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Tuesday, March 3, 2015

Share Useful #Information ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी

#Share Useful Information ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी !!
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1. प्याज को काट कर बल्ब या ट्यूब लाईट के साथ बाँधने से मच्छर व
छिपकिली और मोर का पंख घर में कहीं भी लगाने से केवल छिपकिली
नही आती यह आजमाए हुए हैं.
2. दही को जल्दी और अच्छी जमाने के लिए रात को जमाते वक्त दूध में
हरी मिर्च का डंठल तोड़ कर डाल दे ! दही जबरदस्त जमेगी !
3. अगर सब्जी में नमक ज्यादा हो गया हो तो आटे को गूंथ कर उसके
छोटे - छोटे पेड़े ( लोइयां ) बना कर डाल दे नमक कम हो जायेगा.
4. यदि फ्रिज में कोई भी खुशबू या बदबू आती है तो आधा कटा हुआ निम्बू
रखने से ख़त्म हो जायेगी एक हज़ार बार अजमाया हुआ है जी.
5. चावल के उबलने के समय २ बूँद निम्बू के रस की डाल दे चावल खिल जायेंगे
और चिपकेंगे नही
6. चीनी के डब्बे में तीन या चार लौंग डालने से चींटी नहीं आती ।
7. बरसातों के दिनों में अक्सर नमक सूखा नही रह पाता वह सिल ( गीला गीला सा)
जाता है आप नमक की डिबिया में ४-५ चावल के दाने डाल दें बहुत कम उसमे सीलापन
आता है तब.
8. मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये
अलग रख दें।
9. आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे
का स्वाद बदल जाएगा।



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Monday, March 2, 2015

DISCOVERY Washing machine cycle

#DISCOVERY Washing machine cycle



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Thursday, February 26, 2015

GEETA-SAAR

GEETA-SAAR




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Thursday, February 19, 2015

Ayurvedik Health Benefits, Useful Information गोखरू

#Ayurvedik Health Benefits, Useful Information

गोखरू ::-----
* किसी भी औषधि विक्रेता से आप सौ ग्राम बडे गोखरू ले लीजिये, यदि न मिलें तो ये गाँव इत्यादि में भरपूर रूप से मिलते हैं, बस वो सुखाने पड़ेंगे, वैसे औषधि विक्रेता से मिल जायेंगे अवश्य ही!


अब आप इन सौ ग्राम गोखरू को साफ़ कर लें, झाड़ लें कपडे से, ताकि मिट्टी न बचे, आप धो भी सकते हैं, अब इनको पीस लीजिये, चाहे तो मिक्सर में ही पीस लीजिये, जब बारीक चूर्ण की तरह से हो जाएँ, तो एक तवे पर चार चम्मच चायवाले भरकर
देसी घी खौला लीजिये, और इन पिसे हुए गोखरू में डाल लीजिये, जब घी ठंडा हो जाए तो अब इस घी को मिला लीजिये इस चूर्ण में, और किसी डिब्बे में रख लीजिये, अब रोज रात को आधा चम्मच ये लीजिये, और आधा कप गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें, सोने से पहले, एक हफ्ते में अपनी रंगत और ताक़त देखिये! दाम्पत्य जीवन में जो लम्हों का होता था, अब दस गुना बढ़ जाएगा! शरीर में ताक़त, चेहरे में कांति, अलसायापन ख़तम, स्फूर्ति, चुस्ती और चहकने लगोगे! उम्र भले ही कोई हो!

बिना नागा, अर्थात कोई भी दिन खाली न जाए! अब चाहे व्रत हो अथवा स्वास्थय ही खराब हो!

* गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।

* इसके अलावा गोखरू का चूर्ण, आंवले का चूर्ण, नीम और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस बने हुए चूर्ण को रसायन चूर्ण कहा जाता है। इस चूर्ण को रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में दूध या ताजे पानी के साथ लेने से नपुंसकता, संभोग करने की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना, प्रमेह, प्रदर और मूत्रकृच्छ जैसे रोगों में लाभ होता है।

Uprokt jankareeyan social media se Lee gayee hain

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Ayurvedik Health Benefits, #Health, Useful Information जीरा रसोईघर की शान ---

#Ayurvedik Health Benefits, #Health, Useful Information


जीरा रसोईघर की शान ---
---ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आघा छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ पीएं। --डायबिटीज रोगियों को यह काफी फायदा पहुंचाता है।
--. कब्जियत की शिकायत होने पर जीरा, काली मिर्च, सोंठ और करी पावडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं। पेट साफ रहेगा और कब्जियत में राहत मिलेगी।
--- यदि आप नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त हैं तो एक छोटा चम्मच भुना जीरा पके हुए केले के साथ मैश करके रोजाना रात के खाने के बाद खाएं
---एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिये, एक चुटकी कच्‍चा जीरा ले कर मुंह में डाल कर खाने से फायदा मिलता है।
--नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है। साथ ही गर्भवती महिलाएं, जिन्‍हें इस समय खून और आयरन की जरुरत होती है, उनके लिये जीरा अमृत का काम करता है।
--जिनको अस्थमा , ब्रोङ्क्रइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है उन्हे जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप मे करना चाहिए ।
-- जो रक्ताल्पता के शिकार है वे एक टी स्पून जीरा पानी मे उबाल कर नित्य सुबह खाली पेट पिये ,इसमे लौह तत्व प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है ये शरीर मे हीमोग्लोबिन को सही रखने मे सहायक है । इसलिए एनीमिक व्यक्तियों को जीरा बहुत लाभकारी सिद्ध होता है ।
-- जो पाइल्स के शिकार हैं उन्हे भी सुबह खाली पेट कच्चा साबुत जीरा चबा कर खाने से लाभ मिलता है
-- तवे पर एक टी स्पून जीरा रोस्ट कर लें और इसे चबा कर नित्य खाने से याददाश्त अच्छी रहती है ।
-- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें।
-- इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा।
- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन
से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।
- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें।



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Ayurvedik #Health Benefits, Useful Information, उच्च रक्तचाप कम करे

#Ayurvedik #Health Benefits, Useful Information,

उच्च रक्तचाप कम करे ---
1.एक छोटा कटोरा दही रोज़ जमाएं और पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा करके इसका सेवन करें। दही शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम की मात्रा शरीर को प्रदान करता है। साथ ही, ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखती है।
२.उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि उसे नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये।
३.रक्त का गाढा होना भी उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है। रक्त गाढा होने से उसके प्रवाह में बाधा होती है। जिससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ़ जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बेहत कारगर है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देता और धमनी की कठोरता में लाभदायक होता है।


४.आंवला और शहद भी उच्च रक्तचाप मेंलाभ करता है। एक बडा चम्मच आंवला का रस और उतनी ही मात्रा में शहद मिलाकर सुबह - शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में फायदा होता है।
५.जब ब्लड प्रेशर बढ़ जाए तो आधा गिलास कुनकुने पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर घोलकर 2-2 घंटे के अंतर से पियें। ऐसा करने से जल्द ही ब्लड प्रेशर सामान्य स्थिति में आ जाता है।
६.तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लें और इसे पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम खाली पेट पानी से इसे लें। 3 से 4 हफ़्तों तक लें। लाभ होने पर आप इसका सेवन पहले भी बंद कर सकते हैं। इससे ब्लड प्रेशर सामान्य होता है।
7.रक्तचाप बढ़ा होने पर इसे जल्दी नियंत्रित करने के लिये आधे गिलास पानी में एक या आधा नींबू निचोडकर दो-दो घंटे के अंतर से पीते रहें। या तुलसी की दस और नीम की तीन पत्तियों को पानी के साथ खाली पेट सात दिनों तक लें तो अच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
८.बढ़ा हुआ वजन बीपी के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए रोज कुछ देर तो व्यायाम करें, अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। अपने बीपी का ब्योरा रखें और उपचार नियमित लें। और वजन को नियंत्रण में रखें।
९.धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा हो जाता है और इस वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे रक्त प्रवाह में बाधा होती है। लाल मिर्च के सेवन से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी होती हैं, और रक्त प्रवाह ठीक होता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है

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USEFUL INFORMATION #HEALTH #DENTIST

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दांतो के रोग---
बहुत बारीक पीसे सेंधा नमक को आधा चम्मच हथेली पर रखकर उसमें सरसों का तेल डालें .फिर हथेली को टेढी कर तेल की बूँदो से .उंगली से दांतो की हल्की-हल्की मालिश करें .तत्काल गुनगुना पानी से कुल्ला करें .ईस विधि प्रयोग से दांतो में मीठा .ठंढा .गर्म व खट्टा लगना बंद हो जायेगा
*-आँवला जलाकर उसमें थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर सरसो के तेल के साथ मंजन करने से पायरिया रोग दूर हो जायेंगे
*-इलायची .लौंग और खस के तेल को मिलाकर दांतो पर मलने से पायरिया रोग दूर हो जायेंगे
*-जीरा .सेंधा नमक .हरड़ .सेमल के काँटें .दालचीनी सभी सामान मात्रा में लेकर भून कर पीस लें .पाउडर को सरसो के तेल में मिलाकर दांतो पर मशाज करें .गुनगुने पानी से कुल्ला करें .पायरिया हमेशा के लिऐ दूर हो जायेंगे .दांत चमक जायेंगे .दांतो की तमाम बीमारी ठीक हो जायेंगे



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USEFUL INFORMATION : करेला के लाभ –

