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Thursday, March 5, 2015

HEALTH #सेहत और #सौंदर्य के लिए क्यों जरूरी है बॉडी स्क्रब

#HEALTH #सेहत और  #सौंदर्य के लिए क्यों जरूरी है बॉडी स्क्रब

+ मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए स्क्रब करना जरूरी है।
+ स्क्रब की मदद से त्वचा की खोयी चमक वापस पा सकते हैं।
+ शहद त्वचा के लिए अच्छा मॉश्चरराइजर है।
+ नारियल स्क्रब त्वचा को धूप व धूल से बचाता है।





जिस तरह आपकी त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है उसी तरह आपके शरीर को भी चाहिए खास देखभाल। बॉडी स्‍क्रब की मदद से शरीर पर जमा डेड सेल्स और गंदगी की जा सकती है। बॉडी स्‍क्रब कई तरह के होते हैं लेकिन आपको चाहिए वो स्क्रब जो आपकी बॉडी के लिए हो परफेक्ट साथ ही जो आपके शरीर को पूरी तरह से चमका दे।

क्यों जरूरी है बॉडी स्क्रब :-
अगर आप ध्यान दें तो 90 प्रतिशत धूल हमारे घर में होती है जो मृत कोशिकाओं का कारण होती हैं। शरीर पर जमा डेड सेल्स चेहेर की चमक को खत्म कर देता है। इसलिए समय-समय पर चेहरे के साथ-साथ बॉडी की सफाई करना भी जरूरी हो जाता है। हम में से हर किसी को सॉफ्ट व चमकदार त्वचा चाहिए होती है। इसके लिए बॉडी स्क्रब करना एक अच्छा विकल्प है।

बॉडी स्क्रब के लाभ:-
स्क्रब कई तरह से आपकी बॉडी के लिए फायदेमंद है। एक तरफ जहां इसकी मदद से चेहरे के डेड सेल्स को हटा सकते हैं वहीं दूसरी तरफ यह रक्त संचार को भी बढ़ता है। स्क्रब करने के बाद आपको अपनी त्वचा में ताजगी और नमी का एहसास भी होता है। स्क्रब करते वक्त ध्यान रखें कि जितना हल्के हाथ से मसाज करेंगे उतना अच्छा रहेगा। आप चाहें तो हफ्ते में दो बार भी स्क्रब कर सकते हैं।

बादाम का स्क्रब:-
बादाम स्क्रब से चेहरे पर स्क्रब करना काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद विटामिन ई चेहरे को पोषण देता है। एक बडा चम्मच पिसे बादाम में थोड़ा दूध मिला कर पेस्ट बनाएं। इसे नहाने से पहले शरीर पर लगाएं और स्क्रब करें। उसके बाद ठंडे पानी से धो लें। आपकी स्किन मुलायम हो जाएगी। अगर आपके पास अखरोट पाउडर हो तो इस पेस्ट में मिला सकती हैं।

जौ आटा व शहद का स्क्रब:-
त्वचा को अंदर से पोषण और नमी देने के लिए शहद का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। जब भी आप जल्दी में हो तों यह स्क्रब प्रयोग कर सकती हैं। इसके लिए आपको जौ का आटा व शहद का पेस्ट बनाकर शरीर पर लगाएं और थोड़ी देर बाद धो लें इससे स्किन में इंस्टेंट ग्लो आएगा।

कॉफी बॉडी स्क्रब:-
कॉफी स्क्रब से त्वचा में चमक आ जाती है। इसके लिए टर्मिनाडो रॉ शुगर,जैतून का तेल-तीन चम्मच, ग्राउंड कॉफी ले उससे अच्छे से मिला लें। इसे लेने से पहले गुनगुने पानी से स्नान करें ताकि शरीर के सारे रोमछिद्र खुल जाएं। नहाने के आने के बाद हल्के हाथों से गोलाई में इसे सारे शरीर पर मलें। उसके बाद शॉवर लें। तौलिए से सारे शरीर को अच्छे से पोंछे और माइल्ड मॉइश्चराइजर लगाएं।

