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Saturday, November 22, 2014

Must Read, एक डोली चली एक अर्थी चली,

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एक डोली चली एक अर्थी चली,,

बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ,

बोली डोली तुम्हे किसने धोका दिया,

तेरा ये क्या किया ??

तू बता दे जरा मुझको ए दिल जली,

कहाँ तू चली...??

अर्थी बोली .......

चार तुझमे लगे, चार मुझमे लगे (कंधे)

फुल तुझपे सजे, फुल मुझपे सजे,

फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी,

तू पिया को चली मै प्रभु को चली ..!!

मांग तेरी भरी, मांग मेरी भरी ,

चूड़ी तेरी हरी, चूड़ी मेरी हरी ,

फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी..

तू जहाँ में चली, मै जहाँ से चली..!!

एक सजन तेरा खुश हो जायेगा ,

एक सजन मेरा मुझको रो जायेगा ,

फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी,,

तू विदा हो चली ....

मै अलविदा हो चली ...!!!
.. Very touching..

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किसी शायर ने खूब कहा है

रोज अपनी उमर भी बदलती है...
रोज समय भी बदलता है...
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते हैं...
बस एक ही चीज है जो नहीं बदलती...
और वो हैं हम खुद... और बस ईसी वजह से हमें लगता है कि अब जमाना बदल गया है...
किसी शायर ने खूब कहा है,

रहने दे आसमा, ज़मीन कि तलाश कर,
सबकुछ यही है, कही और न तलाश कर.

हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह कि तलाश कर,

ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,

बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,

क्या भरोसा है जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,

जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,



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