USEFUL INFORMATION : करेला के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।

लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।


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Tuesday, February 17, 2015

NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ? #SABDANA

#NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?  #SABDANA

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SABUDANA KE BAARE MEIN MENE YEH POST FACEBOOK SE LEE,
KUCH BATEN JANNNE SE BADA DUKH HUAA,
AGAR ISMEN JARA BHEE JHOOTH HAI TO SARKAR MEDIA KO ISKO SANGYAN MEIN LENE CHAIHYE, AURLOGO KO SACH SE AVGAT KARANA CHAHIYE.
AGAR YEH BAAT SACH HAI TO BHEE LOGO KE HAQIQAT SE WAKIF KARAYAA JAANA CHAHIYE,
VRAT / UPVAS KE DORAAN LOG SAHEE VA UCHIT CHEEJEN LE SAKEN, VA CHALE NA JAYEN IS BAAT KA DHYAN RAKHNA CHAHIYE
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साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?
आइये देखते हैं आपके पंसदीदा साबूदाना बनाने के तरीके को। यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसे है?


आमतौर पर साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत, उपवास में इसका बहुतायत में प्रयोग होता है, लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है। अब आपके मन में यह प्रश्न भी उठा होगा कि भला यह कैसे हो सकता है?


आइए देखते हैं साबूदाने की हकीक़त को, फिर आप खुद ही निश्चय कर सकते हैं कि आखिर साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी।

 

साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगत। यह कासावा या टैपियोका नामक कंद से बनाया जाता है। कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है, लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। केरल में इस पौधे को ‘कप्पा’ कहा जाता है। इस पौधे की जड़ को काट कर साबूदाना बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है। इस कंद में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है। यह सच है कि साबूदाना टैपियोका  कसावा के गूदे से बनाया जाता है, परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे किसी भी सूरत में शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।

तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुत सी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं, यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबू ने हमारा स्वागत किया।
तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को। साबूदाना विशेष प्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीट के बड़े गड्ढे में डाल देते हैं, सड़ने के लिए। महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है।


 

साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में पानी से भरी बड़ी-बड़ी कुंडियों में डाला जाता है और रसायनों की सहायता से उन्हें लंबे समय तक गलाया-सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है। रात में कुंडियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाए जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे-मोटे जहरीले जीव भी इन कुंडियों में गिर कर मर जाते हैं।


 यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुए साबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं। फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह से इसमें सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होेने का कार्य 5-6 महीनों तक चलता रहता है। 


दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है, जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लंबे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है। आज-कल कई जगह मशीनों से भी मसला जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट-पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद जो स्टार्च प्राप्त होता है उसे धूप में सुखाया जाता है। धूप में वाष्पीकरण के बाद जब इस स्टार्च में से पानी उड़ जाता है तो यह गाढ़ा यानी लेईनुमा हो जाता है। इसके बाद इसे मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर महीन गोलियों में तब्दील किया जाता है। यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होती है, जैसे बेसन की बूंदी छानी जाती है


 इन गोलियों के सख्त बनने के बाद इन्हें नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है। 

फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पाॅलिश किया जाता है

इतना सब होने के बाद अंतिम उत्पाद के रूप में हमारे सामने आता है मोतियों जैसा साबूदाना।  बाद में इन्हें आकार, चमक और सफेदी के आधार पर अलग-अलग छांट लिया जाता है और बाजार में पहुंचा दिया जाता है, परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह तो अब आप जान ही चुके होंगे।



आप लोगों की बातों में आकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें। साबूदाना बनाने का यह तरीका सौ प्रतीषत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है।

तो चलिये उपवास के दिनों में (उपवास करें न करें यह अलग बात है) साबूदाने की स्वादिष्ट खिचड़ी या खीर या बर्फी खाते हुए साबूदाने की निर्माण प्रक्रिया को याद कीजिए कि क्या साबूदाना एक खद्य पदार्थ है। ये छोटे-छोटे मोती की तरह सफेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।

भारत में इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीजों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका  उपयोग होता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग 1943-44 में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे, फिर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे। टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग 700 इकाइयां सेलम में स्थित हैं। साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।

साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा यह एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है


जब आपको साबूदाना का सत्य पता चल गया है, तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें। कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचाएँ



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Saturday, February 14, 2015

Types Of Fabrics in Sari, Salwar Suit and in Dress Material, Clothing

Types Of Fabrics in Sari, Salwar Suit and in Dress Material, Clothing


SILK: Silk has always been a very traditional fabric. The biggest advantage of silk saree is that they can be treasured for years. Silk coutures are usually vibrant in color edged with heavy borders and pallavs. Silk plays an important role in Indian weddings, festivals and other celebrations. Not only this, but these vibrant, traditional silk dresses can also be used as a beautiful wall hanging or curtains. Silk usually worn as an evening wear in winters. It is a formal delicate fabric which needs high maintenance. It is a soft fabric which is good for skinny people. Silk is basically strong and absorbent and holds in body heat. It has good affinity for dyes but may blend. Silk is wrinkle resistant which resist mildew and moths and are weakened by sunlight and perception. Silk is luxurious, lustrous fabric comes in many weights used for dresses, suits, blouses and linings. Silk is usually dry cleaned and if washable usually done by hand in mild sued. They should be ironed at low temperature settings. Bleaching should always be avoided.