लेमन सॉल्ट ग्लो:-
नींबू छिलके को कद्दूकस कर लें उसमें 'सी-साल्ट' और बादाम का तेल मिलाएं। यह खयाल रखें कि इस मिश्रण में पानी ना मिलने पाए, क्योंकि इससे नमक घुल जाएगा। नहाने से पहले अंगुलियों के पोरों से हल्के-हल्के इस पेस्ट को पूरे शरीर में लगाएं। उसके बाद अच्छे से शॉवर लें ताकि सारा मिश्रण शरीर से हट जाए। इससे शरीर पर मौजूद डेड सेल्स चुटकियों में गायब हो जाएंगे और त्वचा चमकदार बनेगी।

नारियल स्क्रब:-
नारियल स्क्रब त्वचा पर पड़ने वाली सीधी धूप व धूल के प्रभाव से आपकी स्किन को बचाता है। इसके अलावा बारिश में निकलने से पहले इसे प्रयोग करने से त्वचा का बचाव होता है। इसके लिए कसे हुए नारियल में एक चुटकी हल्दी मिक्स कर लें। इसमें 15 बूंदे चंदन का तेल मिलाएं। इस मिश्रण से दो से तीन मिनट तक बॉडी पर स्क्रबिंग करें। कलर फेयर करने के साथ ही यह कूलिंग का काम भी करता है।

मूंग दाल स्क्रब:-
इसमें मूंग दाल को पीसकर पाउडर बना लिया जाता है। उसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पूरे शरीर पर लगाएं। जब सूख जाए, तो इसे सामान्य पानी से धो लें फिर नहा लें। इससे त्वचा कांतिमय बनती है। आप चाहें तो हर रोज नहाने से पहले इसका प्रयोग कर सकते हैं।

घर पर बनाये जा सकने वाले ये स्क्रब आपके चेहरे और त्‍वचा को चमकदार और सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं। ये स्‍क्रब बनाने में तो आसान हैं ही साथ ही इनका कोई साइड इफेक्‍ट भी नहीं होता



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Wednesday, March 4, 2015

STEAM-BATH #HEATH BENEFITS जानें क्यों जरूरी है #स्टीमबाथ और क्या हैं इसके फायदे

#STEAM-BATH #HEATH BENEFITS
जानें क्यों जरूरी है स्टीम बाथ और क्या हैं इसके फायदे

+ स्टीम बाथ से शरीर की सफाई हो जाती है।
+ स्टीम बाथ से पहले अच्छे से पानी पी लें।
+ स्टीम बाथ शरीर को कैंसर से बचाता है।
+ स्टीम बाथ से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।


स्टीम बाथ सिर्फ सर्दियों में ही नहीं, यह किसी भी मौसम में फायदेमंद होता है। यह त्वचा के रोमछिद्रों को खोलता है और अंदर से साफ करता है, जिससे विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। इस तरह ऑक्सीजन मिलने से त्वचा की मृत कोशिकायें निकल जाती हैं और नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है
दिन भर की थकान मिटानी हो या फिर तनाव से मुक्ति पानी हो, स्‍टीम बाथ इन सबके लिए एक कारगर उपाय है। यह तन-मन को राहत देता है। कई लोग इसका इस्‍तेमाल वजन कम करने के लिए भी करते हैं।






 


इम्यूनिटी बढ़ाए:-
नियमित रूप से स्टीम बाथ लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। स्टीम बाथ लेने पर शरीर का तापमान तेजी से बढ जाता है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं। इम्यून सिस्टम मजबूत होने से शरीर रोगों से दूर रहता है। यह सर्दियों में फ्लू से भी दूर रखता है। साथ ही बंद नाक को खोलकर आराम देता है


कैंसर से रखे दूर:-
स्टीम बाथ का तापमान 106 से 110 डिग्री फॉरेनहाइट होता है, जो कैंसर बनाने वाले तत्वों को नष्ट कर देता है। साथ ही किसी भी प्रकार के संक्रमण से शरीर को दूर रखता है।

बाहर निकाले विषैले तत्व:-
स्टीम और सौना बाथ शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने का सबसे बेहतरीन उपाय है। स्टीम बाथ से निकलने वाले पसीने के साथ ही शरीर के नुकसानदेह टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। अगर अधिक धूम्रपान करने वाला स्टीम रूम में बैठ जाए तो उसके तौलिये में पीले रंग का कुछ शेष नजर आएगा। मसाज के बाद स्टीम बाथ लेने से दोगुना आराम मिलता है। यह सिर से पांव तक पूरे शरीर और मांसपेशियों को आराम देता है। तनाव भी दूर करता है। स्टीम बाथ के बाद वार्म शॉवर लेने से रात में नींद बहुत अच्छी आती है


