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Saturday, October 8, 2016

डेटॉल से जानिये आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं Pregnancy Test in Home with Dettol

डेटॉल से जानिये आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं
Pregnancy Test in Home with Dettol, Bleach and Toothpaste
3 Methods - 1. Dettol , 2. Bleach , 3. Toothpaste

प्रेग्नेंट होना किसी भी महिला और उसके परिवार वालों खासकर उसके पार्टनर के लिए बहुत ख़ुशी की बात होती है। सबसे बड़ी बात कि प्रेग्नेंट होने के बाद, बिना प्रेग्नेंसी टेस्ट के, ज्यादातर महिलाओं इस बात की जानकारी खुद भी नहीं हो पाती कि वह प्रेग्नेंट है। हालाँकि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं, उनके लिए समय-समय पर प्रेग्नेंसी टेस्ट करना और उसके रिजल्ट पर नजर रखना बेहद उत्सुकता भरा होता है। वैसे तो चिकित्सा जगत में प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए, बहुत से प्रेग्नेंसी किट उपलब्ध हैं और अस्पतालों में भी डॉक्टर प्रेग्नेंसी टेस्ट कर आपको यह बता सकते हैं कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं। लेकिन क्या आप जानती हैं, कि आपके घर में भी कुछ ऐसी चीजें मौजूद हैं जिनसे आप बेहद आसानी से पता लगा सकती हैं कि हेल्थ सेतु के इस लेख से जाने आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं।



यदि आपको महसूस हो रहा है कि आपने गर्भधारण कर लिया है, लेकिन आप इस बात के लिए निश्चित नहीं हैं, और जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं, तो इसके लिए आप घर पर भी बिना किसी प्रेग्नेंसी किट के यह जान सकती हैं कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं।

डेटॉल से कैसे करें प्रेगनेंसी टेस्ट?

यह टेस्ट आपको सुबह करना है। सुबह सबसे पहले जब आप यूरिन के लिए जाएं, तो कम से कम 15 एमएल यूरिन को किसी शीशी में ले लीजिये। अब यूरिन में इतनी ही मात्रा में डेटोल लेकर उसमें मिला लीजिये। इसके बाद कुछ देर तक इस मिश्रण पर नजर रखिये। थोड़ी देर बाद यदि, डेटॉल और यूरिन जो आपस में मिक्स हो गया था, अलग-अलग हो जाते हैं और यूरिन, डेटॉल पर तेल की तरह तैरने लगता है तो समझ लीजिये कि आप प्रेग्नेंट हैं। लेकिन इसके बजाय यदि यूरिन और डेटॉल आपस में अच्छे से घुल जाते हैं और दूध सी सफेदी जैसा एक पदार्थ बन जाता है तो समझ लीजिये कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं।


हालाँकि सिर्फ ऐसा नहीं है कि डेटॉल से ही प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है। इसके अलावा भी कुछ ऐसी घरेलू चीजें हैं, जो जिनसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है। लेकिन अभी तक के नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि डेटॉल टेस्ट ज्यादा आसान और विश्वसनीय है।

डेटॉल के अलावा, ब्लीच और टूथपेस्ट भी ऐसी दो ऐसी चीजें हैं, जिनसे घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है। इनमें से ब्लीच से प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए, जब ब्लीच में यूरिन को मिलाया जाता है और यह मिश्रण झागदार बन जाता है तो यह पॉजिटिव प्रेग्नेंसी के संकेत हो सकते हैं। इसी तरह टूथपेस्ट को भी यूरिन में मिलाने पर यदि नीले रंग का झागदार तरल नजर आता है, तो यह सकारत्मक प्रेग्नेंसी का संकेत है।

यदि आप भी इस तरह से प्रेग्नेंसी टेस्ट करने की सोच रही रहीं, तो एक बात का ध्यान रखिये कि यदि आप यह जाँच सुबह के पहले यूरिन के साथ करती हैं, तो नतीजे सकारात्मक आने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। एक और जरूरी बात कि भले ही आप घर पर प्रेग्नेंसी के लक्षणों और घरेलू जाँच से इस बात के लिए निश्चिंत हो गई हों, कि आप गर्भवती हैं, लेकिन एक बार प्रेग्नेंसी को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से जाँच जरूर करवा लेनी चाहिए।




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Tuesday, February 23, 2016

अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन / Flex Seed Super Food

अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन / Flex Seed Super Food
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- जब से परिष्कृत यानी “रिफाइन्ड तेल” (जो बनते समय उच्च तापमान, हेग्जेन, कास्टिक सोडा, फोस्फोरिक एसिड, ब्लीचिंग क्ले आदि घातक रसायनों के संपर्क से गुजरता है), ट्रांसफेट युक्त पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा यानी वनस्पति घी (जिसका प्रयोग सभी पैकेट बंद खाद्य पदार्थों व बेकरी उत्पादनों में धड़ल्ले से किया जाता है), रासायनिक खाद, कीटनाशक, प्रिजर्वेटिव, रंग, रसायन आदि का प्रयोग बढ़ा है तभी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ी है। हलवाई और भोजनालय भी वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग भरपूर प्रयोग करते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं जिससे वह जहर से भी बदतर हो जाता है। शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं। पिछले तीन-चार दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-3 वसा अम्ल की मात्रा बहुत ही कम हो गई है और इस कारण हमारे शरीर में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल यानी हिंदी में कहें तो ॐ-3 और ॐ-6 वसा अम्लों का अनुपात 1:40 या 1:80 हो गया है जबकि यह 1:1 होना चाहिये। यह भी डायबिटीज का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के नियंत्रण हेतु आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक व दैविक भोजन अलसी को “अमृत“ तुल्य माना गया है।


अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है । अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते है।


- ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।


- आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।
- अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती, बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से सुरक्षा और उपचार भी करती है। अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। अलसी बी.एम.आर. बढ़ाती है, खाने की ललक कम करती है, चर्बी कम करती है, शक्ति व स्टेमिना बढ़ाती है, आलस्य दूर करती है और वजन कम करने में सहायता करती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांस-पेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।
- अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है। रक्त को पतला बनाये रखती है अलसी। रक्तवाहिकाओं को साफ करती रहती है अलसी।
- अलसी एक फीलगुड फूड है, क्योंकि अलसी से मन प्रसन्न रहता है, झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता है, पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है यह आपके तन, मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती है। अलसी के सेवन से मनुष्य लालच, ईर्ष्या, द्वेश और अहंकार छोड़ देता है। इच्छाशक्ति, धैर्य, विवेकशीलता बढ़ने लगती है, पूर्वाभास जैसी शक्तियाँ विकसित होने लगती हैं। इसीलिए अलसी देवताओं का प्रिय भोजन थी। यह एक प्राकृतिक वातानुकूलित भोजन है।


- सिम का मतलब सेरीन या शांति, इमेजिनेशन या कल्पनाशीलता और मेमोरी या स्मरणशक्ति तथा कार्ड का मतलब कन्सन्ट्रेशन या एकाग्रता, क्रियेटिविटी या सृजनशीलता, अलर्टनेट या सतर्कता, रीडिंग या राईटिंग थिंकिंग एबिलिटी या शैक्षणिक क्षमता और डिवाइन या दिव्य है।


- त्वचा, केश और नाखुनों का नवीनीकरण या जीर्णोद्धार करती है अलसी। अलसी के शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनाते हैं। अलसी सुरक्षित, स्थाई और उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है। त्वचा, केश और नाखून के हर रोग जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, सूखी त्वचा, सोरायसिस, ल्यूपस, डेन्ड्रफ, बालों का सूखा, पतला या दोमुंहा होना, बाल झड़ना आदि का उपचार है अलसी। चिर यौवन का स्रोता है अलसी। बालों का काला हो जाना या नये बाल आ जाना जैसे चमत्कार भी कर देती है अलसी। किशोरावस्था में अलसी के सेवन करने से कद बढ़ता है।
- लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर शरीर को बाहरी संक्रमण या आघात से लड़ने में मदद करती हैं और शक्तिशाली एंटी-आक्सीडेंट है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है। लिगनेन रजोनिवृत्ति जनित-कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है। लिगनेन दुग्धवर्धक है। लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।
- जोड़ की हर तकलीफ का तोड़ है अलसी। जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी का सस्ता और बढ़िया उपचार है अलसी। ­­ आर्थ्राइटिस, शियेटिका, ल्युपस, गाउट, ओस्टियोआर्थ्राइटिस आदि का उपचार है अलसी।
- कई असाध्य रोग जैसे अस्थमा, एल्ज़ीमर्स, मल्टीपल स्कीरोसिस, डिप्रेशन, पार्किनसन्स, ल्यूपस नेफ्राइटिस, एड्स, स्वाइन फ्लू आदि का भी उपचार करती है अलसी। कभी-कभी चश्में से भी मुक्ति दिला देती है अलसी। दृष्टि को स्पष्ट और सतरंगी बना देती है अलसी।


- अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
- 1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है। यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी। इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।
अलसी सेवन का तरीकाः- हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .
अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।

इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है। पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है। यह नाश्ते के साथ लें।
बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है। इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। तीन घंटे बाद छानकर पीएं। इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा। मूत्र भी खुलकर आने लगेगा।
इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है।
डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है। अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)




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Sunday, February 21, 2016

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं
Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

ओमेगा 3 एसिड का  सस्ता और बेहतरीन स्रोत है , ओमेगा 3  बादाम में भी पाया जाता है 

ओमेगा 3 बेड कोलेस्ट्रोल से लड़ने में सबसे असरकारी होता हो 

बाजार में यह 12 /14 रूपए प्रति 100 ग्राम मिलते हैं , और स्वाद भी अच्छा है । 

सुबह शाम एक एक चम्मच अलसी के बीज खाने से डायबिटीस , उच्च कोलेस्ट्रोल , हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर,सेक्स समस्यों   आदि तमाम बीमारियों से निजात मिलती है और 

