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Thursday, July 7, 2016

स्म्रति ईरानी के डिमोशन / छोटा मंत्री बनाये जाने पर जे डी यु सांसद ने कर दी आपत्ति जनक टिपण्णी, बताया जा रहा है की स्म्रति के ख़राब कामकाज की वजह से अमित शाह नाराज चल रहे थे, और इसी के चलते छोटा कम महत्व का विभाग दे दिया गया

स्म्रति ईरानी के डिमोशन / छोटा मंत्री बनाये जाने पर जे डी यु सांसद ने कर दी आपत्ति जनक टिपण्णी,
बताया जा रहा है की स्म्रति के ख़राब कामकाज की वजह से अमित शाह नाराज चल रहे थे, और इसी के चलते छोटा कम महत्व का विभाग दे दिया गया 



 अली अनवर ने स्मृति ईरानी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. अनवर ने कहा था किकि ‘अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा.’

नई दिल्ली. मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी का पोर्टफोलियो बदले जाने पर जेडीयू सांसद अली अनवर ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है। अनवर से जब स्मृति का मंत्रालय बदने जाने पर पूछा गया तो उन्होंने कहा- अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा।’ ‘आप’ नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर बिना नाम लिए अनवर के बयान को अनैतिक बताया है। दूसरी ओर, स्मृति ने बुधवार को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ज्वॉइन की। इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा- कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...। क्या कहा अली अनवर ने....
 
 
बुधवार को एक चैनल ने जेडीयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर से स्मृति ईरानी का मंत्रालय बदले जाने पर सवाल किया। 


- जवाब में अली ने कहा, “अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा। वे विवाद ही पैदा कर रही थीं।”


- बाद में अली अनवर ने सफाई भी दी। हालांकि उनकी पार्टी की तरफ से इस मसले पर कुछ नहीं कहा गया है। 
- अनवर के बयान को आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने असभ्य-अशालीन व निन्दनीय टिप्पणी बताया है। उन्होंने कहा- राजनैतिक असहमति में "नैतिक" मर्यादा भूलना ज़्यादा अनैतिक होता है। 
आखिर क्यों बदला गया स्मृति का मंत्रालय?
 
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरएसएस और बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की नाराजगी की वजह से स्मृति का मंत्रालय बदला गया है। 
- रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल बेंगलुरु में बीजेपी की नेशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग में बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की स्मृति से नाराजगी साफतौर पर नजर आई थी। 
- शाह स्मृति की परफॉर्मेंस से खुश नहीं थे। शाह और आरएसएस को लगता था कि स्मृति के साथ जुड़ने वाले विवादों की वजह से मिनिस्ट्री के काम पर असर पड़ता है। 
- कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था कि स्मृति आरएसएस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थीं। हालांकि आरएसएस ने कभी खुले तौर पर इसका जिक्र नहीं किया। 
- सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह को लगता था कि स्मृति ने कई विवादों को ठीक तरह से डील नहीं किया। इसकी वजह से सरकार को दिक्कतें भी हुईं। 
 

 
ईरानी से जुड़े ये 10 विवाद भी बताए जा रहे पोर्टफोलियो बदले जाने की वजह

 
1- डिग्री विवाद 
 
स्मृति ईरानी के मंत्री बनते ही सबसे पहले उनकी डिग्री पर सवाल उठाए गए। आरोप लगा कि उन्होंने दो अलग-अलग चुनाव में अपनी डिग्री की अलग-अलग जानकारी दी। 
 
2- रोहित वेमुला और जेएनयू मामला
 
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की खुदकुशी और जेएनयू में कन्हैया कुमार वाले मामले में ईरानी अपोजीशन के निशाने पर आ गईं। उन्हें संसद में बयान तक देना पड़ा। ज्यादा जोश दिखाने पर अपोजीशन ने उन्हें “आंटी नेशनल’ तक कहा। 
 
3- संस्कृत में हो आईआईटी 
 
ईरानी ने कुछ दिन पहले IIT की पढ़ाई संस्कृत में कराने की सलाह दी थी। इस फैसले पर उनका खूब विरोध हुआ। संस्कृत को प्रमोट करने के लिए उन्होंने एक कमेटी भी बनाई थी।
 
4- डीयू ग्रेजुएट कोर्स विवाद
 
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में चार साल के ग्रेजुएट डिग्री कोर्स को तीन साल करने का आदेश दिया। स्मृति के मंत्री बनते ही UGC ने यह आदेश दिया था। हालांकि, विवाद बढ़ा तो आदेश वापस ले लिया गया।
 
5- जर्मन की जगह संस्कृत पढ़ाने का मामला
 
HRD मंत्रालय ने फैसला किया कि “केंद्रीय विद्यालयों’ में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को थर्ड लैंग्वेज बनाया जाए। विरोध हुआ तो यह फैसला भी वापस ले लिया गया।
 
6- आईआईएम बिल
 
HRD मिनिस्ट्री द्वारा लाए गए IIM बिल-2015 का भी जमकर विरोध हुआ। इस बिल को IIM की ऑटोनोमी के लिए खतरा बताया गया। बाद में तय हुआ कि इस बिल में बदलाव किया जाएगा।
 
7- आईआईटी डायरेक्टर का इस्तीफा
 
IIT-दिल्ली के डायरेक्टर आरके शेवगांवकर ने रिटायरमेंट से 2 साल पहले दिसंबर 2014 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि स्मृति ईरानी IIT के कामकाज में बेवजह दखल देती हैं।
 
8- काकोदकर के आरोप
 
न्यूक्लियर साइंटिस्ट अनिल काकोदकर ने IIT-मुंबई बोर्ड के चेयरपर्सन पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके लिए भी HRD मंत्रालय के दखल को जिम्म्दार बताया।
 
9- वेज-नॉनवेज के लिए अगल कैंटीन का मामला
 
IIT कैंटीन में विवाद में भी ईरानी का नाम आया। तब एजुकेशन मिनिस्ट्री ने IIT को वेजेटेरियन छात्रों के लिए अलग कैंटीन बनाने का निर्देश जारी किया था।
 
10- डियर विवाद

ईरानी की बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से ट्विटर पर हुई तकरार चर्चा में रही। ईरानी को चौधरी का डियर कहना पसंद नहीं आया। ईरानी ने ऑब्जेशन लिया, तो सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ही आड़े हाथों ले लिया।




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स्म्रति ईरानी के डिमोशन / छोटा मंत्री बनाये जाने पर जे डी यु सांसद ने कर दी आपत्ति जनक टिपण्णी,
बताया जा रहा है की स्म्रति के ख़राब कामकाज की वजह से अमित शाह नाराज चल रहे थे, और इसी के चलते छोटा कम महत्व का विभाग दे दिया गया 



 अली अनवर ने स्मृति ईरानी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. अनवर ने कहा था किकि ‘अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा.’

नई दिल्ली. मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी का पोर्टफोलियो बदले जाने पर जेडीयू सांसद अली अनवर ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है। अनवर से जब स्मृति का मंत्रालय बदने जाने पर पूछा गया तो उन्होंने कहा- अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा।’ ‘आप’ नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर बिना नाम लिए अनवर के बयान को अनैतिक बताया है। दूसरी ओर, स्मृति ने बुधवार को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ज्वॉइन की। इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा- कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...। क्या कहा अली अनवर ने....
 
 
बुधवार को एक चैनल ने जेडीयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर से स्मृति ईरानी का मंत्रालय बदले जाने पर सवाल किया। 


- जवाब में अली ने कहा, “अच्छा हुआ स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है, कम से कम तन ढकने के काम आएगा। वे विवाद ही पैदा कर रही थीं।”


- बाद में अली अनवर ने सफाई भी दी। हालांकि उनकी पार्टी की तरफ से इस मसले पर कुछ नहीं कहा गया है। 
- अनवर के बयान को आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने असभ्य-अशालीन व निन्दनीय टिप्पणी बताया है। उन्होंने कहा- राजनैतिक असहमति में "नैतिक" मर्यादा भूलना ज़्यादा अनैतिक होता है। 
आखिर क्यों बदला गया स्मृति का मंत्रालय?
 
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरएसएस और बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की नाराजगी की वजह से स्मृति का मंत्रालय बदला गया है। 
- रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल बेंगलुरु में बीजेपी की नेशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग में बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की स्मृति से नाराजगी साफतौर पर नजर आई थी। 
- शाह स्मृति की परफॉर्मेंस से खुश नहीं थे। शाह और आरएसएस को लगता था कि स्मृति के साथ जुड़ने वाले विवादों की वजह से मिनिस्ट्री के काम पर असर पड़ता है। 
- कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था कि स्मृति आरएसएस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थीं। हालांकि आरएसएस ने कभी खुले तौर पर इसका जिक्र नहीं किया। 
- सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह को लगता था कि स्मृति ने कई विवादों को ठीक तरह से डील नहीं किया। इसकी वजह से सरकार को दिक्कतें भी हुईं। 
 

 
ईरानी से जुड़े ये 10 विवाद भी बताए जा रहे पोर्टफोलियो बदले जाने की वजह

 
1- डिग्री विवाद 
 
स्मृति ईरानी के मंत्री बनते ही सबसे पहले उनकी डिग्री पर सवाल उठाए गए। आरोप लगा कि उन्होंने दो अलग-अलग चुनाव में अपनी डिग्री की अलग-अलग जानकारी दी। 
 
2- रोहित वेमुला और जेएनयू मामला
 
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की खुदकुशी और जेएनयू में कन्हैया कुमार वाले मामले में ईरानी अपोजीशन के निशाने पर आ गईं। उन्हें संसद में बयान तक देना पड़ा। ज्यादा जोश दिखाने पर अपोजीशन ने उन्हें “आंटी नेशनल’ तक कहा। 
 
3- संस्कृत में हो आईआईटी 
 
ईरानी ने कुछ दिन पहले IIT की पढ़ाई संस्कृत में कराने की सलाह दी थी। इस फैसले पर उनका खूब विरोध हुआ। संस्कृत को प्रमोट करने के लिए उन्होंने एक कमेटी भी बनाई थी।
 