ART SILK: Art silk is basically a type of viscose fabric which is dressy and shinny and proves to be a good drape. Art silk is lustre and is soft to touch. It is a perfect evening wear.

COTTON: Cotton fabrics are known for their transparency and crisp muslin-like finish, a joy to wear on a hot day. The lightness of the cloth, combined with wide and silky threadwork borders and elaborate pallus with supplementary ornamental threadwork, give the couture its unique evenness of drape. The biggest advantage of cotton is that it is weightless and airy, giving a comfortable feel. Cotton looks best when starched properly. The wearer looks best in these crisp starched cotton sarees in spring, yet basically cotton is a summer fabric. It is a skin-friendly, breathable fabric which can become crushed. Cotton looks very ethnic at formal business occasions or formal meetings. Many thin people choose cotton as it gives the wearer a fuller look. Cotton is strong even when wet. It is absorbent, and draws heat from the body. It has a good affinity for dyes, but may shrink unless treated well. Like any fabric, cotton is weakened by sunlight. Most cotton can be laundered. It is advisable to wash colorfast ones in hot water and others in cold water. Always iron while damp. Cottons can be washed at home or at a laundry, depending on how often they are worn. Expensive cottons should be dry cleaned. Some colors, like turquoise blue, shocking pink and black always bleed, and require special precautions when washed at home. Starch can reduce the longevity of cotton, but the beauty of this fabric lies in its crisp look!

SATIN: Satin is basically a soft and lustrous fabric with lycra and stretch. Satin is shinny in appearance and are available in all dark and light colors. Satin sarees are quite popular for brides’ wardrobe. For its shinny appearance they are also popular among its wearer at marriages, festivals, family functions and other occasions. Satin is definitely an evening wear with shinny and soft feel giving a slimming effect. It is a super smooth fabric which requires maintenance. Satin is moderately absorbent and holds body heat. Satin fabric dyes well but subject to atmospheric fading and tends to wrinkle. It resist stretching, shrinking and moths. These are luxurious fabrics with deep luster and excellent draping qualities. Satin accumulates static electricity. They are usually dry-cleaned. If washable, it can be done by hand. Soft iron is advisable. It usually has a lustrous surface and a dull back. Satin is also made in many colors, weights, varieties, qualities and degrees of stiffness.

GEORGETTE:Georgette is quite slippery in touch. The biggest advantage of georgette fabric is that they are durable and doesn’t need much care. Georgette generally have dull crinkled surface. These are heavier than chiffon fabric. It is a matt finish fabric which gives a slimming effect and a very good fall. Georgette requires mild or no ironing. One could find ideally evening wear in this fabric. Georgette is basically a summer and sheer sensuous fabric which gives a wearer a younger look.

CREPE:Crepe is a type of woven and knitted fabric with a wrinkled surface. Satin crepe apparels have the shinning effect of satin and crepe effect and give a perfect fall. Silk crepe, chiffon crepe is also few subtypes of crepes popularly used in women outfits. The biggest advantage of crepe is that they are light and weightless. Crepe gives a wearer a slimming effect. With a shiny finish it falls really well. Crepe is good for all seasons and thus crepe dresses have been all time favourite. Crepe gives a very soft feel which requires mild or no ironing. It is a dressy fabric which is mostly used as a light occasion wear. With some embellishments it can prove to be an ideal evening wear. Crepe dresses are moderately absorbent and holds in the body heat. It tends to wrinkle. It’s a luxurious fabric with deep luster and excellent draping qualities. It dyes well but subject to atmospheric fading. Crepe resists stretching, shrinking, moths and also accumulates static electricity. Usually crepe is dry cleaned. If washable, can be done by hand and a soft iron is required. Crepe has a crinkled, puckered surface or soft mossy finish. It comes in different weights and degrees of sheerness. It has very good wearing qualities.

FAUX:Faux is basically a very low-maintenance fabric where dry cleaning is not required for non-embellished fabrics. Faux fabrics are good for daily use. They are strong fabrics and can be washed at home. Faux fabrics are great work wear. These are both strain- and crush-resistant.