शरीर का वजन नियंत्रण में भी बेहद उपयोगी है

अलसी से शरीर को होने वाले फायदे 

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं।

आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया


अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी से शरीर को होने वाले फायदों पर इतना ज्यादा यकीन करते थे कि उन्होंने इसे खाने के लिए एक कानून भी पारित करा दिया था। आज 1300 साल बाद विशेषज्ञों ने प्राथमिक शोध के आधार पर कहा कि चार्लेमगने का अंदेशा बिल्कुल सही था।
वैसे तो अलसी में सभी तरह के स्वस्थ तत्व पाए जाते हैं, पर इनमें से तीन ऐसे हैं, जो बेहद खास हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह फैट अच्छा होता है और दिल को सेहतमंद रखता है। एक चम्मच अलसी में करीब 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है।


See Flex Seeds Report Here ->>> http://ndb.nal.usda.gov/ndb/foods/show/3716?fgcd=&manu=&lfacet=&format=Abridged&count=&max=25&offset=&sort=&qlookup=flaxseeds

अलसी के बीज
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 530 किलो कैलोरी   2230 kJ
कार्बोहाइड्रेट    28.88 g
- शर्करा 1.55 g
आहारीय रेशा  27.3 g  
वसा42.16 g
संतृप्त  3.663
एकल असंतृप्त  7.527  
बहुअसंतृप्त  28.730  
प्रोटीन18.29 g
थायमीन (विट. B1)  1.644 mg  126%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.161 mg  11%
नायसिन (विट. B3)  3.08 mg  21%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.985 mg 20%
विटामिन B6  0.473 mg36%
फोलेट (Vit. B9)  0 μg 0%
विटामिन C  0.6 mg1%
कैल्शियम  255 mg26%
लोहतत्व  5.73 mg46%
मैगनीशियम  392 mg106% 
फॉस्फोरस  642 mg92%
पोटेशियम  813 mg  17%
जस्ता  4.34 mg43%
Source US DA Nutrient Database - http://ndb.nal.usda.gov/



अलसी से होने वाले स्वास्थ लाभ

1. कैंसर: हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है।

2. कार्डियो वेस्कुलर डिजीज: शोध से पता चला है कि अलसी में पाया जाने वाला प्लांट ओमेगा-3 जलन को कम और हृदय गति को सामान्य कर कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है। कई शोध से यह बात सामने आई है कि ओमेगा-3 से भरपूर भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड वेसल के आंतरिक परत पर चिपका देता है, जिससे धमनियों में प्लैक कम मात्रा में जमा होता है।

3. मधुमेह: प्राथमिक शोध से पता चला है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड सुगर लेवल बेहतर होता है।

4. जलन: फिट्जपैट्रिक की मानें तो अलसी में पाए जाने वाले एएलए और लिगनन जलन को कम करता है, जो कि पार्किंनसन डिजीज और अस्थमा को जन्म देता है। दरअसल यह कुछ प्रो-इंफ्लैमटॉरी एजेंट के स्राव को बंद कर देता है।जलन का कम होना धमनियों में जमा होने वाले प्लैक से संबंधित है। यानी कि अलसी हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स को भी रोकने में मदद करता है।

5. हॉट फ्लैश: 2007 में महिलाओं के मासिक धर्म पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इसमें कहा गया था कि दो चम्मच अलसी को अनाज, जूस या दही में मिला कर दिन में दो बार लेने से हॉट फ्लैश आधा हो जाता है। साथ ही हॉट फ्लैश की तीव्रता में भी 57 प्रतिशत तक की कमी आती है। सिर्फ एक हफ्ते तक लगातार अलसी का सेवन करने पर महिलाएं फर्क देख सकती हैं और दो हफ्ते में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल किया जा सकता है



घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी, दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी



तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय.
नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय.
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये..
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी.
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी..
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय.
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय..
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी.
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी..
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय.
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय..


1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है. यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है. उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी. इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी. उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया.
अलसी सेवन का तरीकाः- हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये. 30 ग्राम आदर्श मात्रा है. अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये. डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें. कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये. इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं.
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है. इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है. यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है.
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है. यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है. अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है. यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है. अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है. उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं.

अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है. पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है. अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें. स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा.

इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है. यह नाश्ते के साथ लें.


बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है. इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है.

अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें. तीन घंटे बाद छानकर पीएं. इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा. मूत्र भी खुलकर आने लगेगा.

इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है.

डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है. अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)

- स्वर्गीय राजीव दीक्षित

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1. अलसी
अलसी
अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें ओमेगा 3  एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। इसके प्रयोग से जुड़ें फायदों और नुकसान के बारे में हम आगे की स्लाइड में आपको विस्तार से जानकारी देंगे।

2. कैंसर से बचाव
कैंसर से बचाव
एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि अलसी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाव करता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन हार्माेन के प्रति संवेदनशील होता है।

3. हृदय से जुड़ी बीमारियां
हृदय से जुड़ी बीमारियां
अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 जलन को कम करता है और हृदय गति को सामान्य रखने में मददगार होता है। ओमेगा-3 युक्त भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड धमनियों की आंतरिक परत पर चिपका देता है।

4. मधुमेह को नियंत्रित रखता है
मधुमेह को नियंत्रित रखता है
अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

5. कफ पिघलाने में मददगार
कफ पिघलाने में मददगार
अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा। आगे हम अलसी के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बात करेंगे...

6. पेट की समस्याएं
पेट की समस्याएं
अलसी या कोई भी फ्लैक्सीड्स अधिक मात्रा में खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह अलसी में मौजूद लैक्सेटिव दस्त, सीने में जलन और बदहजमी जैसी पेट की समस्याएं भी बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन 30 ग्राम अलसी से ज्यादा सेवन न करें।

7. घाव भरने में देरी
घाव भरने में देरी
यदि आप अलसी का सेवन करते हैं और आपको कोई चोट लग जाती है तो अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा -3 खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ऐसे में आपके कोई चोट लगने पर खून बहना रुक नहीं नहीं पाता।

8. गैस की समस्या बढ़ जाती है
गैस की समस्या बढ़ जाती है
अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।

9. एलर्जी का कारण
एलर्जी का कारण
अलसी का अधिक मात्रा में सेवन एलर्जिक रिऐक्शन का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैंद्ध इसके सेवन से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।

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अलसी के लाभ जानकर हैरान रह जाएंगे आप


अलसी के बीजों की विलक्षणता के तीन पहलू हैं और ये तीनों हमें इस खाद्य के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पहला है ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स, दूसरा प्लांट एस्ट्रोजन/एंटी ऑक्सीडैंट्स और तीसरा फाइबर।

- अलसी हमारी पाचन शक्ति बढ़ाती है और हमारे शरीर को ऊर्जा देने में सहायता करती है।

- ये बीज शरीर में ताप पैदा करते हैं, जो सर्दी तथा बरसात में जुकाम-खांसी से राहत देने में सहायक होता है।

- अलसी के बीजों में फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के सही विकास  में सहायक होते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा उच्च होने के कारण कोलोन का स्वास्थ्य बरकरार रहता है और आंतडिय़ों की गतिविधि में सुधार होता है।

- अलसी के बीजों में ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं जो छाती में सूजन को कम करते हैं, हृदय रोगों से बचाते हैं और जोड़ों के दर्द, अस्थमा, डायबिटीज तथा कई किस्मों के कैंसर को भी रोकते हैं।

- अलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडैंट्स रक्त को शुद्ध करते हैं, त्वचा  तथा बालों को चमक देते हैं। ये शरीर की कई रोगों से सुरक्षा भी करते हैं।

- अलसी के बीजों में मौजूद फाइटो-एस्ट्रोजैन्स महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से लडऩे में सहायक होते हैं। माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को अत्यधिक पेट दर्द होता है, वे अलसी के बीजों से इस दर्द से राहत पा सकती हैं।

- एक छोटा चम्मच अलसी के बीजों को चबाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं तथा पैप्टिक अल्सर से छुटकारा मिल सकता है।


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Saturday, February 6, 2016

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी Garlik - Nectar on Earth

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी 
Garlik - Nectar on Earth


Lahsun ke Gharelu Nuskhe :लहसुन (अमृत फल) के  उपयोगी घरेलू नुस्खे

Lehsun ke Gharelu Nuskhe in Hindi


 लहसुन की उपयोगिता की पैरवी करने वाले कम से कम 4245 रिसर्च शोध पत्र हैं, जो दुनिया भर के तमाम अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स (शोध पत्रिकाओं) में प्रकाशित हो चुके हैं। इन तमाम शोध पत्रों के अध्ययन से पता चलता है कि लहसुन कम से कम 150 तरह के रोगों या लक्षणों जैसे कैंसर से लेकर डायबिटीज और दिल के रोगों, रेडिएशन के साईड इफेक्ट्स आदि के नियंत्रण में कारगर साबित हुआ है।

Home Remedies of Garlic in Hindi


खाली पेट लहसुन खाने से होते हैं ये चमत्‍कारी फायदे


लहसुन हर प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि लहसुन की एक कली हमारे अंदर पैदा होने वाले अनेको रोगों का नाश कर सकती है। यह कई बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार में प्रभावी है




जब आप कुछ भी खाने या पीने से पहले लहसुन खाते हैं तो आपकी ताकत बढ़ती है, तथा यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
सुबह खाली पेट लहसुन खाने से यह अधिक प्रभावकारी क्यों होता है? इससे बैक्टीरिया ओवरएक्सपोज़्ड हो जाते हैं तथा लहसुन की शक्ति से वे अपनी रक्षा नहीं कर पाते। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों की सूची कभी ख़त्म न होने वाली है


लहसुन बवासीर, कब्ज़ और कान दर्द के उपचार में भी सहायक है। यदि आप बवासीर और कब्ज़ के उपचार में इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो कुछ पानी उबालें तथा इसमें अच्छी मात्रा में लहसुन डालें

खाली पेट लहसुन खाना क्यों अच्छा होता है -
हाई बीपी से बचाए
कई लोगों का मानना है कि लहसुन खाने से हाइपरटेंशन के लक्षणों से आराम मिलता है। यह न केवल रक्त के प्रवाह को नियमित करता है बल्कि यह हृदय से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है तथा लीवर और मूत्राशय को भी सुचारू रूप से काम करने में सहायक होता है