4- डीयू ग्रेजुएट कोर्स विवाद
 
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में चार साल के ग्रेजुएट डिग्री कोर्स को तीन साल करने का आदेश दिया। स्मृति के मंत्री बनते ही UGC ने यह आदेश दिया था। हालांकि, विवाद बढ़ा तो आदेश वापस ले लिया गया।
 
5- जर्मन की जगह संस्कृत पढ़ाने का मामला
 
HRD मंत्रालय ने फैसला किया कि “केंद्रीय विद्यालयों’ में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को थर्ड लैंग्वेज बनाया जाए। विरोध हुआ तो यह फैसला भी वापस ले लिया गया।
 
6- आईआईएम बिल
 
HRD मिनिस्ट्री द्वारा लाए गए IIM बिल-2015 का भी जमकर विरोध हुआ। इस बिल को IIM की ऑटोनोमी के लिए खतरा बताया गया। बाद में तय हुआ कि इस बिल में बदलाव किया जाएगा।
 
7- आईआईटी डायरेक्टर का इस्तीफा
 
IIT-दिल्ली के डायरेक्टर आरके शेवगांवकर ने रिटायरमेंट से 2 साल पहले दिसंबर 2014 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि स्मृति ईरानी IIT के कामकाज में बेवजह दखल देती हैं।
 
8- काकोदकर के आरोप
 
न्यूक्लियर साइंटिस्ट अनिल काकोदकर ने IIT-मुंबई बोर्ड के चेयरपर्सन पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके लिए भी HRD मंत्रालय के दखल को जिम्म्दार बताया।
 
9- वेज-नॉनवेज के लिए अगल कैंटीन का मामला
 
IIT कैंटीन में विवाद में भी ईरानी का नाम आया। तब एजुकेशन मिनिस्ट्री ने IIT को वेजेटेरियन छात्रों के लिए अलग कैंटीन बनाने का निर्देश जारी किया था।
 
10- डियर विवाद

ईरानी की बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से ट्विटर पर हुई तकरार चर्चा में रही। ईरानी को चौधरी का डियर कहना पसंद नहीं आया। ईरानी ने ऑब्जेशन लिया, तो सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ही आड़े हाथों ले लिया।




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Wednesday, July 6, 2016

प्रियमित्रो,अपने इतिहास से परिचित कराती एक सत्य घटना है।कृपया अवश्य पढे । एक बार औरंगजेब के दरबार में एक शिकारी जंगल से पकड़कर एक बड़ा भारी शेर लाया !


प्रियमित्रो,अपने इतिहास से परिचित कराती एक सत्य घटना है।कृपया अवश्य पढे ।
एक बार औरंगजेब के दरबार
में एक शिकारी जंगल से
पकड़कर एक बड़ा भारी
शेर लाया !
लोहे के पिंजरे में बंद शेर
बार-बार दहाड़ रहा था !
बादशाह कहता था... इससे
बड़ा भयानक शेर दूसरा नहीं मिल
सकता ! दरबारियों ने
हाँ में हाँ मिलायी.. किन्तु वहाँ मौजूद
राजा यसवंत सिंह
जी ने कहा - इससे भी अधिक
शक्तिशाली शेर मेरे पास है !
क्रूर एवं अधर्मी औरंगजेब को बड़ा क्रोध
हुआ ! उसने
कहा तुम अपने शेर को इससे लड़ने
को छोडो..
यदि तुम्हारा शेर हार
गया तो तुम्हारा सर काट
लिया जायेगा ...... !
दुसरे दिन किले के मैदान में
दो शेरों का मुकाबला देखने
बहुत बड़ी भीड़
इकट्ठी हो गयी ! औरंगजेब बादशाह
भी ठीक समय पर आकर अपने सिंहासन
पर बैठ
गया !
राजा यशवंत सिंह अपने दस वर्ष के पुत्र
पृथ्वी सिंह के
साथ आये ! उन्हें देखकर बादशाह ने
पूछा-- आपका शेर
कहाँ है ? यशवंत सिंह बोले- मैं अपना शेर
अपने साथ
लाया हूँ ! आप केवल लडाई
की आज्ञा दीजिये !
बादशाह की आज्ञा से जंगली शेर
को लोहे के बड़े
पिंजड़े में
छोड़ दिया गया ! यशवंत सिंह ने अपने
पुत्र को उस पिंजड़े
में घुस जाने को कहा !
बादशाह एवं
वहां के लोग हक्के-
बक्के रह गए ! किन्तु दस वर्ष
का निर्भीक बालक
पृथ्वी सिंह पिता को प्रणाम करके
हँसते-हँसते शेर के
पिंजड़े में घुस गया ! शेर ने पृथ्वी सिंह
की ओर देखा !
उस तेजस्वी बालक के नेत्रों
में देखते ही एकबार तो वह
पूंछ दबाकर पीछे हट गया..
लेकिन सैनिकों द्वारा
भाले की नोक से उकसाए
जाने पर शेर क्रोध में दहाड़
मारकर पृथ्वी सिंह पर टूट पड़ा !
वार बचा कर वीर बालक एक ओर
हटा और
अपनी तलवार खींच ली !
पुत्र को तलवार निकालते हुए देखकर
यशवंत सिंह ने पुकारा - बेटा, तू यह
क्या करता है ? शेर के पास तलवार है
क्या जो तू उसपर तलवार चलाएगा ?
यह
हमारे हिन्दू-धर्म की शिक्षाओं के
विपरीत है और
धर्मयुद्ध नहीं है !
पिता की बात सुनकर पृथ्वी सिंह ने
तलवार फेंक
दी और
निहत्था ही शेर पर टूट पड़ा ! अंतहीन
से दिखने वाले
एक
लम्बे संघर्ष के बाद आख़िरकार उस छोटे
से बालक ने शेर
का जबड़ा पकड़कर फाड़ दिया और फिर
पूरे शरीर
को चीर
दो टुकड़े कर फेंक दिया !
भीड़ उस वीर
बालक
पृथ्वी सिंह
की जय-जयकार करने लगी ! अपने..
और
शेर के
खून से
लथपथ पृथ्वी सिंह जब पिंजड़े से बाहर
निकला तो पिता ने
दौड़कर अपने पुत्र को छाती से
लगा लिया !
तो ऐसे थे हमारे पूर्वजों के कारनामे..
जिनके मुख-मंडल
वीरता के ओज़ से ओतप्रोत रहते थे !
और आज हम क्या बना रहे हैं
अपनी संतति को..
सारेगामा लिट्ल चैंप्स के नचनिये.. ?
आज समय फिर से मुड़ कर इतिहास के
उसी औरंगजेबी काल की ओर
ताक
रहा है.. हमें
चेतावनी देता हुआ सा.. कि ज़रुरत है
कि हिन्दू अपने
बच्चों को फिर से वही हिन्दू संस्कार
दें..
ताकि वक़्त पड़ने पर वो शेर से भी भिड़
जाये..!!!!!जगन्नाथ रथयात्रा की हार्दिक शुभकामनाऐ ।आपका दिन मंगलमय हो जय,जय,श्रीराधे🙏🙏🙏



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संता : हैलो, आप फ्लिपकार्ट से बोल रहे है?? फ्लिपकार्ट girl : यस सर.. ☺☺

संता   :  हैलो, आप फ्लिपकार्ट से बोल रहे है??

फ्लिपकार्ट girl :  यस सर.. ☺☺

संता  :   आज मेरी पत्नी की डिलिवरी हुई है और उसने एक लड़के को जन्म दिया है  .

फ्लिपकार्ट girl :  ख़ुशी की बात है , पर इसमें हम आपकी क्या सेवा कर सकते है

संता   :  कुछ नहीं , मैं आपको अपना अकॉउंट नम्बर देता हूँ , आप उसमे कैश रुपये जमा करवा दीजिये .

फ्लिपकार्ट girl : हेल्लो सर!  कैसा कैश .. ???

संता   :  अरे आपकी कम्पनी ने इत्ते बड़े बड़े विज्ञापन बोर्ड लगाये है ना ??!!
"कैश ओन डिलिवरी"

फ्लिपकार्ट girl : (बेहोश)

😂😂😂😬😬😬




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एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?
बेटे ने माँ को बताया - "माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ...
मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ ...
विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन... क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"
उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है...“
“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया...
... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”
बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"
माँ फिर बोली: लेना-देना है मेरे लाल... मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं ?
पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली | ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ | यह बात सही है या नहीं ?”
बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा |
उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया 'उभयचर (Amphibian)' | तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया |
तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है | तुम उन्हें डायनासोर कहते हो, सही है ? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई |
चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास |
पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था | क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है ? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली |"
बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी...
छठा अवतार था परशुराम - वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था | गुस्सैल, और सामाजिक नहीं |
सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार |
आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है |
नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा | उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की |
और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो | वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा |
बेटा अपनी माँ को अवाक होकर सुनता रहा |
अंत में बोल पड़ा "यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है |"
...पुराण अर्थपूर्ण हैं | सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक ?
जय मातादी




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*कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं।


*कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं।*
*जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।*

*कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं।*
*कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।।*

*नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं।*
*मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।।*

*बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी।*
*मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।।*

*अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता।*
*फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं।।*

*हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं।*
*च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।।*

*बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से हम अक्सर।*
*मगर घर में जरूरत हो तो रिश्ते बोल जाते हैं।।*



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एक बहुत बड़े दानवीर हुए रहीम


एक बहुत बड़े दानवीर हुए रहीम ।🌹🙏
उनकी ये एक खास बात थी के जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे ।🌹🙏
ये बात सभी को अजीब लगती थी..के ये रहीम कैसे दानवीर है ये दान भी देते है और इन्हें शर्म भी आती है  ।🌹🙏

ये बात जब कबीर जी तक जब पहुंची तो उनोहने रहीम को चार पंक्तिया लिख कर भेजी जिसमे लिखा था🌹🙏

ऐसी देनी देन जु
कित सीखे हो सेन
ज्यों ज्यों कर ऊंचो करें
त्यों त्यों नीचे नैन ।🙏🌹

इसका मतलब था के रहीम तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो । जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते है वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यू झुक जाते है ।

रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था के जिसने भी सुना वो रहीम का भक्त हो गया इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नही दिया । रहीम ने जवाब में लिखा

