

Next year these cities will cross 50 degrees. Even AC or fan will not save you in summer.

Why is it so hot ?????

In last 10 years over 10 crore trees were cut for widening roads and highways. But not a single tree has been planted by govt or public.

How to make India a cool?????

Please do not wait for government to plant trees.

Sowing seeds or planting trees does not cost much.

Just collect seeds of fruits like Mango, Lemon, Jamun, Custard apple, Jack fruit, etc.

Then dig two inch hole on open spaces, roadside, footpaths, highways, gardens and also in your society or bungalow.

Bury these seeds in each hole with soil and then water them every two days in summer.

In rainy season no need to water them.

After 15 to 30 days small plants will be born.

Please nurture them and ensure they grow big.

Let us make this a National movement and plant 10 crore trees all over India.

We should stop temperature from crossing 50 degrees.....

Please plant maximum trees and forward this message to everyone



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आइये अपने 16 संस्कारों के बारे में जानें ...

आइये अपने 16 संस्कारों के बारे में जानें ...

1.गर्भाधान संस्कार - ये सबसे पहला संस्कार है l बच्चे के जन्म से पहले माता -पिता अपने परिवार के साथ गुरुजनों के साथ यज्ञ करते हैं और इश्वर को प्रार्थना करते हैं की उनके घर अच्छे बचे का जन्म हो, पवित्र आत्मा, पुण्यात्मा आये l जीवन की शुरूआत गर्भ से होती है। क्योंकि यहां एक जिन्दग़ी जन्म लेती है। हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे, हमारी आने वाली पीढ़ी अच्छी हो उनमें अच्छे गुण हो और उनका जीवन खुशहाल रहे इसके लिए हम अपनी तरफ से पूरी पूरी कोशिश करते हैं। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि अगर अंकुर शुभ मुहुर्त में हो तो उसका परिणाम भी उत्तम होता है। माता पिता को ध्यान देना चाहिए कि गर्भ धारण शुभ मुहुर्त में हो। ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि गर्भधारण के लिए उत्तम तिथि होती है मासिक के पश्चात चतुर्थ व सोलहवीं तिथि (Fourth and Sixteenth Day is very Auspicious for Garbh Dharan)। इसके अलावा षष्टी, अष्टमी, नवमी, दशमी, द्वादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवस्या की रात्रि गर्भधारण के लिए अनुकूल मानी जाती है। गर्भधारण के लिए उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, अनुराधा, हस्त, स्वाती, श्रवण, घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र बहुत ही शुभ और उत्तम माने गये हैं l ज्योतिषशास्त्र में गर्भ धारण के लिए तिथियों पर भी विचार करने हेतु कहा गया है। इस संस्कार हेतु प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथि को बहुत ही अच्छा और शुभ कहा गया है l गर्भ धारण के लिए वार की बात करें तो सबसे अच्छा वार है बुध, बृहस्पतिवार और शुक्रवार। इन वारों के अलावा गर्भधारण हेतु सोमवार का भी चयन किया जा सकता है, सोमवार को इस कार्य हेतु मध्यम माना गया है। ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार गर्भ धारण के समय लग्न शुभ होकर बलवान होना चाहिए तथा केन्द्र (1, 4 ,7, 10) एवं त्रिकोण (5,9) में शुभ ग्रह व 3, 6, 11 भावों में पाप ग्रह हो तो उत्तम रहता है। जब लग्न को सूर्य, मंगल और बृहस्पति देखता है और चन्द्रमा विषम नवमांश में होता है तो इसे श्रेष्ठ स्थिति माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र कहता है कि गर्भधारण उन स्थितियों में नहीं करना चाहिए जबकि जन्म के समय चन्द्रमा जिस भाव में था उस भाव से चतुर्थ, अष्टम भाव में चन्द्रमा स्थित हो। इसके अलावा तृतीय, पंचम या सप्तम तारा दोष बन रहा हो और भद्रा दोष लग रहा हो। ज्योतिषशास्त्र के इन सिद्धान्तों का पालन किया जाता तो कुल की मर्यादा और गौरव को बढ़ाने वाली संतान घर में जन्म लेगा .


2. पुंसवन संस्कार - - पुंसवन संस्कार के दो प्रमुख लाभ- पुत्र प्राप्ति और स्वस्थ, सुंदर गुणवान संतान है।पुंसवन संस्कार गर्भस्थ बालक के लिए किया जाता है, इस संस्कार में गर्भ की स्थिरता के लिए यज्ञ किया जाता है l

3. सीमन्तोन्नयन संस्कार- यह संस्कार गर्भ के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। इस समय गर्भ में पल रहा बच्च सीखने के काबिल हो जाता है। उसमें अच्छे गुण, स्वभाव और कर्म आएं, इसके लिए मां उसी प्रकार आचार-विचार, रहन-सहन और व्यवहार करती है। भक्त प्रह्लाद और अभिमन्यु इसके उदाहरण हैं। इस संस्कार के अंतर्गत यज्ञ में खिचडी की आहुति भी दी जाती है l

4. जातकर्म संस्कार- बालक का जन्म होते ही इस संस्कार को करने से गर्भस्त्रावजन्य दोष दूर होते हैं। नालछेदन के पूर्व अनामिका अंगूली (तीसरे नंबर की) से शहद, घी और स्वर्ण चटाया जाता है। जब नवजात शिशु जन्म लेता है तब 1% घी, 4% शहद से शिशु की जीभ पर ॐ लिखते हैं ..

5. नामकरण संस्कार- जन्म के बाद 11वें या सौवें या 101 वें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। सपरिवार और गुरुजनों के साथ मिल कर यज्ञ किया जाता है तथा ब्राह्मण द्वारा ज्योतिष आधार पर बच्चे का नाम तय किया जाता है। बच्चे को शहद चटाकर सूर्य के दर्शन कराए जाते हैं। उसके नए नाम से सभी लोग उसके स्वास्थ्य व सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। वेद मन्त्रों में जो भगवान् के नाम दिए गए हैं, जैसे नारायण, ब्रह्मा, शिव - शंकर, इंद्र, राम - कृष्ण, लक्ष्मी, देव - देवी आदि ऐसे समस्त पवित्र नाम रखे जाते हैं जिससे बच्चे में इन नामों के गुण आयें तथा बड़े होकर उनको लगे की मुझे मेरे नाम जैसा बनना है l

6. निष्क्रमण संस्कार- जन्म के चौथे महीने में यह संस्कार किया जाता है। हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जिन्हें पंचभूत कहा जाता है, से बना है। इसलिए पिता इन देवताओं से बच्चे के कल्याण की प्रार्थना करते हैं। निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना ... बच्चे को पहली बार घर से बाहर खुली और शुद्ध हवा में लाया जाता है

7. अन्नप्राशन संस्कार- गर्भ में रहते हुए बच्चे के पेट में गंदगी चली जाती है, उसके अन्नप्राशन संस्कार बच्चे को शुद्ध भोजन कराने का प्रसंग होता है। बच्चे को सोने-चांदी के चम्मच से खीर चटाई जाती है। यह संस्कार बच्चे के दांत निकलने के समय अर्थात ६-७ महीने की उम्र में किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत हो जाती है, इससे पहले बच्चा अन्न को पचाने की अवस्था में नहीं रहता l

8. चूडाकर्म या मुंडन संस्कार- बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बच्चे के बाल उतारे जाते हैं और यज्ञ किया जाता है जिसे वपन क्रिया संस्कार, मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है। इससे बच्चे का सिर मजबूत होता है तथा बुद्धि तेज होती है।


9. कर्णभेद या कर्णवेध संस्कार- कर्णवेध संस्कार इसका अर्थ है- कान छेदना। परंपरा में कान और नाक छेदे जाते थे। यह संस्कार जन्म के छह माह बाद से लेकर पांच वर्ष की आयु के बीच किया जाता था। यह परंपरा आज भी कायम है। इसके दो कारण हैं, एक- आभूषण पहनने के लिए। दूसरा- कान छेदने से एक्यूपंक्चर होता है। इससे मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में रक्त का प्रवाह ठीक होता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिकों ने भी कर्णभेद संस्कार का पूर्णतया समर्थन किया है और यह प्रमाणित भी किया है की इस संस्कार से कान की बिमारियों से भी बचाव होता है l सभी संस्कारों की भाँती कर्णभेद संस्कार को भी वेद मन्त्रों के अनुसार जाप करते हुए यज्ञ किया जाता है l