डायरिया दूर करे
पेट से संबंधित समस्याओं जैसे डायरिया आदि के उपचार में भी लहसुन प्रभावकारी होता है। कुछ लोग तो यह दावा भी करते हैं कि लहसुन तंत्रिकाओं से संबंधित बीमारियों के उपचार में बहुत प्रभावकारी होता है, परंतु केवल तभी जब इसे खाली पेट खाया जाए।


भूख बढाए
यह पाचन प्रक्रिया को उत्तेजित करता है तथा भूख भी बढ़ाता है। लहसुन आपके तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। जब भी आपको घबराहट होती है तो पेट में एसिड बनता है। लहसुन इस एसिड को बनने से रोकता है



वैकल्पिक उपचार
जब डिटॉक्सीफिकेशन की बात आती है तो वैकल्पिक उपचार के रूप में लहसुन बहुत प्रभावी होता है। लहसुन इतना अधिक शक्तिशाली है कि यह शरीर को परजीवियों और कीड़ों से बचाता है, विभिन्न बीमारियों जैसे डाइबिटीज़, ट्युफ्स, डिप्रेशन तथा कुछ प्रकार के कैंसर की रोकथाम में सहायक सहायक होता है।


श्वसन तंत्र में मजबूती लाए
लहसुन श्वसन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक होता है: यह ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), अस्थमा, निमोनिया, ज़ुकाम, ब्रोंकाइटिस, पुरानी सर्दी, फेफड़ों में जमाव और कफ़ आदि रोकथाम तथा उपचार में बहुत प्रभावशाली होता है।


ट्यूबरक्लोसिस में लाभकारी
ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) में लहसुन पर आधारित इस उपचार को अपनाएँ। एक दिन में लहसुन की एक पूरी गाँठ खाएं। इसे कुछ भागों में बाँट लें तथा आपको जिस प्रकार भी पसंद हो इसे खाएं। यदि आप इसे कच्चा या ओवन में हल्का सा भूनकर खायेंगे तो अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे।

फेफड़े की बीमारी के लिये
यदि आपको ब्रोंकाइनल बीमारी से संबंधित किसी उपचार की आवश्यकता है तो यह अर्क बनायें। 7 औंस / 200 ग्राम लहसुन, 24 औंस / 700 ग्राम ब्राउन शुगर और 33 औंस/ 1लीटर पानी। पानी को लहसुन के साथ उबालें तथा फिर शक्कर मिलाएं। दिन में तीन चम्मच इसका सेवन करें।


सावधानी
यदि आपको लहसुन से किसी प्रकार की एलर्जी है तो दो महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें: कभी भी इसे कच्चा न खाएं तथा फिर भी यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई समस्या आती है, बुखार आता है या सिरदर्द होता है तो इसका सेवन करना छोड़ दें।


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लहसुन के कुछ उपयोगी घरेलू नुस्खे (Lahsun ke Upyogi Gharelu Nuskhe)

1. एक कप तिल के तेल में 8 लहसुन की कलियां डालकर गर्म करें और ठंडा होने पर कमर से लेकर जांघों तक इससे मालिश करें। इससे साइटिका में काफी फ़ायदा होता है।

2. आदिवासी अंचलों में इसे गैस और दिल के रोगों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। सूखे लहसुन की 15 कलियां 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबाल लें। इस पानी को इतनी देर उबालें कि पानी आधा रह जाए। इस पाक को जब गैस और दिल के रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है तो आराम मिल जाता है।

3. जिन लोगों को जोड़ों का दर्द या आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) होने की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

4. सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए तो घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते हैं।

5. हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो उन्हें रोजाना सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए, नमक और लहसुन का सीधा सेवन खून साफ करता है।

6. ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी होने पर भी नमक और लहसुन का समान मात्रा में सेवन करना चाहिए।

7. लहसुन के एंटीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, इसका सेवन बैक्टीरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है।

8. लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाएं। इसके आधे घंटे बाद आधा चम्मच मुलेठी पाउडर का सेवन करें। यह उपाय दो महीने तक लगातार करें। मान्यता है इससे दमा रोग जड़ से खत्म हो जाता है।

9. लौकी 50 ग्राम और लहसुन की कलियां 10 ग्राम लेकर पीस लें और इसे आधे लीटर पानी में उबालें।जब आधा पानी रह जाए तो छानकर कुल्ला करें। इससे दांत दर्द दूर होता है।

10. कान में कीड़ा चला जाने पर डांग- गुजरात के आदिवासी सूरजमुखी के तेल में लहसुन की दो कलियां डालकर गर्म करते है और फ़िर इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालते है, इनका मानना है कि इससे कीट बाहर निकल आता है
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लहसुन


वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
(अश्रेणिकृत) Angiosperms
(अश्रेणिकृत) Monocots
गण: Asparagales
कुल: Alliaceae
उपकुल: Allioideae
ट्राइब: Allieae
प्रजाति: Allium
जाति: A. sativum


लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में।

लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं



आयुर्वेद और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत , वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना , जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्त्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये।

लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, भारत 17,852 मीट्रिक टन (जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये है) का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8. 34 लाख टन हो गया है


Allium sativum, known as garlic from William Woodville, Medical Botany, 1793.




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पकाने का तरीका सही हो, तभी मिलेगा पौष्टिक भोजन

पकाने का तरीका सही हो, तभी मिलेगा पौष्टिक भोजन


पालकपालक को काटने से पहले धो लें। ज्यादा देर पकाने से पालक का 64 प्रतिशत विटामिन सी नष्ट हो जाता है, इसलिए इसे पकाते समय इसमें अलग से पानी न डालें। ढक कर आंच पर 2-3 मिनट से ज्यादा न पकाएं। इसमें आयरन काफी मात्रा में होता है।
साबुत अनाजसाबुत अनाज को रातभर कम पानी में भिगोएं। सुबह इसे हल्की आंच पर भाप में गला कर कम तेल-मसालों में पकाएं। इसमें मौजूद फायटिक एसिड हमारे लिए हानिकारक होता है। पकाने से इसकी मात्रा 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। अंकुरण से भी अनाजों में इसका स्तर कम हो जाता है।
नॉन वेजमांस, चिकन और मछली को कच्चा खाना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है, इसलिए इन्हें कच्चा खाया भी नहीं जाता। इन्हें पकाने के लिए बहुत कम पानी में भाप में गला लें। फिर इन्हें कम मसालों और तेल में पकाएं। अगर ज्यादा पानी में बनाएं तो उस पानी को सूप के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
अंडेअंडे को कभी भी कच्चा न खाएं। उबाल कर खाने से उसमें आयरन और बायोटिन की उपलब्धता बढ़ जाती है। इसके अलावा बैक्टीरियम सालमोनेला के संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। इसे तल कर या दूध में पका कर भी खाया जा सकता है।
लहसुन और प्याजप्याज और लहसुन में मौजूद लाभकारी सलेऑक्साइड तभी एक्टिवेट होता है, जब वह हवा के संपर्क में आता है। लहसुन और प्याज को पकाने से दस मिनट पहले काट कर रख लें। यह बीमारियों से बचाते हैं। कम ताप पर 30 मिनट तक प्याज और लहसुन को पकाएं।
ब्रॉकली और गाजरब्रॉकली को भाप में पकाएं, फिर स्टिर फ्राई करें। उसका हरा रंग बरकरार रहेगा। गाजर और ब्रॉकली को उबाल कर खाने से उनसे अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। पकी हुई गाजर में कच्ची गाजर से ज्यादा विटामिन ए, ल्युटिन और विटामिन होते हैं। पकी हुई ब्रॉकली में ज्यादा लाइकोपिन, विटामिन ए, फोलेट होता है।
टमाटरविटामिन सी से भरपूर टमाटर को पका कर खाने से उसे पचाने में आसानी रहती है। प्रोसेस्ड टमाटर में लाइकोपिन की मात्रा ताजे टमाटरों से अधिक होती है। इसे कच्चा खाने की बजाय पका कर खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। 
चावलचावल को उबालने के बाद उसका पानी न फेंकें। इसमें करीब 25 प्रतिशत विटामिन बी नष्ट हो जाता है। चावल को कम पानी में भाप में पकाएं। पके हुए चावल बहुत जल्द बैसिलस सेरेयस से संक्रमित हो जाते हैं और दोबारा गर्म करने पर भी यह नष्ट नहीं होते, इसलिए बासी चावल कतई न खाएं।
करेलाकड़वा करेला औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। भाप में कम मसालों के साथ पका कर खाना इसे पकाने का बेहतरीन तरीका है। कुछ लोग इसे उबाल कर सब्जी बनाते हैं। आप भी ऐसा करते हैं तो उबले पानी को न फेंकें। इसे हल्के से गुनगुने रूप में थोड़ा-सा नमक मिलाकर हर्बल टी के रूप में पी लें। रक्त संबंधी विकार दूर होंगे।
तेलतेल को ज्यादा देर गर्म न करें, क्योंकि 15 मिनट तक गर्म करने से उसके प्राकृतिक गुण नष्ट होने लगते हैं। इसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इससे कार्डियो वैस्कलर बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।
पके भोजन के फायदे- कच्चे भोजन में बैक्टीरिया होते हैं, जो पकाने से नष्ट हो जाते हैं।
- पकाने से भोजन नरम भी हो जाता है। इससे भोजन को चबाना, निगलना और पचाना आसान हो जाता है।
- पकाने से स्वाद बेहतर हो जाता है।
- पकाना खाने को आकर्षक बनाता है।
- इससे भोजन लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।
क्यों जरूरी है पकानायह भी हमारी एक गलत धारणा से ज्यादा कुछ नहीं है कि कच्चे फल और सब्जियां सबसे बेहतर होती हैं। वैसे यह सही है कि खाने को हम कितना भी सावधानीपूर्वक पकाएं, उसके 10-15 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट हो ही जाते हैं, लेकिन पकाने के फायदे भी हैं। इससे पाचकता सुधरती है और पोषक तत्व उस रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जो शरीर में आसानी से अवशोषित हो सके। कुछ खाद्य पदार्थों को पकाना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम उन्हें कच्चा नहीं खा सकते।
ताजगी है जरूरी  - ताजा भोजन करें। भोजन को बार-बार गर्म न करें।
- ताजे और मौसमी फल तथा सब्जियों का ही उपयोग करें।
- सब्जियों को काट कर कभी न धोएं। इससे विटामिन बी और सी नष्ट हो जाते हैं।
- फ्रिज में खाद्य पदार्थों को 4 डिग्री सेंटिग्रेट पर रखें। फ्रोजन फूड को 18 डिग्री पर और डिब्बा बंद को सूखे और ठंडे स्थान पर रखें।
रखें ख्याल
- पकाने से पहले सब्जियों को पानी में न भिगोएं। पोषक तत्व नष्ट हो जाएंगे।
- उन्हें कम पानी में पकाएं। पानी की मात्र जितनी कम होगी, उतने ही कम पोषक तत्व नष्ट होंगे।
- भोजन को ज्यादा देर न पकाएं। जितनी देर पकाएंगे, उसके पोषक तत्व उतने ही ज्यादा नष्ट हो जाएंगे।