रक्त संचार बढ़ाए:-
स्टीम से रक्तसंचार बढता है। यह बिना ब्लड प्रेशर बढाए नाडी की गति को बढाने में मदद करता है। क्योंकि गर्माहट के कारण रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और रक्त संचार तेज हो जाता है। इस तरह त्वचा में पोषक तत्वों का संचार होता है, जो उसे सौम्य, कोमल और कांतिमय बनाता है।


ध्यान रखें:-
हृदय रोगी और कार्डियोवैस्कुलर एक्टीविटी करने वालों को स्टीम बाथ नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती स्त्रियों, जिन्हें बुखार हो और शिशु को स्टीम बाथ नहीं लेनी चाहिए


कैसे लें स्टीम बाथ:-
स्टीम बाथ तब तक लें जब तक कि आपको आराम मिले। लेकिन ट्रीटमेंट के तौर पर एक बार में 15 मिनट से अधिक न लें। अगर किसी भी प्रकार की समस्या या दिक्कत हो तो स्टीम बंद कर दें। स्टीम बाथ से पसीना बहुत निकलता है। इसलिए पानी खूब पी लें। स्टीम लेने से पहले एक ग्लास भर कर पानी जरूर पी लें। ट्रीटमेंट के बाद कुछ तरल पदार्थ जरूर लें। नीबू, नमक पानी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। स्टीम रूम में जाने से पहले शॉवर ले लें। बाथ लेने के बाद कमरे के तापमान में पहले सामान्य अवस्था में आएं फिर ठंडे या गर्म पानी से नहाएं। अगर आप दोबारा स्टीम सेशन लेना चाहती हैं तो पहले सामान्य अवस्था में आ
एं।

Health, Health Tips, Ayurvedik Health Benefits,

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Tuesday, March 3, 2015

पथरी का #होमियोपेथी इलाज !

पथरी का होमियोपेथी इलाज !
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अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये| (स्वदेशी कंपनी SBL की बढ़िया असर करती है )
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
और यही दवा से पित की पथरी (gallbladder stones ) भी ठीक हो जाती है ! जिसे आधुनिक डाक्टर पित का कैंसर बोल देते हैं !
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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|
और एक बात इस BERBERIS VULGARIS से पीलिया jaundice भी ठीक होता है


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Thursday, February 19, 2015

Ayurvedik Health Benefits, #Health, Useful Information जीरा रसोईघर की शान ---

#Ayurvedik Health Benefits, #Health, Useful Information


जीरा रसोईघर की शान ---
---ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आघा छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ पीएं। --डायबिटीज रोगियों को यह काफी फायदा पहुंचाता है।
--. कब्जियत की शिकायत होने पर जीरा, काली मिर्च, सोंठ और करी पावडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं। पेट साफ रहेगा और कब्जियत में राहत मिलेगी।
--- यदि आप नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त हैं तो एक छोटा चम्मच भुना जीरा पके हुए केले के साथ मैश करके रोजाना रात के खाने के बाद खाएं
---एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिये, एक चुटकी कच्‍चा जीरा ले कर मुंह में डाल कर खाने से फायदा मिलता है।
--नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है। साथ ही गर्भवती महिलाएं, जिन्‍हें इस समय खून और आयरन की जरुरत होती है, उनके लिये जीरा अमृत का काम करता है।
--जिनको अस्थमा , ब्रोङ्क्रइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है उन्हे जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप मे करना चाहिए ।
-- जो रक्ताल्पता के शिकार है वे एक टी स्पून जीरा पानी मे उबाल कर नित्य सुबह खाली पेट पिये ,इसमे लौह तत्व प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है ये शरीर मे हीमोग्लोबिन को सही रखने मे सहायक है । इसलिए एनीमिक व्यक्तियों को जीरा बहुत लाभकारी सिद्ध होता है ।
-- जो पाइल्स के शिकार हैं उन्हे भी सुबह खाली पेट कच्चा साबुत जीरा चबा कर खाने से लाभ मिलता है
-- तवे पर एक टी स्पून जीरा रोस्ट कर लें और इसे चबा कर नित्य खाने से याददाश्त अच्छी रहती है ।
-- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें।
-- इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा।
- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन
से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।
- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें।



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Friday, April 25, 2014

काफी चमत्कारी औषधीय पौधा है एलोवेरा

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काफी चमत्कारी औषधीय पौधा है एलोवेरा