🌹🙏के देंन हार कोई और है
भेजत जो दिन रैन
लोग भरम हम पर करें
तासो नीचे नैन ।।🌹🙏

मतलब देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है । परन्तु लोग ये समझते है के मै दे रहा हु रहीम दे रहा है ये विचार कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखे नीचे झुक जाती है ।🌹🙏

सच में मित्रो ये ना समझी ये मेरे पन का भाव यदि इंसान के अंदर से मिट जाये तो वो जीवन को और बेहतर जी सकता है ।
धन्यवाद ।

🙏🌹WAHEGURU Ji🙏  🌹



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Tuesday, July 5, 2016

Seventh Pay Commussion की पीड़ा सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया

Seventh Pay Commussion की पीड़ा सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया

===========================
सातवें वेतन आयोग की सौगात
===========================
किसी को चुपड़ी चार मिली है
किसी को केवल भात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
ये कैसी सौगात मिली
लम्बा अरसा बीत गया
इस वेतन की तैयारी में
जैसे कोई सजनी देख रही
साजन की बाट अटारी में
लेकिन जब साजन आये तो
आँखों से नीर बहाया है
ये कैसी वेतन वृद्धि है कोई
समझ नहीं कुछ पाया है
है यही तुम्हारे अच्छे दिन तो
इनको वापिस ले जाओ
केवल इतिहास को दोहरा कर
बस वेतन वृद्धि दे जाओ
मन करता छोड़ नौकरी को
मैं भी अब चाय बनाऊँगा
फिर मोदी जी की तरह एक दिन
घूम विदेश में आऊँगा
चाँद पूर्णिमा का आया है
या फिर काली रात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
ये कैसी सौगात मिली
अरुण जेटली जी तुमने ये
कैसा नियम निकाला है
वेतन वृद्धि ही गलफांस बना
जैसे कोई विषधर काला है
सड़कों पर जाने को तुमने
अब कैसी ये मजबूरी की
वेतन वृद्धि दी सबको या
सबको बस मजदूरी दी
इतिहास को शर्मसार करके
उन साठ साल को भुला दिया
मर भी न सकें जी भी न सकें
इस मीठे जहर को पिला दिया
कोई चाहे कुछ भी बोले
मेरे मन बस में एक पीड़ा है
ये वेतन वृद्धि नहीं ऊँट के
मुँह में थोड़ा जीरा है
विश्वास बहुत था लोगो पर
ये तो केवल घात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
ये कैसी सौगात मिली
वेतन वृद्धि नहीं मिले बस
इतना काम करा दो तुम
आटे दाल के भावों को बस
फिर से आधे ला दो तुम
हर कर्मचारी के बच्चों को
अच्छी शिक्षा दिलवा दो तुम
रहने को आवास सभी को
बिना शुल्क मिलवा दो तुम
रेलगाड़ी के डिब्बे में
जनरल डिब्बे बढ़वा दो तुम
A C बस में सफर कर सके
मासिक पास बना दो तुम
इतने काम करा दो सबको
तब समझेंगे दिन अच्छे
कर्मचारी भी खुश होंगे
कहलाओ हितैषी तुम सच्चे
वादे पूरे कर तो या फिर
समझेंगे बस बात मिली
सातवें वेतन की मोदी जी
ये कैसी सौगात मिली




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Sunday, July 3, 2016

Classic example of How investment is better than consumption

*_"Classic example of How investment is better than consumption! "_*

How Many People are riding *ROYAL ENFIELD BIKE* ? or wish to ride i t ?


Look at the company`s growth

*Eicher Motors* (Makers of Royal Enfield).

Share Price on September 2001 = *_Rs. 17.50_*
Price of Royal Enfield bike in 2001 was Rs.55000/-

If any one would have bought the shares of Eicher Motors instead of a bike than he would have got *3143* shares ((Rs. 55000/ Rs 17.50 (share Price) = 3143 Shares))


Eicher Motor`s Share Price as on 30th June 2016 is *Rs. 20,158* Total Value as 3143 x 20,158= *6.4 crore*
*
_55000/- is worth 6.4 Crore in 15 Years._*

Now he could hv bought *_Rolls Royce._*




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Saturday, July 2, 2016

कक्षा में शिक्षक ने पूछा : गांव और शहर में क्या अन्तर है ....??


कक्षा में शिक्षक ने पूछा : गांव और शहर में क्या अन्तर है ....??
एक बालक नें बहुत सुन्दर उत्तर दिया : इतना ही अन्तर है कि गांव में कुत्ते आवारा घूमते हैं और गौमाता पाली जाती है .....
और शहर में कुत्ता पाला जाता है और गौमाता आवारा घुमती हैं ...
.........जीवन का कडवा सच........
अनाथ आश्रम में बच्चे मिलतें हैं गरीबो के...!
और...
वृद्धाश्रम में बुजुर्ग मिलतें हैं अमीरों के...!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वक्त के साथ सब बदल जाता है
पुराने ज़माने में जिसे ........
👍ठेंगा कहते थे,उसे आज
👍like कहते है।।।।।।।



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Friday, July 1, 2016

मिस आयशा एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षक थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं।


मिस आयशा एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षक थीं।
उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो मिस आयशा को एक आंख नहीं भाता। उसका नाम तारिक था। तारिक मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।
मिस आयशा के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता..मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि तारिक शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे.धीरे धीरे मिस आयशा को तारिक़ से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही तारिक मिस आयशा की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण तारिक के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस आयशा उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। तारिक ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।
मिस आयशा को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर महसूस नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । मिस आयशा को अब इससे गंभीर चिढ़ हो चुकी थी। पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मिस आयशा ने तारिक की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मिसटरेस के पास जाया करती थी। उन्होंने जब तारिक की रिपोर्ट देखी तो मिस आयशा को बुला लिया। "मिस आयशा प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे तारिक के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन तारिक एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मिस आयशा घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ आईं।
हेड मिसटरेस ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के हाथ मिस आयशा की डेस्क पर तारिक की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मिस आयशा ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह तारिक की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "तारिक जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
अंतिम सेमेस्टर में भी तारिक ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "मिस आयशा ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" तारिक़ ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" तारिक की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है.जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। ""
तारिक की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही तारिक के जीवन की रमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। "मिस आयशा के दिमाग पर भयानक बोझ तारी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे.अगले दिन जब मिस आयशा कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे तारिक़ के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता था । व्याख्यान के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल तारिक पर दागा और हमेशा की तरह तारिक ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मिस आयशा से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने तारिक को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा।
तारिक तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मिस आयशा ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। मिस आयशा हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण तारिक के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना तारिक सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मिस आयशा को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिला त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी। उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और तारिक ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास । विदाई समारोह में सभी बच्चे मिस आयशा के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मिस आयशा की टेबल पर ढेर लग गये । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये तारिक लाया होगा। मिस आयशा ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं की इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस आयशा ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद तारिक भी। आखिर तारिक से रहा न गया और मिस आयशा के पास आकर खड़ा हो गया। । कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मिस आयशा को बताया कि "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।"
समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में मिस आयशा को तारिक़ से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर तारिक का स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और मिस आयशा रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में तारिक का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपकी अलावा शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं।। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर तारिक
साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। मिस आयशा खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। ऐन शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां मौजूद निकाह पढाने वाले भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर तारिक समारोह में निकाह के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह पुरानी शिक्षक आयशा ने गेट से प्रवेश किया तारिक उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया। माइक हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला "दोस्तो आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा।।।.......

.यह मेरी माँ हैं
- ------------------------- "
_________________

!!
प्रिय दोस्तों आप सब शिक्षक हो ... इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपने आसपास देखें, तारिक जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है.



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सफलता का रहस्य


सफलता का रहस्य

एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आदमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?”

दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए। वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस आ गए।वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया।

“क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?”, दादा जी ने लड़के से पूछा। लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ” घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी खतरा है…”

दादाजी बोले, ” चलो देखते हैं आगे क्या होता है !”, और वह अखबार उठा कर पढने लगे।कुछ दिन बाद छुट्टियाँ ख़तम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया।

इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया। ३-४ साल बाद एक बार फिर वो अपने पेरेंट्स के साथ गाँव घूमने आया और अपने दादा जी को देखते ही बोला, “दादा जी, पिछली बार मैं आपसे successful होने के कुछ टिप्स मांगे थे पर आपने तो कुछ बताया ही नहीं…पर इस बार आपको ज़रूर कुछ बताना होगा।”
दादा जी मुस्कुराये और लडके को उस जगह ले गए जहाँ उन्होंने गमले में पौधा लगाया था। अब वह पौधा एक खूबसूरत पेड़ में बदल चुका था। लड़का बोला, ” देखा दादाजी मैंने कहा था न कि ये वाला पौधा ज्यादा सफल होगा…”

“अरे, पहले बाहर वाले पौधे का हाल भी तो देख लो…”, और ये कहते हुए दादाजी लड़के को बाहर ले गए, बाहर एक विशाल वृक्ष गर्व से खड़ा था! उसकी शाखाएं दूर तक फैलीं थीं और उसकी छाँव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे।

“अब बताओ कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ?”, दादा जी ने पूछा।
“…ब..ब…बाहर वाला!….लेकिन ये कैसे संभव है, बाहर तो उसे न जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा….फिर भी…”, लड़का आश्चर्य से बोला।

दादा जी मुस्कुराए और बोले, “हाँ, लेकिन challenges face करने के अपने rewards भी तो हैं, बाहर वाले पेड़ के पास आज़ादी थी कि वो अपनी जड़े जितनी चाहे उतनी फैला ले, आपनी शाखाओं से आसमान को छू ले…बेटे, इस बात को याद रखो और तुम जो भी करोगे उसमे सफल होगे- अगर तुम जीवन भर safe option choose करते हो तो तुम कभी भी उतना नहीं grow कर पाओगे जितनी तुम्हारी क्षमता है, लेकिन अगर तुम तमाम खतरों के बावजूद इस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहते हो तो तुम्हारे लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असम्भव नहीं है! लड़के ने लम्बी सांस ली और उस विशाल वृक्ष की तरफ देखने लगा…वो दादा जी की बात समझ चुका था, आज उसे सफलता का एक बहुत बड़ा सबक मिल चुका था!