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Thursday, January 28, 2016

कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट How To Reduce Cholesterol : Diet which reduces cholesterol level

कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट

How To Reduce Cholesterol : Diet which reduces cholesterol level


आजकल के समय में कोई भी बैड-कोलेस्ट्रॉल नामक शब्द से अनजान नहीं है। बैड कोलेस्ट्रॉल का मतलब है एलडीएल यानि लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन। ये व्यक्ति के दिल में पाया जाने वाला एक ऐसा चिपचिपा पदार्थ है, जिसकी अधिकता के कारण दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा रहता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, आजकल विश्वभर के लगभग सभी देशों में तकरीबन 3 युवाओं में से एक को एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो रही है। अगर हम अपनी दिनचर्या में बदलाव करें और सही डाइट लें तो इस बीमारी से छुटकारा पाना मुश्किल नहीं है।


कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो रोज लें ये 10 डाइट
1. ओट्स




सुबह के समय नाश्ते में ओट्स खाना स्वस्थ दिन की शानदार शुरुआत है। 6 हफ्ते तक सुबह नाश्ते में प्रतिदिन ओट्स का दलिया लेने से एलडीएल को 5.3% तक घटा सकते हैं।

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2. रेड वाइन




जो लोग वाइन पीने का शौक रखते हैं, उनके लिए अच्छी खबर है। हफ्ते में 2 बार थोड़ी सी रेड ग्रेप वाइन पीना कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे मदद करता है
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3. साल्मन फिश



जो लोग मछली खाते हैं उनके लिए भी कोलेस्ट्रॉल को घटाना आसान है। दरअसल, हमारे शरीर को स्वस्थ फैटी एसिड और अमीनो एसिड की जरूरत होती है।

शरीर को एनर्जी और विटामिन-डी देने के अलावा साल्मन फिश में स्वस्थ फैटी एसिड और अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में उपयोगी हैं।
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4. ड्राई फ्रूट्स


अब आप हर रोज मुट्ठी भर सूखे मेवे बिना किसी चिंता के खा सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की मानें तो सूखे मेवे खाना हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि इनमें प्रोटीन फाइबर और विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होते हैं।

साथ ही मेवों में स्वस्थ फैटी एसिड भी पाया जाता है जो केमिकल्स में प्रोसेस नहीं होता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी असरदार है।
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5. अंकुरित दालें



अंकुरित दालों को अगर दिल का दोस्त कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अपने दिन के खाने में कम से कम आधा कप बीन्स जैसे राजमा, चने, मूंग, सोयाबीन और उड़द को आप सूप, सलाद या सब्जी किसी भी रूप में ले सकते हैं।

अंकुरित दालों का रोजाना सेवन बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है
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6. ग्रीन टी


ग्रीन टी में कॉफी की तुलना में काफी कम कैफीन पाई जाती है। साथ ही शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने और स्वस्थ रखने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट भी ग्रीन-टी में ज्यादा होते हैं। 

रोजाना ग्रीन-टी पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करना आसान हो जाता है




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7. डार्क चॉकलेट



डार्क चॉकलेट खाना भी कोलेस्ट्रॉल कम करने में उपयोगी है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स से रक्त नलिकाएं मजबूत बनती हैं। जिससे दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है


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8. हरी पत्तेदार सब्जियां



हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए, बी, सी के साथ आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है। 

ये सभी पोषक तत्व शरीर को सेहतमंद बनाने के साथ-साथ रक्तसंचार दुरुस्त करते हैं, जिससे दिल सुगमता से अपना काम करता है
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9. ऑलिव ऑयल


ऑलिव यानि जैतून के तेल में पका हुआ खाना कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त रहता है क्योंकि इसमें बना खाना हल्का और सुपाच्य होता है और साथ ही उसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं
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10 लहसुन


लहसुन का नियमित सेवन रक्तचाप, रक्तसंचार और ब्लड शुगर स्तर को सामान्य रखने के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी उपयोगी है



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मोटापा कम कीजिए

यदि आपका वजन बहुत ज्‍यादा है तो उस पर नियं‍त्रण कीजिए, खासकर अपने कमर की चर्बी को कम कीजिए। इसके लिये आपको स्‍पोर्ट, एरोबिक्‍स क्‍लास या जिम ज्‍वाइन कर सकते हैं। ऐसा करने से आपका गुड कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ेगा और खराब कोलेस्‍ट्रॉल घटेगा।ढेर सारा पालक खाइए। माना जाता है कि पालक के साग में 13 फ्लेवनॉइड तत्‍व पाये जाते हैं जिससे कैंसर, हार्ट की बीमारी और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव होता है। इसलिए अगर कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ गया है तो रोजाना आधा कप पालक खाइए, इससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो प्राकृतिक रूप से दिल की बीमारी, हाई कोलेस्‍ट्रॉल और स्‍ट्रोक से दूर रखता है। यह अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ाता है और यदि आप मछली नहीं खाते हैं तो आप उसकी जगह पर अखरोठ, सोयाबीन और तिल के तेल का सेवन कर सकते हैं
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धूम्रपान छोडि़ये

स्‍मोकिंग से धमनियों की अंदर की परत नष्‍ट होने लगती है। सिगरेट में कार्सीनो‍जेन और काबर्न मोनो ऑक्‍साइड होता है जिससे खून में जल्‍दी कालेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। धूम्रपान करने से खराब कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है तथा अच्‍छा कोलेस्‍ट्रॉल घटने लगता है। इसलिए स्‍मोकिंग की आदत को अलविदा कहिए। एल्‍कोहल कंट्रोल में पीजिये। पुरुषों के लिये शराब की सीमित मात्रा दिन में एक या दो गिलास तक होती है और महिलाओं के लिये दिन में शराब का केवल एक गिलास। यदि आप इससे ज्‍यादा पियेंगे तो शरीर में वसा जमने लगेगा और कोलेस्‍ट्रॉल बढे़गा। इसलिए शराब को ज्‍यादा पीने से बचिए


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संतृप्‍त वसा कम करें

संतृप्त वसा को कम करें और ट्रांस फैट को छोडे़। इसके लिए आपको अंडे का पीला भाग, फ्राइड फूड, वसा वाला दूध और उससे बने उत्‍पाद और फैटी मीट आदि खाने से परहेज करना चाहिए। क्‍योंकि यह तेल आपके खराब कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं। रोजाना केवल 20 ग्राम तक संतृप्त वसा खाने की सलाह दी जाती है।रेगुलर एक्‍सरसाइज करने की आदत डालिए। हफ्ते में 4 दिन तो जम कर व्‍यायाम करना ही चाहिये। एक्‍सरसाइज से कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है और दिल की बीमारी पास नहीं आती। इसलिए नियमित रूप से कम से 40-60 मिनट तक व्‍यायाम कीजिए।


यदि आपके अंदर कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा बढ़ गई है तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्‍य कीजिए और उसके सलाह के अनुसार ही अपनी दिनचर्या बनाइए
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Saturday, November 28, 2015

How to purify your lungs in 72 hours

How to purify your lungs in 72 hours

Some people have lung problems even though they have never light a cigarette in their life, while other have been smoking for 40 years and their lungs work perfectly fine. All this depends on the person’s organism. In addition, we will present to you some advices on how to cleanse your lungs in three days. Before you start the detoxification process you need to “throw away” all dairy products because your body needs to get rid of diary products’ toxins.




The first day of the regime, drink a cup of herb tea before bedtime. It releases toxins in the intestine that can cause constipation. The lungs must not be overloaded with difficult work of any other part of the body during the purification.

Squeeze 2 lemons in 300 ml of water before breakfast.

Drink 300 ml of grapefruit juice. If you do not like the taste, you can always replace it with pineapple juice. These juices contain natural antioxidants that improve breathing systems.

Drink 300 ml of carrot juice between breakfast and lunch. This juice will help you to alkalize your blood during the three-day cleansing.

During lunch time you must drink 400 ml of juice rich in potassium. Potassium acts as cleansing tonic. Before going to bed make 400 ml of cranberry juice, which will help in the fight against bacteria in the lungs that can cause infections.