एलोवेरा एक औषधीय पौधा है और यह भारत में प्राचीनकाल से ग्वारपाठा या धृतकुमारी नाम से जाना जाता है। यह कांटेदार पत्तियों वाला पौधा है जिसमें रोग निवारण के गुण भरे हैं। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसे साइलेंट हीलर तथा चमत्कारी औषधि भी कहा जाता है। इसकी 200 से ज्यादा प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से 5 प्रजातियां हीं हमारे स्वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी हैं। रामायण, बाइबिल और वेदों में भी इस पौधे के गुणों की चर्चा की गई है। एलोवेरा का जूस पीने से कई वीमारियों का निदान हो जाता है। आयुर्वेदिक पद्धति के मु‍ताबिक इसके सेवन से वायुजनित रोग, पेट के रोग, जोडों के दर्द, अल्सर, अम्‍लपित्‍त आदि बीमारियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा एलोवेरा को रक्त शोधक, पाचन क्रिया के लिए काफी गुणकारी माना जाता है।

एलोवेरा जूस के फायदे:

एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।

एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।

एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।

एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्‍थ्‍य होते हैं।

एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।

एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।

एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्‍वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।

एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।

एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।

शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।

एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्‍वस्‍थ्‍य दिखती है। यह स्किन के कोलाजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।

एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।

एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।

एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है
 

Arthritis Treatment : जोड़ों के दर्द का प्राकृतिक इलाज

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Arthritis Treatment : जोड़ों के दर्द का प्राकृतिक इलाज

आरथ्राइटिस से पीडि़त प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामकाज भी ठीक से नहीं कर पाता, सामान्य जीवन नहीं जी पाता! शरीर को पंगु बना देने वाली इस गंभीर समस्या को ज्यादातर लोग बढ़ती उम्र का तकाजा समझकर और लाइलाज मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं। नेचुरोपैथी के चार-पांच हफ्ते के इलाज से गंभीर से गंभीर आरथ्राइटिस रोगी भी इस समस्या से पचास प्रतिशत तक आराम पा सकते हैं।

घुटने में तकलीफ रहती है तो सावधान हो जाएं। यह आर्थराइटिस की समस्या भी हो सकती है। अब तो यह समस्या उम्र भी नहीं देखती। बुजुर्गों के साथ अब यह समस्या युवाओं और बच्चों को भी परेशान करने लगी है।

अर्थराइटिस यानी घुटनों में दर्द की समस्या को बुजुर्गों की समस्या माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा और बच्चों तक इस बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं। खासकर दिल्ली व तमाम शहरों में तेज रफ्तार जिंदगी के कारण खानपान, व्यायाम आदि पर उचित ध्यान न दिए जाने से यह समस्या पैदा होती है।

आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है। मरीज के पैरों और हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द होता है, जिससे चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है। कुछ खास तरह के आर्थराइटिस में शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में दर्द के साथ दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं।

आमतौर पर देखा जाता है कि हर घुटने के दर्द को लोग आर्थराइटिस समझ लेते हैं, जबकि घुटनों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं तथा उनका इलाज भी भिन्न-भिन्न है। सही जांच तथा समय पर सही फिजियोथेरेपी महत्वपूर्ण है। फिजियोथेरेपी से तो हड्डियों की कई बीमारियां जड़ से दूर हो जाती हैं। इसमें व्यायाम के जरिय मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर इलाज किया जाता है। इसमें एक सप्ताह से लेकर कई महीने लग जाते हैं।

आर्थराइटिस के कारण
- घुटने में चोट लगना, घुटनों पर ज्यादा जोर देना।
- लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठना या खड़े रहना।
- हड्डियों का बढ़ जाना एवं मांसपेशियों का कमजोर हो जाना।
- उम्र का 40 वर्ष से ज्यादा होना जिससे हड्डियां प्राय: घिस जाती हैं या कमजोर हो जाती हैं।
- जिम में विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में व्यायाम करना।
- अपना वजन, खान-पान का स्तर, उम्र, दर्द के कारण, शरीरिक संरचना को जाने बिना टीवी पर देखकर या दूसरे व्यक्ति को देखकर योग व अन्य व्यायाम करना।
- घुटनों से सायनोवियल फ्लड (घुटनों के जोड़ के बीच मौजूद तरल पदार्थ) का निकलना।
- घुटनों के ऑपरेशन के बाद फिजियोथेरेपी नहीं करवाना।
- ऑटोइम्यून (भ्रमित प्रतिरक्षी प्रक्रिया के कारण होने वाली) बीमारियों का होना। रिवमेट्वायड आर्थराइटिस यानी रुमेटी गठिया इसी श्रेणी में आती है।
- गलत नाप, आकार-प्रकार तथा हील के चप्पल जूते पहनना।
- व्यायाम अचानक छोड़ देना।