TISSUE:Tissue is basically a shinny crisp fabric with a rich look. It’s not a very drapy fabric. With a metallic shine, tissue apparels forms a perfect evening wear. It is always advisable to get them washed from professional dry cleaners as normal hand washing can put crinkles in the tissue. These outfits are bit expensive and need good pampering. Soft iron is required.

CHIFFON:Chiffon is soft sheer and has slightly rough feel. Chiffon couture is light weight, softer and thinner than georgette. They are quite popular among its wearer for its light weight and flows fits. Chiffon is quick at drying which gives slimming effect and a good fall but requires a lot of maintenance. Chiffon really proves to be a good evening wear making you look younger. Chiffon needs more care than other fabrics. Avoid pins with your chiffons. Never hang the chiffon dresses with heavy embroidery or borders as with the span of time the weight of zari can itself tear the dress. Chiffons should not be worn tightly as the cloth is very delicate. It wears very well.

VISCOSE:Viscose is actually a lower version of silk which is shiny in appearance. It’s not for daily wear. Viscose fabric can’t take abrasions. When embellished with different embroideries it proves to be a good evening wear.

SOFT CRUSH:Soft crush fabric is basically a blend of polyester. It is maintenance free where ironing is hardly required. It’s a light weight fabric which proves to be a good day wear.



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FACT #TEAM-WORK

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TEAM WORK WORKS  :)



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Precaution Bachhe Ki Jaan Gayee, Savdha Karen Aur Logo Ko Share Karen

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Friday, February 13, 2015

#FACT #USEFUL #MORAL BREAVEST STRONGEST HAPPIEST

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#JOKE : Facebook par Ajeeb Mansikta Se Ek Post Share Kee Gayee Thee, Jisem Kiran Bedi (BA, LLB n Ph D Philosophy Sponsored by Govt ko Kejriwa B. Tech IIT se Behtar Bataya Hai

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Sabse Pehlee Baar Hindustan Mein Sabse Kada Sangharsh IIT B Tech ke Entrance Ke Liye Hotaa Hai (Suvidhayen Bhee Selection Mein Role Play Kartee hain.

Baki IIT Kee Degree Log Sirf Naam Ke Liye / Thappa Lagaane Ke Liye Lene Bhaagte Hain.Jismen  Competition Bahut Kam Hotaa Hai. 
Dusre Kiran Bedi ne Ph D Philosophy se IIT 1993 Mein. kee , us Doaran Jab Ve Sarkari Sewa mein thee. Jab Aap Sarkari Sewa Mein Hote Hain to Kayee Jaghe Asanee Se Sponsor kar Diyaa Jaata hai.
Sachin Tendulkar bhee Jo High School Tak Pade Hain ko Bhee Ph D kee Degree Milee Huee hai.
Sabse Badee Baat Hai Ki Degree Vegree Politics mein Itnee Mehtvpoorn nahin, Jitna Imaandaar Pryas.
Lekin Kuch Log Moorkhta poorn Tulna kar Rahe hain to Likhnaa Padaa.


Kiran Bedi ki Ek Ghatna bhee kafee mashoor hai ki Unhone Apnee Ladkee Ko North East Kote se Delhi Medical College Mein Dhakhila Kara Diyaa, Jabki Unkee Ladkee ki Ruchi Kahin Aur Thee Aur Usne Baad Mein Journalism Mein Admission Le Liyaa. Medical kee ek ek seat hamaare desh mein achhaa sthan rakhtee hai, Aur Samanyta log sakht competition se gujar kar achhe college mein dhakhila mushkil se paate hain.

Kiran Bedi Ek Avsar Vadee Mahila hain, Unkee Haal Kee baton se to BJP vaale Bhee Khafaa Honge.
Kiran Bedi ne BJP tab join kee jab Unhe CM banne ka Laalach Milaa.

Abhee Haal mein Kiran Bedi ki haar huee aur jab mein unka Interview sun rahee thee to uska Ghatnakram is prkaar hai -

Kiran Bedi ji Aap Apnee Haar par Kya Pratikria Dengee, to Unhone Kaha Mein nahin haree, 
Ye BJP kee Haar hai.

I haven't lost, BJP has lost: Kiran Bedi's post-defeat message



Aur Haar ka Theekra BJP par fod rahee thee.

 Ye Vahee Kiran Bedi hain - Jo Kamjor Lokpal ke Liye BJP ko kos Rahee thee. Aur BJP ko RTI ke Dayre Mein Laane par Jor De rahee thee. 
Lekin Jab Unko CM banne ka Laalach Milaa to Sab Bhool Gayee.

 Kiran Bedi aur Kejriwal Dono Hee Satta Mein Aana Chahate the, ye baat pehle hee inke satta mein aane se pehle leak huee thee.
Anna Hazare Ek Imaandar Vyakti The, Jinhe Satta Ke Lobh Laalach se Koee Matlab nahin Thaa.