Body care and exercises

A daily 20-minute hot bath will allow the body through sweating to lose more toxins.
Put 5 to 10 drops of eucalyptus in a bowl of hot water. Place your head over the bowl and cover yourselves with a towel. Inhale the steam until the water cools off



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हृदयाघात से बचने का अचूक इलाज -ह्रदय नलियों से ब्लोकेज ख़त्म करने का अचूक आयुर्वेदिक इलाज

हृदयाघात से बचने का अचूक इलाज -ह्रदय नलियों से ब्लोकेज ख़त्म करने का अचूक आयुर्वेदिक इलाज 

ये याद रखिये की भारत मैं सबसे ज्यादा मौते - कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्टB अटैक से होती हैं

Ayurvedik Health Benefits

आप खुद अपने ही घर मैं ऐसे बहुत से लोगो को जानते होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे।
अमेरिका की कईं बड़ी बड़ी कंपनिया भारत मैं दिल के रोगियों (heart patients) को अरबों की दवाई बेच रही हैं !
लेकिन अगर आपको कोई तकलीफ हुई तो डॉक्टर कहेगा angioplasty (एन्जीओप्लास्टी) करवाओ।
इस ऑपरेशन मे डॉक्टर दिल की नली में एक spring डालते हैं जिसे stent कहते हैं।
यह stent अमेरिका में बनता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डॉलर (रू.150-180) है।
इसी stent को भारत मे लाकर 3-5 लाख रूपए मे बेचा जाता है व आपको लूटा जाता है।
डॉक्टरों को लाखों रूपए का commission मिलता है इसलिए व आपसे बार बार कहता है कि angioplasty करवाओ।
Cholestrol, BP ya heart attack आने की मुख्य वजह है, Angioplasty ऑपरेशन।
यह कभी किसी का सफल नहीं होता।
क्यूँकी डॉक्टर, जो spring दिल की नली मे डालता है वह बिलकुल pen की spring की तरह होती है।
कुछ ही महीनो में उस spring की दोनों साइडों पर आगे व पीछे blockage (cholestrol व fat) जमा होना शुरू हो जाता है।
इसके बाद फिर आता है दूसरा heart attack ( हार्ट अटैक )
डॉक्टर कहता हें फिर से angioplasty करवाओ।
आपके लाखो रूपए लुटता है और आपकी जिंदगी इसी में निकल जाती हैं

अब पढ़िए उसका आयुर्वेदिक इलाज- >>
...
अदरक (ginger juice) - यह खून को पतला करता है।
यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।
लहसुन (garlic juice) - इसमें मौजूद allicin तत्व cholesterol व BP को कम करता है।
वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।
नींबू (lemon juice) - इसमें मौजूद antioxidants, vitamin C व potassium खून को साफ़ करते हैं।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाते हैं।
एप्पल साइडर सिरका ( apple cider vinegar) -
इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।



इन देशी दवाओं को इस तरह उपयोग में लेवें :-
एक कप नींबू का रस लें;
एक कप अदरक का रस लें;
एक कप लहसुन का रस लें;
एक कप एप्पल का सिरका लें;
चारों को मिला कर धीमीं आंच पर गरम करें जब 3 कप रह जाए तो उसे ठण्डा कर लें;
उसमें 3 कप शहद मिला लें
रोज इस दवा के 3 चम्मच सुबह खाली पेट लें जिससे
सारी ब्लॉकेज खत्म हो जाएंगी।
आप सभी से हाथ जोड़ कर विनती है कि इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें ताकि सभी इस दवा से अपना इलाज कर सकें ;


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Tuesday, August 25, 2015

मिनटों में खूबसूरत दिखने के आसान नुस्खे त्‍वचा की खूबसूरती को निखारे खास देखभाल से। झुर्रियां त्‍वचा की खूबसूरती को कम करती है इससे बचें।

मिनटों में खूबसूरत दिखने के आसान नुस्खे
त्‍वचा की खूबसूरती को निखारे खास देखभाल से।
झुर्रियां त्‍वचा की खूबसूरती को कम करती है इससे बचें।
तैलीय त्वचा से छुटकारा पाकर त्‍वचा में लाएं निखार।
शहद का इस्‍तेमाल त्‍वचा में लाता है कसावट।
सुंदर दिखना हर किसी की चाहत होती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप मंहगे उत्पाद का प्रयोग करें या ब्यूटी पार्लर का रुख करें। चेहरे की खूबसूरती को निखारने के लिए जरूरी है कि आप इसका खास खयाल रखें। जानिए कुछ आसान उपाय जिनसे आपकी खूबसूरती बरकरार रहेगी।
asie nikhaare twachaझुर्रियों करें दूर-
एक चम्मच शहद में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती है।
चमक रखे बरकरार -
एक चम्मच गुलाबजल और एक चम्मच दूध के मिश्रण में दो तीन बूंद नींबू का रस मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की कोमलता व चमक बनी रहती है।
स्क्रबिंग के लिए
टमाटर का टुकड़ा लेकर चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें, चेहरे की सारी गंदगी साफ हो जाएगी। त्वचा को निखारने के लिए स्क्रबिंग बहुत जरूरी है। स्क्रब त्वचा की मृत कोशिकाओं, धूल इत्यादि को हटाकर रोमछिद्रों को बंद होने से रोकता है।
[इसे भी पढ़ें : त्‍वचा की देखभाल कैसे की जाये]
तैलीय त्वचा से पाएं छुटकारा-
एक चम्मच नींबू का रस में एक चम्मच गुलाब जल और पिसा हुआ पुदीना मिलाकर 1 घंटे रखें। फिर चेहरे पर लगाकर 20 मिनट बाद धो लें। इससे चेहरे का चिपचिपापन दूर हो जाएगा।
कैसे पाएं निखार -
त्वचा में निखार लाने के लिए थोड़े-से चोकर में एक चम्मच संतरे का रस, एक चम्मच शहद व गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर धो डालें।
शहद से पाएं त्वचा में कसावट -
चेहरे व गर्दन पर शहद लगाएं थोड़ा सा सूखने के बाद अंगुलियों से चेहरे पर मसाज करें। शहद के सूखने के बाद गुनगुने पानी से इसे साफ करें। इससे त्वचा में कसाव आएगा।
[इसे भी पढ़ें : उम्र के साथ सौंदर्य]
डार्क सर्कल से बचें-
आंखों के नीचे झुर्रियां व डार्क सर्कल से बचने के लिए बादाम के तेल में शहद मिलाकर लगाएं और इस हल्के हाथों से मलें और धो लें।
क्लीजिंग के लिए -
चेहरे से मेकअप को हटाने व धूल मिट्टी से बचाने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। इसके लिए चावल के आटे में दही मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे चेहरे एवं गर्दन पर अच्छी तरह मलें। इसके बाद चेहरा धो लें।
रुखी त्वचा से बचें-
नारियल के तेल में शहद और संतरे का रस मिला लें और इसे रुखी, फटी हुई त्वचा पर लगाएं। इस मिश्रण के सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें और हल्के हाथ से पोंछकर नारियल का तेल या कोई और मॉइश्चराइर लगा लें।
[इसे भी पढ़े: दूध से कैसे निखारें सौंदर्य]
यूं हटाएं चेहरे के दाग-धब्बे -
चेहरे पर काले दागों को हटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागों पर लगाएं इससे काले धब्बे साफ हो जाएंगे।
मुंहासों से पाएं छुटकारा -
आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुंहासे ठीक हो जाएंगे।





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आंखों पर चढ़ा मोटा चश्मा भी उतर जाता है, इन साधारण घरेलू नुस्खों से... 1. - पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं।

आंखों पर चढ़ा मोटा चश्मा भी उतर जाता है, इन साधारण घरेलू नुस्खों से...
1. - पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं। सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें व नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें, आंखों की कमजोरी दूर हो जाएगी।
2. - एक चने बराबर फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और रोजाना रात को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पांच बूंद आंखों में डालें। साथ ही, पैर के तलवों पर घी की मालिश करें। इससे चश्में के नंबर कम हो जाते हैं।
3- - आंवले के पानी से आंखें धोने से या गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ रहती है।
4. - बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को पीसकर पाउडर बना लें। रोज इस पाउडर को एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।
5. - बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूंद आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग में आराम मिलता है।
6- - सोया मिल्क में वसा कम और प्रोटीन अधिक होता है। इसमें फैटी एसिड, विटामिन ई पाया जाता है, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
7 - हरी सब्जियां और सलाद को भोजन में अधिक से अधिक शामिल करें। इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट आंखों को स्वस्थ रखते हैं।
8 - ड्रायफ्रूट्स को अपने भोजन में शामिल करने से शरीर को सही मात्रा में ऊर्जा मिलती है। साथ ही, ऐसे पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं, जो आंखों को स्वस्थ बनाते हैं।
9 - - आंखों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना विटामिन ए, बी व सी से भरपूर फलों व अन्य चीजों का सेवन करना चाहिए। गाजर, आंवला, अमरूद, पपीता आदि वे फ्रूट्स हैं, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।
10 - अपने रोजाना के खाने में लहसुन व प्याज शामिल करें। इनके सेवन से शरीर को सल्फर और पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं।
11- - आंखों के रोग जैसे पानी गिरना, आंखें आना, आंखों की दुर्बलता, आदि होने पर रात को आठ बादाम भिगोकर सुबह पीस कर पानी में मिलाकर पी जाएं। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर आंखों पर लगे चश्मे के नंबर कम हो जाते हैं।
12 - कनपटी पर गाय के घी की हल्के हाथ से रोजाना कुछ देर मसाज करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
13 - लघुपाठा नाम के पौधे की पत्तियों के
रस को नेत्र रोगों में प्रयोग कराने का विधान भी आयुर्वेद में बताया गया है।
14 - रोजाना दिन में कम से कम दो बार अपनी आंखों पर ठंडे पानी के छींटे जरूर मारें। रात को त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला) को भिगोकर सुबह उस पानी से आंखें धोने से आंखों की बीमारियां दूर होती है व ज्योति बढ़ती है।
15 - एक चम्मच पानी में एक बूंद नींबू का रस डालकर दो-दो बूंद करके आंखों में डालें। इससे आंखें स्वस्थ रहती है।
16- - आंखों पर चोट लगी हो, मिर्च मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो, आंख लाल हो, तो दूध गर्म करके उसमें रूई का फुआ डालकर ठंडा करके आंखों पर लगाएं आराम मिलेगा।
17 - 1 से 2 ग्राम मिश्री और जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से व लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंधी में फायदा होता है।
18. - ठंडी ककड़ी या कच्चे आलू की स्लाइस काटकर दस मिनट आंखों पर रखें। पानी अधिक पिएं। पानी कमी से आंखों पर सूजन दिखाई देती हैं। सोने से 3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से आंखे स्वस्थ रहती हैं।
19. गुलाब जल का फोहा आंखों पर एक घंटा बांधने से गर्मी से होने वाली परेशानी में तुरंत आराम मिल जाता है
20 - श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिन तक आंखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन भी मिटता है।
21 - हल्दी की गांठ को तुअर की दाल में उबालकर, छाया में सूखा लें। इस गांठ को पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आंख में काजल की तरह लगाने से आंखों की लालिमा दूर होती है व आंखें स्वस्थ रहती हैं।
22. - रात को सोने से पहले अरण्डी का तेल या शहद आंखों में डालने से आंखों की सफेदी बढ़ती है।
23. - नींबू व गुलाबजल को समान मात्रा में मिलाकर एक-एक घण्टे के अंतर से आंखों में डालने से आंखों को ठंडक मिलती है।
24. - केला और गन्ना खाना आंखों के लिए हितकारी है। रोजाना नींबू पानी पीने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है।
25 - - ग्रीन टी का सेवन भी आंखों के लिए अच्छा होता है। एक रिसर्च के अनुसार रोजाना लगभग पांच कप ग्रीन टी पीने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होते हैं, जिससे आंखें स्वस्थ रहती हैं।
26 - दूध व अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। इनके सेवन से आंखों को सही मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
27 - सूरजमुखी के बीजों का सेवन भी आंखों के लिए फायदेमंद होता है। इसके बीजों में विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा केरोटीन व एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसीलिए इसके सेवन से आंखों की कमजोरी दूर होती है।