दोस्तों, भगवान् ने हमें एकmeaningful life जीने के लिए बनाया है। But unfortunately, अधिकतर लोग डर-डर के जीते हैं और कभी भी अपने full potential को realize नही कर पाते। इस बेकार के डर को पीछे छोडिये…ज़िन्दगी जीने का असली मज़ा तभी है जब आप वो सब कुछ कर पाएं जो सब कुछ आप कर सकते हैं…वरना दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ तो कोई भी कर लेता, इसलिए हर समय play it safe के चक्कर में मत पड़े रहिये…जोखिम उठाइए… risk लीजिये और उस विशाल वृक्ष की तरह अपनी life को large बनाइये!



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Thursday, June 30, 2016

वेगुनाह जानवरो की कुर्बानी से कौन-सी दुआ कुबूल होती है? बॉलिवुड एक्टर इरफान खान

वेगुनाह जानवरो की कुर्बानी से कौन-सी दुआ कुबूल होती है?
बॉलिवुड एक्टर इरफान खान

on June 30, 2016, 9:18 a.m.
नई दिल्ली(30 जून): बॉलिवुड एक्टर इरफान खान ने ऐसा बयान दिया है जिसपर विवाद हो सकता है। अपनी आने वाली फिल्म 'मदारी' के प्रमोशनल इवेंट में ईद-उल-जुहा को लेकर इरफान खान ने कहा है कि कुर्बानी का मतलब अपनी कोई अजीज चीज कुर्बान करना होता है। ये नहीं कि बाजार से आप कोई दो बकरे खरीद लाए और उनको कुर्बान कर दिया।
इरफान इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि आपको उन बकरों से कोई लेना-देना नहीं है तो वो कुर्बानी कहां से हुई? इससे कौन-सी दुआ कुबूल होती है?

अगर वास्तव में कोई दुआ कबूल होती तो आज सभी मुस्लिम देश तंगहाली और आतंकबाद का शिकार ना होकर खुशहाली में जी रहे होते ....

हर आदमी अपने दिल से पूछे कि किसी और की जान लेने से उसको कैसे पुण्य मिल जाएगा? बुधवार को इरफान ने यह भी कहा कि हमारे जो भी त्योहार हैं, उनका मतलब हमें वापस से समझना चाहिए कि वे किसलिए बनाए गए हैं। सौभाग्य है कि एेसे देश में रह रहा हूं जहां हर धर्म का सम्मान होता है।
वहीं सलमान और दूसरे सेलिब्रिटीज के दिए जाने वाले बयानों को लेकर इरफान ने कहा कि सेलिब्रिटी भी इंसान हैं। आप उसे महान आत्मा मत समझिए। उससे भी गलती हो सकती है। उन्हें सीरियसली नहीं लेना चाहिए।
इरफान ने कहा कि अपना हीरो उन्हें बनाएं जो बिना स्वार्थ के कुर्बानी देकर लोगों की मदद करे।
इरफान ने इवेंट में मंत्रियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस तरह मदारी डमरू बजाकर वादा करता था कि सांप और नेवले की लड़ाई दिखाएगा, लेकिन कभी दिखाता नहीं, ऐसे ही वादे मंत्री करते हैं, पर पूरा नहीं कर पाते। इरफान ने कहा कि जो लोग इस्लाम को बदनाम करते हैं या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं, उनके खिलाफ फतवा जारी होना चाहिए।




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Wednesday, June 29, 2016

पढोगे तो रो पड़ोगे जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।



पढोगे तो रो पड़ोगे

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा


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Useful tips:-)) १)चावल उबलने के बाद जो माढ बचे उसे फेके नहीं उसमे नीबू का रस मिला के उसे बालो में लगाये बाल चमकदार और मुलायम हो जायेंगे.


Useful tips:-))
१)चावल उबलने के बाद जो माढ बचे उसे फेके नहीं उसमे नीबू का रस मिला के उसे बालो में लगाये बाल चमकदार और मुलायम हो जायेंगे.

२)पनीर बनाने के बाद जो दूध का पानी बचे उससे आटा गुंथे, रोटी पराठे बहुत स्वादिष्ट बनेगे.

३)अगर मिक्स वेज कटलेट बना रहे है तो सब्जी उबलने के बाद जो पानी बचे उसे सूप में या फिर दाल पकाने में डाल दे दाल बहुत ही स्वादिष्ट बनेगी.

४)लौकी का हलवा बनाते समय अगर लौकी में मलाई डाल के भूने तो हलवा अधिक स्वादिष्ट बनेगा.

५)मिर्च पाउडर को डिब्बे में भरने से पहले तली में थोडा सी हींग डालने से उसमे कीड़े नहीं पड़ते है.

६)दही बड़े बनाते समय पिसी हुई दाल में थोडा दही मिला के फेटे दही बड़े अधिक स्वादिष्ट और मुलायम बनेगे.

७)अंकुरित दालो को ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए नीबू का रस मिला कर फ्रिज में रखे.

८)कचौडिया बनाते समय मैदे में थोडा सा दही डाल के गुथे. कचौडिया मुलायम बनेगी.

९)दही जमाते समय दूध में थोडा सा नारियल का टुकड़ा डाल दे दही 2-3 दिनों तक ताजा रहेगा.

१०)मूंगदाल के चीले बनाते समय दाल में 2 बडे चम्मच चावल का आटा मिला दे, चीले कुरकुरे बनेगे.

११)देसी घी को ज्यादा दिनों तक ताजा रखने के लिए उसमे एक टुकड़ा गुड़ और एक टुकड़ा सेंधा नमक डाल दे. घी ताजा बना रहेगा.

१२)पेपर डोसा बनाते समय मिश्रण में 2 चम्मच मक्के का आटा मिला दे दोसे करारे बनेगे.

१३)नीबू का रस निचोड़ने के बाद छिल्का फेके नहीं छिल्के को किसी साफ़ बरनी में डालती जाये साथ में नमक भी डाल दे बीच बीच में धूप में रख दे कुछ ही दिनों में नीबू का आचार तैयार हो जायेगा.

१४)पनीर या चीज़ कद्दुकस करते समय कद्दूकस पर थोडा तेल लगा ले पनीर और चीज़ चिपकेगा नहीं.

१५)सुबह गोभी की सब्जी बनानी है तो गोभी को रात में बड़े टुकडो में तोड़ कर नमक के पानी में डाल कर रख दे गोभी के कीड़े निकल जायेगे तथा गोभी सफ़ेद और खिली खिली बनेगी.

१६)दूध या खीर जल जाये तो उसमे 2-3 पान के पत्ते डाल के गर्म करे जलने की खुशबू चली जाएगी.

१७)केक बनाते समय मैदा और बेकिंग पाउडर ताजा ही डाले नहीं तो वह अच्छे से नहीं फूलेगा.

१८)चावल में चूने के टुकड़े डाल कर रखने से कीड़े नहीं पड़ेगे.

१९)संतरे के सूखे छिलकों को जलाने से मच्छर भाग जाते है.

२०)धनिया के पत्तो की चटनी बनाते समय थोडा सा खसखस डालने से बहुत स्वादिष्ट चटनी बनती है .

२१)बचे हुए ढोकले या इडली को छोटे टुकडो में काट कर बेसन के घोल में डुबा कर पकोड़े बना ले.

२२)भिन्डी बनाते समय एक चम्मच दही डाल दे तो भिन्डी बर्तन में चिपकेगी नहीं और बहुत स्वादिष्ट बनेगी.

२३)इडली दोसे का घोल अगर खट्टा हो गया है तो थोडा नारियल का दूध मिला दे खटास दूर हो जाएगी.

२४)मिर्च के डंठल तोड़ के फ्रिज में रखे बहुत दिनों तक मिर्च खराब नहीं होंगे.

२५)हलवा बनाते समय सूजी में गरम पानी डाले तो गाठे नहीं पड़ेगी.

२६)पालक का सूप बनाते समय पालक को उबालते समय लौकी के कुछ टुकडो को डाल दे पालक का कसैलापन दूर हो जायेगा.

२७)सूजी और दलिया हमेशा भून कर रखे कीड़े भी नहीं पड़ेगे और बनाते समय भी आसानी होगी.

२८)दही अगर खट्टा हो गया है तो दही को बड़े बर्तन में डाल के ऊपर से पानी भर दे. 4-5 घंटे के बाद पानी ऊपर आ जायेगा उसे धीरे से निकाल दे दही का खट्टापन दूर हो जायेगा.

२९)धनिया के डंठल काट के बारीक कपडे में लपेट कर स्टील के डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखे धनिया बहुत दिनों तक ताज़ी रहेगी.

३०)पनीर को पानी में डाल के रखे पनीर जल्दी खराब नहीं होगा और सॉफ्ट रहेगा.

३१)हरी सब्जियों को पकाते समय अगर एक चौथाई चम्मच चीनी मिला दे तो सब्जियों का रंग अच्छा रहता है

३२)गोभी बनाते समय उसमे दो चम्मच दूध और नमक मिला दे तो गोभी का रंग सफ़ेद ही रहता है

३३)प्याज़ काटने से पहले अगर उसे फ्रिज में रख दे तो आँखों में नहीं लगेगा

३४)आटा गूंधने के बाद उसमें थोडा सा तेल लगा दे तो वह मुलायम बना रहता है.

