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Saturday, June 7, 2014

स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं

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स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं

ये हैं नारियल से जुड़ी प्राचीन बातें हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी मानी जाती है। क्या आप जानते हैं कि नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन और घर-परिवार से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। नारियल ऊपर से कठोर किंतु अंदर से नरम और मीठा होता है। हमें भी जीवन में नारियल की तरह अंदर से नरम व मधुर स्वभाव बनाना चाहिए। हम बाहर से जैसे भी दिखते हो, लेकिन अंदर से नारियल के समान व्यवहार रखना चाहिए। प्राचीन समय से ही नारियल से संबंधित कई प्रकार की परंपराएं प्रचलित हैं। इन परंपराओं में से एक अनिवार्य परंपरा यह है कि स्त्रियां नारियल नहीं फोड़ती हैं। आमतौर पर ऐसा स्त्रियों द्वारा नारियल फोड़ने को अपशकुन माना जाता है।




 यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। वास्तव में नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़कर देखा गया है। स्त्रियां प्रजनन क्रिया की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूपी नारियल को फोडऩा वर्जित किया गया है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है। ऐसी प्राचीन परंपरा है। नारियल के जल से किया जाता है अभिषेक आमतौर पर नारियल को बधार कर (फोड़कर) ही देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं। देवताओं को खुश करने के लिए पशुओं की बलि देने की परंपरा थी, लेकिन जब इस परंपरा पर रोक लगी तो नारियल की बली देने की प्रथा शुरु हो गई। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है।


सौभाग्य का प्रतीक है नारियल नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लेकर आए थे। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।  


सम्मान का सूचक है नारियल श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक है। सम्मान करने के लिए शॉल के साथ श्रीफल भी दिया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी नारियल भेंट करने की परंपरा है। जैसे बिदाई के समय तिलक कर नारियल और धनराशि भेंट की जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध कर नारियल भेंट करती हैं और रक्षा का वचन लेती हैं।

 एकाक्षी नारियल से होते हैं मालामाल एकाक्षी नारियल बहुत ही दुर्लभ है। आमतौर पर नारियल की जटा की नीचे दो बिंदू होते हैं, लेकिन एकाक्षी नारियल में यहां सिर्फ एक ही बिंदू होता है। यह एक बिंदू वाला नारियल बहुत चमत्कारी होता है। जिस घर में यह नारियल होता है वहां महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पैसों की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस नारियल के प्रभाव से घर से वास्तु दोष भी नष्ट होते हैं और परिवार के सदस्यों को कार्यों में सफलता मिलती है।

उत्तम औषधि : नारियल की गिरी
- जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए।
- शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं। नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।
- नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है
- मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है।
- सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दे को शक्ति मिलती है।
- पौष, माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
नारियल से सीखें
नारियल ऊपर से कठोर किंतु अंदर से नरम और मीठा होता है। हमें भी जीवन में नारियल की तरह बाहर से कठोर और अंदर से नरम व मधुर स्वभाव बनाना चाहिए


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