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चेहरा चमकाना चाहते हैं तो करें टमाटर का उपयोग 1. टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।

चेहरा चमकाना चाहते हैं तो करें टमाटर का उपयोग
1. टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।
2. - सेब को पीस लें और इसमें कुछ मात्रा कच्चे दूध की मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो इसे धो लें। सप्ताह में कम से कम 4 बार ऐसा करने से काफी फायदा होता है।
3.- पान के एक पत्ते को पीस लें। इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। किसी भी हिस्से पर बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार करें। 3 महीने के भीतर निशान मिट जाएंगे।
4 - एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। पेस्ट तैयार हो जाएगा। इस पेस्ट को प्रतिदिन सुबह शाम कुछ देर के लिए काले निशानों पर लगाकर रखें। फिर धो लें, निशान दूर हो जाएंगे।
5 - - रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रस की समान मात्रा चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं। जबरदस्त फायदा होगा।
6 - हर्बल वैद्यों की जानकारी के अनुसार 1/2 कप पत्ता गोभी का रस तैयार करें। इसमें 1/2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से इसे धो लें, ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में प्राकृतिक रूप से खिंचाव आता है और यह झुर्रियों को दूर करने में मदद करता है।
7 - - रात सोने जाने से पहले संतरे के 2 चम्मच रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। चेहरे पर 20 मिनिट तक लगाए रखें। इसके बाद दूध में डूबोकर चेहरे की सफाई करें। ऐसा रोज करने से बहुत जल्दी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
8 - एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जल्द ही निशान दूर हो जाएंगे।
9 - रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रसको समान मात्रा में मिलाकर चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं तो जबरदस्त फायदा होगा और जल्द ही गहरे काले निशानों की छुट्टी हो जाएगी।



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केला और दही खाकर करें ब्लडप्रेशर कंट्रोल, ऐसे करें रोगों का बिना दवा इलाज

केला और दही खाकर करें ब्लडप्रेशर कंट्रोल, ऐसे करें रोगों का बिना दवा इलाज
1. दही का सेवन करें - दही का एक छोटा पॉट जमाएं और पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा करके इस पॉट के दही का सेवन करें। यू.एस की एक युनिवर्सिटी के अनुसार ये शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम की मात्रा शरीर को प्रदान करता है। साथ ही, ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है।
2. सप्ताह में एक बार करें ये काम - सप्ताह में एक बार वीकली जॉगिंग पर जाएं। सप्ताह में एक बार जॉगिंग पर जाने से लगभग 6 साल आयु बढ़ती है। कोपनहेगन में की गई एक हार्ट कार्डीवेस्कुलर स्टडी केअनुसार 20000 लोगों पर किए गए एक शोध के अनुसार साप्ताहिक जागिंग पर जाने से बहुत सारे सेहतमंद फायदे होते हैं। शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी से शरीर के ब्लड प्रेशर का स्तर नियंत्रित रहता है।
3. मेथी दाने से भी होता है फायदा - मेथी दाने के चूर्ण को रोज सुबह खाली पेट लेकर हाई ब्लड प्रेशर से बचा जा सकता है। खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाए। ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती। प्याज का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।
4. टमाटर भी होते हैं फायदेमंद - एक चिकित्सा अनुसंधान में बताया गया है कि लाल टमाटरों का उपयोग हाई ब्लड प्रेशर और ख़ून में पाए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होता है।इसीलिए हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को रोजाना खाने के साथ सलाद के रूप में टमाटर जरूर खाना चाहिए। टमाटर में विटामिन सी, थोड़ा सा फैट और खूब सारा आयरन होता है।
5. खसखस का ऐसे करें उपयोग - खसखस का सेवन भी ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। यह उपाय करीब एक महीने तक नियमित करें।
6 नमक का संतुलित सेवन करें - नमक का उपयोग भोजन में सभी को बहुत संतुलित मात्रा में करना चाहिए। दरअसल, हम सिर्फ नमक अपने अनुसार ही भोजन में नहीं डालते बल्कि कुछ नमक प्राकृतिक रूप से कुछ सब्जियों में भी होता है। इसीलिए लो ब्लड प्रेशर व हाई ब्लड प्रेशर दोनों के पेशेन्ट्स को संतुलित मात्रा में नमक का सेवन करना चाहिए।
7. तुलसी का रस लें- रोजाना 21 तुलसी के पत्तो या तुलसी का रस एक या दो चम्मच पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें।इसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं। ठंडे पानी से नहाने के बजाए गुनगुने पानी से नहाए। साथ ही, अधिक नमक व अधिक चीनी का इस्तेमाल हानिकारक है।
8. केला खाना भी होता है लाभदायक - पोटेशियम की अधिकता वाले फल का सेवन ब्लड प्रेशर पेशेंट्स के लिए बहुत अधिक लाभदायक होते हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के एक नए शोध के अनुसार पोटेशियम वह महत्वपूर्ण तत्व है जो लो-ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
9. चुकंदर वरदान है - हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना है तो आपको वैज्ञानिकों की सलाह मानकर रोजाना एक गिलास चुकंदर का जूस पीना चाहिए।रीडिंग यूनिवर्सिटी में एक अध्ययन में पाया गया कि सब्जियों के जूस की एक छोटी सी खुराक ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि सब्जियों का 100 ग्राम जूस भी कम से कम चार घंटे के लिए ब्लड प्रेशर कम कर सकता है।
10 किशमिश को खाएं इस तरीके से - 32 किशमिश लेकर एक चीनी के बाउल में पानी में डालकर रात भर भिगोएं। सुबह उठकर भूखे पेट एक-एक किशमिश को खूब चबा-चबा कर खाएं,पूरे फायदे के लिए हर किशमिश को बत्तीस बार चबाकर खाएं। इस प्रयोग को नियमित बत्तीस दिन करने से लो ब्लडप्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी




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Sunday, June 21, 2015

अंतरराष्ट्रिय योग दिवस 21 जून / International Yoga Day 21st June

अंतरराष्ट्रिय योग दिवस 21 जून / International Yoga Day 21st June

आसन कहां और कैसे करें

- खुले में ताजा हवा में योगासन करना बेहतर है। अगर ऐसा मुमकिन नहीं हो, तो कहीं भी (एसी में भी) कर सकते हैं।




- जहां योगासन करें, वहां माहौल शांत होना चाहिए। शोर-शराबा न हो। हल्की आ‌वाज में मन को शांत करनेवाला म्यूजिक चला सकते हैं।

- सीधे फर्श पर न करें। जमीन पर योगा मैट, दरी या कालीन बिछाकर योग करें।

- थोड़े ढीले कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर रहता है। टी-शर्ट व ट्रैक पैंट आदि में भी कर सकते हैं।

- आसन धीरे और तेजी, दोनों तरह से करना फायदेमंद है। जल्दी करें तो कार्डियो (दिल के लिए अच्छा) और धीरे व रुककर करें तो स्ट्रेंथनिंग (मसल्स के लिए बढ़िया) एक्सर्साइज होती है।

- योगासन आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उन हिस्सों पर लगाएं, जहां आसन का असर हो रहा है, जहां दबाव पड़ रहा है। भाव से करेंगे तो प्रभाव जल्दी और ज्यादा होगा।

- योग में सांस लेने और छोड़ने की बहुत अहमियत है। इसका सीधा फंडा है : जब भी शरीर फैलाएं, पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या आगे की ओर झुकें, सांस छोड़ते हुए झुकें।

आसन कब करें
सुबह-शाम कभी भी, लेकिन भरे पेट नहीं। पूरा खाना खाने के 3-4 घंटे बाद और हल्के स्नैक्स के घंटे भर बाद योगासन कर सकते हैं। चाय, छाछ आदि तरल चीजें लेने के आधे घंटे बाद और पानी पीने के 10-15 मिनट बाद करना बेहतर रहता है। सुबह टाइम नहीं है तो रात में डिनर से आधा घंटा पहले कर लें।

बरतें ये सावधानियां
- योग में विधि, समय, निरंतरता, एकाग्रता और सावधानी जरूरी है।

- झटके से न करें और उतना ही करें, जितना आसानी से कर पाएं। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

- कमर दर्द हो तो आगे न झुकें, पीछे झुक सकते हैं।

- अगर हर्निया हो तो पीछे न झुकें।

- हार्ट की बीमारी/ब्लड प्रेशर वाले और शरीर से कमजोर व्यक्तियों को तेजी से योगासन नहीं करना चाहिए।

- 3 साल से बड़े बच्चे हल्के योग और प्राणायाम कर सकते हैं। मुश्किल आसन और क्रियाएं न करें।

- प्रेग्नेंसी में मुश्किल आसन, कपालभाति कतई न करें। महिलाएं पीरियड्स के दौरान, नॉर्मल डिलिवरी के 3 महीने तक और सिजेरियन ऑपरेशन के 6 महीने तक न करें।

कॉमन गलतियां

फाइनल पॉश्चर तक पहुंचने में जल्दबाजी
किसी भी आसन के फाइनल पॉश्चर तक पहुंचने की जल्दबाजी न करें। अगर तरीका जरा भी गलत हो गया तो फाइनल पॉश्वर तक पहुंचने का कोई फायदा नहीं। फाइनल पॉश्चर तक नहीं भी पहुंच पा रहे, लेकिन तरीका सही है तो आप सही ट्रैक पर हैं। मंजिल पर पहुंचने में देर लगेगी, लेकिन पहुंचेंगे जरूर।