३५)यदि आप डेजर्ट खीर या कस्टर्ड बना रहे हों तो भारी तले का बर्तन इस्तेमाल करें, इससे बर्तन जलेगा नहीं और डेजर्ट का स्वाद भी बढ़ेगा

३६)यदि आप डेजर्ट में क्रीमी टेक्चर चाहती हैं तो फुल क्रीम दूध का इस्तेमाल करे

३७)चावल में एक टी स्पून तेल और कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाने से वह पकने के बाद खिलाखिला रहेगा

३८)यदि आप रात को छोला या राजमा भिगोना भूल गए हो तो उबलते पानी में चना या राजमा को भिगोए, इसे आप एक घंटे के बाद एक चम्मच तेल मिला के पका सकती हैं

३९)सख्त नींबू को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है

४०)महीने में एक बार मिक्सर और ग्राइंडर में नमक डालकर चला दिया जाये तो उसके ब्लेड तेज हो जाते हैं

४१)मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये अलग रख दें

४२)एक टीस्पून शक्कर को भूरा होने तक गरम करे, केक के मिश्रण में इस शक्कर को मिला दे ऐसा करने पर केक का रंग अच्छा आयेगा

४३)आलू के पराठे बनाते समय आलू के मिश्रण में थोड़ी सी कसूरी मेथी मिला दे, पराठे इतने स्वादिष्ट होंगे कि हर कोई ज्यादा खाना चाहेगा

४४)आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये इससे रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा और वो बहुत मुलायम बनेगे

४५)चीनी के डिब्बे में 5-6 लौंग डाल दी जाये तो उसमें चींटिया नही आयेगी

४६)कटे हुए सेब पर नींबू का रस लगाने से सेब काला नही पड़ेगा

४७)जली हुए त्वचा पर मैश किया हुआ केला लगाने से ठंडक मिलती है

४८)किचन के कोनो में बोरिक पाउडर छिड़कने से कॉकरोच नही आयेंगे

४९)लहसुन के छिलके को हल्का सा गरम करने से वो आसानी से उतर जाते हैं

५०)हरी मटर को अधिक समय तक ताजा रखने के लिए प्लास्टिक की थैली में डालकर फ्रिजर में रख दें



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Must read : एक स्कूल में फंक्शन में ग्रुप फ़ोटो की प्लानिंग हुई.......


Must read : एक स्कूल में फंक्शन में ग्रुप फ़ोटो की प्लानिंग हुई.......

😸हेडमास्टर फोटो ग्राफर से:- 20 रुपये बहुत होते है| स्कूल मे 1600 बच्चे है 10-10 रुपये मे फोटो निकालो.

😉हेडमास्टर टीचर से:- फोटो के लिये सभी बच्चों से 30-30 रुपये लेकर आने को बोल दो.

😋टीचर क्लास में :”सुनो बच्चो कल तुम लोगो
का फोटो शूट होगा ,, .
सब लोग अपने अपने घर से Rs.50/- ले कर आना ,,
.
.
शरारती बच्चा :😠 “ये सब टीचर लोगो की
मिली भगत होती है ,,
एक फोटो के 20/- रूपये लगते है और हम लोगो से
50_50 रूपये लिए जा रहे है ,, .
.
.
फिर हमारे पैसो से ये सब स्टाफ रूम में
बैठ के समोसा खाएंगे और हम बच्चों को
मिलेगा ठेंगा.
भलाई का तो ज़माना ही नहीं रह गया😠 ,, . .

At home-
😜शरारती बच्चा : “ मम्मी कल स्कूल में ग्रुप
फोटो शूट होना है टीचर ने Rs.100/- रूपये
मंगाए है .. . .

👵माँ : 100 rs!!😧
खुली लूट मचा रखी है इन लोगो ने ,, .. फिर
हमारे पैसो से ये सब ऐश करेंगे.

रुक बेटा में तेरे पप्पा से लेकर देती हूँ …

मम्मी पापा से : 👦अरे सुनते हो बच्चे के स्कूल में फोटो के लिए Rs.200 मांगे है !!”

👻😂😆😆

👉बताओ कैसे ख़त्म होगा भ्रष्टाचार .....?😷🙈🙉🙊
Are tum kyu 200 rs mang rahi ho...
Photo ka to 10 rs hi tay hua hai..
Mai hi school ka photo grapher hoo..



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Saturday, June 25, 2016

संबंध' और 'पानी' एक समान होते हैं,

🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱

🌹'संबंध' और 'पानी' एक समान होते हैं,

ना कोई रंग, ना कोई रूप, ना कोई खुशबू, और ना ही कोई स्वाद,

पर, फिर भी, जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।।

'सम्बन्ध और पानी' दोनों बचाएं, अपने आने वाले कल के लिए !!!
🌹 🌹🍀🍀🍀🍀🍀




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विचित्र किन्तु सत्य 😪😪 Principal- आपको सारी चीजे school से ही लेनी पडेगी जैसे

विचित्र किन्तु सत्य 😪😪

Principal-  आपको सारी चीजे school से ही लेनी पडेगी जैसे
Books, notebooks, uniform,  shoes, socks, belt, school bag, schoolbus service. . . सब

Parents -और शिक्षा?

Principal - अरे हा! उसके लिये आप बाहर tution  लगा ले!!!




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एक एयरलाइन्स ने एक योजना शुरू की आप टिकट खरीदें- साथ में आपकी पत्नी का टिकट मुफ्त !

😃😃👌
एक एयरलाइन्स ने एक
योजना शुरू की
आप टिकट खरीदें- साथ में आपकी पत्नी का टिकट मुफ्त !

इस योजना में भारी सफलता मिलने के बाद कम्पनी ने सारी पत्नियों को पत्र लिख कर पूछा-
यात्रा कैसी रही..?

सभी का एक जैसा ही जवाब
आया......
कौन सी यात्रा..???????

😳😳😝😝😝😂😂😂😂
😃😃👌




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विभूति जी- तिवारी जी मुझे कच्छे बनियान चाहिये... अंगूरी भाभी- भरभूती जी "अम्मा जान" से मंगवा लीजिये...


विभूति जी- तिवारी जी मुझे कच्छे बनियान चाहिये...
अंगूरी भाभी- भरभूती जी "अम्मा जान" से मंगवा लीजिये...
विभूति जी- भाभीजी Its not अम्मा जान its "AMAZON"..
अंगूरी भाभी- सही पकड़े हैं....
😂 😜 😍 😘



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मेरी कलम से ... एक ऐसा आधुनिक सच जो हम सबको समझना चाहिये - पढ़ियेगा और आँसू बहें तो रोकियेगा मत...

मेरी कलम से ...

एक ऐसा आधुनिक सच जो हम सबको समझना चाहिये - पढ़ियेगा और आँसू बहें तो रोकियेगा मत.....

मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं
रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं

अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं

मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं
अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं

परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है
केवल आया'आंटी को ही पहचानता है
दादा -दादी, नाना-नानी कौन होते है?
अनजान है सबसे किसी को न मानता है

आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है
टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है
यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है

नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है

जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है
वीक ऐन्ड पर मौल में पिकनिक मनाता है
संडे की छुट्टी मौम-डैड के संग बिताता है

वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है
वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है

वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है
मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है
मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है

कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है

बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं
क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं
घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं

हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं
दाढ़- दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं
कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं
वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं

सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।

बेटा मेक्सिको में गया, बेटी है न्यूयार्क।
ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।

बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।
चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।

ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।
दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।

बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।
अपनी किडनी फ़ेल है , सिडनी में तकदीर!!?

पढ़के आया न आँख में नीर ?




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*सुख चाहते हो तो रात मे jagna नहीं,* *शांति चाहते हो तो दिन में sona नहीं,* *सम्मान चाहते हो तो व्यर्थ bolna नहीं,

*सुख चाहते हो तो रात मे jagna नहीं,*
*शांति चाहते हो तो दिन में sona नहीं,*
*सम्मान चाहते हो तो व्यर्थ bolna नहीं,*
*प्यार चाहते हो तो ye group छोड़ना नही...*
😘 👍 😊 👌

*"हमारी कोई दूसरी ब्रांच नहीं है"*
*नकली ग्रुप से सावधान*
😜 😝 😛😃 😃 😃
....💫
*दिनभर खूब मुस्कुराइये,*
*मगर दिनमे एक बार तो*
*"GROUP" में हाज़री लगाइये...*

🙏🏻☺☺☺🙏🏻




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Thursday, June 23, 2016

40 के बाद का रोमान्स... वाइफ: मुझे बरगर खाना है... (हस्बैंड ने लाकर दिया) वाइफ: थैंक्स...


40 के बाद का रोमान्स...

वाइफ: मुझे बरगर खाना है...
(हस्बैंड ने लाकर दिया)

वाइफ: थैंक्स...

हस्बैंड: सिर्फ थैंक्स...

वाइफ: (शरमाकर) तो तुम्हे क्या Kiss करुँ...

हस्बैंड: बकवास मत कर 'आधा आधा कर'...

😜😂😝😜😂😝



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दिल को छूने वाली कहानी- भगवान आज तो भोजन दे दो✨

✨दिल को छूने वाली कहानी- भगवान आज तो भोजन दे दो✨

हम उस समय गंगा अपार्टमेंट बस स्टैंड गुड़गांव के पास रहते थे, मेरी नाईट शिफ़्ट होती है, मैं सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हूँ, अक्सर घर से ही अमेरिकन MNC के लिए काम करती हूँ, रात को पौने दस पर मुझे एलर्जी हो गयी और घर पर दवाई नहीं थी, ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था और बाहर हल्की बारिश की बूंदे जुलाई महीने के कारण बरस रही थी। दवा की दुकान ज्यादा दूर नहीं थी पैदल जा सकते थे लेकिन बारिश की वज़ह से मैंने रिक्शा लेना उचित समझा। बगल में राम मन्दिर बन रहा था एक रिक्शा वाला भगवान की प्रार्थना कर रहा था। मैंने उससे पूंछा चलोगे तो उसने सहमति में सर हिलाया और हम बैठ गए। काफ़ी बीमार लग रहा था और उसकी आँखों में आँशु भी थे।

मैंने पूंछा क्या हुआ भैया रो क्यूँ रहे हो और तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं लग रही, उसने बताया बारिश की वजह से तीन दिन से सवारी नहीं मिली और वह भूखा है बदन दर्द कर रहा है, अभी भगवान से प्रार्थना कर रहा था क़ि मुझे आज भोजन दे दो, मेरे रिक्शे के लिए सवारी भेज दो।

मैं बिना कुछ बोले रिक्शा रोककर दवा की दूकान पर चली गयी, खड़े खड़े सोच रही थी कहीं मुझे भगवान ने तो इसकी मदद के लिए नहीं भेजा। क्योंकि यदि यही एलर्जी आधे घण्टे पहले उठती तो मैं ड्राइवर से दवा मंगाती, रात को बाहर निकलने की मुझे कोई ज़रूरत भी नहीं थी, और पानी न बरसता तो रिक्शे पर भी न बैठती। मन ही मन गुरुदेव को याद किया और कहा मुझे बताइये क्या आपने रिक्शे वाले की मदद के लिए भेजा है। मन में जवाब मिला हाँ। मैंने गुरुदेव को धन्यवाद् दिया, अपनी दवाई के साथ क्रोसीन की टेबलेट भी ली, बगल की दुकान से छोले भटूरे ख़रीदे और रिक्शे पर आकर बैठ गयी। जिस मन्दिर के पास से रिक्शा लिया था वहीँ पहुंचने पर मैंने रिक्शा रोकने को कहा।

उसके हाथ में रिक्शे के 20 रुपये दिए, गर्म छोले भटूरे दिए और दवा देकर बोली। खाना खा के ये दवा खा लेना, एक गोली आज और एक कल। मन्दिर में नीचे सो जाना।

वो रोते हुए बोला, मैंने तो भगवान से दो रोटी मांगी थी मग़र भगवान ने तो मुझे छोले भटूरे दे दिए। कई महीनों से इसे खाने की  इच्छा थी। आज भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली।और जो मन्दिर के पास उसका बन्दा रहता था उसको मेरी मदद के लिए भेज दिया। कई बातें वो बोलता रहा और मैं स्तब्ध हो सुनती रही।

घर आकर सोचा क़ि उस मिठाई की दुकान में बहुत सारी चीज़े थीं, मैं कुछ और भी ले सकती थी समोसा या खाने की थाली पर मैंने छोले भटूरे ही क्यों लिए? क्या भगवान ने मुझे रात को अपने भक्त की मदद के लिए भेजा था?

हम जब किसी की मदद करने सही वक्त पर पहुँचते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति की भगवान ने प्रार्थना सुन ली और आपको अपना प्रतिनिधि बना, देवदूत बना उसकी मदद के लिए भेज दिया।




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विचित्र किन्तु सत्य 😪😪 Principal- आपको सारी चीजे school से ही लेनी पडेगी जैसे

विचित्र किन्तु सत्य 😪😪

Principal-  आपको सारी चीजे school से ही लेनी पडेगी जैसे
Books, notebooks, uniform,  shoes, socks, belt, school bag, schoolbus service. . . सब

Parents -और शिक्षा?

Principal - अरे हा! उसके लिये आप बाहर tution  लगा ले!!!




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Wednesday, June 22, 2016

ऐसा करने पर ईपीएफओ देगा 8.16 फीसद ज्यादा पेंशन


ऐसा करने पर ईपीएफओ देगा 8.16 फीसद ज्यादा पेंशन

Thu, 23 Jun 2016 01:36 AM (IST)

ईपीएफओ अपने सदस्यों को ज्यादा पेंशन देगा बर्शते 58 साल के बजाय 60 साल की उम्र में पेंशन लेना शुरू करेंगे।

नई दिल्ली, (पीटीआई)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने सदस्यों को 8.16 फीसद ज्यादा पेंशन देगा बशर्ते वह 58 साल के बजाय 60 साल की उम्र में पेंशन लेना शुरू करेंगे।
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 के तहत जो सदस्य पेंशन एक साल के लिए स्थगित करते हैं यानी 58 के बजाय 59 साल की उम्र होने पर पेंशन लेने का फैसला करते हैं, उन्हें उनकी निश्चित पेंशन के मुकाबले चार फीसद ज्यादा पेंशन दी जाएगी। इसी तरह 60 साल की उम्र में पेंशन लेने यानी दो साल तक पेंशन स्थगित करने वालों को 8.16 फीसद ज्यादा पेंशन मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि इस बारे में 25 अप्रैल को अधिसूचना जारी की गई थी। सदस्यों को 58 साल की उम्र के बाद पेंशन स्थगित करने के लिए यह फैसला किया गया।

ईपीएफओ ने पीएफ खातों पर किया ब्याज का भुगतान



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एक शादीशुदा की दुखी कलम से योग दिवस

एक शादीशुदा की दुखी कलम से योग दिवस 😂😂😂😂😂😂😂

योग दिवस को मैं कुछ इस तरह से मना रहा हूँ,
रात उसके पैर दबाए थे अब पोछा लगा रहा हूँ।

धो रहा हूँ बर्तन और बना रहा हूँ चपाती,
मेरे ख्याल से यही होती है कपालभाति।

एक हाथ से पैसे देकर, दुजे हाथ में सामान ला रहा हूँ मैं,
और इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम बता रहा हूँ मैं।

सुबह से ही मैं घर के सारे काम कर रहा हूँ,
बस इसी तरह से यारो प्राणायाम कर रहा हूँ।

मेरी सारी गलतियों की जालिम ऐसी सजा देती हैं,
योगो का महायोग अर्थात मुर्गा बना देती हैं।

हे 💥मोदी💥, हे रामदेव अगर आप गृहस्थी बसाते,
तो हम योग दिवस नहीं पत्नी दिवस मनाते।

😭😭😭😭😭😭




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Must Read : प्रणाम का महत्व : . महाभारत का युद्ध चल रहा था - एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि - "मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा

Must Read : प्रणाम का महत्व :
.
महाभारत का युद्ध चल रहा था -
एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि -
"मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई -
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए|
तब -
श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो -
श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए -
शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि - अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो -
द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने -
"अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!
"वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये हैं" ?
तब द्रोपदी ने कहा कि -
"हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया''
भीष्म ने कहा -
"मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते हैं।"
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि -
"तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है " -
" अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती " -
......तात्पर्य....
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि -
"जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "
" यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "
बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता -
निवेदन :- सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय।




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Tuesday, June 21, 2016

आजकल बच्चों के माता पिता बहुत असमंजस में हैं - अपने बच्चों के भविष्य को लेकर ....

आजकल बच्चों के माता पिता बहुत असमंजस में हैं -                                        
अपने बच्चों के भविष्य को लेकर ....                                                                                      
बच्चों को चाय की दुकान पर बैठाएं और मोदी जैसा बनाएं   ...                      
या

उनको आई आई टी भेजें और केजरीवाल जैसा बनाएँ        ...      

या        ...

विदेश भेजें और कोई कोर्स नहीं करवावें ताकि राहुल गाँधी जैसा बन सके    ...

!!! वाकई Hard Decision है !!!

या

फिर उसे हरिद्वार भेज दें ताकि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सके और स्वामी रामदेव जैसा बन सके जिनकी सालाना आय करोड़ों में है

 या

सिर्फ नवीं फेल रहने दे ताकि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जैसे बन सकें
😜😀😉
या कुछ भी पढ़ो बैंकों से लोन लेकर जीवन में ऐश करो फिर विदेश भाग जाओ विजय माल्या बने  😜😜😊               वास्तव में बहुत ही कठिन निर्णय है ! ! !
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जानिए की कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान और रुद्धाक्ष प्रयोग

जानिए की कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान और रुद्धाक्ष प्रयोग


आमतौर पर आपने देखा होगा की आजकल किसी भी शहर के बाजार में रुद्राक्ष हर दुकान ,चौराहे पर बक रहा हैं और कई नामी कम्पनिया भी इसे बेच रही है, परन्तु इसकी पहचान करना बहुत ही कठिन है। एक मुखी व एकाधिक मुखी रुद्राक्ष महंगे होने के कारण नकली भी बाजार में बिक रहेहै। नकली मनुष्य असली के रूप में इन्हे खरीद तो लेता है परन्तु उसका फल नहीमिलता। जिस कारण वह रुद्राक्ष के फायदे से वंचित रह जाता है व जीवन भर उसकी मन में यह धारणा रहती है कि रुद्राक्ष एक बेकार वस्तु है।

कई लोग लाभ के लालच में कैमिकल का इस्तेमाल कर इसका रंग रूप असली रूद्राक्ष जैसा कर देतेहै व इसके ऊपर धारिया बना कर मंहगे भाव में बेच देते है। कई बार दो रुद्राक्षों को बड़ीसफाई से जोड़ कर बेचा जाता है। आपने देखा होगा कि कई रूद्राक्षों पर गणेश, सर्प, शिवलिंग की आकृति बना कर भी लाभ कमाया जाता है।

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री (मोब.–09669290067) के अनुसार रूद्राक्ष का उपयोग केवल धारण करने में ही नहीं होता है अपितु हम रूद्राक्ष के माध्यम से किसी भी प्रकार के रोग कुछ ही समय में पूर्णरूप से मुक्ति प्राप्त कर सकते है। ज्योतिष के आधार पर किसी भी ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। असली रत्न अत्यधिक मंहगा होने के कारण हर व्यक्ति धारण नहीं कर सकता।रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिवपुराण, रूद्रपुराण, लिंगपुराण श्रीमद्भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है। सभी जानते हैं कि रूद्राक्ष को भगवान शिव का पूर्ण प्रतिनिधित्व प्राप्त है।चंद्रमा शिवजी के भाल पर सदा विराजमान रहता है अतः चंद्र ग्रह जनित कोई भी कष्ट हो तो रुद्राक्ष धारण से बिल्कुल दूर हो जाता है। किसी भी प्रकार की मानसिक उद्विग्नता, रोग एवं शनि के द्वारा पीड़ित चंद्र अर्थात साढ़े साती से मुक्ति में रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है। शिव सर्पों को गले में माला बनाकर धारण करते हैं। अतः काल सर्प जनित कष्टों के निवारण में भी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी होता है।

रूद्राक्ष धारण करने से जहां आपको ग्रहों से लाभ प्राप्त होगा वहीं आप शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे। ऊपरी हवाओं से भी सदैव मुक्त रहेंगे क्योंकि जो व्यक्ति कोई भी रूद्राक्ष धारण करता है उसे भूत पिशाच आदि की कभी भी कोई समस्या नहीं होती है। वह व्यक्ति बिना किसी भय के कहीं भी भ्रमण कर सकता हैं| रुद्राक्ष सिद्धिदायक, पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक, तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है| शिव पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष या इसकी भस्म को धारण करके ‘नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने वाला मनुष्य शिव रूप हो जाता है|

ऐसी और भी अनेक बातों के कारण रूद्राक्ष मंहगे भाव में बेच दिय जाते हैं पर देखा जाये तो जो आदमी अध्यात्मिक विश्वास में रुद्राक्ष खरीदता है अगर उसे ऐसा रुद्राक्ष मिल जाये तो उसे कोई लाभ नही बल्कि उसके अध्यात्मिक मन के साथ धोखा होता है। आप ने कभी भी कोई रुद्राक्ष लेना तो विश्वसनीय स्थान से ही खरीदे। परन्तु आप भी अपने ढंग से जान सकते है असली और नकली रुद्राक्ष कैसे होते है।

शास्त्रों में कहा गया है की जो भक्त रुद्राक्ष धारण करते हैं भगवान भोलेनाथ उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है अक्सर लोगों को रुद्राक्ष की असली माला नहीं मिल पाती है जिससे भगवान शिव की आराधना में खासा प्रभाव नहीं पड़ता है। अब हम आपको रुद्राक्ष के बारे में कुछ जानकारियां देने जा रहे हैं जिसके द्वारा आप असली और नकली रूद्राक्ष की पहचान कर सकते है और किस तरह नकली रूद्राक्ष बनाया जाता है…रुद्राक्ष तन-मन की बहुत सी बीमारियों में राहत पहुँचाता है। इसे पहनने से दिल की धड़कन तथा रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। ऐसा कहा जाता है कि रुद्राक्ष धारण करनेवाले व्यक्ति को देर से बुढ़ापा आता है।

रुद्राक्ष क्या है ?

