तीसरी बकरी
रोहित और मोहित बड़े शरारती बच्चे थे, दोनों 5th स्टैण्डर्ड के स्टूडेंट थे और एक साथ ही स्कूल आया-जाया करते थे।
एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब मोहित ने रोहित से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”
“बताओ-बताओ…क्या आईडिया है?”, रोहित ने एक्साईटेड होते हुए पूछा।
मोहित- “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”
रोहित- “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”
मोहित-” हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”
रोहित- “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा….”
मोहित- “हाहाहा…यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”
इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढ़ायी के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।
अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद मोहित बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-
पहली बकरी पे नंबर 1
दूसरी पे नंबर 2
और तीसरी पे नंबर 4
“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, रोहित ने आश्चर्य से पूछा।
मोहित हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीसरी नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”
अगले दिन दोनों दोस्त समय से कुछ पहले ही स्कूल पहुँच गए।
थोड़ी ही देर में स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।
कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, पहले, दूसरे और चौथे नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीसरे नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”
स्कूल का सारा स्टाफ तीसरे नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तालाशी ली। कुछ खोजू वीर स्कूल की छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।
तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!
आज सभी परेशान थे पर रोहित और मोहित इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।
*दोस्तों, इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है। पर...
* *इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए। तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे reality में होती ही नहीं!*
*_हम ऐसी लाइफ चाहते हैं जो perfect हो, जिसमे कोई problem ही ना हो…. it does not exist!_*
*_हम ऐसा life-partner चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..it does not exist!_*
*_हम ऐसी job या बिजनेस चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम smoothly चलता रहे…it does not exist!_*
*क्या ज़रूरी है कि हर वक़्त किसी चीज के लिए परेशान रहा जाए? ये भी तो हो सकता है कि हमारी लाइफ में जो कुछ भी है वही हमारे life puzzle को solve करने के लिए पर्याप्त हो….!!!!*
*ये भी तो हो सकता है कि तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही complete हों!*
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