घुटने का दर्द
घुटना एक कमजोर सायनोवियल जोड़ हैं। यह शरीर का सबसे बड़ा तथा जटिल जोड़ है। इस जोड़ में चार हड्डियां शामिल होती हैं। लगभग 15 मांसपेशियां, 13 वर्सा (गद्दीदार संरचनाएं), कई लिगामेंट, मेनिस्कस आदि भी इस जोड़ से संबद्घ होती हैं। इन कारणों से घुटने में दर्द के कारण तथा स्थान अलग हो सकते हैं।

इस दर्द से बचाव

- अपने वजन को उम्र, ऊंचाई एवं शारीरिक बनावट के अनुसार उचित रखना चाहिए। इसके लिए प्रिवेंटिव फिजियोथेरेपी के अन्तर्गत विशेष व्यायाम करना चाहिए।
- औसतन 1 से डेढ़ घंटे लगातार खड़े रहने के पश्चात् घुटनों को 5-10 मिनट का आराम देना चाहिए।
- चप्पल, जूते सही आकार-प्रकार के ही प्रयोग में लाना चाहिए।
- जिम में हमेशा विशेषज्ञों तथा कुशल फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देशन में ही व्यायाम करना चाहिए तथा वजन उठाना चाहिए।
-  नियमित रूप से डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा बताए गए घुटनों के विशिष्ट व्यायाम करना लाभदायक होता है।
-  खानपान में कैल्शियम से परिपूर्ण आहार लेना चाहिए।

कैसे पाएं आराम

यह बीमारी आजीवन रहने वाली है, लेकिन अपने शरीर में कुछ बदलाव लाकर आप आर्थराइटिस के तीव्र दर्द को कम कर सकते हैं। इसके लिए कुछ उपाय भी जरूरी हैं।
- अपना वजन नियंत्रित रखें क्योंकि ज्यादा वजन से घुटने तथा कूल्हों पर दबाव पड़ता है।
- कसरत तथा जोड़ों को हिलाने से भी आपको मदद मिलेगी। जोड़ों को हिलाने में आपके डॉक्टर या नर्स भी आपकी मदद कर सकते हैं।
- समय-समय पर अपनी दवा लेते रहें। इनसे दर्द और अकड़न में राहत मिलेगी।
- सुबह गर्म पानी से नहाएं।
- डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराते रहें।

मजबूत हड्डियों के लिए खाने की 10 चीजें
1. कम फैट वाला दूध
2. अंडे
3. पनीर
4. रागी या मड़आ
5. पालक
6. अंजीर
7. अजवाइन के पत्ते
8.मेथी के पत्ते
9.मछली
10. बादाम


क्यों होता है आरथ्राइटिस
आजकल हमारे खानपान में एसिडिक खाद्य पदार्थों की मात्रा काफी बढ़ गई है। जब हम कोई चीज खाते या पीते हैं, तो उसमें मौजूद एसिड का कुछ अंश शरीर में शेष रह जाता है और यूरिक एसिड के रूप में शरीर के विभिन्न हिस्सों, खासकर जोड़ों के बीच जमा होने लगता है। सालों जमा होते रहने के बाद यूरिक एसिड "क्रिस्टल" [ठोस] का रूप ले लेता है और जोड़ों तथा पेशियों की सामान्य गतिविधि को प्रभावित करने लगता है। पेशियों में जमा यूरिक एसिड क्रिस्टल, मस्क्युलर रिह्यूमेटिज्म के रू प में सामने आता है, तो जोड़ों के बीच जमा एसिड क्रिस्टल आरथ्राइटिस के रू प में। जोड़ों के बीच एसिड क्रिस्टल जमा होने से चलने-फिरने पर चुभने जैसा दर्द और टीस होती है। जोड़ों में जकड़न आ सकती है।
जोड़ों को ढकने वाली झिल्लियां साइनोवियल द्रव नामक तरल पदार्थ का रिसाव करती हैं, जो जोड़ों के मूवमेंट के लिए लुब्रिकेंट का काम करता है और हमारे शरीर के विभिन्न जोड़ बिना दर्द के आसानी से हिलते-डुलते रहते हैं। जोड़ों के बीच एसिड क्रिस्टल के जमा होने पर साइनोवियल झिल्ली घिसने लगती है और सूख जाती है। नतीजतन, जोड़ फ्री होकर "मूव" नहीं कर पाते ,कभी-कभार तो हडि्डयों की सतहें भी घिस जाती है और आरथ्राइटिस की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। मरीज की कार्य क्षमता या तो आंशिक तौर पर घट जाती है या पूरी तरह खत्म हो जाती है। मॉडर्न मेडिकल साइंस में इलाज के तौर पर दर्द निवारक दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है, बीमारी का कोई इलाज नहीं बताया जाता। खानपान की आदतों में उचित बदलाव लाकर, उचित व्यायाम और नेचुरोपैथी इलाजों के द्वारा आरथ्राइटिस की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण संभव है।

