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Tuesday, February 4, 2014

कवि गरीबी से तंग आकर डाकू बन

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एक कवि गरीबी से तंग आकर डाकू बन
गया और एक बैंक लूटने जा पहुंचा.
बन्दूक लहराते हुए बोला -
“अर्ज किया है …
तकदीर में जो है वही मिलेगा …
हैंड्स अप ! … कोई अपनी जगह से
नहीं हिलेगा … !”
फिर कैशियर से बोला -
“कुछ ख्वाब मेरी आँखों में से निकाल दो …
जो कुछ भी है जल्दी से इस बैग में डाल दो … ”
माल समेटने के बाद पब्लिक से बोला -
“बहुत कोशिश करता हूँ तेरी याद भुलाने की …
ख़बरदार जो किसी ने कोशिश की पुलिस बुलाने
की … ”
जाते-जाते बैंक के गार्ड से बोला -
“भुला देना मुझको क्या जाता है तेरा …
मैं गोली मार दूंगा जो पीछा किया मेरा … !!!”

 

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