– रुद्राक्ष (English name :- “Rudraksh // Rudraksha”) एक किसिम के दाना(फल) हे !
रुद्राक्ष के वृक्ष और पेड़ को ‘रुद्राक्ष के पेड़’ कहते है ! वही महत्वपूर्ण पेड़ मे फल्ने वाला दाना(फल) को ही रुद्राक्ष कहते हे !हिन्दु धर्म मे रुद्राक्ष के पेड़ और रुद्राक्षदाना दोनो का बराबर महत्वपूर्ण हे ! आज भी हम विभिन्न घरवो मे रुद्राक्ष के पेड़ को पुजा कररहे और रुद्राक्ष समन्धी ज्ञात महापुरुष भक्तोने एक दाना रुद्राक्ष को लकेट बनाकर और १०८ रुद्राक्ष दाना से बनाहुवा रुद्राक्ष की माला गले मे धारण किया हुवा देख्ने मे मिलसकता है !हिन्दु धर्म मे रुद्राक्ष के बहुत उचाई हे ! ये भी कहाँगया हे की रुद्राक्ष स्वोयम भगवान शिव ही हे और रुद्राक्ष दाना भगवान महादेव(पशुपतिनाथ) जी के प्रिये आभूषण भी हे! रुद्राक्ष से समन्धीत सम्पूर्ण जानकारी हमारे हिन्दु धर्म के विभिन्न ज्ञानबर्द्धक पुस्तको और बढे बढे पुस्तक जैसे शिव पुराण,देवी भागवत गीता मे सम्पूर्ण जानकारी सहित मिलता है और विस्तार किया गया हे !

रुद्राक्ष के वृक्ष विशेषकर नेपाल मे मिलता है!कीसी भी अवस्था में यदि दुसरा स्थान मिल जाएगी तो भक्त जनको नेपाल का ही रुद्राक्ष पुजा और धारण करने मे लाभदायिक होगा क्युकी नेपाल का रुद्राक्ष ही शक्तिशालि होता है ! इंडिया मे भी किसी किसी जगामे रुद्राक्ष मिलता है लेकिन नेपाल की तरह गुणवत्ता नही होती है !भारत मे खासकर रुद्राक्ष आसम और हरिद्वार मे मिलता है लेकिन रुद्राक्ष मे ज्यादा तर छेद नही होता है ! रुद्राक्ष आदिकाल से बढे बढे ऋषि,मुनि,साधु,सन्त,तपवस्यीने पसंद और रोजा हुवा है !भारत से विभिन्न श्रदालु भक्तजन नेपाल भ्रमण मे श्री पशुपतिनाथ मन्दिर दर्शन करके यहाँ से रुद्राक्ष खरिद कर लेजाते है !नेपाल मे रुद्राक्ष खासकर काठमाडौँ,झापा,सिन्धुपाल्चोव्क ,भोजपुर.बिराटनगर,काब्रे आदि विभिन्न जगहों मे उत्पादन होता है !

रुद्राक्ष के पेड़ भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं| भारत में रुद्राक्ष के पेड़ पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में पाया जाता है| रुद्राक्ष के पेड़ की लम्बाई 50 से लेकर 200 फिट तक होती है| इसके फूलों का रंग सफेद होता है तथा इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है जिसके अंदर से गुठली रुप में रुद्राक्ष प्राप्त होता है|

रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उतरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं| इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं| रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है यहां का रुद्राक्ष काजू की भांति होता है| गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं|
भारत में ये मुख्यतः असम, अरुणांचल प्रदेश एवं देहरादून में पाए जाते हैं । रुद्राक्ष के फल से छिलका उतारकर उसके बीज को पानी में गलाकर साफ किया जाता है। इसके बीज ही रुद्राक्ष रूप में माला आदि बनाने में उपयोग में लाए जाते हैं । इसके अंदर प्राकृतिक छिद्र होते हैं एवं संतरे की तरह फांकें बनी होती हैं जो मुख कहलाती हैं।

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री (मोब.–09669290067) के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पन्न समन्धी प्रसङ्ग मे पुराण के अनुसार “रुद्राक्ष भगवान शिवजी के आँख के अश्रु से उत्पन्न हुवा गया है!कहा जाता है कि सती की मृत्यु पर शिवजी को बहुत दुख हुआ और उनके आंसू अनेक स्थानों पर गिरे जिससे रुद्राक्ष (रुद्र$अक्ष अर्थात शिव के आंसू) की उत्पत्ति हुई।
भगवान शिव ने अपने पुत्र कुमार से ए भी कहाँ हे कि है “हे कुमार मे सम्पूर्ण देवी देवता के साथ रुद्राक्ष मे विराजमान हु और किसिभी मनुष्य,ऋषि ,साधु ,सन्त रुद्राक्ष को पुजन और धारण करता हे मे उसके कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहता हु !”.

१८ पुराण मे से कुछ पुराण मे ये भी लिखा है कि रुद्राक्ष भगवान शिव शंकर भोले बाबा के शरीर से कुछ बुन्द पसीना गिरने से भी उत्पन हुवा है! ये लिखा है कि रुद्राक्ष के पेड भगवान शिव के पसिना से उत्पन हुवा है !भगवान शिव के रुद्राक्ष पेड मे हि विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष उत्पादित होता है ! विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष के जानकारी सभी पुराण मे बिस्तृत कियागया है !

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री (मोब.–09669290067) के अनुसार रुद्राक्ष शब्द संस्कृत भाषा से आया हुआ है !संस्कृत भाषामे रुद्राक्ष दो शब्द से बना हुआ है ! दो शब्द के नाम रुद्र + आक्ष है जिसमे रुद्र भगवान शिव के अनेक नामो मे से एक है और आक्ष का अर्थ—आँख के आंसू होता है !
रुद्राक्ष भगवान शिव की आँख के आंसू के बुन्द से उत्पन्न होने के कारण रुद्राक्ष नाम पडा हुवा है !

इकलौता रुद्राक्ष की पेड़ मे विभिन्न प्रकार और भेद के रुद्राक्ष दाना(फल) पाया जाता है ! रुद्राक्ष प्रकार के सम्पूर्ण जानकारी पुराण मे मिलाजासकता है ! रुद्राक्ष के प्रकार और रुप को रुद्राक्ष मुखी कहते है और जाना जा सकता है ! रुद्राक्ष १ से 14 मुखी तक पुराण मे उल्लेख कियागया है और आजकाल रुद्राक्ष १५ से २१ मुखी रुद्राक्ष तक भी मिला गया है ! ये १५ से २१ मुखी रुद्राक्ष को भी बहुत अच्छा मानाजाता है और ये दुर्लभ भी होता है !
प्रत्यक रुद्राक्ष के दाना(फल) मे मुखी होता है ! मुखी का अर्थ है रुद्राक्ष मे होने वाला प्राकृतिक धार! विभिन्न प्रकारके रुद्राक्ष मे विभिन्न मात्रामे धार होता है ! कुछ रुद्राक्ष मे १ धार होता और कुछ मे २ धार , कुछमे ३ और र कुछ मे १० धार भी होता है ! रुद्राक्ष दाना(फल) मे हुवा होगा धारी को आंख और हाथ से गिन्ना मिलसकता है!रुद्राक्ष का प्रकार वोही धार की संख्या से होती है !रुद्राक्ष के पेड़ मे कोई भी मुखी(किसी भी संख्या मे धार हुवा रुद्राक्ष) उत्पादित होता है !येही फरक हे कि कुछ रुद्राक्ष पाने के लिए दुर्लब होता है !इकलौता पेड़ मे सबी रुद्राक्ष के मुखी संयुक्त होकर फलता है ! ज्यादा जैसा रुद्राक्ष के पेड़ मे एकिसाथ २,३,४.५ मुखी भी वोही और ज्यादा अनेक मुखी भी उसी पेड़ मे फलता है ! रुद्राक्ष के पेड़ मे किसी मुखी भी फल सकता है !

रुद्राक्ष के पेड के लिए विभिन्न मुखी के लिए हवा पानी का भी असर पड़ता है !

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री (मोब.–09669290067) के अनुसार रुद्राक्ष मे होने वाला ‘रुद्राक्ष मुखी’ और ‘रुद्राक्ष प्रकार’ पहिचान रुद्राक्ष मे होने वाला धार से किया जाता है ! रुद्राक्ष के प्रकार के नाम पहिचान भी वोही रुद्राक्ष मे होने वाला धार की संख्या से राखा जाता है ! उदाहरण के लिए – मात्र एक धार होने वाला रुद्राक्ष दाना(फल) को एक मुखी रुद्राक्ष कहाँ जाता है , १० धार होने वाला रुद्राक्ष को ‘दश मुखी रुद्राक्ष’ रुद्राक्ष कहा जाता है ! रुद्राक्ष मे जित्ना धार हो उसी अनुसार से मुखी पहिचान नाम दिया जाता है ! आजतक नेपाल मे १ मुखी से २१ मुखी तक उत्पादन हुवा है ! २१ मुखी रुद्राक्ष मे २१ धार होता है ! मैने ये भी सुना है की नेपाल मे २७ मुखी रुद्राक्ष भी फला हुवा है जिसमे २७ धार होता ,ये रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ होता है ! सम्पूर्ण रुद्राक्ष प्रकार के देवी देवता का महत्व और पुजन और धारण का फल हमारे हिन्दु धर्म के पुराण मे दिया हुवा हे !
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कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान..????

रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा। इसके अलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली। लेकिन यह जांच अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है। रुद्राक्ष सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है।

1- रूद्राक्ष को जल में डालने से यह डूब जाये तो असली अन्यथा नकली। किन्तु अब यह पहचान व्यापारियों के शिल्प ने समाप्त कर दी। शीशम की लकड़ी के बने रूद्राक्ष आसानी से पानी में डूब जाते हैं।

2- तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रूद्राक्ष रखकर फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रूद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रूद्राक्ष नाचने लगता है। यह पहचान अभी तक प्रमाणिक हैं।

3- शुद्ध सरसों के तेल में रूद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म किया जाये तो असली रूद्र्राक्ष होने पर वह अधिक चमकदार हो जायेगा और यदि नकली है तो वह धूमिल हो जायेगा। प्रायः पानी में डूबने वाला रूद्राक्ष असली और जो पानी पर तैर जाए उसे नकली माना जाता है।लेकिन यह सच नहीं है। पका हुआ रूद्राक्ष पानी में डूब जाता है जबकी कच्चा रूद्राक्ष पानी पर तैर जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया से रूद्राक्ष के पके या कच्चे होने का पता तो लग सकता है, असली या नकली होने का नहीं।

4) प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।

5) कुछ रूद्राक्षों में प्राकृतिक रूप से छेद होता है ऐसे रूद्राक्ष बहुत शुभ माने जाते हैं। जबकि ज्यादातर रूद्राक्षों में छेद करना पड़ता है।

7) दो अंगूठों या दो तांबे के सिक्कों के बीच घूमने वाला रूद्राक्ष असली है यह भी एक भ्रांति ही है। इस तरह रखी गई वस्तु किसी दिशा में तो घूमेगी ही। यह उस पर दिए जाने दबाव पर निर्भर करता है।

8) रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
9) नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।

10) कुछ रूद्राक्षों पर शिवलिंग, त्रिशूल या सांप आदी बने होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से नहीं बने होते बल्कि कुशल कारीगरी का नमूना होते हैं। रूद्राक्ष को पीसकर उसके बुरादे से यह आकृतियां बनाई जाती हैं। इनकी पहचान का तरीका आगे लिखूंगा।

11) कभी-कभी दो या तीन रूद्राक्ष प्राकृतिक रूप से जुड़े होते हैं। इन्हें गौरी शंकर या गौरी पाठ रूद्राक्ष कहते हैं। इनका मूल्य काफी अधिक होता है इस कारण इनके नकली होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। कुशल कारीगर दो या अधिक रूद्राक्षों को मसाले से चिपकाकर इन्हें बना देते हैं।

12) प्रायः पांच मुखी रूद्राक्ष के चार मुंहों को मसाला से बंद कर एक मुखी कह कर बेचा जाता है जिससे इनकी कीमत बहुत बढ़ जाती है। ध्यान से देखने पर मसाला भरा हुआ दिखायी दे जाता है। कभी-कभी पांच मुखी रूद्राक्ष को कुशल कारीगर और धारियां बना अधिक मुख का बना देते हैं। जिससे इनका मूल्य बढ़ जाता है।

13) प्राकृतिक तौर पर बनी धारियों या मुख के पास के पठार उभरे हुए होते हैं जबकी मानव निर्मित पठार सपाट होते हैं। ध्यान से देखने पर इस बात का पता चल जाता है। इसी के साथ मानव निर्मित मुख एकदम सीधे होते हैं जबकि प्राकृतिक रूप से बने मुख पूरी तरह से सीधे नहीं होते।

14) प्रायः बेर की गुठली पर रंग चढ़ाकर उन्हें असली रूद्राक्ष कहकर बेच दिया जाता है। रूद्राक्ष की मालाओं में बेर की गुठली का ही उपयोग किया जाता है।
15) रूद्राक्ष की पहचान का तरीका- एक कटोरे में पानी उबालें। इस उबलते पानी में एक-दो मिनट के लिए रूद्राक्ष डाल दें। कटोरे को चूल्हे से उतारकर ढक दें। दो चार मिनट बाद ढक्कन हटा कर रूद्राक्ष निकालकर ध्यान से देखें।
—यदि रूद्राक्ष में जोड़ लगाया होगा तो वहफट जाएगा। दो रूद्राक्षों को चिपकाकर गौरीशंकर रूद्राक्ष बनाया होगा या शिवलिंग, सांप आदी चिपकाए होंगे तो वह अलग हो जाएंगे।

—-जिन रूद्राक्षों में सोल्यूशन भरकर उनके मुख बंद करे होंगे तो उनके मुंह खुल जाएंगे। यदि रूद्राक्ष प्राकृतिक तौर पर फटा होगा तो थोड़ा और फट जाएगा। बेर की गुठली होगी तो नर्म पड़ जाएगी, जबकि असली रूद्राक्ष में अधिक अंतर नहीं पड़ेगा। यदि रूद्राक्ष पर से रंग उतारना हो तो उसे नमक मिले पानी में डालकर गर्म करें उसका रंग हल्का पड़ जाएगा।वैसे रंग करने से रूद्राक्ष को नुकसान नहीं होता है।

—-अकसरयह माना जाता है की पानी में डूबने वाला रुद्राक्ष असली और तैरने वालानकली होता है। यह सत्य नही है रुद्राक्ष का डूबना व तैरना उसके कच्चे पन वतेलियता की मात्रा पर निर्भर होता है पके होने पर व पानी में डूब जायेगा।
—-दुसरा कारण तांबे के दो सिक्को के बीच रुद्राक्ष को रख कर दबाने पर यो घूमताहै यह भी सत्य नही। कोई दबाव अधिक लगायेगा तो वो किसी न किसी दिशा मेंअसली घूमेगा ही इस तरह की और धारणाये है जो की रुद्राक्ष के असली होने काप्रणाम नही देती।
—-असली के लिए रुद्राक्ष को सुई से कुदेरने पर रेशा निकले तोअसली और कोई और रसायन निकले तो नकली असली रुद्राक्ष देखे तो उनके पठार एकदुसरे से मेल नही खाते होगे पर नकली रुद्राक्ष देखो या उनके ऊपरी पठार एकजैसे नजर आयेगा जैसे गोरी शंकर व गोरी पाठ रुद्राक्ष कुदरती रूप से जुड़ेहोते है परन्तु नकली रुद्राक्ष को काट कर इन्हे जोड़ना कुशल कारीगरों कीकला है परन्तु यह कला किसी को फायदा नही दे सकती।
—-ऐसे ही एक मुखी गोल दाना रुद्राक्ष काफी महंगा व अप्राप्त है पर कारीगर इसे भीबना कर लाभ ले रहे है। परन्तु पहनने वाले को इसका दोष लगता है। नकलीरुद्राक्ष की धारिया सीधी होगी पर असली रुद्राक्ष की धारिया आढी टेडी होगी।कभी कबार बेर की गुठली पर रंग चढ़ाकर कारीगर द्वारा उसे रुद्राक्ष काआकार दे कर भी बाजार में बेचा जाता है।
—-इसकी परख के लिए इसे काफी पानी मेंउबालने से पता चल जाता है। परन्तु असल में कुछ नही होता वो पानी ठण्डा होनेपर वैसा ही निकलेगा। कोई भी दो जोड़े हुए रुद्राक्षों को आप अलग करेंगेतो बीच में से वो सपाट निकलेगें परन्तु असली आढा टेढा होकर टुटेगा। नोमुखी से लेकर 21 मुखी व एक मुखी गोल दाना गोरी शंकर ,गोरीपाठ आदि यह मंहगे रुद्राक्ष है।

अन्य रुद्राक्ष-

गणेश रुद्राक्ष- एक मुखी से लेकर चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष के बाद भी कुछ अन्य रुद्राक्ष होते हैं जैसे गणेश रुद्राक्ष| गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी-सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|

गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है।

शेषनाग रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य, शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है।

रुद्राक्ष के बड़े दानों की मालाएं छोटे दानों की मालाओं की अपेक्षा सस्ती होती हैं। साफ, स्वच्छ, सख्त, चिकने व साफ मुख दिखाई देने वाले दानों की माला काफी महंगी होती है। रुद्राक्ष के अन्य रूपों में गौरी शंकर, गौरी गणेश, गणेश एवं त्रिजुटी आदि हैं। गौरी शंकर रुद्राक्ष में दो रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से जुड़े होते हैं। ये दोनों रुद्राक्ष गौरी एवं शंकर के प्रतीक हैं। इसे धारण करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। इसी प्रकार गौरी गणेश में भी दो रुद्राक्ष जुड़े होते हैं एक बड़ा एक छोटा, मानो पार्वती की गोद में गणेश विराजमान हों।

रुद्राक्ष पहनने में किसी विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जिस प्रकार दैवी शक्तियों को हम पवित्र वातावरण में रखने का प्रयास करते हैं, उसी प्रकार रुद्राक्ष पहनकर शुचिता बरती जाए, तो उत्तम है। अतः साधारणतया रुद्राक्ष को रात को उतार कर रख देना चाहिए और प्रातः स्नानादि के पश्चात मंत्र जप कर धारण करना चाहिए। इससे यह रात्रि व प्राः की अशुचिता से बचकर जप की ऊर्जा से परिपूर्ण होकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। शिव सदैव शक्ति के साथ ही पूर्ण हैं। दैवी शक्तियों में लिंग भेद नहीं होता है। स्त्री-पुरुष का भेद केवल पृथ्वी लोक में ही होता है। रुद्राक्ष, जिसमें दैवी शक्तियां विद्यमान हैं, स्त्रियां अवश्य धारण कर सकती हैं।

गौरी शंकर रुद्राक्ष व गौरी गणेश रुद्राक्ष खासकर स्त्रियों के लिए ही हैं। पहला सफल वैवाहिक जीवन के लिए एवं दूसरा संतान सुख के लिए। हां शुचिता की दृष्टि से राजो दर्शन के तीन दिनों तक रुद्राक्ष न धारण किया जाए, तो अच्छा है।

रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार को प्रातः काल पहले कच्चे दूध से और फिर गंगाजल से धोकर व अष्टगंध लगाकर ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप कर धारण करना चाहिए।


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