खान-पान की आदत बदलें
शरीर में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को न्यूट्रल करने के लिए खानपान में क्षारीय या अल्कली पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। फलों, हरी सब्जियों, दूध, बिना पॉलिश किए गए अनाज इत्यादि में अल्कली की मात्रा अधिक होती है ,जबकि पॉलिश किए गए अनाज, मांसाहारी खाद्य पदार्थों, तेल-मसाले वाले फास्ट फूड्स में एसिड की अधिकता होती है। अल्कली खाद्य पदार्थों के अधिक मात्रा में सेवन और एसिडिक पदार्थों के सेवन में कमी लाकर आरथ्राइटिस की रोकथाम संभव है। जोड़ों में जमा यूरिक एसिड क्रिस्टल को निकाल बाहर करने के लिए इलाज भी जरूरी है। प्रकृति प्रदत्त शहद,काला शीरा,एपलसाइडर विनेगर,एप्सम साल्ट जैसे पदार्थों में जोड़ों के बीच जमा क्रिस्टल को गलाने की अचूक क्षमता है।

एपल साइडर विनेगर
आरथ्राइटिस के इलाज में इसका सर्वाधिक योगदान होता है, परिणाम नजर आने में तीन से चार सप्ताह तक का समय लग सकता है। बीमारी अगर शुरूआती अवस्था में है, तो 1 से 2 सप्ताह में ही सुधार आना प्रारंभ हो जाता है। इसे दस मिली. की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार लें। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि खून में साइडर विनेगर का स्तर इतना हो जाए कि वह विभिन्न जोड़ों में जमा यूरिक एसिड को खून में घोल सके। बाद में यह यूरिक एसिड खून से किडनी द्वारा साफ होकर मूत्र मार्ग से मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है। कभी-कभी एपल साइडर विनेगर के सेवन से रोगी का दर्द बढ़ जाता है। यह दर्द अस्थाई होता है। जोड़ों में जमा यूरिक एसिड के हिलने-गलने से ऎसा होता है। दर्द तीन-चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। 4 से 5 सप्ताह तक इसका नियमित सेवन करें।

एप्सम सॉल्ट
आरथ्राइटिस के इलाज में एप्सम सॉल्ट का प्रयोग बाहरी तौर पर होता है। एप्सम सॉल्ट को गर्म स्नान के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। शरीर को सहन हो इतने गरम पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर स्नान करें। स्नान के लिए बाथ टब का प्रयोग ज्यादा बेहतर होता है। पांच मिनट नहाने के बाद शरीर को पोंछ लें। मौसम इजाजत दे, तो कंबल ओढ़कर सो जाएं , ताकि शरीर गर्म रहे और पसीना आ जाए। अगर बाथ टब की सुविधा नहीं है अथवा बाथ टब में स्नान करना सुविधाजनक नहीं हो, तो एक पतीले में पानी गर्म करके उसमें एप्सम सॉल्ट मिलाएं। इस पानी में पैरों को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें। इस दौरान पैरों को हल्का-हल्का मलते रहें। पानी की गर्मी और मालिश से त्वचा के रोम-छिद्र खुल जाते हैं और एप्सम सॉल्ट शरीर के अंदर से यूरिक एसिड को बाहर खींच लेता है। पैरों को पोंछ लें और ढंक दें। इसके बाद हाथ और कोहनी को भी डुबोएं। ध्यान रहे कि पानी गर्म ही रहे। 10 से 15 मिनट बाद हाथों को भी पोंछकर ढंक लें। ताकि पसीना आ जाए। दिन भर में तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। एप्सम साल्ट युक्त गर्म पानी में एक या कई तौलिए को भिगोकर सिलसिलेवार या एक साथ जोड़ों पर रखा जा सकता है। 10 से 15 मिनट बाद गीले तौलिए हटाकर जोड़ों को पोंछ लें और फौरन कुछ ओढ़कर सो जाएं। तुरंंत खुली हवा में न जाएं। इस प्रक्रिया के बाद जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है। यूरिक एसिड के सोखे जाने, उसके हिलने-डुलने से ऎसा होता है, जो थोड़े समय बाद ठीक हो जाता है।