फौरन असर की उम्मीद
योगासन का असर होने में वक्त लगता है। फौरन नतीजों की उम्मीद न करें। खुद को कम-से-कम 6 महीने का वक्त दें और तभी तय करें कि असर हो रहा है या नहीं।

दवाएं छोड़ना
जब भी किसी बीमारी से छुटकारे के लिए योगासन करें तो एक्सपर्ट से पूछकर ही करें। अक्सर योगासन का असर फौरन नहीं होता है। ऐसे में तुरंत दवा बंद न करें। जब बेहतर लगे तो टेस्ट कराएं और फिर डॉक्टर की सलाह से ही दवा बंद करे।

कुछ भी खा सकते हैं
योगासन करते हैं तो भी खाने पर कंट्रोल जरूरी है। अगर हाई कैलरी और हाई-फैट वाला फूड या जंक फूड या तेज मिर्च-मसाले वाला खाना खाते रहेंगे तो योग का खास असर नहीं होगा।

सिर्फ रोग के लिए नहीं योग
लोग बीमारी का इलाज योगासन से करते हैं और फिर योगासन को छोड़ देते हैं। योगासन बीमारियों के इलाज करने के लिए नहीं है, बल्कि इसे लगातार किया जाना चाहिए जिससे कि बीमारियां हो ही ना।

अगर सिर्फ 10 मिनट का ही वक्त हो तो...
- 5 मिनट गर्दन, कंधों, कुहनियों, हाथों, कमर, घुटनों, पैरों, पंजों आदि की सूक्ष्म क्रियाएं (हर दिशा में घुमाना और स्ट्रेच करना) कर लें।
- 2-3 मिनट सूर्य नमस्कार कर लें।
- 3 मिनट अपनी जगह खड़े होकर ही जॉगिंग कर लें।

ऑफिस में करनेवाले योग
सूक्ष्म क्रियाएं : ऑफिस में 7-8 घंटे की ड्यूटी के दौरान 2 बार गर्दन, कंधों, कुहनियों, हाथों, कमर, घुटनों, पैरों, पंजों आदि की सूक्ष्म क्रियाएं (हर दिशा में घुमाना और स्ट्रेच करना) कर लें। 5 मिनट से ज्यादा नहीं लगेंगे।
ताड़ासन : बाथरूम या फिर अपनी सीट पर ही खड़े होकर ताड़ासन (पंजों के बल खड़े होकर दोनों हथेलियों को आपस में फंसाकर सिर के ऊपर जितना हो सके, खीचें।)
डीप ब्रीदिंग : जब भी थकान लगे, अपनी सीट पर ही आंखें बंद करें और लंबी-गहरी सांस लें और छोड़ें। 2-3 मिनट में भी मन रिलैक्स हो जाएगा।

रोजाना करें इनका अभ्यास

1. ताड़ासन
कैसे करें : दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जाएं। हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पैरों के पंजों पर शरीर का भार लाते हुए एड़ियां भी उठा लें। ऊपर उठे हाथों को अब थोड़ा सिर के पीछे की ओर ले जाएं, जिससे कमर के निचले हिस्से पर खिंचाव आने लगे। सांस सामान्य रखते हुए पूरे शरीर को ज्यादा-से-ज्यादा ऊपर की ओर जितना खींच सकते हैं, खींच कर रखें। चेहरे पर प्रसन्नता का भाव रखते हुए कुछ देर के लिए यहां रुक जाएं। इस पोजिशन में जब तक संभव हो रुकने के बाद सांस निकालते हुए हाथों को साइड से नीचे की ओर ले आएं। इसका अभ्यास दो से तीन बार करें।

लाभ : शरीर को सुगढ़ बनाता है। नर्वस सिस्टम को एक्टिव करता है और मांसपेशियों में लचीलापन लाता है। गर्दन दर्द व कंधे की जकड़न, ऑस्टियोपोरोसिस, स्लिप डिस्क, गठिया और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है। साथ ही, शरीर को तरोताजा बनाए रखता है। दिन में जब भी थकान लगे, इस आसन को करके हल्कापन महसूस कर सकते हैं। बच्चों की लंबाई बढ़ाने वाला है यह आसन।

सावधानियां : हड़बड़ाहट में न करें। पैरों पर बैलेंस बनाए रखें।

2. उर्ध्वहस्तोत्तानासन
कैसे करें : दोनों पैरों में एक-डेढ़ फुट का फर्क रख कर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को सामने लाकर दोनों की उंगलियों को आपस में फंसा लें और उन्हें ऊपर की ओर ज्यादा-से-ज्यादा उठाएं। बाजू कानों को छूनी चाहिए। अब हाथों को ऊपर की ओर खींचे और सांस निकालते हुए कमर से लेफ्ट साइड में झुक जाएं। घुटने न मोड़ें और एड़ी को भी ऊपर की ओर न उठाएं। ज्यादा-से-ज्यादा झुकने के बाद सांस की स्पीड और कमर के साइड में पड़ते हुए खिंचाव को अनुभव करें। जहां तक संभव हो, इस पोजिशन में रुकने के बाद सांस भरते हुए धीरे से पहले की स्थिति में वापस आ जाएं और दूसरी ओर झुककर भी ऐसा ही करें। 4-5 बार दोनों ओर से ऐसा कर लें।

लाभ : मोटापे को दूर कर शरीर को सुडौल बनाता है। कमर के साइड की फालतू चर्बी को कमकर कमर को पतला करता है। पैंक्रियाज को सक्रिय कर इंसुलिन को बनाने में सहायक है, जिससे डायबीटीज़ में लाभ मिलता है। यह लिवर और किडनी को भी मजबूत देता है। रीढ़ की हड्डी का टेढ़ापन, कमर दर्द, गर्दन दर्द व कंधे की जकड़न से रोकथाम करने वाला है यह।

सावधानी : कमर में ज्यादा दर्द रहता हो तो इसका अभ्यास न करें।

3. त्रिकोणासन
कैसे करें : खड़े होकर दोनों पैरों को ज्यादा-से-ज्यादा खोल लें। दोनों हाथों को कंधों के पैरलल साइड में उठा लें। लंबी-गहरी सांस भरें और सांस निकालते हुए कमर को लेफ्ट साइड में घुमाएं और आगे की ओर झुककर, उलटे हाथ से सीधे पैर के पंजे को छूने की कोशिश करें। अगर पंजा आसानी से छू पाएं, तो हथेली को पैर के पंजे के बाहर की तरफ जमीन पर टिका दें। साथ ही, सीधा हाथ कंधे की सीध में आकाश की तरफ उठाएं और ऊपर की ओर खींचे। नीचे वाला हाथ नीचे की तरफ और ऊपर वाला हाथ ऊपर की तरफ खिंचा रहेगा। गर्दन को ऊपर की तरफ घुमाकर ऊपर वाले हाथ की ओर देखें। सांस की गति सामान्य रखते हुए इस आसन में जब तक संभव हो, रुके रहें। फिर सांस भरते हुए धीरे से वापस आ जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर बदलकर करें। दोनों ओर से यह आसन 3-4 बार कर लें।

लाभ : कमर और गर्दन की मांसपेशियों को लचीला बनाकर उनकी ताकत बढ़ाता है। पैरों, घुटनों, पिंडलियों, हाथों, कंधों और छाती की मांसपेशियां लचीली बनी रहती हैं और कूल्हे की हड्डी को मजबूती मिलती है। पाचन तंत्र को बल मिलता है। कब्ज, गैस व डायबीटीज़ को दूर करने वाला है। शरीर को सुडौल बनाता है। नर्वस सिस्टम को स्वस्थ कर यह आसन मन व मस्तिष्क को बल देने वाला है। बच्चों की लंबाई बढ़ाने में भी यह विशेष सहायक है।

सावधानियां : जितने आराम से कमर को आगे झुकाकर मोड़ सकें, उतना ही करें। जल्दबाजी और झटके से बचें। गर्दन दर्द, कमर दर्द, साइटिका दर्द, ऑस्टियोपॉरोसिस, माइग्रेन, स्लिप डिस्क, पेट की सर्जरी और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज इसका अभ्यास न करें।

4. मंडूकासन
कैसे करें : वज्रासन में बैठ जाएं। हाथों की मुठ्ठियां बंदकर पेट पर रख लें। सांस निकालें और पेट अंदर की ओर दबाएं। मुठ्ठियों से भी पेट को दबाकर आगे झुक जाएं। सांस सामान्य रखकर सिर को थोड़ा उठा लें। कोहनियों को शरीर के साथ सटा कर रखें।

लाभ : मंडूकासन पैंक्रियाज़ को सक्रिय कर इंसुलिन बनाने में मदद करता है। इससे शुगर लेवल कंट्रोल होता है। यह पाचन तंत्र को बल देकर उससे जुड़े रोगों को ठीक करने वाला है। कब्ज, गैस, डकार, भूख न लगना, अपच, लिवर की कमजोरी, स्त्री रोग, हर्निया और अस्थमा में लाभकारी है।

सावधानियां : घुटनों में दर्द होने पर वज्रासन न करें। ऐसे में कुर्सी पर बैठकर यह आसन किया जा सकता है। अगर कमर दर्द रहता हो तो इस आसन में आगे न झुकें।

5. भुजंगासन
कैसे करें : पेट के बल लेट जाएं और हाथों को कंधों के नीचे रखकर कोहनियों को उठा लें। पीछे दोनों पैरों को मिलाकर रखें। अब सांस भरते हुए आगे से सिर और छाती को नाभि तक ऊपर उठाएं। इससे ऊपर नहीं। अब सिर को ऊपर की ओर उठाकर सांस की गति सामान्य रखते हुए जहां तक संभव हो रुके रहें। फिर सांस निकालते हुए धीरे से वापस आ जाएं। 2-3 बार ऐसा कर लें।

लाभ : यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और ऑस्टियोपॉरोसिस में लाभकारी है। लिवर, किडनी, फेफड़े और थायरॉइड ग्रंथि को बल देने वाला है।

सावधानियां : हर्निया या पेट में अल्सर हो या फिर पेट की सर्जरी हुई हो तो न करें।

6. नौकासन
कैसे करें : लेटकर दोनों हाथों को सिर के सामने सीधा कर आपस में जोड़ लें। पीछे दोनों पैर मिले रहेंगे। अब सांस भरते हुए दोनों हाथों को, सिर को ऊपर की ओर उठाएं और साथ ही पीछे पैरों को भी ऊपर की ओर उठा लें। हाथ व पैर को ज्यादा से ज्यादा ऊपर की ओर उठाने के बाद हाथों को आगे और पैरों को पीछे की ओर खींचें। सांस की गति सामान्य रखते हुए यथाशक्ति आसन में रुके रहें। फिर धीरे से हाथ और पैरों को वापस जमीन पर ले आएं। 2-3 बार ऐसा करें।