Ab Aate hain sabse mehtvpoorn baat par -
Hame Na Kejriwal se Matlab Hai Na Kiran Bedi se.

Bas System Imaandaar Aur Achhaa Hona Chahiye, Sab Log Apne Aap Sudhar Jayenge.

Ab Kejriwal Achha Kaam karte Hain, to Aage Badenge Warna Unke Bhee Kiran Bedi Jaisaa Hee Hasra Hogaa.
Avsar vadee Jyada Samay Nahin TikTe









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Monday, December 1, 2014

काम के घरेलु टिप्स

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काम के घरेलु टिप्स

सख्त नींबू को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है।
महीने में एक बार मिक्सर और ग्राइंडर में नमक डालकर चला दिया जाये तो उसके ब्लेड तेज हो जाते हैं।
नूडल्स उबालने के बाद अगर उसमें ठंडा पानी डाल दिया जाये तो वह आपस में चिपकेंगे नही।
पनीर को ब्लोटिंग पेपर में लपेटकर फ्रिज में रखने से यह अधिक देर तक ताजा रहेगा।
मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये अलग रख दें।
एक टीस्पून शक्कर को भूरा होने तक गरम करे। केक के मिश्रण में इस शक्कर को मिला दे। ऐसा करने पर केक का रंग अच्छा आयेगा।
फूलगोभी पकाने पर उसका रंग चला जाता है। ऐसा न हो इसके लिए फूलगोभी की सब्जी में एक टीस्पून दूध अथवा सिरका डाले। आप देखेगी कि फूलगोभी का वास्तविक रंग बरकरार है।
आलू के पराठे बनाते समय आलू के मिश्रण में थोड़ी सी कसूरी मेथी डालना न भूले। पराठे इतने स्वादिष्ट होंगे कि हर कोई ज्यादा खाना चाहेगा।
आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा।
दाल पकाते समय एक चुटकी पिसी हल्दी और मूंगफली के तेल की कुछ बूंदे डाले। इससे दाल जल्दी पक जायेगी और उसका स्वाद भी बेहतर होगा।
बादाम को अगर 15-20 मिनट के लिए गरम पानी में भिगो दें तो उसका छिलका आसानी से उतर जायेगा।
चीनी के डिब्बे में 5-6 लौंग डाल दी जाये तो उसमें चींटिया नही आयेगी।
बिस्कुट के डिब्बे में नीचे ब्लोटिंग पेपर बिछाकर अगर बिस्कुट रखे जाये तो वह जल्दी खराब नही होंगे।
कटे हुए सेब पर नींबू का रस लगाने से सेब काला नही पड़ेगा।
जली हुए त्वचा पर मैश किया हुआ केला लगाने से ठंडक मिलती है।
मिर्च के डिब्बे में थोड़ी सी हींग डालने से मिर्च लम्बे समय तक खराब नही होती।
किचन के कोनो में बोरिक पाउडर छिड़कने से कॉकरोच नही आयेंगे।
लहसुन के छिलके को हल्का सा गरम करने से वो आसानी से उतर जाते हैं।
हरी मिर्च के डंठल को तोड़कर मिर्च को अगर फ्रिज में रखा जाये तो मिर्च जल्दी खराब नही होती।
हरी मटर को अधिक समय तक ताजा रखने के लिए प्लास्टिक की थैली में डालकर फ्रिजर में रख दें



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Sunday, November 30, 2014

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दो हफ्ते में कम करें पेट:-

पेट कम करने के लिए खाना छोड़ने या कम खाना खाने की बजाय स्वस्थ व पौष्टिक आहार का सेवन करें। नियमित व्यायाम संतुलित आहार पेट की चर्बी कम करने में मददगार साबित हो सकता है। पेट की चर्बी से हर दूसरा व्यक्ति परेशान नजर आता है। यह समस्या काफी आम हो चुकी है। इसके लिए अपनी एक नियमित दिनचर्या बनाएं और गंभीरता से इसका अनुसरण करें। आइए जानें कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अपनाकर महज दो सप्ताह में ही बढ़े हुए पेट को कम किया जा सकता है।

जौ-चने की रोटी

भोजन में गेहूं के आटे की रोटी की जगह जौ-चने के आटे की रोटी का सेवन शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें। और इसी आटे की रोटी खाएं। इससे आप अतिरिक्त कॉर्बोहाइड्रेट लेने से बचेंगे और शरीर में अतिरिक्त कैलोरी भी जमा नहीं होंगी।

पानी में सौंफ

आधा चम्मच सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी में डाल दी जाए और 10 मिनट तक इसे ढककर रखा जाए और बाद में ठंडा होने पर पी लिया जाए। नियमित रुप से इसे लेने पर पेट जल्द कम होगा।

