Labels

Friday, August 26, 2011

सुन्दर बचपन (Childhood Hindi Poems Which you miss) / flash back of childhood

मानस पटल पर हमेशा अंकित रहती - अच्छी हिंदी कविताएँ (Good Hindi Childhood Poems )

=====================================================================================

उठो लाल अब आँखें खोलो (Utho Lal Ab Aankhen Kholo )

उठो लाल अब आँखें खोलो
पानी लायी हूँ, मुँह धोलो

बीती रात कमल-दल फूले
उनके ऊपर भँवरे झूले

चिड़िया चहक उठीं पेड़ों पर
बहने लगी हवा अति सुन्दर


भोर हुई सूरज उग आया
नभ में हुई सुनहरी काया

आसमान में छायी लाली
हवा बही सुख देने वाली


नन्हीं-नन्हीं किरणें आयीं
फूल हँसे कलियाँ मुसकायीं

इतना सुन्दर समय ना खोओ
मेरे प्यारे अब मत सोओ









=============================================================
मीठी बोली~~~ (Meethee Boli)

कुहू-कुहूकर कोयल बोली कानों में मिसरीसी घोली
बाग़ बगीचे गूँज उठे हैं , नाच उठी बच्चों की टोली ।।
डोल रही है डाल-डाल पर , सबके मन में खुशियाँ भरती
मीठे प्यारे गीत सुनाकर , सबको अपने वश में करती
जब मुँह खोलो मीठा बोलो’-कोयल सबसे कहती है
मीठी बोली में जीवन की
सारी खुशियाँ रहती हैं ।।
============================================================
मां के सपने~~~ (Maa Ke Sapne )


मां तो आखिर मां होती है ,
तुम्हारी हो , या फिर हमारी हो,
या फिर पुरे भारत की
जुटी रहती है दिन-रात
ताकि पूरे हो सकें
हमारे तुम्हारे प्यारे सपने
ये अलग बात है कि
उस मां के भी
कुछ सपने होते हैं,
जो उसके अपने होते हैं
जिनकी उम्मीद में,
पुरा होने की प्यास में,
मां एक दिन मर जाती है
सोचती हूँ,
क्या कभी हम या तुम भी,
अपनी मां के लिए,
वह सब करते हैं,
जो वह हमारे लिए
कर जाती है

चांद का कुर्ता ~~~ (Chand Ka Kurta~~~ )रामधारी सिंह "दिनकर"   (Ramdhari Singh Dinkar~~~)
हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला
सिलवा दो मा मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला
सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ
ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
हो अगर तो ला दो कुर्ता ही को भाड़े का
बच्चे की सुन बात, कहा माता ने 'अरे सलोने`कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ
कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा
घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है
अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें
सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये~~~


Good Humour , Entertainment, Jokes http://7joke.blogspot.com/ / /Updated

Sarkari Naukri http://sarkari-damad.blogspot.com/  / Updated Admission Notice

India http://admission-query.blogspot.com/ , Latest Naukri Recruitment Results -
http://naukri-recruitment-result.blogspot.com/, Competition Exam Papers /
Syllabus - http://syllabus123.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment