#Ayurvedik Health Benefits : Green Chili
विटामिन ए
हरी मिर्च में सबसे अधिक मात्रा में मिलने वाला पोषक तत्व है विटामिन ए। हडिड्यों, दांतों, आंखों और त्वचा की सेहत के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी होता है।
खासतौर पर रेटिना पिगमेंटेशन बनाने और नाइट विजन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने के कारण विटामिन ए आंखों की सेहत के लिए खासा फायदेमंद है।
विटामिन सी
हरी मिर्च में विटामिन सी भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन दोनों की भूमिका अदा करता है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है।
फाइबर
हरी मिर्च में मौजूद फाइबर पाचन प्रक्त्रिस्या को सुचारू करने में मददगार है। इससे कब्ज और अपच की समस्या दूर होती है और आंतों को भी मजबूती मिलती है।
केपसेसिन
मिर्च के तीखे होने का कारण होता है केपसेसिन। यानी मिर्च जितनी ज्यादा तीखी होगी, उसमें केपसेसिन की मात्रा भी उतनी ही ज्यादा होगी। केपसेसिन, शरीर में सूजन या जलन पैदा करने वाले न्यूरोपेपटाइड्स को बढ़ने से रोकता है। इस बात के चिकित्सकीय प्रमाण भी मिलते हैं कि नर्व संबंधी डिसॉर्डर जैसे लगातार दर्द होना, सराइसिस (त्वचारोग)
इत्यादि में केपसेसिन दर्द निवारक का काम करता है।
1. छोटी-छोटी फुन्सियां उठने पर हरी मिर्च का लेप लगाने से फुन्सियां बैठ जाती है।
2 खाज-खुजली के लिए मिर्च को तेल मे जलाकर मालिश करने से आराम मिलता है।
3 जोड़ों का दर्द होने पर भी यह तेल फायदेमंद होता है।
4 कुत्ते के काट लेने पर या ततैया के डंक मारने पर मिर्च को पीस कर लगाने से विषैले असर से छुटकारा मिलता है।
5 मकड़ी त्वचा पर चल जाती है, तब छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। उन पर भी मिर्च पीसकर लगाने से फायदा होता है।
6 हरी मिर्च अधिक मात्रा में नहीं ली जानी चाहिए, अन्यथा अम्ल-पित्त की शिकायत हो सकती है।
7 और शायद आपको पढ़कर आश्चर्य हो कि कई बुजुर्ग तीनों प्रकार की मिर्च काली, लाल और हरी को मिलाकर बनाए घोल से लंबे समय से चले आ रहे छालों का इलाज करते हैं। लेकिन बिना विशेषज्ञ की सलाह के आप ऐसा ना करें क्योंकि इसके लिए तीनों मिर्च की सुनिश्चित मात्रा लेकर कटोरी में घोल बनाया जाता है और जी कड़ा करके उसे एक साथ पी लिया जाता है। यह हर किसी पर कारगर हो आवश्यक नहीं।
उफ उफ मिर्ची.... ये गाना आपने अक्सर लोगो को गुनगुनाते हुए सुना होगा। जैसे ही मिर्ची का नाम आता है तो मुह से सिसि की आवाज आए बिना नही रहती ।
लेकिन हम आपको बता दे कि ये मिर्च बड़े-बडे कमाल कर सकती है। आइए जानते हैं इसके गुणों के बारे में-
-बचाए लू से-
गर्मी के दिनों में यदि हम खाने के साथ हरी मिर्च खाए और फिर घर से बाहर जाए तो कभी भी लू नहीं लग सकती।
-मोटापा रखे दूर-
मिर्च के सेवन से भूख कम लगती है और बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
-कब्ज से बचाये-
हरी मिर्च शरीर में से विषैले तत्व बाहर निकालने के लिए जानी जाती है। ये डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत है। इनसे आंतों की गतिविधि को सही किया जा सकता है और कब्ज नहीं होती है।
-हार्ट अटैक का खतरा कम करे-
हरी मिर्च में मौजूद ऎटीऑक्सीडेट्स फ्री रैडीकल्स से शरीर की कोशिकाओं को पहुंचने वाल नुक्सान से रक्षा करते हैं। इन एंटीऑक्सीडेंल्टस में मौजूद बीटा कैरोटीन ±दय रोगों के खतरे को भी कम करते हैं।
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हरी मिर्च को नही खाओगे तो पछताओगे
विटामिन ए
हरी मिर्च में सबसे अधिक मात्रा में मिलने वाला पोषक तत्व है विटामिन ए। हडिड्यों, दांतों, आंखों और त्वचा की सेहत के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी होता है।
खासतौर पर रेटिना पिगमेंटेशन बनाने और नाइट विजन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने के कारण विटामिन ए आंखों की सेहत के लिए खासा फायदेमंद है।
विटामिन सी
हरी मिर्च में विटामिन सी भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन दोनों की भूमिका अदा करता है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है।
फाइबर
हरी मिर्च में मौजूद फाइबर पाचन प्रक्त्रिस्या को सुचारू करने में मददगार है। इससे कब्ज और अपच की समस्या दूर होती है और आंतों को भी मजबूती मिलती है।
केपसेसिन
मिर्च के तीखे होने का कारण होता है केपसेसिन। यानी मिर्च जितनी ज्यादा तीखी होगी, उसमें केपसेसिन की मात्रा भी उतनी ही ज्यादा होगी। केपसेसिन, शरीर में सूजन या जलन पैदा करने वाले न्यूरोपेपटाइड्स को बढ़ने से रोकता है। इस बात के चिकित्सकीय प्रमाण भी मिलते हैं कि नर्व संबंधी डिसॉर्डर जैसे लगातार दर्द होना, सराइसिस (त्वचारोग)
इत्यादि में केपसेसिन दर्द निवारक का काम करता है।
1. छोटी-छोटी फुन्सियां उठने पर हरी मिर्च का लेप लगाने से फुन्सियां बैठ जाती है।
2 खाज-खुजली के लिए मिर्च को तेल मे जलाकर मालिश करने से आराम मिलता है।
3 जोड़ों का दर्द होने पर भी यह तेल फायदेमंद होता है।
4 कुत्ते के काट लेने पर या ततैया के डंक मारने पर मिर्च को पीस कर लगाने से विषैले असर से छुटकारा मिलता है।
5 मकड़ी त्वचा पर चल जाती है, तब छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। उन पर भी मिर्च पीसकर लगाने से फायदा होता है।
6 हरी मिर्च अधिक मात्रा में नहीं ली जानी चाहिए, अन्यथा अम्ल-पित्त की शिकायत हो सकती है।
7 और शायद आपको पढ़कर आश्चर्य हो कि कई बुजुर्ग तीनों प्रकार की मिर्च काली, लाल और हरी को मिलाकर बनाए घोल से लंबे समय से चले आ रहे छालों का इलाज करते हैं। लेकिन बिना विशेषज्ञ की सलाह के आप ऐसा ना करें क्योंकि इसके लिए तीनों मिर्च की सुनिश्चित मात्रा लेकर कटोरी में घोल बनाया जाता है और जी कड़ा करके उसे एक साथ पी लिया जाता है। यह हर किसी पर कारगर हो आवश्यक नहीं।
उफ उफ मिर्ची.... ये गाना आपने अक्सर लोगो को गुनगुनाते हुए सुना होगा। जैसे ही मिर्ची का नाम आता है तो मुह से सिसि की आवाज आए बिना नही रहती ।
लेकिन हम आपको बता दे कि ये मिर्च बड़े-बडे कमाल कर सकती है। आइए जानते हैं इसके गुणों के बारे में-
-बचाए लू से-
गर्मी के दिनों में यदि हम खाने के साथ हरी मिर्च खाए और फिर घर से बाहर जाए तो कभी भी लू नहीं लग सकती।
-मोटापा रखे दूर-
मिर्च के सेवन से भूख कम लगती है और बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
-कब्ज से बचाये-
हरी मिर्च शरीर में से विषैले तत्व बाहर निकालने के लिए जानी जाती है। ये डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत है। इनसे आंतों की गतिविधि को सही किया जा सकता है और कब्ज नहीं होती है।
-हार्ट अटैक का खतरा कम करे-
हरी मिर्च में मौजूद ऎटीऑक्सीडेट्स फ्री रैडीकल्स से शरीर की कोशिकाओं को पहुंचने वाल नुक्सान से रक्षा करते हैं। इन एंटीऑक्सीडेंल्टस में मौजूद बीटा कैरोटीन ±दय रोगों के खतरे को भी कम करते हैं।
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