*अब तो समझिए....*
एक क्षण में *पैसा* कागज बन सकता है,
*सोना* मामूली धातु बन सकता है, *जमीन* सरकारी मिलकियत की हो सकती है,
लेकिन सिर्फ *रिश्ते-नातों* का मोल स्वयं भगवान भी कम नहीं कर सकते..
अर्थाभास के मुगालते से बाहर आएं और रिश्तों का मोल पहचाने,
*रिश्ते अनमोल है...*‼
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