10. उपनयन संस्कार - उप यानी पास और नयन यानी ले जाना। गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। उपनयन संस्कार बच्चे के 6 - 8 वर्ष की आयु में किया जाता है, इसमें यज्ञ करके बच्चे को एक पवित्र धागा पहनाया जाता है, इसे यज्ञोपवीत या जनेऊ भी कहते हैं l बालक को जनेऊ पहनाकर गुरु के पास शिक्षा अध्ययन के लिए ले जाया जाता था। आज भी यह परंपरा है। जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन देवता- ब्रह्मा, विष्णु, महेश के प्रतीक हैं। फिर हर सूत्र के तीन-तीन सूत्र होते हैं। ये सब भी देवताओं के प्रतीक हैं। आशय यह कि शिक्षा प्रारंभ करने के पहले देवताओं को मनाया जाए। जब देवता साथ होंगे तो अच्छी शिक्षा आएगी ही। अब बच्चा द्विज कहलाता है, द्विज का अर्थ होता है जिसका दूसरा जन्म हुआ हो, अब बच्चे को पढाई करने के लिए गुरुकुल भेजा जाता है l पहला जन्म तो हमारे माता पिता ने दिया लेकिन दूसरा जन्म हमारे आचार्य, ऋषि, गुरुजन देते हैं, उनके ज्ञान को पाकर हम एक नए मनुष्य बनते हैं इसलिए इसे द्विज या दूसरा जन्म लेना कहते हैं l यज्ञोपवीत पहनना गुरुकुल जाने, ज्ञानी होने, संस्कारी होने का प्रतीक है l कुछ लोगों को ग़लतफहमी है की यज्ञोपवीत का धागा केवल ब्राह्मण लोग ही धारण अक्र्ते हैं, वास्तब में आज कल केवल ब्राह्मण ही रह गए हैं जो सनातन परम्पराओं को पूर्णतया निभा रहे हैं, जबकि पुराने समय में सभी लोग गुरुकुल में प्रवेश के समय ये यज्ञोपवीत पवित्र धागा पहनते थे..... यानी की जनेऊ धारण करते थे l

11. वेदाररंभ या विद्यारंभ संस्कार -- जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा का शुरू होना ही विद्यारंभ संस्कार है। गुरु के आश्रम में भेजने के पहले अभिभावक अपने पुत्र को अनुशासन के साथ आश्रम में रहने की सीख देते हुए भेजते थे। ये संस्कार भी उपनयन संस्कार जैसा ही है, इस संस्कार के बाद बच्चों को वेदों की शिक्षा मिलना आरम्भ किया जाता है गुरुकुल में वर्तमान समय में हम जैसा अधिकाँश लोगों ने गुरुकुल में शिक्षा नहीं पायी है इसलिए हमे अपने ही धर्म के बारे में बहुत बड़ी ग़लतफ़हमियाँ हैं, और ना ही वर्तमान समय में हमारे माता-पिता को अपनी संस्कृति के बारे में पूर्ण ज्ञान है की वो हमको हमारे धर्म के बारे में बता सकें, इसलिए हमारे प्रश्न मन में ही रह जाते हैं l अधिकाँश अभिभावक तो बस कभी कभी मन्दिर जाने को ही "धर्म" कह देते हैं. ये हमारा 11वां संस्कार है, अब जब गुरुकुल में बच्चे पढने जा रहे हैं और वो वहां पर वेदों को पढ़ना आरम्भ करेंगे तो बहुत ही आश्चर्य की बात है की हम वेदों को सनातन धर्म के धार्मिक ग्रन्थ मानते हैं और गुरुकुल में बच्चों को यदि धार्मिक ग्रन्थ की शिक्षा दी जाएगी तो वो इंजीनियर, डाक्टर, वैज्ञानिक, अध्यापक, सैनिक आदि कैसे बनेंगे ? वास्तव में हम लोगों को यह नहीं पता की जैसे अंग्रेजी डाक्टर होते हैं वैसे ही हमारे भारत वर्ष में भी वैद्य हैं l जैसे आजकल के डाक्टर रसायनों के अनुसार दवाइयां देते हैं खाने के लिए उसी प्रकार हमारे आचार्य और वैद्य शिरोमणी जड़ी बूटियों की औषधियां बनाते थे, जो की विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है..... आयुर्वेद हमारे वेदों का ही एक अंश है l ऐसे ही वेद के अनेक अंश हैं जैसे ... "शस्त्र-शास्त्र" ...जो भारत की युद्ध कलाओं पर आधारित हैं l गन्धर्व-वेद ... संगीत पर आधारित है l ये सब उपवेद कहलाते हैं l हम सबको थोड़े अपने सामान्य ज्ञान या व्यवहारिक ज्ञान के अनुसार भी सोचना चाहिए की भारत में पुरानी संस्कृति जो भी थीं.... क्या वो बिना किसी समाज, चिकित्सक, इंजिनियर, वैज्ञानिक, अध्यापक, सैनिक आदि के बिना रह सकती थी क्या ...? बिलुल भी नहीं .... वेदों में समाज के प्रत्येक भाग के लिए ज्ञान दिया गया है l केशांत संस्कार- केशांत संस्कार का अर्थ है केश यानी बालों का अंत करना, उन्हें समाप्त करना। विद्या अध्ययन से पूर्व भी केशांत किया जाता है। मान्यता है गर्भ से बाहर आने के बाद बालक के सिर पर माता-पिता के दिए बाल ही रहते हैं। इन्हें काटने से शुद्धि होती है।

 शिक्षा प्राप्ति के पहले शुद्धि जरूरी है, ताकि मस्तिष्क ठीक दिशा में काम करे।

12. समवर्तन संस्कार - समवर्तन का अर्थ है फिर से लौटना। आश्रम में शिक्षा प्राप्ति के बाद ब्रह्मचारी को फिर दीन-दुनिया में लाने के लिए यह संस्कार किया जाता था। इसका आशय है ब्रह्मचारी को मनोवैज्ञानिक रूप से जीवन के संघर्षो के लिए तैयार करना। जब बच्चा (लडका या लड़की ) गुरुकुल में अपनी शिक्षा पूरी कर लेते हैं, अर्थान उनको वेदों के अनुसार विज्ञान, संगीत, तकनीक, युद्धशैली, अनुसन्धान, चिकित्सा और औषधी, अस्त्रों शस्त्रों के निर्माण, अध्यात्म, धर्म, राजनीति, समाज आदि की उचित और सर्वोत्तम शिक्षा मिल जाती है उसके बाद यह संस्कार किया जाता है l समवर्तन संस्कार में ऋषि, आचार्य, गुरुजन आदि शिक्षा पूर्ण होने के पच्चात अपने शिष्यों से गुरु दक्षिणा भी मांगते हैं l वर्तमान समय में इस संस्कार का एक विदूषित रूप देखने को मिलता है जिसे Convocation Ceremony कहा जाता है l

13. विवाह संस्कार- विवास का अर्थ है पुरुष द्वारा स्त्री को विशेष रूप से अपने घर ले जाना। सनातन धर्म में विवाह को समझौता नहीं संस्कार कहा गया है। यह धर्म का साधन है। दोनों साथ रहकर धर्म के पालन के संकल्प के साथ विवाह करते हैं। विवाह के द्वारा सृष्टि के विकास में योगदान दिया जाता है। इसी से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है। ये संस्कार बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है, ये भी यज्ञ करते हुए और वेदों पर आधारित मन्त्रों को पढ़ते हुए किया जाता है, वेद-मन्त्रों में पति और पत्नी के लिए कर्तव्य दिए गए हैं और इन को ध्यान में रखते हुए अग्नि के 7 फेरे लिए जाते हैं l जैसे हमारे माता पिता ने हमको जन्म दिया वैसे ही हमारा कर्तव्य है की हम कुल परम्परा को आगे बाधाएं, अपने बच्चों को सनातन संस्कार दें और धर्म की सेवा करें l विवाह संस्कार बहुत आवश्यक है ... हमारे समस्त ऋषियों की पत्नी हुआ करती थीं, ये महान स्त्रियाँ आध्यात्मिकता में ऋषियों के बराबर थीं l

14. वानप्रस्थ संस्कार - अब 50 वर्ष की आयु में मनुष्य को अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जंगल में चले जाना चाहिए और वहां पर वेदों की 6 दर्शन यानी की षट-दर्शन में से किसी 1 के द्वारा मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, ये संस्कार भी यज्ञ करते हुए किया जाता है और संकल्प किया जाता है की अब मैं इश्वर के ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे l

15. सन्यास संस्कार- वानप्रस्थ संस्कार में जब मनुष्य ज्ञान प्राप्त कर लेता है उसके बाद वो सन्यास लेता है, वास्तव में सन्यास पूरे समाज के लिए लिया जाता है , प्रत्येक सन्यासी का धर्म है की वो सारे संसार के लोगों को भगवान् के पुत्र पुत्री समझे और अपना बचा हुआ समय सबके कल्याण के लिए दे दे l सन्यासी को कभी 1 स्थान पर नही रहना चाहिए उसे घूम घूम कर साधना करते हुए लोगो के काम आना चाहिए, अब सारा विश्व ही सन्यासी का परिवार है, कोई पराया नही है l सन्यास संस्कार 75 की वर्ष की आयु में होता है पर अगर इस संसार से वैफाग्य हो जाए तो किसी भी आयु में सन्यास लिया जा सकता है l सन्यासी का धर्म है की वो धर्म के ज्ञान को लोगों को बांटे, ये उसकी सेवा है, सन्यास संस्कार करते समय भी यज्ञ किया जाता है वेद मन्त्र पढ़ते हुए और सृष्टि के कल्याण हेतु बाकी जीवन व्यतीत करने की प्रतिज्ञा की जाती है l

16. अंत्येष्टि संस्कार- इसका अर्थ है अंतिम यज्ञ। आज भी शवयात्रा के आगे घर से अग्नि जलाकर ले जाई जाती है। इसी से चिता जलाई जाती है। आशय है विवाह के बाद व्यक्ति ने जो अग्नि घर में जलाई थी उसी से उसके अंतिम यज्ञ की अग्नि जलाई जाती है। मृत्यु के साथ ही व्यक्ति स्वयं इस अंतिम यज्ञ में होम हो जाता है। हमारे यहां अंत्येष्टि को इसलिए संस्कार कहा गया है कि इसके माध्यम से मृत शरीर नष्ट होता है। इससे पर्यावरण की रक्षा होती है। अन्त्येष्टी संस्कार के समय भी वेद मन्त्र पढ़े जाते हैं, पुराने समय में "नरमेध यज्ञ" जिसका वास्तविक अर्थ अन्त्येष्टी संस्कार था.. उसका गलत अर्थ निकाल कर बलि मान लिया गया था l