लाभ : रीढ़ की हड्डी के रोगों में बड़ा लाभकारी हैं। इससे नर्वस सिस्टम बेहतर होता है। पेट की मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और पाचन सुधरता है। आमाशय, लिवर, आंत, फेफड़े और किडनी आदि अंगों को भी बल देता है।
सावधानियां : हर्निया या पेट का ऑपरेशन, आंतों में घाव या पेप्टिक अल्सर हो तो न करें।

7. उत्तानपादासन
कैसे करें : पीठ के बल सीधे लेट जाएं। पैरों को आपस में मिला लें। हाथों को जंघाओं के पास जमीन पर रख लें। हथेलियों का रुख नीचे की ओर रहेगा। अब सांस भरते हुए दोनों पैरों को 60 डिग्री तक ऊपर उठाकर रुक जाएं। हथेलियां जमीन पर ही रहेंगी। सांस की गति को सामान्य रखते हुए प्रसन्नता के भाव से जब तक संभव हो, आसन में रुके रहें। कुछ देर रुकने के बाद आपको पेट के ऊपर कंपन अनुभव होने लगेगा। अब सांस निकालते हुए धीरे से बिना सर उठाए पैरों को नीचे ले आएं। ऐसा 2-3 बार करें।

लाभ : यह पेट के थुलथुलेपन को दूरकर मोटापा कम करता है। पेट की मांसपेशियों को मजबूती करता है। पाचन तंत्र को बेहतर करता है और दिल व फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखता है। लो ब्लड प्रेशर में लाभकारी है। बालों के झड़ने और सफेद होने से रोकने में भी मदद करता है।
सावधानियां : कमर दर्द, हर्निया और हाई बीपी की स्थिति में इसे न करें।

8. कटिचक्रासन
कैसे करें : दोनों हथेलियों को सिर के नीचे रख लें और दोनों पैरों को मोड़ लें। घुटने आपस में मिले रहेंगे। सांस निकालते हुए घुटनों को एक साथ लेफ्ट साइड में ले जाएं और गर्दन को राइट साइड में। सांस की गति सामान्य रखते हुए यथाशक्ति रुके रहें। यहां घुटने के साथ घुटने और एड़ी के ऊपर एड़ी रहेगी। सांस भरते हुए धीरे से वापस आ जाएं। ऐसे ही दूसरी ओर से करें। दोनों ओर से 3-3 बार कर लें।

लाभ : शरीर की जकड़न को दूर कर यह आसन कमर की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती लाता है। इससे नर्वस सिस्टम बेहतर होता है। यह पैंक्रियाज़ पर असर डालता है, इसिलए डायबीटीज में लाभकारी है। साथ ही, किडनी, लिवर, आंतें, मलाशय, मूत्राशय आदि पाचन तंत्र के अंगों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह कमर दर्द और साइटिका दर्द को दूर करने में भी लाभकारी है।

सावधानियां : कमर दर्द, हर्निया और हाई बीपी की स्थिति में इसे न करें।

9. पवनमुक्तासन
कैसे करें : पवनमुक्तासन के लिए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पेट की ओर लाएं और हाथों से पैरों को कसकर पकड़ लें। सांस निकालें। सिर उठाकर ठोड़ी को घुटनों के बीच रखें। अगर कमर या गर्दन में दर्द रहता हो तो सिर न उठाएं।

लाभ : यह कब्ज, गैस, भूख न लगना और लिवर की कमजोरी को दूर करने वाला है। डायबीटीज में भी लाभकारी है। इसके अभ्यास से मूत्रदोष, हर्निया, स्त्री रोग, कमर दर्द, अस्थमा और हृदय रोग में लाभ पहुंचता है।

सावधानी : कमर दर्द या गर्दन दर्द रहता हो तो इस आसन में सिर न उठाएं।

10. शवासन
कैसे करें : शरीर को ढीला छोड़ कर आराम से पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों में एक-डेढ़ फुट का अंतर रखें और दोनों हाथ शरीर से थोड़ी दूरी पर ढीले छोड़ दें। आंखें बंद कर अपने ध्यान को आती-जाती सांस पर ले आएं। अब ध्यान को शरीर के अंगों पर लाएं और नीचे से ऊपर प्रत्येक अंग को साक्षी भाव से महसूस करते जाएं। महसूस करें कि पूरा शरीर शव जैसा पड़ा है। न हिलता है, न डुलता है, बस आराम ही आराम है। उस वक्त मन में कोई विचार नहीं लाना है। कुछ देर आराम करने के बाद अपने ध्यान को सांसों पर लाएं। लंबी, गहरी सांस भरें व निकालें। अब हाथों और पैरों की उंगलियों में चेतना का अनुभव करें। धीरे-धीरे हाथों को उठाकर हथेलियों को आपस में रगड़कर आंखों पर रख लें। कुछ देर बाद हथेलियां हटा कर करवट लेते हुए धीरे से बैठ जाएं। इस आसन को 5-10 मिनट कर सकते हैं।

लाभ : मन को शांत करता है। थकान दूर करता है।

सावधानियां : जल्दबाजी न करें। आराम से करें। सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण एक्सरसाइज है। अगर आपके पास ज्यादा वक्त नहीं है तो सुबह 10 बार सूर्य नमस्कार करने से भी आपके पूरे शरीर की एक्सरसाइज हो जाएगी। इससे शरीर के सारे जोड़ खुल जाते हैं और फ्लैक्सिबिलिटी भी आती है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। यह इम्यून सिस्टम और हॉर्मोनल सिस्टम को बैलेंस करता है। मोटापा घटाने में भी यह लाभकारी है। इसमें कुल 12 आसन हैं, जिनका शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। सूर्य नमस्कार नीचे दिए तरीके से किया जा सकता है :

सूर्य नमस्कार
1. सबसे पहले दोनों हाथों को सीने पर जोड़कर (नमस्कार की तरह) सीधे खड़े हों।

2. सांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर कानों से सटाएं और कमर को पीछे की ओर स्ट्रेच करें।

3. सांस बाहर निकालते हुए और हाथों को सीधे रखते हुए आगे की ओर झुकें। हाथों को पैरों के राइट-लेफ्ट जमीन से स्पर्श करें। ध्यान रखें कि इस दौरान घुटने सीधे रहें।

4. सांस भरते हुए राइट पैर को पीछे की ओर ले जाएं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।

5. अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए लेफ्ट पैर को भी पीछे ले जाएं और दोनों पैर की एड़ियों को मिलाकर शरीर को ऊपर की ओर स्ट्रेच करें।

6. सांस भरते हुए नीचे आएं और लेट जाएं। पेट जमीन से थोड़ा ऊपर रहेगा। अब सांस छोड़ें।

7. शरीर के ऊपरी भाग को सांस भरते हुए उठाएं और गर्दन को पीछे की ओर स्ट्रेच करें। कुछ सेकंड तक रुकें।

8. अब सांस छोड़ते हुए हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं व सिर झुका लें। एड़ी जमीन से लगाएं।

9. दोबारा चौथी प्रक्रिया को अपनाएं लेकिन इसके लिए लेफ्ट पैर को आगे लाएं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाते हुए स्ट्रेच करें।

10. लेफ्ट पैर को वापस लाएं और राइट के बराबर में रखकर तीसरी स्थिति में आ जाएं यानी घुटनों को सीधे रखते हुए हाथों से पैरों के राइट-लेफ्ट जमीन से टच करें।

11. सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाकर ऊपर उठें और पीछे की ओर स्ट्रेच करते हुए फिर दूसरी अवस्था में आ जाएं।

12.फिर से पहली स्थिति में आ जाएं।

किस बीमारी में कौन-सा करें
मोटापा
आसन : सारे आसन फायदेमंद। सूर्य नमस्कार, शलभासन, हस्तपादासन, उर्ध्वहस्तोत्तानासन, कटिचक्रासन ज्यादा असरदार।
प्राणायाम : कपालभाति व भस्त्रिका।

दिल की बीमारी
आसन : ताड़ासन, कटिचक्रासन, एक पैर से उत्तानपादासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, बिलावासन (कैट पॉश्चर)
प्राणायाम : अनुलोम-विलोम, उज्जायी, भ्रामरी और ओम का जाप। कपालभाति और भस्त्रिका न करें।

डायबीटीज
आसन : उर्ध्वहस्तोत्तानासन, कटिचक्रासन (लेटकर), पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, वज्रासन, मंडूकासन, उड्यानबंध
प्राणायाम : कपालभाति, अनुलोम-विलोम, अग्निसार क्रिया। भस्त्रिका न करें।

जोड़ों का दर्द
कमर दर्द : उत्तानपादासन, अर्धनौकासन, कटि चक्रासन, एक पैर से पवनमुक्तासन, अर्धभुजंगासन, अर्ध नौकासन, कैट पॉश्चर।
गर्दन में दर्द : गर्दन की सूक्ष्म क्रियाएं।

डिप्रेशन
आसन : सभी आसन (खासकर सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, नौकास‌न आदि) फायदेमंद हैं।
प्राणायाम : नाड़ीशोधन, भ्रामरी के साथ बाकी प्राणायाम भी कारगर। मेडिटेशन खासकर असरदार।

नोट : यहां चंद योगासनों, प्राणायाम और ध्यान के तरीकों की जानकारी दी गई है। एक ही आसन, प्राणायाम या ध्यान को करने के दूसरे तरीके भी हैं। वे भी सही हैं। इसी तरह इनके अलावा और भी आसन, प्राणायाम और ध्यान हैं और वे भी कारगर हैं। आप किसी एक्सपर्ट से सीख कर ही आसन, प्राणायाम या ध्यान करना शुरू करें। किसी बीमारी की हालत में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

सावधानी : प्रेग्नेंट महिलाएं और कमर दर्द से पीड़ित इसे न करें। हाई ब्लडप्रेशर के मरीज धीरे-धीरे करें।





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