नारियल पानी

नारियल पानी इसमें अन्य फलों के मुकाबले ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स पाया जाता है। न तो इसमें अतिरिक्त शुगर की मात्रा होती है और न ही कोई कृत्रिम फ्लेवर पाया जाता है। इसमें बिल्कुल भी कैलोरी नहीं होती, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके अलावा यह शरीर को तुरंत स्फूर्ति देता है।
बॉल एक्सरसाइज

बॉल एक्सररसाइज करें जमीन पर पीठ के बल पर सीधा लेट जाए। अब हाथों पर एक्सरसाइज वाली बडी़ बॉल को हाथों में ले कर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। अब अपने हाथों की बॉल को अपने पैरों में पकड़ाएं और फिर पैरों को नीचे ले जा कर दुबारा बॉल ले कर ऊपर आएं। फिर पैरों से जो बॉल उठाई गई है उसे दुबारा हाथों में पकाड़ाएं। इस क्रिया को लगातार 12 बार करें।

पानी में शहद

शहद एक काम्पलेक्स शर्करा की तरह है, जो मोटापा कम करने में काफी हद तक मदद करता है। गर्म पानी में एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से कुछ ही समय में परिणाम दिखने लगते हैं, आप चाहें तो इसमें इस मिश्रण में एक चम्मच नींबू रस भी डाल सकते हैं।

पुदीने की चटनी

पुदीना की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाई जाए और चपाती के साथ सेवन किया जाए, असरकारक होती है।

खाने के बीच में पानी न पियें

खाना खाते समय ध्यान रखें कि बीच में कभी भी पानी न पीएं साथ ही खाना खाने के बाद भी पानी पीने से बचें। खाने के कम से कम 10-15 मिनट बाद गुनगुना पानी पियें। कुछ दिनों तक लगातार इस उपाय को अपनाएं और असर देखें।

लेमन टी या ग्रीन टी लें

दोपहर और रात के बीच में भूख लगने पर तले स्नैक्स खाने के बजाय ग्रीन या ब्लैक टी पीएं। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है, जो मस्तिष्क में रिलैक्सग केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।

जॉगिंग व मॉर्निंग वॉक

पेट कम करने के लिए सुबह-सुबह जॉगिंग या वॉक करना अच्छा माना जाता है। अगर आपको जॉगिंग में समस्या आ रही है तो तेज चाल से वॉक कर सकते हैं। नियमित रुप से मॉर्निंग वॉक आपको बढ़ते पेट से जल्द निजात दिला सकता है।


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!==ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी==!!

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!==ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी==!!
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1. प्याज को काट कर बल्ब या ट्यूब लाईट के साथ बाँधने से मच्छर व
छिपकिली और मोर का पंख घर में कहीं भी लगाने से केवल छिपकिली
नही आती यह आजमाए हुए हैं.
2. दही को जल्दी और अच्छी जमाने के लिए रात को जमाते वक्त दूध में
हरी मिर्च का डंठल तोड़ कर डाल दे ! दही जबरदस्त जमेगी !
3. अगर सब्जी में नमक ज्यादा हो गया हो तो आटे को गूंथ कर उसके
छोटे - छोटे पेड़े ( लोइयां ) बना कर डाल दे नमक कम हो जायेगा.
4. यदि फ्रिज में कोई भी खुशबू या बदबू आती है तो आधा कटा हुआ निम्बू
रखने से ख़त्म हो जायेगी एक हज़ार बार अजमाया हुआ है जी.
5. चावल के उबलने के समय २ बूँद निम्बू के रस की डाल दे चावल खिल जायेंगे और चिपकेंगे नही
6. चीनी के डब्बे में तीन या चार लौंग डालने से चींटी नहीं आती ।
7. बरसातों के दिनों में अक्सर नमक सूखा नही रह पाता वह सिल ( गीला गीला सा)
जाता है आप नमक की डिबिया में ४-५ चावल के दाने डाल दें बहुत कम उसमे सीलापन आता है तब.
8. मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये
अलग रख दें।
9. आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे
का स्वाद बदल जाएगा।



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Wednesday, November 26, 2014

Washing machines running without Electricity

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बिना बिजली की वाशिंग मशीन 
Bina bijli ki vashing machine, Washing machines running without Electricity


Desh Kee Khoj, Amazing, Useful Information,
बनारस (वाराणसी) में इंजीनि‍यरिंग के दो छात्रों ने मि‍लकर एक नई तकनीक वि‍कसि‍त कर कमाल कर दि‍या है। इसके माध्‍यम से अब वाशिंग मशीन में कपड़े धोने के लि‍ए बि‍जली का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।