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Monday, March 2, 2015

Swastik Chinh #India Popular in World

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Tuesday, February 17, 2015

NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ? #SABDANA

#NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?  #SABDANA

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SABUDANA KE BAARE MEIN MENE YEH POST FACEBOOK SE LEE,
KUCH BATEN JANNNE SE BADA DUKH HUAA,
AGAR ISMEN JARA BHEE JHOOTH HAI TO SARKAR MEDIA KO ISKO SANGYAN MEIN LENE CHAIHYE, AURLOGO KO SACH SE AVGAT KARANA CHAHIYE.
AGAR YEH BAAT SACH HAI TO BHEE LOGO KE HAQIQAT SE WAKIF KARAYAA JAANA CHAHIYE,
VRAT / UPVAS KE DORAAN LOG SAHEE VA UCHIT CHEEJEN LE SAKEN, VA CHALE NA JAYEN IS BAAT KA DHYAN RAKHNA CHAHIYE
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साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?
आइये देखते हैं आपके पंसदीदा साबूदाना बनाने के तरीके को। यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसे है?


आमतौर पर साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत, उपवास में इसका बहुतायत में प्रयोग होता है, लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है। अब आपके मन में यह प्रश्न भी उठा होगा कि भला यह कैसे हो सकता है?


आइए देखते हैं साबूदाने की हकीक़त को, फिर आप खुद ही निश्चय कर सकते हैं कि आखिर साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी।

 

साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगत। यह कासावा या टैपियोका नामक कंद से बनाया जाता है। कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है, लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। केरल में इस पौधे को ‘कप्पा’ कहा जाता है। इस पौधे की जड़ को काट कर साबूदाना बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है। इस कंद में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है। यह सच है कि साबूदाना टैपियोका  कसावा के गूदे से बनाया जाता है, परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे किसी भी सूरत में शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।

तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुत सी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं, यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबू ने हमारा स्वागत किया।
तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को। साबूदाना विशेष प्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीट के बड़े गड्ढे में डाल देते हैं, सड़ने के लिए। महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है।


 

साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में पानी से भरी बड़ी-बड़ी कुंडियों में डाला जाता है और रसायनों की सहायता से उन्हें लंबे समय तक गलाया-सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है। रात में कुंडियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाए जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे-मोटे जहरीले जीव भी इन कुंडियों में गिर कर मर जाते हैं।


 यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुए साबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं। फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह से इसमें सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होेने का कार्य 5-6 महीनों तक चलता रहता है। 


दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है, जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लंबे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है। आज-कल कई जगह मशीनों से भी मसला जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट-पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद जो स्टार्च प्राप्त होता है उसे धूप में सुखाया जाता है। धूप में वाष्पीकरण के बाद जब इस स्टार्च में से पानी उड़ जाता है तो यह गाढ़ा यानी लेईनुमा हो जाता है। इसके बाद इसे मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर महीन गोलियों में तब्दील किया जाता है। यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होती है, जैसे बेसन की बूंदी छानी जाती है


 इन गोलियों के सख्त बनने के बाद इन्हें नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है। 

फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पाॅलिश किया जाता है

इतना सब होने के बाद अंतिम उत्पाद के रूप में हमारे सामने आता है मोतियों जैसा साबूदाना।  बाद में इन्हें आकार, चमक और सफेदी के आधार पर अलग-अलग छांट लिया जाता है और बाजार में पहुंचा दिया जाता है, परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह तो अब आप जान ही चुके होंगे।



आप लोगों की बातों में आकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें। साबूदाना बनाने का यह तरीका सौ प्रतीषत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है।

तो चलिये उपवास के दिनों में (उपवास करें न करें यह अलग बात है) साबूदाने की स्वादिष्ट खिचड़ी या खीर या बर्फी खाते हुए साबूदाने की निर्माण प्रक्रिया को याद कीजिए कि क्या साबूदाना एक खद्य पदार्थ है। ये छोटे-छोटे मोती की तरह सफेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।

भारत में इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीजों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका  उपयोग होता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग 1943-44 में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे, फिर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे। टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग 700 इकाइयां सेलम में स्थित हैं। साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।

साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा यह एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है


जब आपको साबूदाना का सत्य पता चल गया है, तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें। कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचाएँ



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Saturday, February 14, 2015

Types Of Fabrics in Sari, Salwar Suit and in Dress Material, Clothing

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SILK: Silk has always been a very traditional fabric. The biggest advantage of silk saree is that they can be treasured for years. Silk coutures are usually vibrant in color edged with heavy borders and pallavs. Silk plays an important role in Indian weddings, festivals and other celebrations. Not only this, but these vibrant, traditional silk dresses can also be used as a beautiful wall hanging or curtains. Silk usually worn as an evening wear in winters. It is a formal delicate fabric which needs high maintenance. It is a soft fabric which is good for skinny people. Silk is basically strong and absorbent and holds in body heat. It has good affinity for dyes but may blend. Silk is wrinkle resistant which resist mildew and moths and are weakened by sunlight and perception. Silk is luxurious, lustrous fabric comes in many weights used for dresses, suits, blouses and linings. Silk is usually dry cleaned and if washable usually done by hand in mild sued. They should be ironed at low temperature settings. Bleaching should always be avoided.

ART SILK: Art silk is basically a type of viscose fabric which is dressy and shinny and proves to be a good drape. Art silk is lustre and is soft to touch. It is a perfect evening wear.

COTTON: Cotton fabrics are known for their transparency and crisp muslin-like finish, a joy to wear on a hot day. The lightness of the cloth, combined with wide and silky threadwork borders and elaborate pallus with supplementary ornamental threadwork, give the couture its unique evenness of drape. The biggest advantage of cotton is that it is weightless and airy, giving a comfortable feel. Cotton looks best when starched properly. The wearer looks best in these crisp starched cotton sarees in spring, yet basically cotton is a summer fabric. It is a skin-friendly, breathable fabric which can become crushed. Cotton looks very ethnic at formal business occasions or formal meetings. Many thin people choose cotton as it gives the wearer a fuller look. Cotton is strong even when wet. It is absorbent, and draws heat from the body. It has a good affinity for dyes, but may shrink unless treated well. Like any fabric, cotton is weakened by sunlight. Most cotton can be laundered. It is advisable to wash colorfast ones in hot water and others in cold water. Always iron while damp. Cottons can be washed at home or at a laundry, depending on how often they are worn. Expensive cottons should be dry cleaned. Some colors, like turquoise blue, shocking pink and black always bleed, and require special precautions when washed at home. Starch can reduce the longevity of cotton, but the beauty of this fabric lies in its crisp look!

SATIN: Satin is basically a soft and lustrous fabric with lycra and stretch. Satin is shinny in appearance and are available in all dark and light colors. Satin sarees are quite popular for brides’ wardrobe. For its shinny appearance they are also popular among its wearer at marriages, festivals, family functions and other occasions. Satin is definitely an evening wear with shinny and soft feel giving a slimming effect. It is a super smooth fabric which requires maintenance. Satin is moderately absorbent and holds body heat. Satin fabric dyes well but subject to atmospheric fading and tends to wrinkle. It resist stretching, shrinking and moths. These are luxurious fabrics with deep luster and excellent draping qualities. Satin accumulates static electricity. They are usually dry-cleaned. If washable, it can be done by hand. Soft iron is advisable. It usually has a lustrous surface and a dull back. Satin is also made in many colors, weights, varieties, qualities and degrees of stiffness.

GEORGETTE:Georgette is quite slippery in touch. The biggest advantage of georgette fabric is that they are durable and doesn’t need much care. Georgette generally have dull crinkled surface. These are heavier than chiffon fabric. It is a matt finish fabric which gives a slimming effect and a very good fall. Georgette requires mild or no ironing. One could find ideally evening wear in this fabric. Georgette is basically a summer and sheer sensuous fabric which gives a wearer a younger look.

CREPE:Crepe is a type of woven and knitted fabric with a wrinkled surface. Satin crepe apparels have the shinning effect of satin and crepe effect and give a perfect fall. Silk crepe, chiffon crepe is also few subtypes of crepes popularly used in women outfits. The biggest advantage of crepe is that they are light and weightless. Crepe gives a wearer a slimming effect. With a shiny finish it falls really well. Crepe is good for all seasons and thus crepe dresses have been all time favourite. Crepe gives a very soft feel which requires mild or no ironing. It is a dressy fabric which is mostly used as a light occasion wear. With some embellishments it can prove to be an ideal evening wear. Crepe dresses are moderately absorbent and holds in the body heat. It tends to wrinkle. It’s a luxurious fabric with deep luster and excellent draping qualities. It dyes well but subject to atmospheric fading. Crepe resists stretching, shrinking, moths and also accumulates static electricity. Usually crepe is dry cleaned. If washable, can be done by hand and a soft iron is required. Crepe has a crinkled, puckered surface or soft mossy finish. It comes in different weights and degrees of sheerness. It has very good wearing qualities.