इन बातों पर भी ध्यान दें
आरथ्राइटिस का इलाज शुरू करने से पूर्व किडनी, एसिडिटी और लिवर क्लींजिंग क्रमवार करें तो इलाज और भी प्रभावी होता है।

4 से 5 सप्ताह तक इलाज करें। संभव हो तो व्यायाम करें। जॉगिंग, चलना-फिरना, तैरना, साइकिल चलाना इत्यादि से साइनोवियल झिल्ली को मजबूती मिलती है।

व्यायाम धीमी गति और ध्यान से करें, ताकि जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव न पड़ें।


 

Health :अनेक रोगों की ऐक दवा

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Health :अनेक रोगों की ऐक दवा :-

कैंसर प्रतिरोधी + साईटिका + सर्वाइकल + गठिया + सर्दी + मार्निंग सिकनेस + पाँचना सम्बंधित + अदरक त्वचा को बनाता है आकर्षक व चमकदार
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पाचन की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं।
शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफी मददगार है।
भूख न लगना, पेचिश, खांसी-जुकाम आदि में लाभदायक है अदरक।
यह गर्भवती महिलाओं को मार्निग सिकनेस से निजात दिलाता है।

सर्दियों के मौसम में अदरक की चाय मिले, तो कहना ही क्या। लेकिन चाय समेत हमारे भोजन को जायकेदार बनाने वाला अदरक खूबसूरती को बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है। अदरक को आप फल-सब्जी या फिर दवा भी मान सकते हैं।

अदरक के चिकित्सीय गुणों की जानकारी पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आसानी से देखी जा सकती है। ब्‍लड शुगर को यह नियंत्रित भी करता है, इसके अलावा यह कैंसर जैसी घातक बीमारी के खतरे को भी कम करता है अदरक। आइए हम आपको गुणों से भरपूर अदरक के फायदे के बारे में बताते हैं।

अदरक के गुण
त्वचा को निखारे
अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवां दिखेंगे।

बीमारियों में रामबाण
दवा के रूप में अदरक का प्रयोग गठिया, आर्थराइटिस, साइटिका और गर्दन-रीढ़ की हड्डियों के रोग (सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस) में प्रमुखता से किया जाता है। इसके अलावा भूख न लगना, पेचिश, खांसी-जुकाम, शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज, कान में दर्द, उल्टी होना, मोच और मासिक धर्म की अनियमितता दूर करने में अदरक का प्रयोग किया जाता है।

कैंसर प्रतिरोधी
अदरक में कोलेस्ट्राल का स्तर कम करने, रक्त का थक्का जमने से रोकने, एंटी-फंगल और कैंसर प्रतिरोधी गुण भी पाए जाते हैं।

मार्निग सिकनेस से निजात
अदरक गर्भवती महिलाओं को होने वाली मार्निग सिकनेस (चक्कर आना, उल्टियां होना आदि) से निजात दिलाता है।

दर्द मिटाए चुटकी में
अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है।

इसलिए भी खास है अदरक
पाचन की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं। ऐसा करने से आपको बदहजमी नहीं होगी। इसके अलावा सीने की जलन दूर करने में भी अदरक मददगार साबित होता है।
अदरक में किसी भी चीज को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
शोध के मुताबिक अदरक का सत्व सल्मोनेला नामक जीवाणुओं को खत्म करने में काफी असरकारक है।
शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफी मददगार है।
यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया करीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा
 

Sehjan Beans

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Sehjan Beans

सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा