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Wednesday, March 4, 2015

HOLI क्यूँ ना अाज, इस #होली में, सारे वायदे भूल जाये हम

#HOLI
क्यूँ ना अाज, इस #होली में, सारे वायदे भूल जाये हम,
लौट आये फिर से दिन वो बचपन के, सभी कायदे भूल जाये हम …
तू अपनी रंजिशे, बाल्टी में घोल, रंग देना मुझको,
मै अपने अरमानो के गुबार, फेंकूँगा तुझको..
तेरे वो रंग, शायद बदल गये हो, मैने देखे ना हो,
पत्थर सी चोट दे जाये, शायद वो गुबार, जो मैने फेँके ना हो ..




रंगो का ताना-बाना हो, फिर तेरे लिबास पे मेरा रंग गढ़ जाये,
वो मीठी मुस्कान भी तेरी, फिर मुझपे भंग सी चढ़ जाये ..
गर इतना भी खुल के, हम जो मिल ना सके घुल के,
फिर सभी के सामने, सभी से छिपके भी,
अपने एहसासो का ज़रा सा गुलाल, लगा देना तुम
जो उतर जाये साँसो मे, रह जाये चिपके भी
ये बात भी सच है, क्या तेरा तजुर्बा है ऐ रंगरेज़,
कोइ रंग ना चढ पाए, ये रंग है ज़िंदगी के बड़े तेज़


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