FAUX:Faux is basically a very low-maintenance fabric where dry cleaning is not required for non-embellished fabrics. Faux fabrics are good for daily use. They are strong fabrics and can be washed at home. Faux fabrics are great work wear. These are both strain- and crush-resistant.

TISSUE:Tissue is basically a shinny crisp fabric with a rich look. It’s not a very drapy fabric. With a metallic shine, tissue apparels forms a perfect evening wear. It is always advisable to get them washed from professional dry cleaners as normal hand washing can put crinkles in the tissue. These outfits are bit expensive and need good pampering. Soft iron is required.

CHIFFON:Chiffon is soft sheer and has slightly rough feel. Chiffon couture is light weight, softer and thinner than georgette. They are quite popular among its wearer for its light weight and flows fits. Chiffon is quick at drying which gives slimming effect and a good fall but requires a lot of maintenance. Chiffon really proves to be a good evening wear making you look younger. Chiffon needs more care than other fabrics. Avoid pins with your chiffons. Never hang the chiffon dresses with heavy embroidery or borders as with the span of time the weight of zari can itself tear the dress. Chiffons should not be worn tightly as the cloth is very delicate. It wears very well.

VISCOSE:Viscose is actually a lower version of silk which is shiny in appearance. It’s not for daily wear. Viscose fabric can’t take abrasions. When embellished with different embroideries it proves to be a good evening wear.

SOFT CRUSH:Soft crush fabric is basically a blend of polyester. It is maintenance free where ironing is hardly required. It’s a light weight fabric which proves to be a good day wear.



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Saturday, February 7, 2015

#India Importance of States in India

#India

Importance of States in India
🌎Punjab for Fighting,
🌎Bengal for Writing...
🌎Kashmir for Beauty,
🌎Andhra for Duty...
🌎Karnataka for Silk,
🌎Haryana for Milk...
🌎Kerala for Brains,
🌎Tamil for Grains...
🌎Orissa for Temples,
🌎Bihar for Minerals...
🌎Gujarat for Peace,
🌎Assam for Trees...
🌎Rajastan for History,
🌎Maharashtra for Victory...
🌎Himachal for Cold,
🌎Jharkand for Bold...
🌎UP for Rice,
🌎Arunachal for Sunrise...
🌎Goa for Wine,
🌎Meghalaya for Rain...
🌎MP for Diamond,
🌎Sikkim for Almond...
🌎Mizoram for Glass,
🌎Manipur for Dance...
🌎Nagaland for Music,
🌎Chattisghar for Physique...
🌎Uttarkhand for Rivers,
🌎Tripura for Singers...
🌎INDIA...For all religious

and it's call Hindustan
THE LAND OF CULTURE

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Tuesday, February 3, 2015

What's The Answer ?

What's The Answer ?




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Friday, January 2, 2015

ANTI RELIGION MOVIES AND ITS IMPACT ON PUBLIC

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ANTI RELIGION MOVIES AND ITS IMPACT ON PUBLIC


My friend searched movies on Anti Religionism and found many movies on Anti Christianism but only four Anti Islamic films. Each Anti Islamic film have its own story on riots. He watched all these 4 films in just one sitting. They all are short films. Lets talk about each film separately.

EXPLANATION ACCORDING TO HIM (YOU CAN FOUND DETAILS ON WIKIPEDIA ALSO, I THINK HE HAS ALSO COLLECTED INFORMATION FROM WIKIPEDIA)  -

1. Innocence of Muslims (2012) - Length 13:51
The film is a biography of the prophet Muhammad and his early followers. It was Made by an Egyptian who lives in America and is Christian.

The protests against this movie have led to hundreds of injuries and over 50 deaths. This film was blocked by almost every islamic and many non-islamic countries including India. Afghanistan, Bangladesh, Sudan and Pakistani governments blocked even whole YouTube for not removing the video. An American court sentenced the maker to one year in prison and four years of supervised release. An Egypt court sentenced seven Egyptian citizens involved with the film to death. They will face the sentence if they return to Egypt. A Pakistani minister promised $100,000 to anyone, including Taliban and AL-Qaeda, who kill the maker of the film.

2. Submission Part-I (2004) - A Dutch film of Length 10:52
The film tells the story of four fictional characters played by a single actress. The characters are Muslim women who have been abused in various ways. The film contains monologues of these women and dramatically highlights three verses of the Koran that give authority to men over women by showing them painted on women’s bodies.

Part-II never made because in between 3 month of release, its Diractor Van Gogh Murdered by a Jihadi Muslim. It should be noted that the writer of this movie is Ayaan Hirsi Ali, a muslim women.

3. Fitna (2008) - A Dutch film of Length 16:48
Film attempts to demonstrate that the Qur'an motivates its followers to hate all who violate Islamic teachings. The movie shows selected excerpts from Suras of the Qur'an, interspersed with media clips and newspaper cuttings showing or describing acts of violence and/or hatred by Muslims.

This film failed to generate much "controversy". However Al-Qaeda released a Fatwa against Director and it was banned on Indonesia for a short time period.

4. . Innocence of Islamic Jihad (2013) - Length 36:16
This is an animated film that draws the picture of ongoing Jihadi activities worldwide by radical Muslims in its varied forms. It illustrates what Jihad is, what its aims and objectives are, what motivates Muslims to engage in violent Jihadi atrocities, and how it can be defeated.

This film is made by Imran Firasat, a Pakistani Ex-Muslim living in Spain. This film was not controversial. No one Killed. No Injuries. However uploader blocked by YouTube!


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Sunday, November 16, 2014

ROCHAK JANKAREE

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ROCHAK JANKAREE

कुछ रोचक जानकारी क्या आपको पता है ?

1. 📚 चीनी को जब चोट पर लगाया जाता है, दर्द तुरंत कम हो जाता है...
2. 📚 जरूरत से ज्यादा टेंशन आपके दिमाग को कुछ समय के लिए बंद कर सकती है...
3.📚 92% लोग सिर्फ हस देते हैं जब उन्हे सामने वाले की बात समझ नही आती...
4.📚 बतक अपने आधे दिमाग को सुला सकती हैंजबकि उनका आधा दिमाग जगा रहता....
5.📚 कोई भी अपने आप को सांस रोककर नही मार सकता...
6.📚 स्टडी के अनुसार : होशियार लोग ज्यादा तर अपने आप से बातें करते हैं...
7.📚 सुबह एक कप चाय की बजाए एक गिलास ठंडा पानी आपकी नींद जल्दी खोल देता है...
8.📚 जुराब पहन कर सोने वाले लोग रात को बहुत कम बार जागते हैं या बिल्कुल नही जागते...
9.📚 फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग के पास कोई कालेज डिगरी नही है...
10.📚 आपका दिमाग एक भी चेहरा अपने आप नही बना सकता आप जो भी चेहरे सपनों में देखते हैं वो जिदंगी में कभी ना कभी आपके द्वारा देखे जा चुके होते हैं...
11.📚 अगर कोई आप की तरफ घूर रहा हो तो आप को खुद एहसास हो जाता है चाहे आप नींद में ही क्यों ना हो...
12.📚 दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला पासवर्ड 123456 है.....
13.📚 85% लोग सोने से पहले वो सब सोचते हैं जो वो अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं...
14.📚 खुश रहने वालों की बजाए परेशान रहने वाले लोग ज्यादा पैसे खर्च करते हैं...
15.📚 माँ अपने बच्चे के भार का तकरीबन सही अदांजा लगा सकती है जबकि बाप उसकी लम्बाई का...
16.📚 पढना और सपने लेना हमारे दिमाग के अलग-अलग भागों की क्रिया है इसी लिए हम सपने में पढ नही पाते...
17.📚 अगर एक चींटी का आकार एक आदमी के बराबर हो तो वो कार से दुगुनी तेजी से दौडेगी...
18.📚 आप सोचना बंद नही कर सकते.....
19.📚 चींटीयाँ कभी नही सोती...
20.📚 हाथी ही एक एसा जानवर है जो कूद नही सकता...
21.📚 जीभ हमारे शरीर की सबसे मजबूत मासपेशी है...
22.📚 नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर अपना बायां पाँव पहलेरखा था उस समय उसका दिल 1 मिनट में 156 बार धडक रहा था...
23.📚 पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण पर्वतों का 15,000मीटर से ऊँचा होना संभव नही है...
23.📚 शहद हजारों सालों तक खराब नही होता..
24.📚 समुंद्री केकडे का दिल उसके सिर में होता है...
25.📚 कुछ कीडे भोजन ना मिलने पर खुद को ही खा जाते है....
26.📚 छींकते वक्त दिल की धडकन 1 मिली सेकेंड के लिए रूक जाती है...
27.📚 लगातार 11 दिन से अधिक जागना असंभव है...
28.📚 हमारे शरीर में इतना लोहा होता है कि उससे 1 इंच लंबी कील बनाई जा सकती है.....
29.📚 बिल गेट्स 1 सेकेंड में करीब 12,000 रूपए कमाते हैं...
30.📚 आप को कभी भी ये याद नही रहेगा कि आपका सपना कहां से शुरू हुआ था...
31.📚 हर सेकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है...
32.📚 कंगारू उल्टा नही चल सकते...
33.📚 इंटरनेट पर 80% ट्रैफिक सर्च इंजन से आती है...
34.📚 एक गिलहरी की उमर,, 9 साल होती है...
35.📚 हमारे हर रोज 200 बाल झडते हैं...
36.📚 हमारा बांया पांव हमारे दांये पांव से बडा होता हैं...
37.📚 गिलहरी का एक दांत हमेशा बढता रहता है....
38.📚 दुनिया के 100 सबसे अमीर आदमी एक साल में इतना कमा लेते हैं जिससे दुनिया
की गरीबी 4 बार खत्म की जा सकती है...
39.📚 एक शुतुरमुर्ग की आँखे उसके दिमाग से बडी होती है...
40.📚 चमगादड गुफा से निकलकर हमेशा बांई तरफ मुडती है...
41.📚 ऊँट के दूध की दही नही बन सकता...
42.📚 एक काॅकरोच सिर कटने के बाद भी कई दिन तक जिवित रह सकता है...
43.📚 कोका कोला का असली रंग हरा था...
44.📚 लाइटर का अविष्कार माचिस से पहले हुआ था...
45.📚 रूपए कागज से नहीं बल्कि कपास से बनते है...
46.📚 स्त्रियों की कमीज के बटन बाईं तरफ जबकि पुरूषों की कमीजके बटन दाईं तरफ होते हैं...
47.📚 मनुष्य के दिमाग में 80% पानी होता है.
48.📚 मनुष्य का खून 21 दिन तक स्टोर किया जा सकता है...
49.📚 फिंगर प्रिंट की तरह मनुष्य की जीभ के निशान भी अलग-अलग होते हैं


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आइये जाने शरीर के अंगो पर तिलों का असर/प्रभाव

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आइये जाने शरीर के अंगो पर तिलों का असर/प्रभाव —-


जेसा की आप सभी जानते हें हमारे शरीर पर कई प्रकार के जन्मजात अथवा जीवन काल के दौरान निकले निशान पाए जाते हैं। जिन्हे हम तिल, मस्सा एवं लाल मस्सा के नाम से सुनते आए हैं। शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर पर पाए गए यह निशान हमारे भविष्य और चरित्र के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं। मैं आज शरीर पर इन तिलों के होने का महत्त्व वर्णन कर रहा हूँ।

तिल तथा मस्से का होना दोनों एक ही प्रभाव देता है। तिल आपके सभी प्रकार के शारीरिक, आर्थिक एवं चरित्र के बारे में काफी कुछ दर्शा देता है। तिल का प्रभाव हमारे लिंग से कभी भी अलग नही होता। तिल का प्रभाव स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए एक सामान होता है.

मस्तक ,माथा अथवा ललाट :—-

१> ललाट के मध्य भाग में तिल का होना भाग्यवान माना जाता है।

२> ललाट पर बाएँ भंव के ऊपर तिल होना विलासिता को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति अपने रखे धन सम्पति को विलासिता में लिप्त होकर बरबाद कर देते हैं।

३> ललाट पर दाँए भंव के ऊपर तिल होना भी विलासिता को दर्शाता है परन्तु ऐसे व्यक्ति स्वयं धन अर्जित कर के उसे बरबाद कर देते हैं।

कान अथवा कर्ण:—

१> बाएँ कान के सामने की तरफ़ कहीं भी तिल का होना व्यक्ति के रहस्यमयी होने के गुण को दर्शाता है। साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति का विवाह अधिक उम्र होने के पश्चात् होता है।

२> बाएँ कान के पीछे की तरफ़ तिल का होना व्यक्ति के ग़लत कार्यो के प्रति झुकाव को दर्शाता है।

३> दाँए कान के सामने की तरफ़ कही भी तिल हो तो वह व्यक्ति बहुत कम आयु में ही धनवान हो जाता है। साथ ही साथ व्यक्ति का जीवन साथी सुंदर होता है।

४> दाँए कान के पीछे अगर तिल है तो यह तिल कान में किसी भी प्रकार के रोग होने की सम्भावना व्यक्त करता है।

आँख,नेत्र अथवा नयन:—-

१> बाएँ आँख के भीतर सफ़ेद भाग में तिल का होना चरित्र हीनता का सूचक है।

२> बाएँ आँख के पुतली पर तिल का होना भी चरित्र हीनता का सूचक है परन्तु इसका प्रभाव भीतर के तिल से कम होता है।

३> बाएँ आँख की नीचे की पलकों पर तिल होना व्यक्ति के आलसीपन और विलासी चरित्र को दर्शाता है। ४> दाँए आँख के भीतर सफ़ेद भाग में अगर तिल हो तो वह व्यक्ति भी चरित्रहीन होता है अथवा ऐसे व्यक्ति के जीवन का अंत या तो हत्या से होता है या फ़िर वह आत्मदाह कर लेता है

५> दाँए आँख के ऊपर का तिल आँखों से सम्बंधित रोग का सूचक है। एवं ऐसे व्यक्ति अविश्वासी होते हैं। ना यह किसी पर विश्वास करते है और न ही विश्वास के पात्र होते हैं।

६> दाँए आँख के नीचे की पलकों पर तिल का होना उस व्यक्ति के कम आयु से ही विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का सूचक है।

नाक:—-

१> नाक के अग्र भाग पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति लक्ष्य बना कर चलने वाले होते हैं तथा किसी भी कार्य को उस समय तक नही करते जब तक की वह उस कार्य के लिए स्वयं को पूर्ण सुरक्षित महसूस न कर लें। साथ ही साथ यह व्यक्ति भी विपरीत लिंग के प्रति बहुत आकर्षित होता है।

२> इसके अलावा अगर नाक पर कहीं भी तिल हो तो व्यक्ति को नाक सम्बंधित कोई भी रोग हो सकता है।

३> नाक के नीचे (मूछ वाली जगह ) पर दाँए अथवा बाएँ अगर कहीं भी तिल हो वह व्यक्ति भी अधिक विलासी होगा तथा नींद बहुत अधिक पसंद करेगा।

होंठ:—

१> उपरी होंठ के बाएँ तरफ़ तिल होना जीवनसाथी के साथ लगातार विवाद होने का सूचक है।

२> उपरी होंठ के दाँए तरफ़ तिल हो तो जीवनसाथी का पूर्ण साथ मिलता है।

३> निचले होंठ के बाएँ तरफ़ तिल होना किसी विशेष रोग के होने का सूचक होता है एवं ऐसे व्यक्ति अच्छे भोजन खाने तथा नए वस्त्र पहनने के शौकीन होते हैं।

४> निचले होंठ के दाँए तरफ़ तिल हो तो वह व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्दि प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ इन्हे भोजन से कोई खास लगाव नही होता है। लेकिन विपरीत लिंग इन्हे अधिक आकर्षित करते हैं।

गाल:—-

१> जिस व्यक्ति के बाएँ गाल,नाक तथा ठुड्डी पर तीनो जगह तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के पास स्थायी धन हमेशा रहता है। परन्तु अगर सिर्फ़ कही एक जगह ही तिल हो तो उसे पैसे का आभाव नही होता।

२> इसी प्रकार दाँए गाल,नाक तथा ठुड्डी पर तीनो जगह तिल हो तो ऐसे व्यक्ति भी धनवान होते हैं परन्तु घमंडी भी होते हैं। एसऐ व्यक्ति अपना धन किसी भी सामाजिक कार्य में नही लगते हैं। परन्तु अगर सिर्फ़ कही एक जगह ही तिल हो तो उसे पैसे का आभाव नही होता।

३> दाँए गाल पर तिल होना व्यक्ति के घमंडी होने का सूचक है।

कंठ,गला तथा गर्दन:

१> कंठ पर तिल का होना सुरीली आवाज़ का सूचक है तथा ऐसा व्यक्ति संगीत में रूचि रखता है।

२> गले पर और कहीं भी तिल होने वाले व्यक्ति संगीत के शौखिन होते हैं परन्तु उन्हे गले सम्बंधित रोग एवं कुछ व्यक्तियों में दमा जैसे रोग भी पाए गए हैं।

३> अगर गले के नीचे तिल हो तो ऐसा व्यक्ति गायक होता है। एवं उसकी आवाज़ बहुत सुरीली होती है। ४> गले के पीछे अगर तिल हो तो रीढ़ सम्बंधित रोग होते हैं।

सीना अथवा छाती:—-

1> बाएँ तरफ़ सीने में तिल का होना सीने या ह्रदय रोग की शिकायत होने एवं मध्यस्तर के जीवनसाथी का मिलना तथा अधिक उम्र में शादी होने की स्थिति को दर्शाता है। वक्ष स्थल पर यदि तिल हो तो वह व्यक्ति अधिक कामुक होता है और अनेको प्रकार की बदनामी को झेलता है।

२> दाँए तरफ़ सीने में तिल का होने से सुंदर जीवनसाथी मिलता है एवं यह व्यक्ति धनवान भी होता है। परन्तु यदि तिल वक्ष स्थल पर है तो इसका प्रभाव भी बाएँ तिल के सामान होता है।

उदर अथवा पेट:—-

१> उदर के बाएँ तरफ़ तिल होना पेट सम्बन्धी रोगों का सूचक है एवं अधिकतम लोगो में पाया गया है की उन्हे शल्य चिकित्सा भी करनी पड़ी है। ऐसे लोग भोजन अधिक नही कर पाते है।

२> उदर के दाँए तरफ़ तिल होना व्यक्ति के भोजन के प्रति अधिक लगाव को दर्शाता है। साथ ही साथ यह आरामदेह व्यक्ति होते हैं।

३> नाडी के बीचोबीच तिल का होना नाडी सम्बंधित रोगों तथा लकवे की बीमारी के होने का सूचक है।

४> नाडी के नीचे तिल यदि हो तो वह व्यक्ति कम आयु में ही मैथुन क्रिया में कमजोर हो जाता है एवं अप्पेंधिक्स और होर्निया जैसे रोगों से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है।

गुप्तांग:—-

१> पुरूष के गुप्तांग पर यदि तिल हो तो वह पुरूष अधिक कामुक एवं एक से अधिक स्त्रियों के संपर्क में रहता है।साथ ही साथ उस व्यक्ति हो पुत्र प्राप्ति की सम्भावना अधिक होती है एवं ४५-५० के बीच की आयु में उसे शिथिल इन्द्रियों का रोग हो जाता है।

२> स्त्री के गुप्तांग पर यदि बाएँ तरफ़ तिल है तो वह स्त्री अधिक कामुक, कम आयु से ही विपरीत लिंग के संपर्क में अधिक रहना अथवा इन्द्रियों सम्बंधित रोगों से पीड़ित होती हैं।ऐसी स्त्रियाँ कन्या को अधिक जनम देती हैं।यदि तिल दाँए तरफ़ है तो यह भी अधिक कामुक होती है तथा गुप्तांग में किसी प्रकार की फंगल रोग से पीड़ित हो जाती हैं। परन्तु ऐसी स्त्रियाँ कन्या से अधिक पुत्र को जनम देती हैं। तिल के अग्र्र भाग में नीचे होने पर वह स्त्री भी कामुक होती है पर वह कम आयु में ही विधवा हो जाती है।

हाथ, उंगलियाँ अथवा भुजा:—-

१> हाथ के पंजे में अगर किसी भी ग्रह के स्थान पर यदि तिल है तो वह उसे ग्रह को कमजोर करता है तथा हानि ही करता है। तिल हाथपर अन्दर की तरफ हो या फ़िर बहार की तरफ़ प्रभाव यही रहता है। कुछ लोगों को यह भ्रान्ति है की हाथ के पंजे का तिल शुभ होता है। परन्तु ऐसा नही होता।

२> तर्जनी ऊँगली (पहली ऊँगली ) पर कहीं भी तिल हों तो ऐसा व्यक्ति कितना भी धन कमाए उसके पास पैसा कभी नही टिकता। ऐसे व्यक्ति को आँखों में कमजोरी की शिकायत रहती है तथा कम आत्मविश्वाशी होता है।

तर्जनी ऊँगली के नीचे बृहस्पत का पर्वत होता है इसलिए अगर उस पर्वत पर तिल है तो वह व्यक्ति अपने पूर्वजो के रखे हुए धन को भी गवा देता है तथा अंत समय में दरिद्र होके रहता है।

३> मध्यमा ऊँगली में कही भी तिल है तो यह व्यक्ति अनेको बार दुर्घटना का शिकार होता है, एवं पुलिस, थाना अथवा कचहरी का आना जाना लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन भर हर कार्य के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है साथ ही साथ कोई भी काम में स्थिर नही रह पता है। मध्यमा उंगली के नीचे शनि का पर्वत होता है। शनि पर यदि तिल है तो इस व्यक्ति की आकाल मृत्यु अवश्य निश्चित हैअन्यथा उसे आजीवन कारावास झेलना निश्चित है।

४> अनामिका ऊँगली में कही भी तिल होंतो ऐसे व्यक्ति का पढ़ाई में मन कम लगता है तथा उसकी प्रतिभा धूमिल होती है। ऐसे व्यक्ति ह्रदय सम्बन्धी रोग का शिकार होते हैं। अनामिका ऊँगली के नीचे सूर्य का पर्वत होता है। अगर इस पर्वत पर तिल है तो यह व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी कार्य में सफल नही होता है। साथ ही साथ बदनामी भी झेलनी पड़ती है और मृत्यु ह्रदय रोग से होती है��

५> कानी अथवा कनिष्क ऊँगली पर यदि तिल हों तो ऐसे व्यक्ति का अपने जीवनसाथी के साथ हमेशा विवाद होता रहता है, साथ ही उसे चर्म रोग ( सफ़ेद दाग ) की शिकायत रहती है। कानी ऊँगली के नीचे बुद्ध का पर्वत होता है.यदि तिल इस पर्वत पर है तो ऐसे व्यक्ति की शल्य चिकित्सा जरुर होती है। ऐसे स्त्रियों के बच्चे भी शल्य चिकत्सा के बाद होते है।

६> अंगूठे पर तिल होने पर उस व्यक्ति को यश नही मिलता। अंगूठे के नीचे शुक्र का पर्वत होता है। यदि शुक्र पर्वत पर तिल है तो ऐसे व्यक्ति को गुप्त रोगों की शिकायत रहती है।ऐसे लोगों को पुत्र कष्ट होता है।

७> यदि जीवनरेखा पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति की कम आयु में ही किसी विशेष रोग से मृत्यु होती है। शुक्र और बृहस्पत पर्वत के बीच में मंगल का स्थान होता है, इस स्थान पर यदि तिल हो तो उस व्यक्ति को मानसिक बीमारी होने की सम्भावना रहती है। यदि दिमाग रेखा पर तिल हो ऐसे व्यक्ति भी मस्तक सम्बन्धी रोग से पीड़ित होते है साथ ही साथ नौकरी में अनेको प्रकार की बाधाएं होती हैं। ह्रदय रेखा पर यदि तिल हो तो ह्रदय सम्बन्धी रोगों के कारन कम आयु में ही मृत्यु होती है। चन्द्र रेखा पर तिल होने पर ऐसे व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित होते है एवं इनके शरीर पर तापमान का अधिक प्रभाव होता है। राहू ग्रह के पर्वत पर तिल होने पर ऐसे व्यक्ति किसी भी व्यवसाय में सफल नही होते और आजीवन उदर रोग से परेशान रहते हैं। केतु ग्रह पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति पर चरित्रहीनता का आरोप लगता रहता है तथा जोडो में आजीवन दर्द रहता है।

८ > मणिबंध ( कलाई ) पर अगर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति को यश नही मिलता है। ऐसे व्यक्ति को पुत्र कष्ट भी होता है।

यदि यही सारे तिल हाथ, उँगलियों पर ऊपर की तरफ़ हो तो सारे वही प्रभाव रहते है परन्तु उनका असर ५० प्रतिषत कम हो जाता है। यदि तिल दाँए हाथ में है तो किसी पूजा या अनुष्ठान से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है परन्तु यदि वही तिल बाएँ हाथ में है तो उसका प्रभाव कम नही हो सकता और व्यक्ति को उस तिल के प्रभाव झेलने ही पड़ते हैं।

९>बाएँ भुजा ( कोहनी से नीचे ) यदि कही भी तिल है तो उस व्यक्ति की पढ़ाई में बाधा उत्पन होती है एवं कई लोगों में ऐसा भी पाया गया है की उनका मन पढ़ाई से भाग जाता है। कोहनी से ऊपर अगर कही भी तिल है तो यह व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर होता है।

१०> दाँए भुजा (कोहनि से नीचे ) यदि कही भी तिल है तो यह व्यक्ति अपने कलम की कमाई खाते है यानि अपना जीवन यापन स्वयम करते हैं। यदि कोहनी से ऊपर की तरफ़ कही भी तिल है तो यह व्यक्ति बहुत साहसी होता है।

११> यदि कोहनी पर तिल है तो उस व्यक्ति को हमेशा जोडो के दर्द की तकलीफ रहेगी। बाएँ हाथ के तिल का असर कभी ख़त्म नही हो सकता है। यदि दाँए हाथ की कोहनी पर तिल है तो पूजा या उपचार करने से कष्ट दूर हो सकता है।

पैर:—-

१> यदि पैर पर भी हाथ की तरह उन्ही जगह पर तिल है तो सारे प्रभाव हाथ जैसे ही होते है। परन्तु माना गया है की हाथ के तिल का प्रभाव पैर के तिल से ज्यादा होता है।

२> बाएँ पैर की जांघ पर यदि तिल हो तो यह व्यक्ति भोगी होता है। एवं कुछ लोगों में बवासीर होने की शिकायत भी पाई गई है। दाँए पैर की जांघ पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति भी भोगी विलासी होते है। ऐसे व्यक्तियों को विपरीत लिंग के प्रति अधिक आकर्षण रहता है।

३> यदि घुटने पर तिल हो तो जोडो के दर्द अथवा मूत्र सम्बन्धी रोग हो सकते हैं।

पीठ:—-
पीठ के रीढ़ के दाए हिस्से पर उपर की तरफ़ यदि तिल हो तो यह व्यक्ति धनवान होता है एवम अपनो द्वारा अनेको बार मुसीबत आने पर मदद पता है.दाए ओर कमर से उपर यदि तिल हो तो ऐसा व्यक्ति खाने पीने का शौखिन होता है। तथा पेट के रोगों से ग्रस्त रह सकता है।यदि तिल कमर पर दाईं तरफ़ हो तो यह व्यक्ति अधिक कामुक होता है.बाएँ तरफ़ ऊपर की तरफ़ यदि तिल हो तो यह व्यक्ति बहुत कठिन परिश्रम के बाद ही पैसा कमाता है एवं अपने लोग इसे धोखा दिया करते हैं। यदि नीचे बैएँ तरफ़ तिल हो तो यह व्यक्ति आजीवन उदर रोग से ग्रस्त रहता है। तथा शल्य चिकित्सा की सम्भावना अधिक होती है। यदि तिल कमर पर हो तो यह व्यक्ति आजीवन कमर के दर्द से परेशान रहता है। तथा यदि स्त्री है तो उसे श्वेत प्रदर का रोग हो सकता है और पुरूष हो तो स्वप्नदोष की बेमारी अधिक होती है। रीढ़ पर ऊपर से नीचे यदि कहीं भी तिल हो तो रीढ़ की बीमारी या शरीर में जोडो के दर्द की शिकायत होती है। तथा ऐसे लोग हमेशा अपनों से ही धोखा खाते हैं और इनके पीठ पीछे हमेशा वार होता है। अधिकतर पाया गया है ऐसे लोग अपनों से ही धोखा खाते हैं।