बि‍न बि‍जली ही 20 से 30 मि‍नट में ढेर सारे कपड़े आसानी से साफ कर सकेंगे। यह वाशिंग मशीन साइकि‍ल के पैडल के जरि‍ए काम करती है। इससे मोबाइल भी चार्ज हो जाता है। वहीं, यह बि‍जली से चलने वाली वाशिंग मशीन से काफी सस्‍ती होगी। इस तकनीक को वि‍कसि‍त करने वाले दोनों युवक अशोका इंस्टि‍ट्यूट पहड़िया में मेकैनिकल इंजीनियरिंग, फाइनल ईयर के छात्र हैं। बता दें कि‍ अरविंद और दीपक बचपन में अपनी मां द्वारा ढेर सारे कपड़े रोज धोते देख काफी दुखी थे।


मां की परेशानी को देखकर उन्‍होंने ठान लि‍या कि बड़ा होकर उन्‍हें इंजीनि‍यर बनना है। इसके बाद एक ऐसी मशीन बनानी है, जो उनकी मां के लि‍ए हर तरह से लाभदायक हो। इसके लि‍ए उन्‍होंने 2010  में अपने दो साथियों धीरज और नवीन के साथ मिल कर यह सपना साकार करने की कोशिश शुरू की। परि‍णाम यह हुआ कि‍ मार्च 2014 में उनके मि‍शन को कामयाबी मिली। दीपक के पिता एक मामूली जनरल स्टोर चलाते हैं, जबकि‍ अरविंद के पिता इंजीनियर हैं।


यह वाशिंग मशीन बिजली से नहीं, बल्कि साइकिलिंग के जरिए चलेगी। इसके बकेट में बुली लगा है, जो कपड़ों को रोटेट (घुमाता) करता है। 20-30 मिनट चलाने पर 100-120 कैलोरी ऊर्जा शरीर में बनती है। एक बार में सात से आठ कपड़े धोए जा सकते हैं। पानी गिरा देने पर बुली ड्रायर का भी काम करता है। वाशिंग मशीन की ऊर्जा से मोबाइल भी आसानी से चार्ज किया जा सकता है। स्वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक, क्‍योंकि‍ इसमें साइकिलिंग व्यायाम भी हो जाता है।







-यह वाशिंग मशीन बिजली से नहीं, बल्कि साइकिलिंग के जरिए चलेगी।
-इसके बकेट में बुली लगा है, जो कपड़ों को रोटेट (घुमाता) करता है। 
-20-30 मिनट चलाने पर 100-120 कैलोरी ऊर्जा शरीर में बनती है।  
-एक बार में सात से आठ कपड़े धोए जा सकते हैं। 
-पानी गिरा देने पर बुली ड्रायर का भी काम करता है। 
-वाशिंग मशीन की ऊर्जा से मोबाइल भी आसानी से चार्ज किया जा सकता है। 
-स्वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक, क्‍योंकि‍ इसमें साइकिलिंग करनी पड़ती है।



क्या कहते हैं इंस्टि‍ट्यूट के डायरेक्टर: अशोक इंस्टि‍ट्यूट के डायरेक्टर अमित मौर्या ने बताया कि‍ वाशिंग मशीन के बकेट में बुली लगा है, जो कपड़ों को अंदर रोटेट करता है। साइकि‍ल के पैडल से बुली कनेक्टेड है। इससे आठ वोल्ट तक ऊर्जा भी जेनरेट (उत्‍पन्‍न) होती है। इससे मोबाइल आसानी से चार्ज किया जा सकता है। इस पर कुल लागत मात्र 1400 रुपए आई है। उन्‍होंने कहा कि‍ प्रतिभावान छात्रों के प्रोजेक्ट पर संस्‍थान आर्थिक मदद भी करता है।

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Saturday, November 15, 2014

Eye Donation

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Eye Donation

ऐश्वर्या राय 1 नवंबर 1973 (आयु 40)

ऐश्वर्या राय इस संसार से विदाई लेने के साथ अपनी आँखे दान करके जाएंगी
क्या आप भी अपने अंग संसार को देकर जाने का ख्याल रखते हैं ???




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Useful Information

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Useful Information

कैंसर" निवारण के लिये राजस्थान के जालोर जिले "उमरगाम" मे निशुल्क आयुर्वेदिक दवा दी जाती है ।
मरीज को वहाँ जाने की आवश्यकता नही है आप मरीज की सभी रिपोर्ट वहाँ इमेल करें । दवा कुरीयर द्वारा भेज दी जावेगी दवा प्रोफेशनल कुरियर पूरे देश मे निशुल्क पहुचाता है ।
यदि आप की जानकारी मे ऐसा कोई रोगी है तो कृपया उन्हे बताए व उनकी रिपोर्ट इमेल करे ।
धन्यवाद
किशनचंद

09377006186
email id. tarangelectric@gmail.com
मंगल चंद जी माणक चंद जी सेठ
भीनमाल जिला जालोर (राजस्थान)
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