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Saturday, December 29, 2012

Motivational Hindi Stories - रंग - रूप


रंग - रूप

कालिदास से एक बार राजा ने पूछा – कालिदास, ईश्वर ने आपको बुद्धि तो भरपूर दी है, मगर रूप-रंग देने में भी यदि ऐसी ही उदारता वे बरतते तो बात ही कुछ और होती. 

कालिदास ने राजा के व्यंग्यात्मक लहजे को पहचान लिया. कालिदास ने कुछ नहीं कहा, परंतु सेवक को पानी से भरे एक जैसे दो पात्र लाने को कहा – एक सोने का एक मिट्टी का. 

दोनों पात्र लाए गए. गर्मियों के दिन थे. कालिदास ने राजा से पूछा – राजन्! क्या आप बता सकते हैं कि इनमें से किस पात्र का पानी पीने के लिए उत्तम है? 

राजा ने छूटते ही उत्तर दिया – यह तो सीधी सी बात है, मिट्टी का. और फिर तुरंत उन्हें अहसास हुआ कि कालिदास क्या कहना चाहते हैं! 

"बाह्य रूपरंग सरसरी तौर पर लुभावना लग सकता है, मगर असली सुंदरता तो आंतरिक होती है. मिट्टी का घड़ा आपकी (वास्तविक) प्यास बुझा सकता है, सोने का घड़ा नहीं!"

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