हाथ के बगल/कांख:—

दाँए कांख में यदि तिल हो तो यह व्यक्ति बहुत धनवान होता है तथा कंजूस भी होता है। बाएँ कांख में तिल हो तो यह व्यक्ति पैसे तो कमाते हैं लेकिन रोग और भोग में ही पैसो का नाश हो जाता है।

कुल्हे/हिप्स पर—

यदि बाएँ हिप पर तिल हो तो यह व्यक्ति बवासीर सम्बन्धी या भगंदर सम्बन्धी रोगों से पीड़ित हो सकता है। यदि दाँए हिप पर तिल हो तो यह व्यक्ति व्यापारी है तो अपने व्यापर में बहुत आगे बढ़ता है…

पुरुषों और महिलाओं के शरीर पर तिल का असर—-
व्यक्ति के शरीर पर जो तिल होते हैं उनका प्रभाव अवश्य ही पड़ता है। प्रभाव अच्छा व बुरा दोनों तरह का हो सकता है…

पुरुष—-

—जिस पुरुष के सिर (मस्तक) पर तिल होता है, वह हर जगह इज्जत पाता है।
— आंख पर तिल होता है तो वह नायक पद पाता है।
– मुख पर तिल होता है तो उसे बहुत दौलत मिलती है।
- गाल पर तिल होता है तो उसे स्त्री का सुख मिलता है।
-ऊपर के होंठ पर तिल हो तो धन पाता है तथा चारों तरफ इज्जत मिलती है।
- नीचे के होंठ पर तिल हो तो वह व्यक्ति कंजूस होता है।
-कान पर तिल हो तो वह खूब पैसे वाला होता है।
-गर्दन पर तिल हो तो उस व्यक्ति की लम्बी उम्र होती है तथा उसे आराम मिलता है।
- दाहिने कंधे पर तिल हो तो वह व्यक्ति कलाकार होता है। क्षेत्र कोई सभी हो सकता है।
- हाथ के पंजे पर तिल हो तो वह व्यक्ति दिलदार व दयालु रहता है।
– पांव पर तिल हो तो उस व्यक्ति की विदेश यात्रा का योग बनता है।

महिला—

- जिस महिला के गाल पर तिल होता है, उसे अच्छा पति मिलता है।
- महिला के बाई तरफ मस्तक पर तिल हो तो वह किसी राजा की रानी बनती है।
- आंख पर तिल हो तो पति की बहुत अधिक प्रिय होती है।
- गाल पर बांयी तरफ तिल हो तो ऐशो आराम का सुख मिलता है।



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Friday, October 17, 2014

काला धन रखने वालों के नाम नहीं बता सकते: केंद्र

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BLACK MONEY :काला धन रखने वालों के नाम नहीं बता सकते: केंद्र

BLACK MONEY AND CORRUPTION IN INDIA IS WIDE SPREAD, AND GOVT SHOULD TAKE STRONG ACTION ON BLACK MONEY ISSUE.


BLACK MONEY KUCH CHAND LAKH LOGON KE PASS 90% HAI, AUR UN SE START KIYA  JAA SAKTAA HAI.

AGAR TOP 10 HAZAAR LOGON KO HEE PAKAD LIYAA JAYE TO HEE DESH KEE GAREEBEE MIT JAYEGEE



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Blog Vichaar : आखिर काला धन को राष्ट्रिय संपत्ति घोषित करने का कानून क्यों नहीं ?

बाबा रामदेव तो कहते थे कि काला  धन को राष्ट्रिय संपत्ति घोषित करने का कानून बना देना चाहिए,
और इसके लिए उन्होंने अनशन भी राम लीला मैदान में किया ,
वो कहते थे की केंद्र सरकार लिखित में उनको आश्वाशन दे ।

कहते थे की 4 लाख करोड़ से ज्यादा धन विदेशों में जमा  है , और हमें सालों कोई टैक्स नहीं देना पडेगा , और काल धन अगर देश में आ जाये तो देश के गाँव  की  सड़कें भी कोंक्रीट की होंगी , देश जगमगा उठेगा ।

बैंक ट्रांसेक्शन टैक्स की बात कही लेकिन अब तो बदलाव आना चाहिए ।
रामदेव जी कहते थे की हम शर्तों के आधार पर समर्थन दे  रहे हैं

हालाँकि मोदी जी इस समय काफी सारे बेहतरीन काम कर रहे हैं - श्रमेव जयते कार्यक्रम के द्वारा मजदूर वर्ग की सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया है ,
पड़ोसियों से समबन्ध सुधारने और व्यापर बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है , आदि आदि
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मोदी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन रखने वाले भारतीय खातेदारों के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता। सरकार का कहना है कि खाताधारकों का नाम सार्वजनिक करना संबंधित देशों के साथ  दोहरे कराधान से बचने के लिए किए गए समझौते का उल्लंघन होगा

इन संधियों के मुताबिक सदस्य देश उन खातेदारों के नाम का खुलासा नहीं कर सकते, जिनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की पीठ के समक्ष दाखिल अपनी अर्जी में ये बातें कहीं।
सुप्रीम कोर्ट आदेश वापस ले: पिछले दिनों कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह उन लोगों के नाम बताए जिनके खाते स्विस बैंकों में हैं। इसी आदेश को वापस करवाने के लिए सरकार कोर्ट आई है

जेठमलानी का विरोध : याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने इस अर्जी का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उन लोगों को बचाना चाहती है जिन्होंने विदेशों में काला धन जमा कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट केंद्र की अर्जी पर 28 को सुनवाई करेगा।

इसलिए पेच फंसा : अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जर्मन सरकार ने जर्मनी के लींचेंस्टाइन बैंक के खातेदारों के नाम का खुलासा करने का कड़ा विरोध किया है। सरकार दिसंबर में कई अन्य देशों से इस तरह की दोहरी कर बचाव संधि करने जा रही है। यदि ऐसे लोगों के नाम का खुलासा किया गया जिन पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है तो सरकार के वे विदेशी स्रोत खत्म हो जाएंगे जो विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन की सूचना देते हैं।




News Sabhaar : livehindustan.com (18.10.14)

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स्विट्जरलैंड काले धन का ब्योरा देने को तैयार

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को बताया कि स्विट्जरलैंड एचएसबीसी और लिस्टनस्टाइन में अवैध धन जमा कराने वाले भारतीयों की सूचनाएं भारत को देने को तैयार है, बशर्ते भारतीय अधिकारी संबंधित मामले में अपनी ओर से जुटाए गए स्वतंत्र साक्ष्य पेश कर सकें। स्विस सरकार भारतीयों के विदेशी खातों पर खुफिया एजेंसियों की ओर से पेश ब्यौरे की 'सत्यता' की पुष्टि को भी तैयार है।

जेटली ने कहा कि भारत सरकार विदेशी सरकारों से टैक्स संबंधी सूचनाएं हासिल करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। विदेशों में रखा गया काला धन भारत वापस लाया जाएगा। उनके मुताबिक, स्विटजरलैंड और भारत के अधिकारियों की इसी हफ्ते हाई लेवल मीटिंग हुई। जिसके बाद स्विस सरकार ने बैंकिंग सूचनाओं पर भारत की अर्जियों के बारे में प्राथमिकता के आधार पर और समयबद्ध तरीके से मदद करने पर सहमति जताई है। इससे पहले स्विस सरकार ने लिस्ट में उल्लिखित नामों से जुड़ी कोई सूचना देने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि नामों की ये लिस्ट चुराए गए आंकड़ों पर आधारित है। जेटली ने कहा कि ये लिस्ट दरअसल अन्य देशों से समुचित माध्यमों के जरिए प्राप्त की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में पेश रुख पर सफाई देते हुए जेटली ने कहा कि हमें नामों को सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं है

News Sabhaar : navbharattimes.indiatimes.com (18.10.14)
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Information from A Facebook Page :

Swiss bank revealed India has more money than rest of the world.


This is so shocking.. ..If black money deposits was an Olympics event..
India would have won a gold medal hands down. The second best Russia has
4 times lesser deposit. U.S. is not even there in the counting in top five! India has more money in Swiss banks than all the other countries combined!


Recently, due to international pressure, the Swiss government agreed to disclose the names of the account holders only if the respective governments formally asked for it.. Indian government is not asking for the details... ..no marks for guessing why?


We need to start a movement to pressurize the government to do so! This is perhaps the only way, and a golden opportunity, to expose the high and mighty and weed out corruption!

.Please read on..and forward to all the honest Indians to..
like somebody is forwarding to you... and build a ground-swell of support!for action !

.Is India poor, who says? Ask the Swiss banks. With personal account deposit bank of $1,500 billion in foreign reserve which have been misappropriated, an amount 13 times larger than the country's foreign debt, one needs to rethink if India is a poor country?

 DISHONEST INDUSTRIALISTS, scandalous politicians and corrupt IAS, IRS, IPS officers have deposited in foreign banks in their illegal personal accounts a sum of about $1500 billion, which have been misappropriated by them. This amount is about 13 times larger than the country's foreign debt. With this amount 45 crore poor people can get Rs 1,00,000 each.

 This huge amount has been appropriated from the people of India by exploiting and betraying them. Once this huge amount of black money and property comes back to India , the entire foreign debt can be repaid in 24 hours. After paying the entire foreign debt, we will have surplus amount, almost 12 times larger than the foreign debt. If this surplus amount is invested in earning interest, the amount
of interest will be more than the annual budget of the Central government. So even if all the taxes are abolished, then also the Central government will be able to maintain the country very comfortably.

 Some 80,000 people travel to Switzerland every year, of whom 25,000 travel very frequently. 'Obviously, these people won't be tourists..

They must be travelling there for some other reason,' believes an official involved in tracking illegal money.. And, clearly, he isn't referring to the commerce ministry bureaucrats who've
been flitting in and out of Geneva ever since the World Trade Organisation (WTO) negotiations went into a tailspin!

 Just read the following details and note how these dishonest industrialists, scandalous politicians, corrupt officers, cricketers, film actors, illegal trade and protected wildlife operators, to name
just a few, sucked this country's wealth and prosperity.

This may be the picture of deposits in Swiss banks only. What about other international banks ?

Black money in Swiss banks - Swiss Banking Association report, 2006 details bank deposits in the territory of Switzerland by nationals of following countries :

 TOP FIVE
INDIA $1,456 BILLION
RUSSIA $470 BILLION
U.K. $390 BILLION
UKRAINE $100 BILLION
CHINA $96 BILLION



Now do the math's - India with $1,456 billion or $1.4 trillion has more money in Swiss banks than rest of the world combined. Public loot since 1947:

 Can we bring back our money ? It is one of the biggest loots witnessed by mankind - the loot of the Aam Aadmi (common man) since 1947, by his brethren occupying public office. It has been orchestrated by politicians, bureaucrats and some businessmen.


The list is almost all-encompassing. No wonder, everyone in India loots with impunity and without any fear. What is even more depressing in that this ill-gotten wealth of ours has been stashed away abroad into secret bank accounts located in some of the world's best known tax havens. And to that extent the Indian economy has been stripped of its wealth. Ordinary Indians may not be exactly aware of how such secret accounts operate and what are the rules and regulations that go on to govern such tax havens. However, one may well be aware of 'Swiss bank accounts,' the shorthand for murky dealings, secrecy and of course pilferage from developing countries into rich developed ones.

 In fact, some finance experts and economists believe tax havens to be a conspiracy of the western world against the poor countries. By allowing the proliferation of tax havens in the twentieth century, the western world explicitly encourages the movement of scarce capital from the developing countries to the rich. In March 2005, the Tax Justice Network (TJN) published a research finding
demonstrating that $11.5 trillion of personal wealth was held offshore by rich individuals across the globe.

 The findings estimated that a large proportion of this wealth was managed from some 70 tax havens. Further, augmenting these studies of TJN, Raymond Baker - in his widely celebrated book titled
'Capitalism' s Achilles Heel: Dirty Money and How to Renew the Free Market System' - estimates that at least $5 trillion have been shifted out of poorer countries to the West since the mid-1970.

 It is further estimated by experts that one per cent of the world's population holds more than 57 per cent of total global wealth, routing it invariably through these tax havens.

 How much of this is from India is anybody's guess ...????

if India is doing like this the annual tern over will be less and our market will have to close down (BSE\NSE)

we have to trace out the black money when the polities have kept ? where there they use ? but they don't have correct tax details . all are illegal only

Source : facebook.com/notes/i-love-my-india/total-black-money-in-india-must-read-share-on-your-wall/10150217260858658




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Sunday, October 5, 2014

BOSS VS LEADER

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BOSS VS LEADER

WHICH IS BETTER ACCORDING TO YOU ??

TANASHAHEE VS DEMOCRACY
WHICH IS BETTER ACCORDING TO U ??







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Saturday, August 2, 2014

एक अनार सौ बीमार - एक एक अनार- कर देगा नैया पार

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एक अनार सौ बीमार - एक एक अनार- कर देगा नैया पार

आपने एक कहावत सुई होगी ''एक अनार सौ बीमार'' पर यही एक एक अनार आज महाराष्ट्र के किसानो की तकदीर बदल रहा है । यहाँ के किसान कहते है '' एक एक अनार- कर देगा नैया पार'' और ऐसा हो भी रहा है । ''मालेगांव से पुणे'' रोड में आप निकल जाए आपको बड़े बड़े अनार के बगीचे मिल जायेगे






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Saturday, June 7, 2014

बिना चावल रखे भगवान को दीपक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि...

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बिना चावल रखे भगवान को दीपक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि...

दीपक का पूजन में बहुत महत्व है। भगवान के समक्ष जब तक दीपक नहीं जलाया जाता है। हिन्दू पंरपराओं के अनुसार तब तक पूजन पूरा होना संभव ही नहीं है। इसीलिए पूजा शुरू होने से पहले दीपक जलाया जाता है। फिर पूजा के समापन के समय आरती की जाती है।
पूजा में दीपक के नीचे चावल रखे जाते हैं। चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है।दीपक को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म में दीपक को देव रूप माना जाता है। इसीलिए किसी भी तरह की पूजा शुरू करने से पहले दीपक का तिलक लगाकर पूजन किया जाता है। उसके बाद दीपक को आसन दिया जाता है यानी दीपक को स्थान दिया जाता है।
दीपक के नीचे चावल ना रखें जाने पर इसे अपशकुन माना जाता है। यदि दीपक के नीचे चावल नहीं हो तो दीपक अपूर्ण होता है। मान्यता है कि यदि दीपक को आसन देकर पूजा में ना रखा जाए तो भगवान भी पूजन में आसन ग्रहण नहीं करते हैं। साथ ही चावल को लक्ष्मीजी का प्रिय धान भी माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि पूजन के समय दीपक को चावल का आसन देने से घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मां के सामने चावल की ढेरी बनाकर उसके ऊपर घी का दीपक लगाने से धन लाभ होता है।
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स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं

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स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं

ये हैं नारियल से जुड़ी प्राचीन बातें हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी मानी जाती है। क्या आप जानते हैं कि नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन और घर-परिवार से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। नारियल ऊपर से कठोर किंतु अंदर से नरम और मीठा होता है। हमें भी जीवन में नारियल की तरह अंदर से नरम व मधुर स्वभाव बनाना चाहिए। हम बाहर से जैसे भी दिखते हो, लेकिन अंदर से नारियल के समान व्यवहार रखना चाहिए। प्राचीन समय से ही नारियल से संबंधित कई प्रकार की परंपराएं प्रचलित हैं। इन परंपराओं में से एक अनिवार्य परंपरा यह है कि स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं। आमतौर पर ऐसा स्त्रियों द्वारा नारियल फोड़ने को अपशकुन माना जाता है।




 यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। वास्तव में नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़कर देखा गया है। स्त्रियां प्रजनन क्रिया की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूपी नारियल को फोडऩा वर्जित किया गया है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है। ऐसी प्राचीन परंपरा है। नारियल के जल से किया जाता है अभिषेक आमतौर पर नारियल को बधार कर (फोड़कर) ही देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं। देवताओं को खुश करने के लिए पशुओं की बलि देने की परंपरा थी, लेकिन जब इस परंपरा पर रोक लगी तो नारियल की बली देने की प्रथा शुरु हो गई। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है।


सौभाग्य का प्रतीक है नारियल नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लेकर आए थे। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।  


सम्मान का सूचक है नारियल श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक है। सम्मान करने के लिए शॉल के साथ श्रीफल भी दिया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी नारियल भेंट करने की परंपरा है। जैसे बिदाई के समय तिलक कर नारियल और धनराशि भेंट की जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध कर नारियल भेंट करती हैं और रक्षा का वचन लेती हैं।

 एकाक्षी नारियल से होते हैं मालामाल एकाक्षी नारियल बहुत ही दुर्लभ है। आमतौर पर नारियल की जटा की नीचे दो बिंदू होते हैं, लेकिन एकाक्षी नारियल में यहां सिर्फ एक ही बिंदू होता है। यह एक बिंदू वाला नारियल बहुत चमत्कारी होता है। जिस घर में यह नारियल होता है वहां महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पैसों की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस नारियल के प्रभाव से घर से वास्तु दोष भी नष्ट होते हैं और परिवार के सदस्यों को कार्यों में सफलता मिलती है।

उत्तम औषधि : नारियल की गिरी
- जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए।
- शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं। नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।
- नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है
- मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है।
- सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दे को शक्ति मिलती है।
- पौष, माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
नारियल से सीखें
नारियल ऊपर से कठोर किंतु अंदर से नरम और मीठा होता है। हमें भी जीवन में नारियल की तरह बाहर से कठोर और अंदर से नरम व मधुर स्वभाव बनाना चाहिए


Source : Collected info from internet

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